कार्तवीर्य अर्जुन
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चित्र:Datta blesses Kartavirya Arjuna.jpg | |
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परिवार | कृतवीर्य (पिता) |
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कार्तवीर्य अर्जुन प्राचीन हैहय वंश के राजा थे[१] जिनका उल्लेख महाभारत में भी है। वे प्राचीन माहिष्मति नगरी के राजा थे, जो कि वर्तमान में मध्य प्रदेश का महेश्वर नगर है। वे राजा कृतवीर्य के पुत्र थे। सम्राट अर्जुन की राजधानी नर्मदा नदी के तट पर थी जिसे इन्होंने कार्कोटक नाग से जीतकर बसाया था।
उन्हें सहस्रबाहु अर्जुन भी कहते हैं। उनकी एक सहस्र (एक हजार) भुजाएँ थीं, जिसके कारण इन्हें सहस्रार्जुन भी कहते हैं। वे दत्तात्रेय के परम भक्त थे।[२]
नाम
कार्तवीर्य अर्जुन का मूल नाम अर्जुन था, कार्तवीर्य इन्हें राजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण कहा गया। अन्य नामों में, सहस्रबाहु अर्जुन, सहस्रबाहु कार्तवीर्य या सहस्रार्जुन इन्हें हज़ार हाथों के वरदान के कारण; हैहय वंशाधिपति, हैहय वंश में श्रेष्ठ राजा होने के कारण; माहिष्मति नरेश, माहिष्मति नगरी के राजा; सप्त द्वीपेश्वर, सातों महाद्वीपों के राजा होने के कारण; दशग्रीव जयी, रावण को हराने के कारण और राजराजेश्वर, राजाओं के राजा होने के कारण कहा गया।साँचा:cn
सेना
अर्जुन के पास एक हजार अक्षौहिणी सेनाएं थी। यह भी एक कारण है कि उनका नाम सहस्रबाहु था अर्थात् जिसके पास सहस्त्रबाहु अर्थात सहस्त्र सेनाएं (अक्षौहिणी वर्ग) में हों।साँचा:cn
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ Pargiter, F.E. (1972) [1922]. Ancient Indian Historical Tradition, Delhi: Motilal Banarsidass, p.265-7