अल-ज़लज़ला
क़ुरआन |
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सूरा अल-ज़लज़ला (इंग्लिश: Al-Zalzalah, (उर्दू: الزلزال अज़-ज़िल्ज़ाल) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 99 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 8 आयतें हैं।
नाम
इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अज़-ज़िल्ज़ाल [१]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अज़्-ज़ल्ज़ला [२] नाम दिया गया है।
नाम पहली ही आयत के शब्द “ज़िलज़ालहा" से उद्धृत है।
अवतरणकाल
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। मक्की सूरा अर्थात पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।
इसके मक्की और मदनी होने में मतभेद हैं। किन्तु कुरआन को समझकर पढ़ने वाला हर व्यक्ति यही महसूस करेगा कि यह मक्की है, बल्कि इसकी वार्ता और वर्णन-शैली से उसे यह प्रतीत होगा कि यह मक्का के भी उस आरम्भिक कालखण्ड में अवतरित हुई होगी जब अत्यन्त संक्षिप्त और अत्यन्त हृदयस्पर्शी ढंग से इस्लाम की मौलिक धारणाएँ लोगों के समक्ष प्रस्तुत की जा रही थी।
विषय और वार्ता
इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि इसका विषय है मृत्यु के पश्चात् दूसरा जीवन और उसमें उन सब कर्मों का पूरा कच्चा-चिट्ठा मनुष्य के सामने आ जाना जो उसने संसार में किए थे। सबसे पहले तीन संक्षिप्त वाक्यों में यह बताया गया है कि मृत्यु के पश्चात् दूसरा जीवन किस प्रकार अस्तित्व में आएगा और वह मनुष्य के लिए कैसा आश्चर्यजनक होगा। फिर दो वाक्यों में बताया गया है कि यही धरती जिसपर रहकर मनुष्य ने निश्चिन्त भाव के साथ हर प्रकार के कर्म किए हैं, उस दिन अल्लाह के आदेश से बोल पड़ेगी और एक-एक मनुष्य के सम्बन्ध में यह बयान कर देगी कि किस समय और कहाँ उसने क्या काम किया था। तदन्तर कहा गया है कि उस दिन धरती के कोने - कोने में मनुष्य गिरोह -के- गिरोह अपनी क़ब्रों में से निकल-निकलकर आएँगे, ताकि उनके कर्म उनको दिखाए जाएँ और कर्मों की यह प्रस्तुति ऐसी पूर्ण और विस्तृत होगी कि कोई कणभर भलाई या बुराई भी ऐसी न रह जाएगी, जो सामने न आ जाए।
सुरह "अज़-ज़िल्ज़ाल का अनुवाद
बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है। स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:
क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [३]"मुहम्मद अहमद" ने किया:
जब धरती इस प्रकार हिला डाली जाएगी जैसा उसे हिलाया जाना है, (99:1) और धरती अपने बोझ बाहर निकाल देगी, (99:2)और मनुष्य कहेगा, "उसे क्या हो गया है?" (99:3) उस दिन वह अपना वृत्तांत सुनाएगी, (99:4) इस कारण कि तुम्हारे रब ने उसे यही संकेत किया होगा (89:5) उस दिन लोग अलग-अलग निकलेंगे, ताकि उन्हें कर्म दिखाए जाएँ (99:6) अतः जो कोई कणभर भी नेकी करेगा, वह उसे देख लेगा, (99:7) और जो कोई कणभर भी बुराई करेगा, वह भी उसे देख लेगा (99:8)
बाहरी कडियाँ
इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें
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सन्दर्भ