भारत के राजवंशों और सम्राटों की सूची

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साँचा:mbox यहाँ भारतीय राजवंशों और उनके सम्राटों की सूची दी गई है।

प्रारंभिक बाद के दस्तावेज शासक और राजवंश जिन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के एक हिस्से पर शासन करने के लिए समझा जाता है, इस सूची में शामिल हैं।

हिंदू साम्राज्यों और राजवंशों की कालानुक्रमिक सूची

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सूर्यवंश

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  1. इक्ष्वाकु
  2. कुक्षी / विकुक्षी
  3. काकुत्स्थ या पुरंजय
  4. अनना या अनार्य
  5. पृथ्वी
  6. विश्वगाशव
  7. अर्ध या चंद्र
  8. युवनाश्व प्रथम
  9. श्रावस्त
  10. वृहदश्रवा
  11. युवनाश्व द्वितीय
  12. मंधात्री
  13. पुरुकुत्स प्रथम
  14. कुवलाश्व
  15. द्रुधश्रवा
  16. प्रमोद
  17. हर्षव I
  18. निकुंभ
  19. संताश्व
  20. कृषस्व
  21. प्रसेनजित
  22. त्रसदस्यु
  23. सांभर
  24. अनारन्य II
  25. तृषाश्रव
  26. हर्षव II
  27. वसुमन
  28. त्रिदेव
  29. त्र्यारुन
  30. सत्यव्रत या त्रिशंकु
  31. हरिश्चंद्र
  32. रोहिताश्व
  33. हरिता
  34. चेंचू
  35. विजय
  36. रसक
  37. वर्णिक
  38. बहू या असित
  39. सगर
  40. अस्मानजसा या आसमांजा]
  41. अंशुमान
  42. दिलीप I
  43. भगीरथ
  44. श्रुत
  45. नभ
  46. अंबरीष
  47. सिंधु स्वीप
  48. प्रत्यूष
  49. श्रुतस्वरूप
  50. सर्वकाम
  51. सुदास
  52. मित्रशाह
  53. सर्ववाक्य II
  54. अन्नारायण तृतीय
  55. निघासन
  56. अनिमित्र (रघु का भाई)
  57. दुलिदुह
  58. दिलीप II
  59. रघु
  60. अजा
  61. दशरथ
  62. राम
  63. कुश
  64. महाराजा अथिती
  65. निषाद (स्थापित निषाद साम्राज्य)
  66. नाल II
  67. नभ
  68. पुंडरीका
  69. क्षेमधनव
  70. देविका
  71. अहिनगु
  72. रुरु
  73. परियात्रा
  74. साल
  75. डाल
  76. बाल
  77. उक्त
  78. सहस्रस्व
  79. पैरा II
  80. चंद्रावलोक
  81. तारापीड
  82. चंद्रगिरी
  83. भानुचंद्र
  84. श्रुतायु
  85. उलुक
  86. उन्नाव
  87. वज्रनाभ
  88. सांख्य
  89. व्यासत्सव
  90. विश्वसाह
  91. हिरण्यनाभ कौशल्या
  92. पैरा III (अतनारा)
  93. ब्रह्मिष्ठा
  94. पुतर
  95. पूसी
  96. अर्थसिद्धि
  97. ध्रुवसंधि
  98. सुदर्शन
  99. अग्निवर्ण
  100. सिघरागा
  101. मारू
  102. परसुत्रुता
  103. सुसंधी
  104. अमरसाना
  105. महास्वण
  106. सहसवान
  107. विसृत्त्वं
  108. विश्वम्भर
  109. विश्वश्रवा
  110. नागनजीत
  111. तक्षका
  112. बृहदबाला
  113. बृहदक्षय (या ब्रूद्रुणम)
  114. उरुक्रीय (या गुरुक्षेत्र)
  115. वत्सव्यूह
  116. प्रतियोविमा
  117. भानु
  118. दिवाकर (या दिवाक)
  119. वीर सहदेव
  120. बृहदश्व II
  121. भानुराठ (या भानुमान)
  122. प्रतिमाव
  123. सुप्रिक
  124. मरुदेव
  125. सूर्यक्षेत्र
  126. पुष्कर (या किन्नरा)
  127. अंतरीक्ष
  128. सुवर्णा (या सुताप)
  129. सुमित्रा (या अमितराजित)
  130. ब्रुहदराज (ओक्काका)
  131. बरही (ओक्कामुखा)
  132. कृतांजय (सिविसमंजया)
  133. रणजय्या (सिहसारा)
  134. संजय (महाकोशल या जयसेना)
  135. शाक्य (सिहानू)
  136. धोधन (कपिलवस्तु के शाक्य गणराज्य के शासक)
  137. सिद्धार्थ शाक्य (या गौतम बुद्ध, धोधन के पुत्र
  138. राहूल (गौतम बुद्ध के एकमात्र पुत्र)
  139. प्रसेनजीत
  140. कुशद्रका (या कुंतल)
  141. रानाक (या कुलका)
  142. सूरत
  143. सुमित्रा

राजा सुमित्रा अंतिम शासक सूर्यवंश थे, जिन्हें 362 ईसा पूर्व में मगध के शक्तिशाली सम्राट महापद्म नंद ने हराया था। हालांकि, वह मारा नहीं गया था और वर्तमान बिहार स्थित रोहतास भाग गया था। [१][२][३]

चंद्रवंशी–पुरुवंश

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सम्राट पुरु वंश

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पुरुवंशीय राजाओं जैसे राजा पुरु और जनमेजय को एक बार लंका के रावण ने हराया था।

सम्राट भरत वंश

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सम्राट भरत ने पूरी दुनिया को कश्मीर (ध्रुव) से कुमारी (तट) तक जीत लिया और महान चंद्र राजवंश (चंद्रवंश साम्राज्य) की स्थापना की और इस राजा के गौरव, नाम और गौरव से भारतवर्ष को भारतवर्ष या भारतखंड या भारतदेश के नाम से पुकारा जाने लगा। भरत, उनका नाम इसलिए रखा गया था क्योंकि उन्हें देवी सरस्वती और भगवान हयग्रीव का आशीर्वाद प्राप्त था। इसलिए, भरत ने वैदिक युग से वैदिक अध्ययन (सनातन धर्म) विकसित किया।

पांचाल राज्य

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अजामिदा द्वितीय का ऋषिन (एक संत राजा) नाम का एक बेटा था। रिशिन के 2 बेटे थे जिनके नाम थे सांवरना द्वितीय जिनके बेटे थे कुरु और बृहदवासु जिनके वंशज पांचाल थे।

चंद्रवंशी–यदुवंश

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यदु के वंशज सहस्रबाहु कार्तवीर्य अर्जुन, कृष्ण थे।

हैहय वंश

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सहस्रजीत यदु का सबसे बड़ा पुत्र था, जिसके वंशज हैहयस थे। कार्तवीर्य अर्जुन के बाद, उनके पौत्र तल्जंघा और उनके पुत्र, वित्रोत्र ने अयोध्या पर कब्जा कर लिया था। तालजंघ, उनके पुत्र वित्रोत्र को राजा सगर ने मार डाला था। उनके वंशज (मधु और वृष्णि) यादव वंश के एक विभाग, क्रोहतास में निर्वासित हुए।

(नर्मदा नदी के तट पर महिष्मती के संस्थापक थे।)

(सूर्यवंशी राजा त्रिशंकु से समकालीन)

(सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र के लिए समकालीन)

(सूर्यवंशी राजा रोहिताश्व के समकालीन)

(सूर्यवंशी राजा असिता के समकालीन)

(सूर्यवंशी राजा सगर के समकालीन)

क्रोष्टा वंश

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  • यदु (यदु राजवंश और यादव के संस्थापक थे)
  • क्रोष्टा
  • वृजनिवन
  • व्रजपिता
  • भीम I
  • निवृति
  • विदुरथ
  • विक्रति
  • विक्रवन
  • स्वाही
  • स्वाति
  • उशनाका
  • रसडू
  • चित्ररथ प्रथम
  • साशाबिन्दु (सूर्यवंशी राजा मान्धाता के समकालीन)
  • मधु प्रथम
  • पृथ्वीश्रवा
  • वृष्णि मैं एक यादव राजा था, जिसके वंश को वृष्णि वंश कहा जाता था।

वृष्णि वंश

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वृष्णि प्रथम (एक महान यादव राजा थे। उनके वंशज वृष्णि यादव, चेदि यादव और कुकुरा यादव थे। उनका बेटा अंतरा था।)

  • अंतरा
  • सुयज्ञ
  • उषा
  • मारुतता
  • कंभोज (एक भोज राजा थे, जिन्होंने कंबोज साम्राज्य की स्थापना की और उनके वंशज कंबोजराज थे)
  • शाइन्यू
  • रुचाका
  • रुक्माकवच
  • जयमधा
  • विदर्भ (विदर्भ के संस्थापक) (सूर्यवंशी राजा बाहुका के समकालीन थे)
  • कृत (सूर्यवंशी राजा सगर के समकालीन)
  • रायवाटा
  • विश्वंभर
  • पद्मवर्ण
  • सरसा
  • हरिता
  • मधु द्वितीय
  • माधव
  • पुरुवास
  • पुरुदवन
  • जंटू
  • सातवात (एक यादव राजा थे जिनके वंशज सातवत कहलाते थे।)
  • भीम द्वितीय
  • अंधका (एक और यादव राजा था जिसके वंशज अंधक कहलाते थे।)
  • महाभोज
  • जीवता (सूर्यवंशी राजा अथिति के समकालीन)
  • विश्वंभर
  • वासु
  • कृति
  • कुंती
  • धृष्टी
  • तुर्वसु
  • दर्शन
  • व्योमा
  • जिमूता
  • विकृति
  • भीमरथ
  • रथवारा
  • नवरथ
  • दशरथ
  • एकादशारथ
  • शकुनि
  • करिभि
  • देवरात
  • देवक्षेत्र
  • देवला
  • मधु
  • भजमन
  • पुरुवाशा
  • पुरुहोत्र
  • कुमारवंश
  • कुंभलभी
  • रुक्मावतवाच
  • कुरुवंश
  • अनु
  • प्रवासी
  • पुरुमित्र
  • श्रीकर
  • चित्ररथ द्वितीय
  • विदुरथ
  • शौर्य
  • शार्मा
  • पृथ्वीराज
  • स्वयंभूजा
  • हरधिका
  • वृष्णि द्वितीय
  • देवमेधा
  • सुरसेना –मदिशा के पुत्र थे और परजन्या वेस्पर्ना (देवमिन्ध की दूसरी पत्नी) के पुत्र थे।
  • वासुदेव [नंद बाबा] और अन्य लोग सुरसेना के पुत्र थे
  • बलराम, कृष्ण और अन्य लोग वासुदेव के पुत्र थे।

योगमाया नंद बाबा की बेटी थीं।

चेदि वंश

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यदु के वंशज विदर्भ जो विदर्भ साम्राज्य के संस्थापक थे, उनके तीन पुत्र कुशा, कृत और रोमपाद हैं। कुशा द्वारका के संस्थापक थे। रोमपाद को मध्य भारत मध्य प्रदेश दिया गया था। राजा रोमपद के वंशज चेदि थे।

कुकुरा राजवंश

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वृष्णि के वंशज विश्वगर्भ का वासु नाम का एक पुत्र था। वासु के दो बेटे थे, कृति और कुकुरा। कृति के वंशज शूरसेना, वासुदेव, कुंती, आदि कुकुर के वंशज उग्रसेना, कामसा और देवीसेना की गोद ली हुई बेटी थी। देवका के बाद, उनके छोटे भाई उग्रसेना ने मथुरा पर शासन किया।

  • कुकुरा
  • वृष्णि
  • रिक्शा
  • कपोर्मा
  • टिटिरी
  • पुंरवासु
  • अभिजीत
  • धृष्णू
  • आहुका
  • देवका और उग्रसेना
  • कंस और 10 अन्य उग्रसेन की संतान थे जबकि देवकी, देवका की पुत्री, उग्रसेन की दत्तक पुत्री थी।

मगध के राजवंश ( सी. 1700–26 ई.पू)

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प्रारंभिक मगध राजवंश

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"कुरु द्वितीय" का पुत्र सुधन्वा अपने मामा राजा मगध के बाद मगध का राजा बना। "महाराजा मगध" ने मगध साम्राज्य की स्थापना की। सुधन्वा राजा मगध का भतीजा था।

बृहद्रथ राजवंश (सी. 1700–682 ई.पू)

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  • बृहद्रथ, राजवंश के संस्थापक
  • ऋषभ
  • सुधन्वा
  • भुवन
  • जरासंध
  • सहदेव
  • मारजारी (1545–1501)
  • श्रुतसर्व (1501–1430)
  • अप्रतिपा (1430–1345)
  • निरमित्र (1345–1249)
  • सक्षत्र (1249–1166)
  • बृहत्कर्मा (1166–1100)
  • साइनाजित (1100–1090)
  • श्रीतमजय (1090–1053)
  • महाबला (1053–1005)
  • सुच्ची (1005–998)
  • क्षेम्य (998–943)
  • अंहव्रत (943–901)
  • धर्मनमित्रा (901–872)
  • निर्व्रती (872–818)
  • सुव्रत (818–796)
  • महासेना (796–770)
  • सुमिता (770–745)
  • सुबाला (745–735)
  • सुनेत्र (735–728)
  • सत्यजिता (728–720)
  • विश्वजीत (720–699)
  • रिपुंज्या (699–682)

(बृहद्रथ वंश का अंतिम शासक)

प्राचीन गणराज्य (सी. 1200–450 ई.पू)

प्राचीन बिहार में (बुद्धकालीन समय में) गंगा घाटी में लगभग १० गणराज्यों का उदय हुआ। ये गणराज्य हैं-

प्रद्योत राजवंश (सी. 682–544 ई.पू)

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  • प्रद्योत महासेना (682–659), (रिपुंज्या की हत्या करने के बाद राजवंश की स्थापना की)
  • पलक (659–635)
  • विशाखयूप (635–585)
  • अजक (राजक) (585–564)
  • वर्तिवर्धन (564–544)

(प्रद्योत वंश का अंतिम शासक)

हर्यक साम्राज्य (सी. 544–413 ई.पू)

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  • बिम्बिसार (544–492 ई.पू.), प्रथम मगध साम्राज्य के संस्थापक
  • अजातशत्रु (492–460 ई.पू.)
  • उदायिभद्र (460–444 ई.पू)
  • अनिरुद्ध (444–440 ई.पू)
  • मुंडा (440–437 ई.पू)
  • दर्शक (437 ई.पू.)
  • नागदशक (437–413 ई.पू)

(हर्यक वंश का अंतिम शासक)

शिशुनाग राजवंश (सी. 413–345 ई.पू)

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(शिशुनाग वंश का अंतिम शासक)

नंद साम्राज्य (सी. 345–322 ई.पू)

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मौर्य साम्राज्य (सी. 322–185 ई.पू)

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शुंग साम्राज्य (सी. 185–73 ई.पू)

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कण्व राजवंश (सी. 73–26 ई.पू)

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(कण्व वंश का अंतिम शासक)

कुरु साम्राज्य (सी. 1500–345 ई.पू.)

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पाण्ड्य राजवंश (सी. 600 ई.पू–1500 ईस्वी)

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ध्यान दें कि प्राचीन शासन वर्ष अभी भी विद्वानों के बीच विवादित हैं।

प्रारंभिक पाण्ड्य राजवंश

  • नेदुनज चेलियन प्रथम (अरियाप पडई कादंथा नेदुंज चेलियान)
  • पुदाप्पाण्डियन
  • मुदुकुडि परुवलुधि
  • नेदुनज चेलियन द्वितीय (पसम्पुन पांडियान)
  • नान मारन
  • नेदुनज चेलियन तृतीय (तलैयालंगनाथु सेरुवेंद्र नेदुंज चेलियान)
  • मारन वलुड़ी
  • मुसरी मुटरिया चेलियन
  • उकिराप पेरूवलुथी

मध्य पाण्ड्य

  • कडुकोन, (550–450 ई.पू.)
  • पंडियन (50 ई.पू.–50 ईस्वी), यूनानियों और रोमनों में पंडियन के रूप में जाना जाता हैं।

पाण्ड्य साम्राज्य (600–920 ईस्वी)

  • कुंडुगोन (600–700 ई.), राजवंश को पुनर्जीवित किया
  • माड़वर्मन अवनि शुलमणि (590–620 ई.)
  • शेन्दन/जयंतवर्मन (620–640 ई.)
  • अरिकेसरी माड़वर्मन निंदरेसर नेदुमारन (640-674 ई.)
  • कोक्काडैयन रणधीरन (675–730 ई.)
  • अरिकेसरी परनकुसा माड़वर्मन राजसिंह प्रथम (730–765 ई.)
  • जटिल परांतक नेंडुजडैयन/ वरगुण प्रथम (765–790 ई.)
  • राससिंगन द्वितीय (790–800 ई.)
  • वरगुण प्रथम (800–830 ई.)
  • श्रीमाड़ श्रीवल्लभ (830–862 ई.)
  • वरगुण द्वितीय (862–880 ई.)
  • परांतक वीरनारायण (862–905 ई.)
  • माड़वर्मन राजसिंह पांडियन द्वितीय (905–920 ई.)

पाण्ड्य पुनरुद्धार (1251–1311 ईस्वी)

पंडालम राजवंश (1200–1500 ईस्वी)

  • राजा राजशेखर (1200)

चेर राजवंश (सी. 600 ई.पू.–1314 ईस्वी)

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ध्यान दें कि प्राचीन शासन वर्ष अभी भी विद्वानों के बीच विवादित हैं।

कुलशेखर राजवंश (800–1314 ईस्वी)

  • कुलशेखर वर्मन (800–820), जिसे कुलशेखर अलवर भी कहा जाता है
  • राजशेखर वर्मन (820–844), जिसे चेरामन पेरुमल भी कहा जाता है
  • स्टानू रवि वर्मन (844–885), आदित्य चोल के समकालीन
  • राम वर्मा कुलशेखर (885–917)
  • गोदा रवि वर्मा (917–944)
  • इंदु कोथा वर्मा (944–962)
  • भास्कर रवि वर्मन १ (962–1019)
  • भास्कर रवि वर्मन २ (1019–1021)
  • विरा केरल (1021–1028)
  • राजसिम्हा (1028–1043)
  • भास्कर रवि वर्मन ३ (1043–1082)
  • राम वर्मन कुलशेखर (1090–1122), जिसे चेरामन पेरुमल भी कहा जाता है
  • रवि वर्मन कुलशेखर (सी। 1250–1314), चेरों में अंतिम राजा।

चोल राजवंश (सी. 600 ई.पू.–1279 ईस्वी)

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ध्यान दें कि प्राचीन शासन वर्ष अभी भी विद्वानों के बीच विवादित हैं।

संगम चोल (3020 ई.पू–245 ई.)

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  • एरी ओलियान वैन्थी सी। 3020 ई.पू.
  • मांडुवाझी सी। 2980 ई.पू.
  • एल मेई नन्नन सी। 2945 ई.पू.
  • कीझाई किंजुवन सी। 2995 ई.पू.
  • वाजिसई नन्नन सी। 2865 ई.पू.
  • मेई कियागुसी एर्रू सी। 2820 ई.पू.
  • अई कुझी अगुसी एरु सी। 2810 ई.पू.
  • थाइजगन मंधी सी। 2800 ई.पू.
  • मंधी वालेन सी। 2770 ई.पू.
  • ऐ अदुम्बन सी। 2725 ई.पू.
  • ऐ नेदुन जात चोजा ठगाइयां सी। 2710 ई.पू.
  • एल मेई एग्गुवन। 2680 ई.पू.
  • मुदिको मे कालियायम थगैयन सी। 2650 ई.पू.
  • ईलानगौक किज कालायन थागन 2645। — आरंभ किया कदंब वंश अपने भाई ऐ कीझ नन्नन द्वारा
  • कैलैयन गुडिंगन सी। 2630 ई.पू.
  • नेदुन गालयन धगयान।2 615 ई.पू.
  • वेंगई नेदु वाएल वराइयन। 2614 ई.पू.
  • वात काल कुदिंगन सी। 2600 ई.पू.
  • माई इला वाएल वेरियन सी। 2590 ई.पू.
  • सिबी वेंधी सी। 2580 ई.पू.
  • पारू नंजी चमाझिंग्यान सी। 2535 ई.पू.
  • वैकार्रित्री केम्बिया चेज़ान सी। 2525 ई.पू.
  • सामाझी चझिया वेलां सी। 2515 ई.पू.
  • उठी वेन गलाई थगन सी। 2495 ई.पू.
  • नननन उस कलई थगन ग। 2475 ई.पू.
  • वेल वेन मिंडी सी। 2445 ई.पू.
  • नेदुन जेम्बियान सी। 2415 ई.पू.
  • नेडू नॉनजी वेंधी सी। 2375 ई.पू.
  • माई वेल पखारतरी सी। 2330 ई.पू.
  • एई पेरुन थोन नॉनजी सी। 2315 ई.पू.
  • कुडिको पुंगी सी। 2275 ई.पू.
  • पेरुन गोप पोगुवन सी। 2250 ई.पू.
  • कोथ थेट्री सी। 2195 ई.पू.
  • वादी सेम्बियन सी। 2160 ई.पू.
  • आलम पोगुवान सी। 2110 ई.पू.
  • नेदुन जेम्बियान सी। 2085 ई.पू.
  • पेरुम पैयार पोगुवान सी। 2056 ई.पू.
  • कदुन जम्बियान सी। 2033 ई.पू.
  • नेदुन कथानक। 2015 ई.पू.
  • परु नकन सी। 1960 ई.पू.
  • वाणी सेम्बियन सी। 1927 ई.पू.
  • उधा चीरा मंधुवन सी। 1902 ई.पू.
  • पेरुन कथथन सी। 1875 ई.पू.
  • कदुन कंदलन। 1860 ई.पू.
  • नक्का मोनजुवन सी। 1799 ई.पू.
  • मर्को वाल मांडुवन एवथिक्को सी। 1786 ई.पू.
  • मुसुकुंथन वेंधी सी। 1753 ई.पू.
  • पेरू नाकन थाटरी सी। 1723 ई.पू.
  • वैर कथ्थन सी। 1703 ई.पू.
  • अम्बालाथु इरुमुंद्रुवन सी। 1682 ई.पू.
  • कारी मंधुवन सी। 1640 ई.पू.
  • वेनक्कान थटेर्री सी। 1615 ई.पू.
  • मारको चुतथुवन। 1565 ई.पू.
  • वर परुंथन मुंदरूवन सी। 1520 ई.पू.
  • उधना कथ्थन सी। 1455 ई.पू.
  • कारिको सनथुवन। 1440 ई.पू
  • वेंड्री नुंगुनन सी। 1396 ई.पू.
  • मंधुवन वेंधी सी। 1376 ई.पू.
  • कंधमान सी। 1359 ई.पू.
  • मुंद्रुवन वेंधी सी। 1337 ई.पू.
  • कंधमान सी। 1297 ई.पू.
  • मोनजुवन वेंधी सी। 12 ई.पू.
  • एनी सेम्बियान सी। 1259 ई.पू.
  • नुंगुनन वेंधी सी।1245 ई.पू.
  • मरकोप पेरुम सेनी सी। 1229 ई.पू.
  • मोनजुवन नानवन्धी सी।1200 ई.पू.
  • कोप पेरुनार चेनी सी। 1170 ई.पू.
  • माहुवन जेम्बियान सी। 1145 ई.पू.
  • नरचेनी सी।1105 ई.पू.
  • केट केमबियान सी। 1095 ई.पू.
  • नाककर चेनी सी। 1060 ई.पू.
  • पारुन जेम्बियान सी। .1045 ई.पू.
  • वेंजनी सी। 998 ई.पू.
  • मुसुगन्थन। 989 ई.पू.
  • मरकोप पेरुन जेम्बियन सी। 960 ई.पू
  • नेदुन्जेंनी। 935 ई.पू.
  • थाचेबियान सी। 915 ई.पू.
  • अम्बालाथु इरुवर केम्बिएन सी। 895 ई.पू.
  • करिको चेनी सी। 865 ई.पू.
  • वेनवर चेनी सी। 830 ई.पू.
  • कांधमन, सी। 788 ई.पू.
  • कांधालन सी। 721 ई.पू.
  • कैचेनी सी। 698 ई.पू.
  • वाणी नुंगुनन सी। 680 ई.पू.
  • मुधु सिंबियन वेंडी सी। 640 ई.पू
  • पीलन जेम्बियाच चोजहियन सी। 615 ई.पू.
  • माईयान गुनगुनो। 590 ई.पू.
  • थिथन सी। 570 ई.पू.
  • पेरुनार किरी पोरविको सी। 515 ई.पू.
  • कडु मुंदरुवन। 496 ई.पू
  • कोपरपंजोझन सी। 495 ई.पू.
  • नर्किल्ली मुदिथथलाई सी। 480 ई.पू.
  • थीवन गै चौजन। 465 ई.पू
  • नारन जेम्बियान सी। 455 ई.पू.
  • नक्कम छिलका वालेवन सी। 440 ई.पू
  • इनियन अवन जेनी सी। 410 ई.पू.
  • वर्सेम्बियान सी। 395 ई.पू
  • नेदुन जेम्बियान सी। 386 ई.पू.
  • नकन अरन जोझन सी। 345 ई.पू.
  • अम्बालाथु इरुंगोच चेनी सी। 330 ई.पू.
  • पेरुनार हत्या सी। 316 ई.पू
  • कोचाट सेनी सी। 286 ई.पू.
  • सेरुपाज़ी एरिंडा इलानजेटेसेनी, सी। 275 ई.पू.
  • नेदुंगोप पेरुनिल्ली। 220 ई.पू.
  • सेनी एलागन सी। 205 ई.पू.
  • पेरुन गिल्ली सी। 165 ई.पू.
  • कोपरपुन जोझिअव इलनजेटेसेनी सी। 140 ई.पू.
  • पेरुनार किल्ली मुदिथथलाई को सी। 120 ई.पू.
  • परयुमपूट चैऩई। 100 ई.पू.
  • इलम पेरुन्जनी सी। 100 ई.पू.
  • पेरुंगिल्ली वेंधी उर्फ ​​करिकालन I।70 ई.पू
  • नेदुमुडी किल्ली सी। 35 ई.पू.
  • इलावन्तिगिपल्ली थुंजिया माई नालंगिल्ली केट सेनी, सी। 20 ई.पू.
  • ऐ वैनालांगिल्ली सी। 15 ई.पू.
  • उरुवप्रकर इलानजेटेसेनी, सी। 10-16 ई.पू
  • 16-30 ई.पू. किंगडम ने उरियूर सरदारों की *एक श्रृंखला पर शासन किया
  • कारिकायन II पेरूवलथनाथ, सी। 31 ई.पू.
  • वैर पक्कड़क्कई पेरुनार किल्ली, सी। 99 ई.पू
  • पेरुण थिरु मावलवन, कुरापल्ली थुंजिया सी। 50 ई.पू
  • नालंगिली सी। 10 ई.
  • पेरुनरकिली, कुला म्युट्रैथथु थुनजीया सी। 100 ई.
  • पेरुनरकिली, इरससुइया वैटेता सी। 143 ई.
  • वल कडुंकिल्ली सी। 192 ई.
  • कोच्चांगन सी। 220 ई.
  • नल्लुरुथिरन सी। 245 ई.

शाही चोल (848–1279 ईस्वी)

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राेड़ राजवंश (सी. 450 ई.पू–460 ईस्वी)

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गौरी शंकर की नींव के बाद सिंध और पाकिस्तान में राजा धच, और ४२ राजाओं ने एक के बाद एक राजाओं का अनुसरण किया। राजा रोड़ सूची को 450 ईसा पूर्व से 489 ईस्वी तक शुरू करते हुए, वंश इस प्रकार आगे बढ़ा:। डॉ राज पाल सिंह, पाल प्रकाशन, यमुनानगर (1987)

ज्ञात शासकों की सूची-
  • राजा धच, पहला शासक
  • कुनक
  • रुरक
  • हरक
  • देवानिक
  • अहिनक
  • पानीपत
  • बाल शाह
  • विजय भान
  • राजा खंगार
  • बृहद्रथ
  • हर अनश
  • बृहद-दत्त
  • ईशमन
  • श्रीधर
  • मोहरी
  • प्रसन केत
  • अमीरवन
  • महासेन
  • बृहद-ढुल
  • हरिकेर्ट
  • सोम
  • मित्रावन
  • पुष्यपता
  • सुदाव
  • बीदरख
  • नखमन
  • मंगलमित्र
  • सूरत
  • पुष्कर केत
  • अंतरा केत
  • सुतजया
  • बृहद -ध्वज
  • बाहुक
  • काम्पजयी
  • कग्निश
  • कपिश
  • सुमंत्र
  • लिंग- लावा
  • मनजीत
  • सुंदर केत
  • दद, अंतिम शासक

बार्ड्स की रिपोर्ट है कि ददरोर को उनके प्रधान पुजारी देवाजी द्वारा जहर दिया गया था, 620 ईस्वी में और उनके बाद पांच ब्राह्मण राजाओं ने दद को पकड़ लिया, अल अरब द्वारा।

प्रमर मालवगण (सी. 392 ई.पू–200 ईस्वी)

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मालवगण नामक उज्जयिनी के गणतंत्र ने इस मध्य शासन किया। गंधर्वसेन ने इस प्रमर वंश को उज्जयिनी में लाया। गंधर्वसेन ने उज्जयिनी में लगभग 182 ई.पू. से 132 ई. में शासन किया। [४]फिर उनके पुत्र मालवगणमुख्य विक्रमादित्य ने ई.पू 82 से 19 ई. तक शासन किया और शको को भारत से निष्कासित कर दिया और उस उपलक्ष में विक्रम संवत की स्थापना ई.पू 57-58 में की[५] [६][७]टालेमी ने इस पँवार वंश के शासन को पहली शताब्दी के बाद 151 ई. में होना माना है। [८]उसके अनुसार तब ये वंश पश्चिम बुंदेलखंड में शासन करते थे ।[९] इसी वंश में सम्राट शालिवाहन हुआ जिसने 78 ई. में शको को खदेड़ दिया तथा विजय के उपलक्ष में अपना शालिवाहन संवत् या शक संवत् 78 ई. में चलाया। [१०][११]

  • अदबदेव परमार (392–386 ई.पू.)
  • महामार (386–383 ई.पू.)
  • देवपी (383–380 ई.पू.)
  • देवदत्त (380–377 ई.पू.)
  • शक ने अगले राजाओं को हराया, जो उज्जैन छोड़कर चले गए और श्रीशैलम (377–182 ई.पू.) में भाग गए।
  • शकारि गंधर्वसेन (पहला शासन) (182–132 ई.पू.)
  • शंखराज (गंधर्वसेन का पुत्र) (132–102 ई.पू.), ध्यान के लिए वन गए और सतांन के बिना मर गया
  • शकारि गंधर्वसेन (दूसरी शासन) (102–82 ई.पू.), वनवास से लौटे और सिंहासन संभाला
  • शकारि विक्रमादित्य (गंधर्वसेन का दूसरा पुत्र) (82 ई.पू–19 ई.) - जिसका जन्म 101 ईसा पूर्व यानी 3001 कली में हुआ था और शासन 82 ई.पू में किया।
  • देवभक्त (19–29 ई.)
  • (राजाओं के नामों का उल्लेख नहीं हैं, 29–78 ई.)
  • शकारि शालिवाहन (78–138 ई.)
  • शालिहाैत (शालिवाहन का पुत्र) (138–190 ई.)

सातवाहन राजवंश (ल. 230 ई.पू–220 ईस्वी)

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सातवाहन शासन की शुरुआत 230 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व तक विभिन्न समयों में की गई है।[१२] सातवाहन प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक दक्खन क्षेत्र पर प्रभावी थे।[१३] यह तीसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व तक चला। निम्नलिखित सातवाहन राजाओं को ऐतिहासिक रूप से एपिग्राफिक रिकॉर्ड द्वारा सत्यापित किया जाता है, हालांकि पुराणों में कई और राजाओं के नाम हैं (देखें सातवाहन वंश # शासकों की सूची ):

भारतीय उपमहाद्वीप में विदेशी (आत्मसात) साम्राज्य

ये साम्राज्य विशाल थे, जोकि फारस या भूमध्यसागरीय में केंद्रित थे; भारत में उनके क्षत्रप (प्रांत) उनके बाहरी इलाके में आते थे।


शक शासक (हिंद-स्काइथियन) (सी. 12 ई.पू.–10 ईस्वी)

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अपराचाजरा शासक (12 ई.पू. - 45 ई.)

  • विजयमित्र (12 ई.पू. - 15 ई.)
  • इतरावसु (सी. 20 ई.)
  • अस्पवर्मा (15–45 ई.)

मथुरा क्षेत्र (सी. 20 ई.पू. - 20 ई.)

  • हगामाशा (क्षत्रप)
  • हगाना (क्षत्रप)
  • राजुवुला (महान क्षत्रप ) (सी. 10 ई.)
  • सोदास, राजुवुला का पुत्र

उत्तर पश्चिमी भारत (सी. 90 ई.पू. - 10 ई.)

  • मेउस (सी. 85–60 ई.पू.)
  • वोनोन्स (सी. 75-65 ई.पू.)
  • स्पालहोर्स (सी. 75-65 ई.पू.)
  • स्पैलारिस (सी. 60–57 ई.पू.)
  • एज़ेस प्रथम (सी. 57-35 ई.पू.)
  • अज़िलिस (सी. 57-35 ई.पू.)
  • एज़ेस द्वितीय (सी. 35–12 ई.पू.)
  • ज़ियोनीज़ (सी. 10 ई.पू. - 10 ई.)
  • खारहोस्तेस (c। 10 ई.पू. - 10 ई.)
  • हजात्रिया
  • लीका कुसुलुका, चुक्सा का क्षत्रप
  • कुसुलाक पेटिका, चुक्सा का क्षत्रप और लीका कुसुलुका का पुत्र

मामूली स्थानीय शासक

  • भद्रयशा निगास
  • मामवेदी
  • अर्साकेस

हिन्द-पहलव शासक (पार्थियन) (सी. 21–100 ईस्वी)

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  • गॉन्डोफ़र्नीज I (सी। 21–50)
  • अब्दागेसिस प्रथम (सी। 50-65)
  • सतवस्त्र (सी। 60)
  • सर्पदन (सी। 70)
  • ऑर्थेनेस (सी। 70)
  • उबोज़ान्स (सी। 77)
  • सस या गॉन्डोफ़र्नीज II (सी। 85)
  • अब्दागेसिस II (सी। 90)
  • पाकोरस (सी। 100)

पश्चिमी क्षत्रप (शक शासक) (सी. 120–400 ईस्वी)

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  • नहपान (120-124 सीई)
  • चष्टन (सी. 120)
  • रुद्रदमन प्रथम (सी। 130–150)
  • दामघसद प्रथम (170-175)
  • जीवादमन (175, डी। 199)
  • रूद्रसिंह प्रथम (175-188, डी। 197)
  • ईश्वरदत्त (188-191)
  • रूद्रसिंह प्रथम (बहाल) (191-197)
  • जीवदामन (बहाल) (197-199)
  • रुद्रसेन प्रथम (२००-२२२)
  • संघदामन (222–223)
  • दामसेन (223-232)
  • दामजदश्री द्वितीय (232–239)
  • विरदमन (234–238)
  • यशोदामन (239-240)
  • यशोदामन द्वितीय (240)
  • विजयसेन (240–250)
  • दामजदश्री तृतीय (251-255)
  • रुद्रसेन द्वितीय (२५५-२ 255))
  • विश्वसिंह (277-282)
  • भारत्रीदामन (282–295) के साथ
  • विश्वसेन (293304)
  • रुद्रसिंह द्वितीय (304-348) के साथ
  • यशोदामन द्वितीय (317–332)
  • रुद्रदामन द्वितीय (332-348)
  • रुद्रसेन तृतीय (348–380)
  • सिम्हसेन (380-400)

कुषाण साम्राज्य (सी. 80–350 ईस्वी)

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भारशिव राजवंश (पद्मावती के नाग शासक) (170–350 ईस्वी)

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  • वृष-नाग या वृष-भाव–(या वृषभ- संभवतः विदिशा में गत दूसरी शताब्दी में इनका शासन था।)
  • वृषभ या वृष-भाव–(यह भी एक विशिष्ट राजा का नाम हो सकता है, जोकि वृष-नाग के उत्तराधिकारी थे।)
  • भीम-नाग, (210-230 ईस्वी)–(पद्मावती से शासन करने वाले शायद पहले राजा थे।)
  • स्कंद-नाग
  • वासु-नाग
  • बृहस्पति-नाग
  • विभु-नाग
  • रवि-नाग
  • भव-नाग
  • प्रभाकर-नाग
  • देव-नाग
  • व्याघरा-नाग
  • गणपति-नाग–(अतिंम नाग शासक)

गुप्त साम्राज्य (240–550 ईस्वी)

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वाकाटक साम्राज्य (250–500 ईस्वी)

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  • विंध्यशक्ति (250–270 ई.), प्रथम शासक
  • प्रवरसेन प्रथम (270–330 ई.)

प्रवरपुर-नन्दिवर्धन शाखा

  • रुद्रसेन प्रथम (330–355 ई.)
  • पृथ्वीसेन प्रथम (355–380 ई.)
  • रुद्रसेन द्वितीय (380–385 ई.)
  • दिवाकरसेना (385–400 ई.)
  • प्रभावतीगुप्त (महिला), राज-प्रतिनिधि (385–405 ई.)
  • दामोदरसेन (प्रवरसेन द्वितीय) (400–440 ई.)
  • नरेंद्रसेन (440–460 ई.)
  • पृथ्वीसेन द्वितीय (460–480 ई.)

वत्सगुल्म शाखा

  • सर्वसेन (330–355)
  • विंध्यसेन (विंध्यशक्ति द्वितीय) (355–442)
  • प्रवरसेन द्वितीय (400–415)
  • अज्ञात (415–450)
  • देवसेन (450–475)
  • हरिसेन (475–500), अंतिम शासक

पल्लव साम्राज्य (275–897 ईस्वी)

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प्रारंभिक पल्लव (275–560 ईस्वी)

  • सिंहवर्मन १ (275–300 ई.), प्रथम शासक
  • स्कन्दवर्मन (300–350 ई.)
  • विष्णुगोप (350–355 ई.)
  • कुमारविष्णु १ (350–370 ई.)
  • स्कन्दवर्मन २ (370–385 ई.)
  • वीरवर्मन् (385–400 ई.)
  • स्कन्दवर्मन ३ (400–436 ई.)
  • सिंहवर्मन २ (436–460 ई.)
  • स्कन्दवर्मन ४ (460–480 ई.)
  • नन्दिवर्मन १ (480–510 ई.)
  • कुमारविष्णु २ (510–530 ई.)
  • बुद्धवर्मन् (530–540 ई.)
  • कुमारविष्णु ३ (540–550 ई.)
  • सिंहवर्मन ३ (550–560 ई.)

उत्तरकालीन पल्लव (560–897 ईस्वी)

बनवासी के कदंब राजवंश (345–540 ईस्वी)

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वंशावली–
  • मयूरवर्मन (345–365 ईस्वी), प्रथम शासक
  • कंगवर्मन (365–390 ईस्वी)
  • भागीरथ (390–415 ईस्वी)
  • रघु (415–435 ईस्वी)
  • काकुस्थवर्मन (435–455 ईस्वी)
  • शांतिवर्मन (455–460 ईस्वी)
  • मृगेशवर्मन (460–480 ईस्वी)
  • शिवमंधतिवर्मन (480–485 ईस्वी)
  • रविवर्मा (485–519 ईस्वी)
  • हरिवर्मन (519–540 ईस्वी), अंतिम शासक
अन्य राजवंश
  • गोवा के कदंब – (1345 ईस्वी तक शासन)
  • हंगल के कदंब – (1347 ईस्वी तक शासन)

तालकाड़ के पश्चिम गंग राजवंश (350–1014 ईस्वी)

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वंशावली–
पश्चिम गंग वंश के राजा' (३५०-९९९)
कोंगणिवर्मन माधव (350–370)
माधव द्वितीय (370–390)
हरिवर्मन (390–410)
विष्णुगोप (410–430)
तडांगला माधव (430–469)
अविनीत (469–529)
दुर्विनीत (529–579)
मुष्कर (579–604)
श्रीविक्रम (629–654)
भूविक्रम (654–679)
शिवमार प्रथम (679–726)
श्रीपुरुष (726–788)
शिवमार द्वितीय (788–816)
राजमल्ल प्रथम (816–843)
Ereganga Neetimarga (843–870)
राजमल्ल द्वितीय (870–907)
एरेगंग नीतिमार्ग द्वितीय (907–921)
नरसिंह (921–933)
राजमल्ल तृतीय (933–938)
बुतुग द्वितीय (938–961)
मरुलगंग (961–963)
मारसिंह तृतीय (963–975)
राजमल्ल चतुर्थ (975–986)
राजमल्ल पंचम (रक्कस गंग) (986–999)
नीतिमार्ग परमानदी (999-)
राजराजा चोल प्रथम
(चोल)
(985–1014)

रायका साम्राज्य (416–644 ईस्वी)

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वंशावली–
  • राय दिवाजी (देवदित्य), प्रथम शासक
  • राय सहिरस (श्री हर्ष)
  • राय सहसी (सिंहसेना)
  • राय सहिरस द्वितीय, (निम्रोज़ के राजा से लड़ते हुए मारे गए)
  • राय साहसी द्वितीय, अंतिम राजा

वल्लभी के मैत्रक (बटार) राजवंश (470–776 ईस्वी)

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मैत्रक राजवंश ने मध्य गुजरात पर शासन किया। इस वंश का संस्थापक सेनापति भट्टारक था जो गुप्त साम्राज्य के अधीन सौराष्ट्र उपखण्ड का राज्यपाल था।

वंशावली-
  • भट्टारक (ल. 470–492 ईस्वी), प्रथम शासक
  • धरसेन प्रथम (ल. 493–499 ईस्वी)
  • द्रोणसिंह (ल. 500–520 ईस्वी), (जिन्हें "महाराजा" के नाम से भी जाना जाता है)
  • ध्रुवसेन प्रथम (ल. 520–550 ईस्वी)
  • धरनपट्ट (ल. 550–556 ईस्वी)
  • गुहसेन (ल. 556–570 ईस्वी)
  • धरसेन द्वितीय (ल. 570–595 ईस्वी)
  • सिलादित्य प्रथम (ल. 595–615 ईस्वी), (जिसे धर्मादित्य भी कहा जाता है)
  • खरग्रह प्रथम (ल. 615–626 ईस्वी)
  • धर्मसेन तृतीय (ल. 626–640 ईस्वी)
  • ध्रुवसेन द्वितीय (ल. 640–644 ईस्वी), (जिसे बालदित्य/ध्रुवभट्ट के नाम से भी जाना जाता है)
  • चक्रवर्ती राजा धरसेन चतुर्थ (ल. 644–651 ईस्वी), (परमभट्टारक, महाराजाधिराज, परमेश्वर, चक्रवर्तिन उपाधि धारक)
  • ध्रुवसेन तृतीय (ल. 651–656 ईस्वी)
  • खरग्रह द्वितीय (ल. 656–662 ईस्वी)
  • सिलादित्य द्वितीय (ल. 662–?)
  • सिलादित्य तृतीय
  • सिलादित्य चतुर्थ
  • सिलादित्य पंचम
  • सिलादित्य छटे
  • सिलादित्य सप्तम (ल. 766–776 ईस्वी), अंतिम शासक[१४][१५]

परवर्ती गुप्त राजवंश (490–750 ईस्वी)

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पश्चातवर्ती गुप्त शासन के प्रमुख शासक निम्नलिखित हैं:साँचा:sfnसाँचा:sfnसाँचा:sfn

  • नृप श्री कृष्णगुप्त (490–505), में गुप्तवंश (मागध अथवा मालव वंश) की स्थापना की।
  • देव श्री हर्षगुप्त (505–525)
  • श्री जीवित गुप्त प्रथम (525–550)
  • श्री कुमारगुप्त (550–560), यह उत्तर गुप्त वंश का चौथा राजा था जो जीवित गुप्त का पुत्र था। यह शासक अत्यन्त शक्‍तिशाली एवं महत्वाकांक्षी था। इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। उसका प्रतिद्वन्दी मौखरि नरेश ईशान वर्मा समान रूप से महत्वाकांक्षी शासक था। इस समय प्रयाग में पूष्यार्जन हेतु प्राणान्त करने की प्रथा प्रचलित थी।
  • श्री दामोदरगुप्त (560–562)
  • श्री महासेनगुप्त (562–601)
  • श्री माधवगुप्त (601–655), (रानी : श्रीमती)
  • महाराजाधिराज आदित्यसेन (655–680), (रानी: कोनदेवी)
  • महाराजाधिराज देवगुप्त (680–700), (रानी: कमलादेवी)
  • महाराजाधिराज विष्णुगुप्त (सम्राट) (725–750), (रानी: इज्जदेवी)
  • महाराजाधिराज जीवित गुप्त द्वितीय (750 ईस्वी तक शासन किया), अंतिम शासक

पूर्वी गंग साम्राज्य (496–1434 ईस्वी)

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पूर्वी गंगवंश एक हिन्दू राजवंश था। उनके राज्य के अन्तर्गत वर्तमान समय का सम्पूर्ण उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के भी कुछ भाग थे। उनकी राजधानी का नाम "कलिंगनगर" था जो वर्तमान समय में आन्ध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिला का श्रीमुखलिंगम है। पूर्वी गंगवंश के शासक कोणार्क सूर्य मन्दिर के निर्माण के लिये प्रसिद्ध हैं।

कलिंग शासक (496–1038 ईस्वी)

  • मित्तवर्मन, वाकाटक शासन के अंतर्गत एक जागीरदार पूर्वी गंगवंश राजा
  • इंद्रवर्मन I (496–535), पहला शासक
  • सामंतवर्मन (537–562)
  • हस्तिवर्मन (562–578)
  • इंद्रवर्मन II (578–589)
  • दानार्णव (589)
  • इंद्रवर्मन III (589–652)
  • गुनारव (652–682)
  • देवेंद्रवर्मन I (652–682)
  • अंतर्काल
  • अनंतवर्मन III (808–812)
  • राजेंद्रवर्मन II (812–840)
  • देवेंद्रवर्मन चतुर्थ (840–885)
  • देवेंद्रवर्मन V (885–895)
  • गनमहरनव I (895–939)
  • वज्रहस्त II या अनंगभीमदेव I (895–939)
  • गुंदामा (939–942)
  • कामरानवा I (942–977)
  • विनायदित्य (977–980)
  • वज्रहस्त अन्याभिमा (980–1038)

त्रिकलिंग शासक (1038–1434 ईस्वी)

  • वज्रहस्त अनंतवर्मन या वज्रहस्ता V (1038–1078)
  • राजराजा देवेंद्रवर्मन या राजराजा देवा I (1078)
  • अनंतवर्मन चोडगंग (1078–1147)
  • जटेश्वर देव (1147–1156)
  • राघव देव (1156–1170)
  • राजराजा द्वितीय (1170–1178)
  • अनंग भीम देव II (1178–1198)
  • राजराजा III (1198–1211)
  • अनंगभूमि तृतीय या अनंग भीम देव तृतीय (1211–1238)
  • नरसिम्हदेव I (1238–1264)
  • भानु देव I (1264–1279)
  • नरसिंह देव II (1279–1306)
  • भानु देव II (1306–1328)
  • नरसिंह देव तृतीय (1328–1352)
  • भानु देव तृतीय (1352–1379)
  • नरसिंह देव IV (1379–1424)
  • भानु देव IV (1424–1434), अंतिम शासक

पुष्यभूति साम्राज्य (500–647 ईस्वी)

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निम्नलिखित पुष्यभूति या वर्धन वंश के ज्ञात शासक हैं, जिनके शासनकाल की अनुमानित अवधि हैं:[१६][१७]

  • पुष्यभूति (पुण्यभूति), संभवतः पौराणिक
  • नरवर्धन (500–525), पहला शासक
  • राज्यवर्धन प्रथम (525–555)
  • आदित्यवर्धन (आदित्यवर्धन या आदित्यसेन), (555–580)
  • प्रभाकर- (प्रभाकरवर्धन), (580–605)
  • राज्यवर्धन (राज्यवर्धन II), (605–606)
  • हर्षवर्धन (हर्षवर्धन), (606–647), महानतम एवं अंतिम शासक

चालुक्य साम्राज्य (543–1189 ईस्वी)

चालुक्य राजवंश (बादामी) (543–757 ईस्वी)

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शासकों की सूची-

दन्तिदुर्ग (735–756) ने चालुक्य शासक कीर्तिवर्मन् २ को पराजित कर राष्ट्रकूट साम्राज्य की नींव डाली।

पूर्वी चालुक्य (सोलंकी या वेंगी के चालुक्य) (624–1189 ईस्वी)

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शासकों की सूची-

कल्याणी के चालुक्य राजवंश (973–1173 ईस्वी)

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शासकों की सूची-

वीर बल्लाल २ (होयसल साम्राज्य) (1173–1220) ने इसे पराजय कर नये राज्य की नींव रखी।

गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य (550–1036 ईस्वी)

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मंडोर शाखा (550–880 ईस्वी)

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  • हरिश्चंद्र प्रतिहार (550–575), राजवंश के संस्थापक
  • राजजील प्रतिहार (575–600)
  • नेरभट्ट प्रतिहार (600–625)
  • नागभट्ट प्रतिहार (625–650)
  • टेट प्रतिहार (650–675)
  • यशोवर्धन प्रतिहार (675–700)
  • चंदूक प्रतिहार (675–700)
  • शिलुक प्रतिहार (725–750)
  • झोट प्रतिहार (750-775)
  • भीलाधई प्रतिहार (775–800)
  • केके प्रतिहार (800–825)
  • बउक प्रतिहार (825–850)
  • कक्काक प्रतिहार (850–800)

भडौच़ शाखा (600–700 ईस्वी)

  • धध 1 (600–627)
  • धध २ (627–655)
  • जयभट्ट (655–700)

कन्नौज (भीनमाला) प्रतिहार शाखा (730–1036 ईस्वी)

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  • नागभट्ट प्रथम (730–756),कन्नौज शाखा के प्रथम शासक
  • काकुस्थ (756–765)
  • देवराज (765–865)
  • वत्सराज (778–805)
  • नागभट्ट द्वितीय (800–833)
  • रामभद्र (833–336)
  • मिहिर भोज (836–890), महानतम शासक
  • महेन्द्रपाल प्रथम (890–910)
  • भोज द्वितीय (910–913)
  • महीपाला प्रथम (913–944)
  • महेन्द्रपाल द्वितीय (944–948)
  • देवपाला (948–954)
  • विनायकपाल (954–955)
  • महीपाला द्वितीय (955–956)
  • विजयपाल द्वितीय (956–960)
  • राजपाला (960–1018)
  • त्रिलोचनपाल (1018–1027)
  • जसपाल (यशपाल) (1024–1036), अंतिम शासक

राजगढ़ शाखा

  • परमेशवर मंथनदेव (885–915)
  • परमेश्वर मंथनदेव, के बाद कोई अभिलेख नहीं मिला।

मेवाड़ राजवंश (551–1948 ईस्वी)

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इन्हें भी देखें: मेवाड़ एवं उदयपुर रियासत

गुहिल वंश ने भारत के वर्तमान राजस्थान राज्य में मैदपाट (आधुनिक मेवाड़) क्षेत्र पर शासन किया था। छठी शताब्दी में, तीन अलग-अलग गुहिल राजवंशों ने वर्तमान राजस्थान में शासन करने के लिए जाना जाता है:

गुहिल राजवंश (551–1303 ईस्वी)

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सन् 712 ई. में मुहम्मद कासिम से सिंधु को जीता और बापा रावल ने मुस्लिम देशों को भी जीता ।[१८]

  • खुमाण (I) (753–773)
  • मत्तट (773–790)
  • भृतभट्ट सिंह (790–813)
  • अथाहसिंह (813–820)
  • खुमाण (II) (820–853)
  • महाकाय (853–900)
  • खुमाण (III) (900–942)
  • भृतभट्ट (II) (942–943 )
  • अल्हट (943–953 )
  • शक्तिकुमार (977–993 )
  • अमरप्रसाद (993–998)
  • योगराज (1050–1075)
  • वैरट (1075–1090)
  • हंसपाल (1090–1100)
  • वैरिसिंह (1100–1122)
  • विजयसिंह (1122–1130)
  • वैरिसिंह (II) (1130–1136)
  • अरिसिंह (1136–1145)
  • चोङसिंह (1145–1151)
  • विक्रम सिंह (1151–1158)
  • रणसिंह (1158–1165)

गुहिल वंश का शाखाओं में विभाजन

रणसिंह (1158 ई.) इन्हीं के शासनकाल में गुहिल वंश दो शाखाओं में बट गया।

  • प्रथम (रावल शाखा)— रणसिंह के पुत्र क्षेमसिंह रावल शाखा का निर्माण कर मेवाड़ पर शासन किया।
  • द्वितीय (राणा शाखा)— रणसिंह के दूसरे पुत्र राहप ने सिसोदा ठिकानों की स्थापना कर राणा शाखा की शुरुआत की । ये राणा सिसोदा ठिकाने में रहने के कारण आगे चलकर सिसोदिया कहलाए।

रावल शाखा (1165–1303)

राणा शाखा (1165–1326)

  • रहपा (1162)
  • नरपति (1185)
  • दिनकर (1200)
  • जशकरन (1218)
  • नागपाल (1238)
  • कर्णपाल (1266)
  • भुवनसिंह (1280)
  • भीमसिंह (1297)
  • जयसिंह (1312)
  • लखनसिंह (1318)
  • अरिसिंह (1322)
  • हम्मीर सिंह (1326)

सिसोदिया राजवंश (1326–1948 ईस्वी)

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विषम घाटी पंचानन (सकंट काल मे सिंह के समान) के नाम से जाना जाता है, यह संज्ञा राणा कुम्भा ने कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति में दी।[१९]

कुंभा ने मुसलमानों को अपने-अपने स्थानों पर हराकर राजपूती राजनीति को एक नया रूप दिया। इतिहास में ये महाराणा कुंभा के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। महाराणा कुंभा को चित्तौड़ दुर्ग का आधुुुनिक निर्माता भी कहते हैं क्योंकि इन्होंने चित्तौड़ दुर्ग के अधिकांश वर्तमान भाग का निर्माण कराया ।[१९]

मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने अपने संस्मरणों में कहा है कि राणा सांगा हिंदुस्तान में सबसे शक्तिशाली शासक थे, जब उन्होंने इस पर आक्रमण किया, और कहा कि उन्होंने अपनी वीरता और तलवार से अपने वर्तमान उच्च गौरव को प्राप्त किया।[२०][२१]

उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया और अंत महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को युद्ध में हराया, जिसमें दिवेर का युद्ध (1582) भी हैं।[२२][२३]

शशांक राजवंश (गौड़ राज्य) (590–626 ईस्वी)

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गौड़ राज्य 7वीं शताब्दी के बंगाल का एक हिंदू राजवंश था, जिसका संस्थापक शशांक नामक राजा था।

शासकों की सूची-
  • शशांक गौड़ (590–625), महानतम शासक
  • मानव गौड़ (625–626), अंतिम शासक

कश्मीर के कार्कोट साम्राज्य (625–855 ईस्वी)

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शासकों की सूची-

सिन्ध का ब्राह्मण राजवंश (632–724 ईस्वी)

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ज्ञात शासकों की सूची-
  • चच (632–671)
  • चंदर (671–679)
  • राजा दाहिर (679–712)
  • दहिरसिया
  • हुलिशाही
  • शीशा (724 ईस्वी तक शासन किया)

चाहमान या चौहान साम्राज्य (650–1301 ईस्वी)

शाकमभरी के चौहान साम्राज्य (650–1194 ईस्वी)

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वंशावली-
  1. वासुदेव (साँचा:circa), पहला शासक
  2. सामन्तराज (साँचा:circa)
  3. नारा-देव (साँचा:circa)
  4. अजयराज प्रथम (साँचा:circa), उर्फ ​​जयराज या अजयपाल
  5. विग्रहराज प्रथम (साँचा:circa)
  6. चंद्रराज प्रथम (साँचा:circa)
  7. गोपेंद्रराज (साँचा:circa)
  8. दुर्लभराज प्रथम (साँचा:circa)
  9. गोविंदराज प्रथम (साँचा:circa), उर्फ ​​गुवाक प्रथम
  10. चंद्रराज द्वितीय (साँचा:circa)
  11. गोविंदराजा द्वितीय (साँचा:circa), उर्फ ​​गुवाक द्वितीय
  12. चंदनराज (साँचा:circa)
  13. वाक्पतिराज प्रथम (साँचा:circa); उनके छोटे बेटे ने नद्दुल चाहमान शाखा की स्थापना की।
  14. सिम्हराज (साँचा:circa)
  15. विग्रहराज द्वितीय (साँचा:circa)
  16. दुर्लभराज द्वितीय (साँचा:circa)
  17. गोविंदराज तृतीय (साँचा:circa)
  18. वाक्पतिराज द्वितीय (साँचा:circa)
  19. विर्याराम (साँचा:circa)
  20. चामुंडराज चौहान (साँचा:circa)
  21. दुर्लभराज तृतीय (साँचा:circa), उर्फ ​​दुआला
  22. विग्रहराज तृतीय (साँचा:circa), उर्फ ​​विसला
  23. पृथ्वीराज प्रथम (साँचा:circa)
  24. अजयराज द्वितीय (साँचा:circa), राजधानी को अजयमेरु (अजमेर) ले गए।
  25. अर्णोराज चौहान (साँचा:circa)
  26. जगददेव चौहान (साँचा:circa)
  27. विग्रहराज चतुर्थ (साँचा:circa), उर्फ ​​विसलदेव
  28. अमरगंगेय (साँचा:circa)
  29. पृथ्वीराज द्वितीय (साँचा:circa)
  30. सोमेश्वर चौहान (साँचा:circa)
  31. पृथ्वीराज तृतीय (साँचा:circa), इन्हें पृथ्वीराज चौहान के नाम से जाना जाता हैं, वह राजवंश का सबसे महान शासक हैं।
  32. गोविंदाराज चतुर्थ (साँचा:circa); मुस्लिम अस्मिता स्वीकार करने के कारण हरिराज द्वारा निर्वासित; रणस्तम्भपुर के चहमान शाखा की स्थापना की।
  33. हरिराज (साँचा:circa), अंतिम शासक

नद्दुल (नाडोल) चाहमान राजवंश (950–1197 ईस्वी)

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वंशावली-
  1. लक्ष्मण (चाहमान राजवंश) (950–982), पहला शासक
  2. शोभित (982–986)
  3. बलि राज (986–990)
  4. विगृहपाल (990–994)
  5. महिन्दु (994–1015)
  6. अश्वपाल (1015–1019)
  7. अहिल (1019–1024)
  8. अनहिल्ल (1024–1055)
  9. बाल प्रसाद (1055–1070)
  10. जेन्द्र राज (1070–1080)
  11. पृथ्वीपाल (1080–1090)
  12. जोजल देव (1090–1110)
  13. आशाराज (1110–1119)
  14. रत्न पाल (1119–1132)
  15. राय पाल (1132–1145)
  16. कटुक राज (1145–1148)
  17. अल्हण देव (1148–1163)
  18. कल्हण देव (1163–1193)
  19. जयतासिंह (1193–1197), अंतिम शासक
  • जालौर के चौहान राजवंश (1160–1311 ईस्वी)

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रणस्तम्भपुर के चहमान (1192–1301 ईस्वी)

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वंशावली-
  • गोविंदाराज चतुर्थ (ल. 1192 ईस्वी); मुस्लिम अस्मिता स्वीकार करने के कारण हरिराज द्वारा निर्वासित; रणस्तंभपुरा के चाहमान शाखा की स्थापना की। एवं बाल्हणदेव चौहान पुत्र
  • बाल्हणदेव चौहान, प्रहलादनदेव चौहान पुत्र
  • प्रहलादनदेव चौहान, वीरनारायण चौहान पुत्र
  • वीरनारायण चौहान,
  • जैत्रसिंह चौहान (1248–1282 ईस्वी) का पुत्र हम्मीरदेव चौहान
  • हम्मीरदेव चौहान (1283–1301 ईस्वी), अंतिम और महानतम शासक

उत्तराखण्ड के चन्द राजवंश (700–1790 ईस्वी)

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बद्री दत्त पाण्डेय ने अपनी पुस्तक कुमाऊँ का इतिहास में निम्न राजाओं के नाम बताये हैं:[२४]

राजा शासन टिप्पणियां
सोम चन्द ७००-७२१
आत्म चन्द ७२१-७४०
पूरण चन्द ७४०-७५८
इंद्र चन्द ७५८-७७८ राज्य भर में रेशम के कारखाने स्थापित किये।
संसार चन्द ७७८-८१३
सुधा चन्द ८१३-८३३
हमीर चन्द ८३३-८५६
वीणा चन्द ८५६-८६९ खस राजाओं द्वारा पराजित हुए।
वीर चन्द १०६५-१०८० खस राजाओं को हराकर पुनः राज्य प्राप्त किया।
रूप चन्द १०८०-१०९३
लक्ष्मी चन्द १०९३-१११३
धरम चन्द १११३-११२१
करम चन्द ११२१-११४०
बल्लाल चन्द ११४०-११४९
नामी चन्द ११४९-११७०
नर चन्द ११७०-११७७
नानकी चन्द ११७७-११९५
राम चन्द ११९५-१२०५
भीषम चन्द १२०५-१२२६
मेघ चन्द १२२६-१२३३
ध्यान चन्द १२३३-१२५१
पर्वत चन्द १२५१-१२६१
थोहर चन्द १२६१-१२७५
कल्याण चन्द द्वितीय १२७५-१२९६
त्रिलोक चन्द १२९६-१३०३ छखाता पर कब्ज़ा किया।
भीमताल में किले का निर्माण किया।
डमरू चन्द १३०३-१३२१
धर्म चन्द १३२१-१३४४
अभय चन्द १३४४-१३७४
गरुड़ ज्ञान चन्द १३७४-१४१९ भाभर तथा तराई पर अधिकार स्थापित किया; हालांकि बाद में उन्हें संभल के नवाब को हार गए।
हरिहर चन्द १४१९-१४२०
उद्यान चन्द १४२०-१४२१ राजधानी चम्पावत में बालेश्वर मन्दिर की नींव रखी।
चौगरखा पर कब्ज़ा किया।
आत्मा चन्द द्वितीय १४२१-१४२२
हरी चन्द द्वितीय १४२२-१४२३
विक्रम चन्द १४२३-१४३७ बालेश्वर मन्दिर का निर्माण पूर्ण किया।
भारती चन्द १४३७-१४५० डोटी के राजाओं को पराजित किया।
रत्न चन्द १४५०-१४८८ बाम राजाओं को हराकर सोर पर कब्ज़ा किया।
डोटी के राजाओं को पुनः पराजित किया।
कीर्ति चन्द १४८८-१५०३ बारहमण्डल, पाली तथा फल्दाकोट पर कब्ज़ा किया।
पौराणिक बृद्धकेदार का निर्माण सम्पन्न किया तथा सोमनाथेश्वर महादेव का पुनर्निर्माण किया।
प्रताप चन्द १५०३-१५१७
तारा चन्द १५१७-१५३३
माणिक चन्द १५३३-१५४२
कल्याण चन्द तृतीय १५४२-१५५१
पूर्ण चन्द १५५१-१५५५
भीष्म चन्द १५५५-१५६० चम्पावत से राजधानी खगमरा किले में स्थानांतरित की।
आलमनगर की नींव रखी।
बारहमण्डल खस सरदार गजुआथिँगा को हारे।
बालो कल्याण चन्द १५६०-१५६८ बारहमण्डल पर पुनः कब्ज़ा किया।
राजधानी खगमरा किले से आलमनगर स्थानांतरित कर नगर का नाम अल्मोड़ा रखा।
गंगोली तथा दानपुर पर कब्ज़ा किया।
रुद्र चन्द १५६८-१५९७ काठ एवं गोला के नवाब से तराई का बचाव किया।
रुद्रपुर नगर की स्थापना की।
अस्कोट को पराजित किया, और सिरा पर कब्ज़ा किया।
लक्ष्मी चन्द १५९७-१६२१ अल्मोड़ा तथा बागेश्वर नगरों में क्रमशः लक्ष्मेश्वर तथा बागनाथ मंदिर की स्थापना की।
गढ़वाल पर ७ असफल आक्रमण किये।
दिलीप चन्द १६२१-१६२४
विजय चन्द १६२४-१६२५
त्रिमल चन्द १६२५-१६३८
बाज़ बहादुर चन्द १६३८-१६७८ बाजपुर नगर की स्थापना करी।
उद्योत चन्द १६७८-१६९८
ज्ञान चन्द १६९८-१७०८
जगत चन्द १७०८-१७२०
देवी चन्द १७२०-१७२६
अजीत चन्द १७२६-१७२९
कल्याण चन्द पंचम १७२९-१७४७ रोहिल्लाओं द्वारा पराजित।
दीप चन्द १७४७-१७७७
मोहन चन्द १७७७-१७७९ गढ़वाल के राजा ललित शाह द्वारा पराजित।
प्रद्युम्न (शाह) चन्द १७७९-१७८६ गढ़वाल के राजा ललित शाह के पुत्र।
मोहन चन्द १७८६-१७८८ प्रद्युम्न शाह को हराकर राज्य पुनः प्राप्त किया।
शिव चन्द १७८८
महेन्द्र चन्द १७८८-१७९० गोरखाओं द्वारा पराजित।

मान्यखेत के राष्ट्रकूट साम्राज्य (735–982 ईस्वी)

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शासकों की सूची-

दिल्ली के तौमर राजवंश (736–1147 ईस्वी)

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शासकों की सूची-
  • अनंगपाल (736 ईस्वी), ने तोमर वंश की नींव डाली। महाराज पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदरबरदाई की हिंदी रचना पृथ्वीराज रासो में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया गया है। उन्होंने ही लाल-कोट का निर्माण करवाया था और महरौली के गुप्त कालीन लौह-स्तंभ को दिल्ली लाया।
  • विशाल, 752
  • गंगेय, 772
  • पथ्वीमल, 793
  • जगदेव, 812
  • नरपाल, 833
  • उदयसंघ, 848
  • जयदास, 863
  • वाछाल, 879
  • पावक, 901
  • विहंगपाल, 923
  • तोलपाल, 944
  • गोपाल, 965
  • सुलाखन, 983
  • जसपाल, 1009
  • कंवरपाल, 1025,(मसूद ने हांसी पर कुछ दिन कब्जा किया था 1038 में)
  • अनंगपाल द्वितीय 1046, (1052 महरौली के लौह स्तंभ पर शिलालेख)
  • तेजपाल, 1076
  • महीपाल, 1100
  • दकतपाल (अर्कपाल भी कहा जाता है), (1115–1147 ईस्वी)

पाल साम्राज्य (750–1174 ईस्वी)

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शासकों की सूची-

पाल राजवंश के पश्चात सेन राजवंश ने बंगाल पर १६० वर्ष राज किया।

मालवा के परमार राजवंश (800–1305 ईस्वी)

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शाही शासक
  • उपेन्द्र कृष्णराज (800–818), पहला ज्ञात शासक
  • वैरीसिंह प्रथम (818–843)
  • सियक प्रथम (843–893)
  • वाक्पतिराज प्रथम (893–918)
  • वैरीसिंह द्वितीय (918–948)
  • सियक द्वितीय (948–974)
  • वाक्पति मुंज (974–995)
  • सिंधुराज (995–1010)
  • भोज प्रथम (1010–1055), समरांगण सूत्रधार के रचयिता और महानतम शासक
  • जयसिंह प्रथम (1055–1060)
  • उदयादित्य (1060–1087), जयसिंह के बाद राजधानी से मालवा पर राज किया। चालुक्यों से संघर्ष पहले से ही चल रहा था और उसके आधिपत्य से मालवा अभी हाल ही अलग हुआ था जब उदयादित्य लगभग १०५९ ई. में गद्दी पर बैठा। मालवा की शक्ति को पुन: स्थापित करने का संकल्प कर उसने चालुक्यराज कर्ण पर सफल चढ़ाई की। कुछ लोग इस कर्ण को चालुक्य न मानकर कलचुरि लक्ष्मीकर्ण मानते हैं। इस संबंध में कुछ निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता। इसमें संदेह है कि उदयादित्य ने कर्ण को परास्त कर दिया। उदयादित्य का यह प्रयास परमारों का अंतिम प्रयास था और ल. १०८८ ई. में उसकी मृत्यु के बाद परमार वंश की शक्ति उत्तरोत्तर क्षीण होती गई। उदयादित्य भी शक्तिशाली था।
  • लक्ष्मणदेव (1087–1097)
  • नरवर्मन (1097–1134)
  • यशोवर्मन (1134–1142)
  • जयवर्मन प्रथम (1142–1160)
  • विंध्यवर्मन (1160–1193)
  • सुभातवर्मन (1193–1210)
  • अर्जुनवर्मन I (1210–1218)
  • देवपाल (परमार वंश) (1218–1239)
  • जयतुगीदेव (1239–1256)
  • जयवर्मन द्वितीय (1256–1269)
  • जयसिंह द्वितीय (परमार वंश) (1269–1274)
  • अर्जुनवर्मन द्वितीय (1274–1283)
  • भोज द्वितीय (1283–1295)
  • महालकदेव (1295–1305), अंतिम शासक
अन्य शासक
  • संजीव सिंह परमार (1305–1327), (मालवा शासक)
  • लगभग 1300 ई. की साल में गुजरात के भरुचा रक्षक वीर मेहुरजी परमार हुए। जिन्होंने अपनी माँ, बहेन और बेटियों कि लाज बचाने के लिये युद्ध किया और उनका शर कट गया फिर भी 35 कि.मि. तक धड़ लडता रहा।
  • गुजरात के रापर (वागड) कच्छ में विर वरणेश्र्वर दादा परमार हुए जिन्होंने ने गौ रक्षा के लिये युद्ध किया। उनका भी शर कटा फिर भी धड़ लडता रहा। उनका भी मंदिर है।
  • गुजरात में सुरेन्द्रनगर के राजवी थे लखधिर जी परमार, उन्होंने एक तेतर नामक पक्षी के प्राण बचाने ने के लिये युद्ध छिड़ दिया था। जिसमे उन्होंने जित प्राप्त की।
  • लखधिर के वंशज साचोसिंह परमार हुए जिन्होंने एक चारण, (बारोट या गढवी) के जिंदा शेर मांगने पर जिंदा शेर का दान दया था।
  • एक वीर हुए पीर पिथोराजी परमार जिनका मंदिर हें, थारपारकर में अभी पाकिस्तान में हैं। जो हिंदवा पिर के नाम से जाने जाते हैं।

जेजाकभुक्ति के चन्देल राजवंश (831–1315 ईस्वी)

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धनानंद (330–321 ई.पू.) के अत्याचार से रवाना हुए क्षत्रिय शासक कुछ बुंदेलखंड आकार बसे जहां कभी उनके पूर्वज उपरीचर वसु और जरासंध का राज था। उन्हीं राजा नन्नुक (चंद्रवर्मन) ने चंदेल वंश की स्थापना (831–845 ईस्वी) में की। चन्देल वंश जिसने 8वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच, बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया।

शासकों की सूची-

कश्मीर के उत्पल राजवंश (852–1012 ईस्वी)

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  • अवंतिवर्मा (852–880), (उनके दरबार में आनंदवर्धन, रतनकर जैसे कई कवि हुए)
  • शंकरवर्मा (880–900), (उत्तरा ज्योतिषी, दिव्य कटक और सिम्हपुरा में यवनों के ब्राह्मण राजा, ललिया साही के समकालीन)
  • गोपालवर्मा (900–902), (नाबालिग, जिनकी माँ सुगंधा ने शासन किया)
  • संकटा
  • सुगंध
  • सुरवर्मा (902–904), (सभी 3 ने केवल 2 वर्षों तक शासन किया)
  • पार्थ (904–918)
  • निर्जीतवर्मा (918–920)
  • चक्रवर्मा (920–934), (हत्या हो गई)
  • उन्मतवन्ती (934–936)
  • यासस्कर (936–945)
  • वर्णना (1 महीना)
  • संग्रामदेव (5 महीने) (945–946)
  • परवगुप्त (946–948)
  • क्षेमगुप्त (948–957)
  • अभिमन्युगुप्त (दिद्दा का पहला पुत्र) (957–971), अभिमन्यु एक नाबालिग था, जिसका शासन मां दिद्दा या क्षेमगुप्त की पत्नी दित्था देवी से था।
  • नंदीगुप्त (दिद्दा का दूसरा पुत्र) (971–972)
  • त्रिभुवनगुप्त (दिद्दा का तीसरा पुत्र) (972–974)
  • भीम गुप्ता (दिद्दा का चौथा पुत्र) (974–979), (सभी बेटे नाबालिग थे। अतः, माता दिद्दा द्वारा शासित)
  • डिड्डिड्डा या दित्था, ने स्वयं (979–1012) शासन किया, (डिधा लोहार के सिम्हाराजा की बेटी और क्षेमगुप्त की पत्नी थी)

देवगिरि के यादव राजवंश (860–1317 ईस्वी)

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निम्न सेऊना यादव राजाओं ने देवगिरि पर शासन किया था-

  • दृढ़प्रहा, पहला शासक
  • सेऊण चन्द्र प्रथम
  • ढइडियप्पा प्रथम
  • भिल्लम प्रथम
  • राजगी
  • वेडुगी प्रथम
  • धड़ियप्पा द्वितीय
  • भिल्लम द्वितीय (सक 922)
  • वेशुग्गी प्रथम
  • भिल्लम तृतीय (सक 948)
  • वेडुगी द्वितीय
  • सेऊण चन्द्र द्वितीय (सक 991)
  • परमदेव
  • सिंघण
  • मलुगी
  • अमरगांगेय
  • अमरमालगी
  • भिल्लम पंचम
  • सिंघण द्वितीय
  • राम चन्द्र (1317 ईस्वी तक शासन किया), अंतिम शासक

सोलंकी राजवंश (सौराष्ट्र के चालुक्य) (940–1244 ईस्वी)

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सोलंकी राजवंश का अधिकार पाटन और काठियावाड़ राज्यों तक था। ये ९वीं शताब्दी से १३वीं शताब्दी तक शासन करते रहे। इन्हें गुजरात का चालुक्य भी कहा जाता था। यह लोग मूलत: अग्निवंश व्रात्य क्षत्रिय हैं और दक्षिणापथ के हैं परन्तु जैन मुनियों के प्रभाव से यह लोग जैन संप्रदाय में जुड़ गए। उसके पश्चात भारत सम्राट अशोकवर्धन मौर्य के समय में कान्य कुब्ज के ब्राह्मणो ने ईन्हे पून: वैदिक धर्म में सम्मिलित किया था।[२५]

शासकों की सूची-
  • मूलराजा (940–995), पहला शासक
  • चामुंडाराजा (996–1008)
  • वल्लभराज (1008)
  • दुर्बलराज (1008–1022)
  • भीम I (1022–1064)
  • कर्ण चालुक्य (1064–1092)
  • जयसिम्हा सिद्धराज (1092–1142)
  • कुमारपाल (1142–1171), महानतम शासक
  • अजयपाल (1171–1175)
  • मूलाराजा II (1175–1178)
  • भीम II (1178–1240)
  • त्रिभुवनपाल (1240–1244), अंतिम शासक

कश्मीर के लोहार राजवंश (1012–1320 ईस्वी)

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  • संग्रामराज (1012–1027), (वह दिद्दा का भाई है; काबुल के त्रिलोचन पाल के समकालीन)
  • हरिराज (केवल 22 दिन)
  • अनंतदेव (1027–1078), (अनंतदेव को 1062 में कुछ दिनों के लिए अलग रखा गया था, लेकिन वापस आ गया)
  • कलसा या रानादित्य (पंडित और कवि), (1078–1088)
  • उत्कर्ष (केवल कुछ दिन)
  • हर्ष (1088–1110)
  • उचला (कुछ दिन)
  • शंकराजा (1110–1120)
  • सुसाला (1120–1128)
  • जयसिम्हा (1128–1148), कल्हण का समय 1148 ईस्वी हैं।
  • अज्ञात शासक (1150–1320 ईस्वी)

होयसल राजवंश (1026–1343 ईस्वी)

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होयसल शासक पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्र वाशिन्दे थे पर उस समय आस पास चल रहे आंतरिक संघर्ष का फायदा उठाकर उन्होने वर्तमान कर्नाटक के लगभग सम्पूर्ण भाग तथा तमिलनाडु के कावेरी नदी की उपजाऊ घाटी वाले हिस्से पर अपना अधिकार जमा लिया। इन्होंने ३१७ वर्ष राज किया। इनकी राजधानी पहले बेलूर थी पर बाद में स्थानांतरित होकर हालेबिदु हो गई।

शासकों की सूची-

हरिहर राय १ ने इसके पश्चात विजयनगर साम्राज्य स्थापित किया।

बंगाल के सेन राजवंश (1070–1230 ईस्वी)

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शासकों की सूची-

कल्याणी के कलचुरि राजवंश (1130–1184 ईस्वी)

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इस वंश की शुरुआत आभीर राजा ईश्वरसेन ने की थी। 'कलचुरी ' नाम से भारत में दो राजवंश थे– एक मध्य एवं पश्चिमी भारत (मध्य प्रदेश तथा राजस्थान) में जिसे 'चेदी' 'हैहय' या 'उत्तरी कलचुरि' कहते हैं तथा दूसरा 'दक्षिणी कलचुरी' जिसने वर्तमान कर्नाटक के क्षेत्रों पर राज्य किया।

शासकों की सूची-
  • उचिता, पहला शासक
  • आसन
  • कन्नम
  • किरियासगा
  • बिज्जला आई
  • कन्नम २
  • जोगामा
  • पर्मादी
  • बिज्जला II (1160–1168), 1162 में राज्य की स्वतंत्रता की घोषणा की।
  • सोविदेवा (1168–1176)
  • मालगुगी, (भाई शंकामा द्वारा उखाड़ फेंका गया)
  • संकामा
  • अवामल्ला
  • सिंघाना, अंतिम शासक

काकतीय राजवंश (1158–1323 ईस्वी)

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1190 ई. के बाद जब कल्याण के चालुक्यों का साम्राज्य टूटकर बिखर गया तब उसके एक भाग के स्वामी वारंगल के "काकतीय" हुए; दूसरे के द्वारसमुद्र के होएसल और तीसरे के देवगिरि के यादव। राजा गणपति की कन्या रुद्रंमा इतिहास में प्रसिद्ध हैं।

प्रारंभिक शासक (सामंत)

  • प्रारंभिक शासक (800–995)
  • यर्रय्या या बेतराज प्रथम (996–1051)
  • प्रोलराज प्रथम (1052–1076)
  • बेतराज द्वितीय (1076–1108)
  • त्रिभुवनमल्ल दुर्गाराज (1108–1116)
  • प्रोलराज द्वितीय (1116–1157), (इसके के बच्चों में रुद्र, महादेव, हरिहर, गणपति और रेपोल दुर्गा शामिल थे)

संप्रभु शासक

  • रुद्रदेव या प्रतापरुद्र प्रथम (1158–1195)
  • महादेव- राज (1196–1199)
  • गणपति-राज (1199-1262)
  • रुद्रम्मा (1262–1289)
  • प्रतापरुद्र द्वितीय (1289–1323), अंतिम शासक

असम के शुतीया (साडिया) राजवंश (1187–1524 ईस्वी)

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११८७ सन में स्थापित एक राज्य था, जो ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर सोबनशिरि नदी और दिसां नदी के मध्यवर्ती अंचल में स्थित एक विशाल साम्राज्य था। ११८७ में वीरपाल ने शदिया को शुतीया राज्य की राजधानी बनाया। इसके बाद लगभग दश सम्राटों ने यहाँ राज किया।

शासकों की सूची-
  • बीरपाल (1187–1224), पहला शासक
  • रत्नध्वजपाल (1224–1250)
  • विजयध्वजपाल (1250–1278)
  • विक्रमध्वजपाल (1278–1302)
  • गौरध्वजपाल (1302–1322)
  • शंखध्वजपाल (1322–1343)
  • मयूरध्वजपाल (1343–1361)
  • जयध्वजपाल (1361–1383)
  • कर्मध्वजपाल (1383–1401)
  • सत्यनारायण (1401–1421)
  • लक्ष्मीनारायण (1421–1439)
  • धर्मनारायण (1439–1458)
  • प्रत्यूषनारायण (1458–1480)
  • पूर्णादनारायण (1480–1502)
  • धर्मजपाल (1502–1522)
  • नितपाल (1522–1524), अंतिम शासक

मगदीमंडालम का बान वंश (1190–1260 ईस्वी)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों में वर्णित कुछ बान राजा हैं:

मगदई मंडला प्रमुख अरगालुर

कदव वंश (1216–1279)

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(1216-1242)

(1243-1279)

दिल्ली सल्तनत (1206–1526 ईस्वी)

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गुलाम वंश (1206–1290)

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खिलजी वंश (1290–1320)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

तुगलक वंश (1321–1414)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

जौनपुर सल्तनत (1394–1479)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

सैय्यद वंश (1414–1451)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

लोदी वंश (1451–1526)

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असम के आहोम राजवंश (1228–1826 ईस्वी)

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आहोम वंश‍ (1228–1826) ने वर्तमान असम के कुछ भागों पर प्रायः 300 वर्षों से अधिक तक शासन किया।

वंशावली
वर्ष शासनकाल अहोम नाम अन्य नाम उत्तराधिकारी शासन अन्त राजधानी
१२२८-१२६८ ४० वर्ष चुकाफा प्राकृतिक मृत्यु चराइदेओ
१२६८-१२८१ १३ वर्ष चुतेउफा चुकाफा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु चराइदेओ
१२८१-१२९३ १२ वर्ष चुबिन्‌फा चुतेउफा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु चराइदेओ
१२९३-१३३२ ३९ वर्ष त्याओचुखांफा चुबिन्‌फा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु चराइदेओ
१३३२-१३६४ ३२ वर्ष चुख्रांफा त्याओचुखांफा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु चराइदेओ
१३६४-१३७६ १२ वर्ष चुतुफा चुख्रांफार भायेक चुतीया रजार द्वारा भतरा गरुरे गछकाइ हत्या चराइदेउ
१३७६-१३८० ४ वर्ष पात्र मन्त्रीसकलर द्वारा शासन चराइदेओ
१३८०-१३८९ ९ वर्ष त्याओ खामटि चुखान्‌फा का पुत्र हत्या [२६] चराइदेओ
१३८९-१३९७ ८ वर्ष शासक नाइ
१३९७-१४०७ १० वर्ष चुदांफा बामुणी कोँवर त्याओ खामटि का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु चरागुवा
१४०७-१४२२ १५ वर्ष चुजान्‌फा चुदांफा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु
१४२२-१४३९ १७ वर्ष चुफाक‌‍फा चुजान्‌फा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु
१४३९-१४८८ ४९ वर्ष चुचेन्‌फा चुफाक्‌फा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु
१४८८-१४९३ ५ वर्ष चुहेन्‌फा चुचेन‌फा का पुत्र हत्या [२७]
१४९३-१४९७ ४ वर्ष चुपिम्‌फा चुहेन्‌फा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु
१४९७-१५३९ ४२ वर्ष चुहुंमुं स्वर्गनारायण, दिहिङीया रजा १ चुपिम्‌फा का पुत्र हत्या [२८] बकता
१५३९-१५५२ १३ वर्ष चुक्लेंमुं गड़गञा रजा चुहुंमुङ का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु गड़गाँओ
१५५२-१६०३ ५१ वर्ष चुखाम्‌फा खोरा रजा चुक्लेंमुङ का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु गड़गाँओ
१६०३-१६४१ ३८ वर्ष चुचेंफा प्रताप सिंह, बुढ़ा रजा, बुद्धिस्बर्गनारायण चुखाम‌फा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु गड़गाँओ
१६४१-१६४४ ३ वर्ष चुराम्‌फा जयदित्य सिंह, भगा रजा चुचेंफा का पुत्र क्षमताच्युत गड़गाँओ
१६४४-१६४८ ४ वर्ष चुटिंफा नरीया रजा चुराम्‌फार भायेक क्षमताच्युत गड़गाँओ
१६४८-१६६३ १५ वर्ष चुटाम‌ला जयध्बज सिंह, भगनीया रजा चुटिंफा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु गड़गाँओ, बकता
१६६३-१६७० ७ वर्ष चुपांमुं चक्रध्बज सिंह चुटामलार सम्बन्धीय भ्रातृ प्राकृतिक मृत्यु बकता/ गड़गाँओ
१६७०-१६७२ २ वर्ष चुन्यात्‌फा उदयादित्य सिंह चुपांमुङ का भाई क्षमताच्युत
१६७२-१६७४ २ वर्ष चुक्लाम्‌फा रामध्बज सिंह चुन्यात्‌फा का भाई बिह खुवाइ हत्या
१६७४-१६७५ २१ दिन चुहुंगा चामगुरीया रजा चुहुंमुङर चामगुरीया बंशधर क्षमताच्युत
१६७५-१६७५ २४ दिन गोबर रजा चुहुंमुङर परिनाति क्षमताच्युत
१६७५-१६७७ २ वर्ष चुजिन्‌फा अर्जुन कोँवर, दिहिङीया रजा २ नामरूपीया गोहाँइ का पुत्र, प्रताप सिंहर नाति क्षमताच्युत, आत्महत्या
१६७७-१६७९ २ वर्ष चुदैफा पर्बतीया रजा चुहुंमुङर परिनाति क्षमताच्युत, हत्या
१६७९-१६८१ ३ वर्ष चुलिक्‌फा रत्नध्बज सिंह, ल’रा रजा चामगुरीया बंश क्षमताच्युत, हत्या
१६८१-१६९६ १५ वर्ष चुपात्‌फा गदाधर सिंह गोबर राजा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु
१६९६-१७१४ १८ वर्ष चुख्रुंफा रुद्र सिंह चुपात्‌फा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु रंपुर
१७१४-१७४४ ३० वर्ष चुतान‌फा शिव सिंह चुख्रुंफा का पुत्र प्राकृतिक मृत्यु
१७४४-१७५१ ७ वर्ष चुनेन्‌फा प्रमत्त सिंह चुतान‌फा का भाई प्राकृतिक मृत्यु
१७५१-१७६९ १८ वर्ष चुराम्‌फा राजेश्बर सिंह चुनेन्‌फा का भाई प्राकृतिक मृत्यु
१७६९-१७८० ११ वर्ष चुन्येओफा लक्ष्मी सिंह चुराम्‌फा का भाई प्राकृतिक मृत्यु
१७८०-१७९५ १५ वर्ष चुहित्पांफा गौरीनाथ सिंह चुन्येओफा प्राकृतिक मृत्यु योरहाट
१७९५-१८११ १६ वर्ष चुक्लिंफा कमलेश्बर सिंह रुद्रसिंहर भायेक लेचाइर नाति प्राकृतिक मृत्यु, सरुआइ योरहाट
१८११-१८१८ १७ वर्ष चुदिंफा (१) चन्द्रकान्त सिंह चुक्लिंफा का भाई क्षमताच्युत योरहाट
१८१८-१८१९ १ वर्ष पुरन्दर सिंह (१) चुराम्‌फार बंशधर क्षमताच्युत योरहाट
१८१९-१८२१ २ वर्ष चुदिंफा (२) चन्द्रकान्त सिंह
१८२१-१८२४ ३ वर्ष योगेश्बर सिंह हेम आइदेउर भायेक
१८३३-१८३८ पुरन्दर सिंह(२)

गुजरात के वाघेल राजवंश (1244–1304 ईस्वी)

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संप्रभु वाघेल शासकों में शामिल हैं:

  • विसला-देव (1244–1262)
  • अर्जुन-देव (1262–1275)
  • राम-देव (1275)
  • सारंगा-देव (1275–1296)
  • कर्ण-देव (1296–1304)

राम के पुत्र; उन्हें कर्ण चुलूक्य से अलग करने के लिए कर्ण द्वितीय भी कहा जाता हैं

मुसुनूरी नायक (1323–1368 ईस्वी)

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कम से कम दो मुसुनूरी नायक शासक थे:

  • मुसुनुरी प्रलय नायुडु (1323–1333)
  • मुसुनुरी कापा नायक (1333–1368)

रेड्डी राजवंश (1325–1448 ईस्वी)

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  • प्रोलया वेमा रेड्डी (1325–1335), पहला शासक
  • अनातो रेड्डी (1335–1364)
  • अवेमा रेड्डी (1364–1386)
  • कुमारगिरी रेड्डी (1386–1402)
  • कटया वेमा रेड्डी (1395–1414)
  • अल्लाडा रेड्डी (1414–1423)
  • वीरभद्र रेड्डी (1423–1448), अंतिम शासक

विजयनगर साम्राज्य (1336–1646 ईस्वी)

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विजयनगर साम्राज्य (1336–1646) मध्यकालीन हिंदू साम्राज्य था। इसमें चार राजवशों ने 310 वर्ष तक राज किया। इसका वास्तविक नाम कर्नाटक साम्राज्य था। इसकी स्थापना हरिहर और बुक्का राय नामक दो भाइयों ने की थी।

शासकों की सूची-
विजयनगर साम्राज्य
संगम राजवंश
हरिहर राय प्रथम 1336-1356
बुक्क राय प्रथम 1356-1377
हरिहर राय द्वितीय 1377-1404
विरुपाक्ष राय 1404-1405
बुक्क राय द्वितीय 1405-1406
देव राय प्रथम 1406-1422
रामचन्द्र राय 1422
वीर विजय बुक्क राय 1422-1424
देव राय द्वितीय 1424-1446
मल्लिकार्जुन राय 1446-1465
विरुपाक्ष राय द्वितीय 1465-1485
प्रौढ़ राय 1485
शाल्व राजवंश
शाल्व नृसिंह देव राय 1485-1491
थिम्म भूपाल 1491
नृसिंह राय द्वितीय 1491-1505
तुलुव राजवंश
तुलुव नरस नायक 1491-1503
वीरनृसिंह राय 1503-1509
कृष्ण देव राय 1509-1529
अच्युत देव राय 1529-1542
सदाशिव राय 1542-1570
अराविदु राजवंश
आलिया राम राय 1542-1565
तिरुमल देव राय 1565-1572
श्रीरंग प्रथम 1572-1586
वेंकट द्वितीय 1586-1614
श्रीरंग द्वितीय 1614-1614
रामदेव अरविदु 1617-1632
वेंकट तृतीय 1632-1642
श्रीरंग तृतीय 1642-1646

मैसूर का ओडेयर राजवंश (1399–1947 ईस्वी)

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  1. देव राय (1399–1423), पहला शासक
  2. हिरिय बॆट्टद चामराज ऒडॆयर् (1423–1459)
  3. तिम्मराज ऒडॆयर् (1459–479)
  4. हिरिय चामराज ऒडॆयर् (1479–1513)
  5. हिरिय बॆट्टद चामराज ऒडॆयर् (इम्मडि) (1513–1553)
  6. बोळ चामराज ऒडॆयर् (1572–1576)
  7. बॆट्टद चामराज ऒडॆयर् (मुम्मडि) (1576–1578)
  8. राज ऒडॆयर् (1578–1617)
  9. चामराज ऒडॆयर् (1617–1637)
  10. इम्मडि राज ऒडॆयर् (1637–1638)
  11. रणधीर कंठीरव नरसराज ऒडॆयर् (1638–1659)
  12. दॊड्ड देवराज ऒडॆयर् (1659–1673)
  13. चिक्क देवराज ऒडॆयर् (1673–1704)
  14. कंठीरव नरसराज ऒडॆयर् (1704–1714)
  15. दॊड्ड कृष्नराज ऒडॆयर् (1732–1734)
  16. इम्मडि कृष्णराज ऒडॆयर् (1734–1766)
  17. बॆट्टद चामराज ऒडॆयर् (1770–1776)
  18. खासा चामराज ऒडॆयर् (1766–1796)
  19. मुम्मडि कृष्णराज ऒडॆयरु (1799–1868)
  20. मुम्मडि चामराज ऒडॆयर् (1868–1895)
  21. नाल्वडि कृष्णराज ऒडॆयर् (1895–1940)
  22. जयचामराज ऒडॆयर् (1940–1947), अंतिम शासक

गजपति साम्राज्य (1434–1541 ईस्वी)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

  • कपिलेन्द्र देव (1434–66), पहला शासक
  • पुरुषोत्तम देव (1466–97)
  • प्रतापरुद्र देव (1497–1540)
  • कलुआ देव (1540–1541)
  • कखरुआ देव (1541), अंतिम शासक

कोचीन का साम्राज्य (1503–1964 ईस्वी)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

  • उन्नीरमैन कोयिकल I (? -1503)
  • उन्नीरमैन कोयिकल II (1503-1537)
  • वीरा केरल वर्मा (1537-1565)
  • केशव राम वर्मा (1565-1601)
  • वीरा केरल वर्मा (1601-1615)
  • रवि वर्मा I (1615-1624)
  • वीरा केरल वर्मा (1624-1637)
  • गोडावर्मा (1637-1645)
  • वीररायरा वर्मा (1645-1646)
  • वीरा केरल वर्मा (1646-1650)
  • राम वर्मा I (1650-1656)
  • रानी गंगाधरलक्ष्मी (1656-1658)
  • राम वर्मा II (1658-1662)
  • गोदा वर्मा (1662-1663)
  • वीरा केरल वर्मा (1663-1687)
  • राम वर्मा III (1687-1693)
  • रवि वर्मा II (1693-1697)
  • राम वर्मा IV (1697-1701)
  • राम वर्मा V (1701-1721)
  • रवि वर्मा III (1721-1731)
  • राम वर्मा VI (1731-1746)
  • वीरा केरल वर्मा I (1746-1749)
  • राम वर्मा VII (1749-1760)
  • वीरा केरल वर्मा II (1760-1775)
  • राम वर्मा VIII (1775-1790)
  • शक्तिमान थापुरन (राम वर्मा IX) (1790-1805)
  • राम वर्मा एक्स (1805-1809) ("वेलारपाली" में मृत्यु हो गई)
  • वीरा केरल वर्मा III (1809-1828) "कर्किदाका" माह में निधन होने वाले राजा, ( कोल्लम एरा)
  • राम वर्मा इलेवन (1828–1837),

("थुलम" माह में राजा की मृत्यु हो गई)

  • राम वर्मा बारहवीं (1837–1844), (एडवा-मासाथिल थेपेत १ थंपुरन), (राजा जो "एडवाम" माह में मृत्यु हो गई)
  • राम वर्मा तेरहवें (1844–1851), (त्रिशूर-इल थेपेटा थामपुराण), ("थ्रीशिवपेरूर" या त्रिशूर में मारे गए राजा)
  • वीरा केरल वर्मा IV (1851–1853), (काशी-येल थेपेटा थमपुराण), ("काशी" या वाराणसी में शहीद हुए राजा)
  • रवि वर्मा IV (1853–1864), (मकरा मासाथिल थेपेटा थामपुराण), ("मरारम" माह में राजा की मृत्यु हो गई)
  • राम वर्मा XIV (1864–1888), (मिथुना मासाथिल थेपेता थामपुराण), ("मिथुनम" माह में राजा की मृत्यु हो गई)
  • केरल वर्मा V (1888–1895), (चिंगम मासाथिल थेपेता थामपुराण), (राजा जो "चिंगम" महीने में मर गया था)
  • राम वर्मा XV (1895-1914)
  • राम वर्मा XVI (1915–1932), मद्रासिल थेपेट्टा थामपुराण, (मद्रास या चेन्नई में मृत्यु हो चुके राजा)
  • राम वर्मा XVII (1932–1941), धरमिका चक्रवर्ती (धर्म के राजा), चौरा-येल थेपेटा थामपुराण ("चौरा" में निधन होने वाले राजा)
  • केरल वर्मा VI (1941–1943),
  • रवि वर्मा V (1943–1946), कुंजप्पन थम्पुरन (मिडुकन थमपुरन के भाई)
  • केरल वर्मा सप्तम (1946–1948), इक्या-केरलम (एकीकृत केरल) थम्पुरन
  • राम वर्मा XVIII (1948–1964), परीक्षित थमपुरन

मुगल वंश (1526–1857 ईस्वी)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

प्रारंभिक मुगल शासक

उत्तर मुगल शासक

  • मुहम्मद आज़म शाह (1707)
  • बहादुर शाह प्रथम (1707-1712)
  • जहांदार शाह (1712-1713)
  • फर्रुख़ सियर (1713-1719)
  • मुहम्मद शाह (1719-1720)
  • मुहम्मद शाह (बहाल) (1720–1748)
  • अहमद शाह बहादुर (1748-1754)
  • आलमगीर द्वितीय (1754-1759)
  • शाह आलम द्वितीय (1759-1806)
  • अकबर शाह द्वितीय (1806-1837)
  • बहादुर शाह ज़फ़र (1837-1857) 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने इन्हें अपदस्थ कर दिया

सूरी साम्राज्य (1540–1556 ईस्वी)

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चोग्याल साम्राज्य (सिक्किम और लद्दाख के सम्राट) (1642-1975)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। 1. फंटसग नामग्याल (1642–1670)

2. तेनसुंग नामग्याल (1670–1700)

3. चाकडोर नामग्याल (1700–1717)

  • उनकी सौतेली बहन पेंडियनग्मू ने चाकौर का पता लगाने की कोशिश की, जो ल्हासा भाग गया, लेकिन तिब्बतियों द्वारा राजा के रूप में बहाल किया गया।

4. गयूर नामग्याल (1717–1734)

5. फंटसोग नामग्याल द्वितीय (1734–1780)

  • नेपालियों ने सिक्किम की तत्कालीन राजधानी रबडेंटसे पर छापा मारा।

6. तेनजिंग नामग्याल (1780–1793)

  • चोग्याल तिब्बत भाग गए और बाद में निर्वासन में उनकी मृत्यु हो गई।

7. त्सुगफूड नामग्याल (1793–1863)

  • सिक्किम का सबसे लंबा शासनकाल चोग्याल। राजधानी को रबडेंटसे से तुमलांग में स्थानांतरित कर दिया। सिक्किम और ब्रिटिश भारत के बीच 1817 में टिटलिया की संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। 1835 में दार्जिलिंग ब्रिटिश भारत को उपहार में दिया गया था।

8. सिडकेग नामग्याल (1863–1874)

9. थुतोब नामग्याल (1874-1914)

10. सिडकेग तुलकु नामग्याल (1914)

  • सिक्किम का सबसे कम समय तक शासन करने वाला चोग्याल

11. ताशी नामग्याल (1914–1963)

  • भारत और सिक्किम के बीच 1950 में संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिससे भारत सिक्किम के ऊपर मुकदमा चला।

12. पाल्डेन थोंडुप नामग्याल (1963-1975)

मराठा साम्राज्य (1674–1948 ईस्वी)

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छत्रपति शिवाजी महाराज युग

साम्राज्य परिवार की दो शाखाओं के बीच विभाजित (1707-1710) हुआ; और विभाजन को 1731 में औपचारिक रूप दिया गया।

कोल्हापुर में भोसले छत्रपति (1700–1947)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

  • शिवाजी द्वितीय (जन्म 1696, शासन 1700-1414)
  • कोल्हापुर के संभाजी द्वितीय (जन्म 1698, शासन 1714-60)
  • राजमाता जीजीबाई, रीजेंट (1760–73), संभाजी द्वितीय की वरिष्ठ रानी
  • राजमाता दुर्गाबाई, रीजेंट (1773-79), संभाजी द्वितीय की छोटी रानी
  • कोल्हापुर के शाहू शिवाजी द्वितीय (शासन 1762-1813); पूर्व शासक की वरिष्ठ विधवा जीजीबाई द्वारा गोद लिये गये थे।
  • कोल्हापुर के संभाजी तृतीय (जन्म 1801, शासन 1813–21)
  • कोल्हापुर का शिवाजी तृतीय (जन्म 1816, शासन 1821–22) (रीजेंसी परिषद)
  • कोल्हापुर के शाहजी प्रथम (जन्म 1802, शासन 1822–38)
  • कोल्हापुर के शिवाजी चतुर्थ (जन्म 1830, शासन 1838-66)
  • कोल्हापुर के राजाराम प्रथम (जन्म 1866-70)
  • रीजेंसी परिषद (1870-94)
  • कोल्हापुर के शिवाजी पंचम (जन्म 1863, शासन 1871–83); पूर्व शासक की विधवा द्वारा गोद लिये गये थे।
  • कोल्हापुर के राजर्षि शाहू चतुर्थ (जन्म 1874, शासन 1884-1922); पूर्व शासक की विधवा द्वारा गोद लिये गये थे।
  • कोल्हापुर के राजाराम द्वितीय (जन्म 1897 शासन 1922–40)
  • इंदुमती ताराबाई, राजाराम द्वितीय की विधवा (1940-47)
  • कोल्हापुर के शिवाजी छटे (1941, शासन 1941-46); पूर्व शासक की विधवा द्वारा गोद लिये गये थे।
  • कोल्हापुर के शाहजी द्वितीय (जन्म 1910, शासन 1947, मृत्यु 1983); पूर्व में देवास के महाराजा; राजाराम द्वितीय की विधवा इंदुमती ताराबाई द्वारा गोद लिये गये थे।

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद भारतीय अधिराज्य में विलय कर दिया गया।

सतारा में भोसले छत्रपति (1707–1839)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

  • शाहु प्रथम (1708-1749)। संभाजी प्रथम का बेटा।
  • सतारा के राजाराम द्वितीय (1749–1777)। राजाराम और ताराबाई का पोता; शाहू प्रथम का दत्तक पुत्र
  • सतारा के शाहू द्वितीय (1777-1808)। रामराजा का पुत्र।
  • प्रतापसिंह (1808-1839)
  • शाहजी तृतीय (1839-1848)
  • प्रतापसिंह प्रथम (गोद लिये गये)
  • राजाराम तृतीय
  • प्रतापसिंह द्वितीय
  • राजा शाहू तृतीय (1918-1950)

पेशवा (1713–1858)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। तकनीकी रूप से वे सम्राट नहीं थे, लेकिन वंशानुगत प्रधानमंत्री थे, हालांकि वास्तव में वे छत्रपति शाहु की मृत्यु के बाद महाराजा के बजाय शासन करते थे, और मराठा परिसंघ के उत्तराधिकारी होते थे।

तंजावुर के भोसले महाराजा (?–1799)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

शिवाजी महाराज के भाई के वंशज; स्वतंत्र रूप से शासन करते थे और मराठा साम्राज्य के साथ कोई औपचारिक संबंध नहीं था।

  • व्यंकोजी प्रथम
  • तंजावुर के शाहूजी प्रथम
  • सर्फ़ोजी प्रथम
  • टुक्कोजी
  • व्यंकोजी द्वितीय
  • सुजाना बाई
  • तंजावुर के शाहूजी द्वितीय
  • तंजावुर के प्रतापसिंह (शासन 1737–63)
  • तंजावुर के तुलोजीराव भोंसले (जन्म 1738, शासन 1763–87), प्रतापसिंह के बड़े पुत्र
  • तंजावुर के सर्फ़ोजी द्वितीय (शासन 1787–93 और 1798–99, निधन 1832); तुलोजी भोंसले के दत्तक पुत्र
  • रामास्वामी अमरसिम्हा भोंसले (शासन 1793–98); प्रतापसिंह के छोटे पुत्र

1799 में अंग्रेजों द्वारा इस राज्य को अपने साम्राज्य में मिला लिया गया था।

नागपुर के भोंसले महाराजा (1799–1881)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

  • राघोजी प्रथम भोंसले (1738-1755)
  • जानोजी भोंसले (1755–1772)
  • सबाजी (1772-1775)
  • मुधोजी प्रथम (1775-1788)
  • राघोजी द्वितीय (1788-1816)
  • परसोजी भोंसले (18??–1817)
  • मुधोजी द्वितीय (1816-1818)
  • राघोजी तृतीय (1818-1853)

13 मार्च 1854 को डॉक्ट्रीन ऑफ लैप्स के तहत राज्य को अंग्रेजों ने विलय कर लिया था।[२९]

इंदौर के होलकर शासक (1731–1948)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

इन्हें भी देखें: इन्दौर रियासत

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, राज्य भारत अधिराज्य में शामिल हो गया। राजतंत्र 1948 में समाप्त हो गया था, लेकिन यह उपाधि 1961 से इंदौर की महारानी उषा देवी महाराज साहिबा होल्कर १५वीं बहादुर के पास है।

ग्वालियर के सिंधिया शासक (1731–1947)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

इन्हें भी देखें: ग्वालियर रियासत
  • रानोजीराव सिंधिया (1731 - 19 जुलाई 1745)
  • जयप्पाजी राव सिंधिया (1745 - 25 जुलाई 1755)
  • जनकोजीराव सिंधिया प्रथम (25 जुलाई 1755 - 15 जनवरी 1761)। जन्म 1745
  • मेहरबान दत्ताजी राव सिंधिया, राज-प्रतिनिधि (1755 - 10 जनवरी 1760)। निधन 1760
  • रिक्त 15 जनवरी 1761 - 25 नवंबर 1763
  • केदारजीराव सिंधिया (25 नवंबर 1763 - 10 जुलाई 1764)
  • मानाजी राव सिंधिया फकडे (10 जुलाई 1764 - 18 जनवरी 1768)
  • महादजी सिंधिया (18 जनवरी 1768 - 12 फरवरी 1794)। जन्म 1730, निधन 1794।
  • दौलतराव सिंधिया (12 फरवरी 1794 - 21 मार्च 1827)। जन्म 1779, निधन 1827।
  • जानकोजी राव सिंधिया द्वितीय (18 जून 1827 - 7 फरवरी 1843)। जन्म 1805, निधन 1843
  • जयाजीराव सिंधिया (7 फरवरी 1843 - 20 जून 1886)। जन्म 1835, निधन 1886।
  • माधोराव सिंधिया (20 जून 1886 - 5 जून 1925)। जन्म 1876, निधन 1925।
  • जीवाजीराव सिंधिया (महाराजा 5 जून 1925 - 15 अगस्त 1947, राजप्रमुख 28 मई 1948 - 31 अक्टूबर 1956, बाद में राजप्रमुख)। जन्म 1916, निधन 1961।

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, राज्य भारत के अधिराज्य में शामिल हो गया।

बड़ौदा के गायकवाड़ राजवंश (1721–1947)

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  • पिलाजी राव गायकवाड़ (1721–1732)
  • दामाजी राव गायकवाड़ (1732–1768)
  • गोविंद राव गायकवाड़ (1768-1771)
  • सयाजी राव गायकवाड़ प्रथम (1771-1789)
  • मानजी राव गायकवाड़ (1789–1793)
  • गोविंद राव गायकवाड़ (बहाल) (1793-1800)
  • आनंद राव गायकवाड़ (1800-1818)
  • सयाजी राव गायकवाड़ द्वितीय (1818-1847)
  • गणपत राव गायकवाड़ (1847-1856)
  • खांडे राव गायकवाड़ (1856-1870)
  • मल्हार राव गायकवाड़ (1870-1875)
  • महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (1875-1939)
  • प्रताप सिंह गायकवाड़ (1939-1951)

मुगल/ब्रिटिश प्रभुत्व के मुस्लिम जागीरदार (1707–1856 ईस्वी)

बंगाल के नवाब (1707–1770)
अवध के नवाब (1719–1858)
हैदराबाद के निज़ाम (1720–1948)

त्रवनकोर साम्राज्य (1729–1949 ईस्वी)

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  • मार्था वर्मा (1729–1758), पहला शासक
  • धर्म राजा (1758–1798)
  • बलराम वर्मा (1798–1810)
  • गौरी लक्ष्मी बेई (1810–1815)
  • गोवरी पार्वती बेई (1815–1829)
  • स्वाति थिरुनल (1829–1846)
  • उथराम थिरुनल (1846–1860)
  • आयिलम थिरुनल (1860–1880)
  • विशाखम थिरुनल (1880–1885)
  • मूल थिरुनल (1885–1924)
  • सेतु लक्ष्मी बेई (1924–1931)
  • चिथिरा थिरुनल (1931–1949), अंतिम शासक

सिख साम्राज्य (1801–1849 ईस्वी)

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पहले और दूसरे आंग्ल-सिख युद्धों (1845-1849) के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने पंजाब का अधिग्रहण कर लिया।

जम्मू और कश्मीर का डोगरा राजवंश (1846–1952 ईस्वी)

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जम्मू और कश्मीर के महाराजा-

सन् 1947 तक जम्मू और कश्मीर पर डोगरा शासकों का शासन रहा। इसके बाद महाराज हरि सिंह ने 26 अक्‍तूबर 1947 को भारतीय संघ में विलय के समझौते पर हस्‍ताक्षर कर दिए। देश की नई प्रशासनिक व्यवस्था में जम्मू-कश्मीर रियासत का विलय अंग्रेजों के चले जाने के लगभग 2 महीने बाद 26 अक्तूबर 1947 को हुआ। वह भी तब, जब रियासत पर कबायलियों के रूप में पाकिस्तानी सेना ने आक्रमण कर दिया और उसके काफी हिस्से पर कब्जा कर लिया।[३०][३१]

पाकिस्तान अधिराज्य (1947–1956 ईस्वी)

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. Misra, V.S. (2007). Ancient Indian Dynasties, Mumbai: Bharatiya Vidya Bhavan, ISBN 81-7276-413-8स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, pp.283-8, 384
  3. History Of Ancient India ISBN 81-269-0616-2स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। vol II [१]
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  9. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  10. "Journal of the Andhra Historical Society". Andhra Historical Research Society. 21–24: 7, 19.
  11. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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  13. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  14. साँचा:cite web
  15. Mahajan V.D. (1960, reprint 2007). Ancient India, S.Chand & Company, New Delhi, ISBN 81-219-0887-6स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।स्क्रिप्ट त्रुटि: "check isxn" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, pp.594–6
  16. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  17. Ronald M. Davidson 2012, पृ॰प॰ 38-39.
  18. साँचा:cite book
  19. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  20. Har Bilas, Sarda. maharana sanga : the hindupat, the last great leader of the rajput race. pp. 15–16.
  21. A Comprehensive History of India: Comprehensive history of medieval India p107
  22. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  23. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  24. Pandey(1993) pg197-332
  25. साँचा:cite book
  26. Deposed and assassinated along with his chief queen by the ministers for their autocratic rule
  27. Suhenphaa was speared to death in his palace by a disgruntled subject called Tairuban.
  28. स्वर्गदेउ का पुत्र चुक्लेंमुङर निर्देशत राजकर्मचारीर द्वारा हत्या
  29. साँचा:cite book
  30. साँचा:cite web
  31. साँचा:citation