अल-मुल्क

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(उल-मुल्क से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

सूरा उल-मुल्क (साँचा:lang-ar) (सार्वभौमिकता, नियंत्रण; शाब्दिक 'राज्य) कुरान का 67वां सूरा है। इसमें 30 आयतें हैं। इस सूरा का नाम मलिक अल मुल्क (साँचा:lang-ar) का हवाला देता है। पूर्ण सार्वभौमिकता का शासक्, शाब्दिक तौर पर "कायनात का बादशाह", यह अल्लाह के 99 नामों में से एक है। यह सूरा कहता है अल्लाह की असीम शक्तियों के बारे में और कहता है, कि जो भी अल्लाह की चेतावनी को नज़रन्दाज़ करेंगे, वे दहकती अग्नि के साथी बनेंगे, यानि उन्हें नर्क भोइगना पडे़गा।

ऐसा हदीस में बताया गया है, कि मुहम्मद मुस्तफा सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने कहा है, कि यदि हर रात सूरत उल-मुल्क बोला जाये, तो बोलने वाला कब्र की यातनाओं से बच जायेगा।[१]

यह भी देखें

पिछला सूरा:
अत-तहरीम
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-कलम
सूरा 67

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114


इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

बाहरी कडि़यां

Wikisource-logo.svg
विकिस्रोत में इस लेख से सम्बंधित, मूल पाठ्य उपलब्ध है:
  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।