कुइयाँजान
कुइयाँजान | |
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चित्र:Kuiyanjan.jpg मुखपृष्ठ | |
लेखक | नासिरा शर्मा |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
विषय | (साहित्य) |
प्रकाशक | सामयिक प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | २००५ |
पृष्ठ | ४१६ |
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ | ८१-७१३८-०८७-५ |
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कुइयाँजान नासिरा शर्मा का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। कुइयाँ अर्थात वह जलस्रोत जो मनुष्य की प्यास आदिम युग से ही बुझाता आया है। आमतौर पर हिंदी के लेखकों पर आरोप लगता रहा है कि वे जीवन की कड़वी सच्चाइयों और गंभीर विषयों की अनदेखी करते रहे हैं। हालांकि यदाकदा इसका अपवाद भी मिलता रहा है। लेकिन नासिरा शर्मा की नई पुस्तक कुइयाँजान इन आरोपों का जवाब देने की कोशिश के रूप में सामने आती है। पानी इस समय हमारे जीवन की एक बड़ी समस्या है और उससे बड़ी समस्या है हमारा पानी को लेकर अपने पारंपरिक ज्ञान को भूल जाना। फिर इस बीच सरकारों ने पानी को लेकर कई नए प्रयोग शुरू किए हैं जिसमें नदियों को जोड़ना प्रमुख है। बाढ़ की समस्या है और सूखे का राक्षस हर साल मुँह बाये खड़ा रहता है। इन सब समस्याओं को एक कथा में पिरोकर शायद पहली बार किसी लेखक ने गंभीर पुस्तक लिखने का प्रयास किया है। यह तकनीकी पुस्तक नहीं है, बाक़ायदा एक उपन्यास है लेकिन इसमें पानी और उसकी समस्या को लेकर एक गंभीर विमर्श चलता रहता है।