लक्ष्मी नारायण मन्दिर, भोपाल

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित १०:५१, २३ दिसम्बर २०२१ का अवतरण (Rescuing 3 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.8.5)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

लुआ त्रुटि: callParserFunction: function "#coordinates" was not found।

लक्ष्मीनारायण मन्दिर,भोपाल
लक्ष्मी नारायण मंदिर
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
लक्ष्मी नारायण मन्दिर,भोपालसाँचा:maplink
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धतासाँचा:br separated entries
देवतालक्ष्मी नारायण (विष्णु और लक्ष्मी)
त्यौहारजन्माष्टमी, दीपावली
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिसाँचा:if empty
राज्यमध्यप्रदेश
देशभारत
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 522 पर: Unable to find the specified location map definition: "Module:Location map/data/india Madhya Pradesh" does not exist।
भौगोलिक निर्देशांक?
वास्तु विवरण
प्रकारनागर शैली
निर्मातासाँचा:if empty
स्थापितमुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र
शिलान्यासडॉ॰ कैलाशनाथ काटजू
निर्माण पूर्ण१९६४
ध्वंससाँचा:ifempty
साँचा:designation/divbox
साँचा:designation/divbox
वेबसाइट
?

साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other

लक्ष्मीनारायण मंदिर, (बिरला मंदिर) भोपाल

भोपाल में बिरला मंदिर के नाम से विख्‍यात लक्ष्मीनारायण मंदिर मंदिर, भोपाल के मालवीय नगर क्षेत्र में, अरेरा पहाडियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। मंदिर के निकट ही एक संग्रहालय बना हुआ है जिसमें मध्‍यप्रदेश के रायसेन, सेहोर, मंदसौर और सहदोल आदि जगहों से लाई गईं मूर्तियां रखी गईं हैं। यहां शिव, विष्‍णु और अन्‍य अवतारों की पत्‍थर की मूर्तियां देखी जा सकती हैं। मंदिर के निकट बना संग्रहालय सोमवार के अलावा प्रतिदिन सुबह ९ बजे से शाम ५ बजे तक खुला रहता है।[१]

इतिहास

जानकारों के अनुसार इस मंदिर का शिलान्यास वर्ष १९६० में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ॰ कैलाशनाथ काटजू ने किया था और उद्‍घाटन वर्ष १९६४ में मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र के हाथों संपन्न हुआ।[२]

विवरण

भोपाल के अरेरा पहाड़ी पर पाँच दशक पूर्व स्थापित बिड़ला मंदिर वर्षों से धार्मिक आस्था का केन्द्र रहा है। मंदिर में स्थापित भगवान श्रीहरि विष्णु एवं लक्ष्मीजी की मनोहारी प्रतिमाएँ बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकृष्ट कर रही हैं। करीब ७-८ एकड़ पहाड़ी क्षेत्र में फैले इस मंदिर की ख्याति देश व प्रदेश के विभिन्न शहरों में फैली हुई है।

मंदिर के अंदर विभिन्न पौराणिक दृश्यों की संगमरमर पर की गई नक्काशी दर्शनीय तो है ही, उन पर गीता व रामायण के उपदेश भी अंकित हैं।

मंदिर के अंदर विष्णुजी व लक्ष्मीजी की प्रतिमाओं के अलावा एक ओर शिव तथा दूसरी ओर माँ जगदम्बा की प्रतिमा विराजमान हैं। मंदिर परिसर में हनुमानजी एवं शिवलिंग स्थापित हैं। वहीं मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने बना विशाल शंख भी दर्शनीय है। मंदिर की स्थापना के समय पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश नाथ ने बिड़ला परिवार को शहर में उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन देने के साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वह इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में एक भव्य तथा विशाल मंदिर का निर्माण करवाएँ। मंदिर के उद्‍घाटन के समय यहाँ विशाल विष्णु महायज्ञ भी आयोजित किया गया था, जिसमें अनेक विद्वानों व धर्म शास्त्रियों ने भाग लिया था। आज भी यह मंदिर जन आस्था का मुख्य केन्द्र बिन्दु है। जन्माष्टमी पर यहाँ श्रीकृष्ण जन्म का मुख्य आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर विष्णु की आराधना करते है।[३]

सन्दर्भ सूची

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:asbox