इंद्रभूति गौतम
इंद्रभूति गौतम | |
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साँचा:sidebar with collapsible lists इंद्रभूति गौतम (गौतम गणधर) तीर्थंकर महावीर के प्रथम गणधर (मुख्य शिष्य) थे।[१]
जन्म
इनका जन्म मगध राज्य के गोच्चर गाँव में ब्राह्मण वसुभूति और पृथ्वी के घर हुआ था। वह अपने गोत्र 'गौतम' से जाने जाते थे।
दिगम्बर
दिगम्बर परम्परा के अनुसार जब इंद्र ने इंद्रभूति से एक श्लोक का अर्थ पूछा था :
- पंचेव अत्थिकाया छज्जीव णिकाया महव्वया पंच।
- अट्ठयपवयण-मादा सहेउओ बंध-मोक्खो य॥
जब वह नहीं बता पाए तो इंद्र ने उन्हें उत्तर के लिए भगवान महावीर के समावसरण में जाने को कहा।
दिगम्बर परम्परा में गौतम गणधर का स्थान बहुत ऊँचा है। उनका नाम भगवान महावीर के तुरंत बाद लिया जाता है -
- मंगलं भगवान वीरो, मंगलं गौतमो गणी।
- मंगलं कुन्दकुंदाद्यो, जैन धर्मोऽस्तु मंगलं॥
केवल ज्ञान
जिस दिन भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी उसी दिन गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।[२] जैन धर्मावलंबियों द्वारा इसी दिन को दिवाली के रूप में मनाया जाता ह