वृषभ
वृषभ का अर्थ है बैल। यह भगवान शंकर का अवतार है। इस अवतार की सम्पूर्ण कथा शिवमहापुराण के साथ साथ लिंग पुराण में भी मिलती है।
कथा
समुद्र मन्थन में हारने के बाद असुर जब पाताल की तरफ भागने लगे तो भगवान विष्णु उनके पीछे चले गए और उन्होंने सभी असुरों को मार डाला। विष्णु जी जब वापिस जाने लगे तो उन्होंने देखा कि पांच सुन्दर स्त्रियां उनकी तपस्या कर रही हैं। उन्होंने उन्हें वर मांगने को कहा तो उन्होंने कहा कि वे देवी लक्ष्मी और बैकुण्ठ को त्याग दे ना ही वे स्वयं को भी न पहचानें और सदा पाताल में उनके साथ निवास करें। भगवान विष्णु ने तथास्तु कह दिया जिससे वे स्वयं को भी भूल गए। पाताल में रहते समय उन्होंने उन स्त्रियों से कई पुत्र उत्पन्न किए। भगवान विष्णु के इन्हीं पुत्रों ने पाताल से स्वर्ग तक उत्पात मचाया और इनसे दुःखी होकर सभी देव देवों के देव महादेव के पास गए। भगवान शिव ने भगवान विष्णु को पाताल से लाने और उनके पुत्रों को मारने के लिए एक बहुत बड़े बैल का रूप लिया और पाताल में जाकर उनका संहार किया। जब भगवान विष्णु को इस बात का पता चला तो उन्होंने वृषभ रूपी भगवान शिव से युद्ध किया। अन्त में गणेश जी ने इस युद्ध को रोकने के लिए उन स्त्रियों को अपना वरदान वापस लेने को कहा। उनके वरदान वापस लेते ही भगवान विष्णु को सब स्मरण हो गया। उन्होंने पाताल से प्रस्थान करते समय अपने सुदर्शन चक्र को वहां छोड़ देना उचित समझा ताकि पाताल लोक सदा सुरक्षित रहे। बाद में भगवान शंकर ने भगवान हरि को एक नया सुदर्शन चक्र प्रदान किया।