चित्रा मुद्गल

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चित्रा मुद्गल
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चित्रा मुद्गल (जन्म : १९४४) हिन्दी की वरिष्ठ कथालेखिका हैं। उन्हें सन 2018 का हिन्दी भाषा का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है। उनके उपन्यास ‘आवां’ पर उन्हें वर्ष 2003 में ‘व्यास सम्मान’ मिला था। उनका जीवन किसी रोमांचक प्रेम-कथा से कम नहीं है। उन्नाव के जमींदार परिवार में जन्मी किसी लड़की के लिए साठ के दशक में अंतरजातीय प्रेमविवाह करना आसान काम नहीं था। लेकिन चित्रा जी ने तो शुरू से ही कठिन मार्ग के विकल्प को अपनाया। पिता का आलीशान बंगला छोड़कर 25 रुपए महीने के किराए की खोली में रहना और मजदूर यूनियन के लिए काम करना - चित्रा ने हर चुनौती को हँसते-हँसते स्वीकार किया।

१० दिसम्बर १९४४ को जनमी चित्रा मुद्गल की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक ग्राम निहाली खेड़ा (जिला उन्नाव, उ.प्र.) से लगे ग्राम भरतीपुर के कन्या पाठशाला में। हायर सेकेंडरी पूना बोर्ड से की और शेष पढ़ाई मुंबई विश्वविद्यालय से। बहुत बाद में स्नातकोत्तर पढ़ाई पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय मुंबई से की। चित्रकला में गहरी अभिरुचि रखने वाली चित्रा ने जे.जे.स्कूल ऑफ आर्टस से फाइन आर्टस का अध्ययन भी किया है। सोमैया कॉलेज में पढ़ाई के दौरान श्रमिक नेता दत्ता सामन्त के संपर्क में आकर श्रमिक आंदोलन से जुड़ीं। उन्हीं दिनों घरों में झाडू-पोंछा कर, उत्पीड़न और बदहाली में जीवन-यापन करने वाली बाइयों के उत्थान और बुनियादी अधिकारों की बहाली के लिए संघर्षरत संस्था 'जागरण' की बीस वर्ष की वय में सचिव बनीं।

प्रकाशित कृतियाँ

अब तक नौ कहानी संकलन, तीन उपन्यास, एक लेख-संकलन, एक उपन्यास, एक लेख-संकलन, एक बाल उपन्यास, चार बालकथा-संग्रह, छह संपादित पुस्तकें। गुजराती में दो अनूदित पुस्तकें प्रकाशित। अंग्रेज़ी में 'हाइना ऐंड अदर शार्ट स्टोरीज' बहुप्रशंसित। दिल्ली दूरदर्शन के लिए फ़िल्म 'वारिस' का निर्माण।

कहानियाँ

उपन्यास

पुरस्कार-सम्मान

बहुचर्चित उपन्यास 'एक ज़मीन अपनी' के लिए सहकारी विकास संगठन मुंबई द्वारा फणीश्वरनाथ 'रेणु' सम्मान से सम्मानित। हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा १९९६ के साहित्यकार सम्मान से सम्मानित और २००० में अपने उपन्यास आवां के लिए यू॰के॰ कथा सम्मान से सम्मानित। कृति ‘पोस्ट बॉक्स नंबर 203- नाला सोपारा’ पर साहित्य अकादमी सम्मान 5 दिसम्बर, 2018 को।

सन्दर्भ


बाहरी कड़ियाँ