अल-फ़ातिहा
सूरा अल-फ़ातिहा | |
वर्गीकरण | मक्की |
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नाम का अर्थ | आरम्भ, सूचना |
अन्य नाम |
उम्म अल-किताब उम्म अल-कुरान कुन्जी सूरा अल-हम्द |
सूरा संख्या | पेहला |
प्रकट होने का समय | मुहम्मद की प्रवक्तावादी आरम्भिक जीवन में |
Statistics | |
रुकु की संख्या | १ |
Harf-e-Mukatta'at | नहीं |
Number of Ayats on particular subjects |
ईश्वर की स्तुति: 3 पालक (सृजनकर्ता) एवं पालित (सृजित) के बीच सम्बन्ध: 1 मानव जाति की प्रार्थना: 3 |
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सूरा अल-फ़ातिहा (साँचा:lang-ar), "आरम्भ्," इस्लाम की पवित्र ग्रन्थ कुरआन का पहला सूरा, या अध्याय है। इसमें 7 आयतें हैं। इसमें ईश्वर के निर्देश एवं दया हेतु प्रार्थना की गई है। इस अध्याय का खास महत्व है, दैनिक प्रार्थना के आरम्भ में बोला जाने वाला सूरा है।
टिप्पणी
इस सूरा की प्रथम आयत
बिस्मिल्ला - हिर् - रह़्मा - निर् - रह़ीम
जिसका उच्चारण है "Bismillāhir rahmānir rahīm", (बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम), अरबी या अरबी जानने वाले लोगों के अलावा भी बहुत लोगों द्वारा सुना गया होगा। क्योंकि यह कुरान के प्रत्येक सूरा के पहले आता है। और दैनिक प्रार्थना एवं किसी शुभ कार्य को आरम्भ करने से पहले भी प्रायः बोला जाता है।
प्रकटीकरण
इसे दोनों मक्की एवं मदीनी सूरा गिना जाता है।
वैकल्पित नाम
- नाम अल-फातिहा [१]("सलामी देनेवाला / खोलने वाला") सूरत की विषय-वस्तु के कारण है।
- फातिहा यह है कि जो विषय या पुस्तक या किसी अन्य चीज को खोलता है दूसरे शब्दों में, एक प्रकार की प्रस्तावना।
- इसे उम्म अल-क़िताब ("पुस्तक की मां") और उम्म अल-कुरान ("कुरान की माता") कहा जाता है; [२][३] सबा अल मथानी ("सात बार दोहराया [छंद ] ", कुरान के 15:87 सूरा से लिया गया पदनाम;)[३]
- अल-हम्द (" प्रशंसा "), क्योंकि एक हदीस ने मुहम्मद ने यह कहा है:" प्रार्थना [अल-फतह] दो हिस्सों में विभाजित है मेरे और मेरे कर्मचारियों के बीच, जब सेवक कहता है, 'सभी प्रशंसा अल्लाह के लिए है', अल्लाह जिसका अस्तित्व है, अल्लाह कहते हैं, 'मेरे बंदे ने मेरी प्रशंसा की है'।[४]
- अल-शिफा '(" इलाज " ), क्योंकि एक हदीस में मुहम्मद ने कहा था "इस का खोलना हर ज़हर का इलाज है"। [५][६]
- अल-रुक़ाह ("उपाय" या "आध्यात्मिक इलाज "),[३] और अल-आसस," द फाउंडेशन ", पूरे कुरान के लिए एक नींव के रूप में अपनी सेवा का जिक्र करते हैं [७]
सारांश
क़ुरआन |
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यह सूरह मक्की है, इस में सात आयते है।
- यह सूरह आरंभिक युग मे मक्का मे उतरी है, जो कुरान की भूमिका के समान है। इसी कारण इस का नाम सुरहा फातिहा अर्थात: “आरंभिक सूरह “है। इस का चमत्कार यह है की इस की सात आयतों में पूरे कुरान का सारांश रख दिया गया है। और इस मे कुरान के मौलिक संदेश: तौहीद, रीसालत तथा परलोक के विषय को संक्षेप मे समो दिया गया है। इस मे अल्लाह की दया, उस के पालक तथा पूज्य होने के गुणों को वर्णित किया गया है।
- इस सुरह के अर्थो पर विचार करने से बहुत से तथ्य उजागर हो जाते है| और ऐसा प्रतीत होता है की सागर को गागर मे बंद कर दिया गया है।
- इस सुरह में अल्लाह के गुण–गान तथा उस से पार्थना करने की शिक्षा दी गई है की अल्लाह की सराहना और प्रशंशा किन शब्दो से की जाये। इसी प्रकार इस मे बंदो को न केवल वंदना की शिक्षा दी गई है बल्कि उन्हें जीवन यापन के गुण भी बताये गये है।
- अल्लाह ने इस से पहले बहुत से समुदायो को सुपथ दिखाया किन्तु उन्होंने कुपथ को अपना लिया, और इस मे उसी कुपथ के अंधेरे से निकलने की दुआ है। बंदा अल्लाह से मार्ग–दर्शन के लिये दुआ (पार्थना) करता है तो अल्लाह उस के आगे पूरा कुरान रख देता है की यह सीधी राह है जिसे तू खोज रहा है। अब मेरा नाम लेकर इस राह पर चल पड़।
अनुवाद
- सूरए फातेहा मक्का में नाज़िल हुई इसीलिए इसे मक्की सूरत कहा जाता है। इस में 7 आयते हैं
आयत | Text | लिप्यान्तारीकरण | अनुवाद [८] |
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1.1. | بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ | बिस्मिल्लाहि र-रहमानि र-रहीम | परम कृपामय, असीम दयालु अल्लाह के नाम से. |
1.2. | ٱلْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ | अल हम्दु लिल्लाहि रब्बि ल-आलमीन | प्रशंसा केवल सारे जगतों के पालनहार अल्लाह के लिये हैं. |
1.3. | ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ | अर रहमानि र-रहीम | परम कृपामय, असीम दयालु. |
1.4. | مَالِكِ يَوْمِ ٱلدِّينِ | मालिकि यौमि द-दीन | कर्मफल दिवस के सम्राट है. |
1.5. | إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ | इय्याक न'आबुदु व इय्याक नस्त'ईन | हम आपका ही दासत्व करते है और आप ही से सहायता मांगते है. |
1.6. | ٱهْدِنَا الصِّرَاطَ ٱلْمُسْتَقِيمَ | इह्दिन स-सिरात अल-मुस्तक़ीम | हमें ऋजु मार्ग प्रदर्शित करे. |
1.7. | صِرَاطَ ٱلَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ غَيْرِ ٱلْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا ٱلضَّآلِّين | सिरात अल-लादीना अन'अमता अलैहिम ग़ैरिल मग़दूबि अलैहिम वलद दाल्लीन | उन लोगों का मार्ग में जो आप से पुरस्कृत हुये हैं और उनके मार्ग पर नहीं जो आपके क्रोध का शिकार बने हैं एवं मार्ग भ्रष्ट। |
इन्हें भी देखें
पिछला सूरा: कोई नहीं |
क़ुरआन | अगला सूरा: अल-बक़रा |
सूरा 01 - अल-फ़ातिहा | ||
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सन्दर्भ
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- ↑ Joseph E. B. Lumbard, "Introduction to Sūrat al-Fātiḥah," The Study Quran. ed. Seyyed Hossein Nasr, Caner Dagli, Maria Dakake, Joseph Lumbard, Muhammad Rustom (San Francisco: Harper One, 2015), p. 3.
- ↑ साँचा:cite web