विराग सागर
विराग सागर जी एक दिगम्बर जैन साधु है।
आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज | |
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नाम (आधिकारिक) | आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज |
व्यक्तिगत जानकारी | |
जन्म नाम | अरविन्द जैन |
जन्म | साँचा:br separated entries |
निर्वाण | साँचा:br separated entries |
माता-पिता | श्री कपूर चंद जी जैन और श्रीमती श्यामा देवी जैन |
शुरूआत | |
सर्जक | आचार्य श्री विमलसागरजी |
जीवनी
विराग सगर जी का जन्म २ मई ,१९६३ को पथरिया जिला -दमोह (म.प्र.) मे हुआ था | उनके पिता का नाम श्री कपूर चंद जी (समाधिस्थ क्षुल्लक श्री विश्ववन्ध सागर जी) व माता का नाम श्रीमती श्यामा देवी जैन (समाधिस्थ श्री विशांतश्री माता जी) है | आचार्य श्री १०८ सन्मति सागर जी महाराज द्वारा क्षुल्लक दीक्षा (२ फरवरी १९८० ग्राम बुढार ,जिला-शहडोल ,म.प्र.) एवम्ं आचार्य श्री १०८ विमलसागर जी महाराज द्वारा मुनि दीक्षा (९ दिसंबर १९८३ औरंगाबाद) एवमं आचार्य पद (८ नवम्बर १९९२ सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जिला छतरपुर) प्राप्त किया |[१][२]
सृजन
आचार्य श्री एक सृजनशील गणेषक तथा चिन्तक है।अपने गहरे चिंतन की छाप प्रकट करने वाला उनका साहित्य निम्न उल्लेखित है- शुद्धोपयोग ,आगम चकखू साहू ,सम्यक दर्शन ,सल्लेखना से समाधि ,तीर्थंकर ऐसे बने,कर्म विज्ञान भाग १ व् २ ,चैतन्य चिंतन ,साधना,आरधना आदि|
शिष्य गण
२२७ दीक्षित साधु (आचार्य ८ ,मुनि ८३ ,गणिनी ४ ,आर्यिका ६९ , क्षुल्लक २५ , एलक ५ , क्षुल्लिका २५)
आचार्य विमर्श सागर, आचार्य विशुध्द सागर, आचार्य विशद सागर, आचार्य विभव सागर, आचार्य विहर्ष सागर ,आचार्य विनिश्चय सागर, आचार्य विमद सागर व आचार्य विनम्र सागर सहित आठ आचार्य है |[३]
संन्दर्भ
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