अल-आला

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सूरा अल-आला (इंग्लिश: Al-Ala) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 87 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 19 आयतें हैं।

नाम

इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अल-आला [१]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अल्-आला [२] नाम दिया गया है।

नाम पहली ही आयत “अपने सर्वोच्च रब के नाम की तसबीह करो" के शब्द 'अल आला' (सर्वोच्च) को इस सूरा का नाम दिया गया है।

अवतरणकाल

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। मक्की सूरा अर्थात पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।

इसकी वार्ता से भी मालून होता है कि यह बिलकुल आरम्भिक काल की अवतरित सूरतों में से है और आयत नम्बर 6 के ये शब्द भी कि “हम तुम्हें पढ़वा देंगे, फिर तुम नहीं भूलेंगे "यह कहते हैं कि यह उस कालखण्ड में अवतरित हुई थी जब के रसूल (सल्ल.) को अभी वह्य (प्रकाशना) ग्रहण करने का अच्छी तरह अभ्यास नहीं हुआ था और वह्य के अवतरण के समय आपको आशंका होती थी कि कहीं मैं उसके शब्द भूल न जाऊँ।

विषय और वार्ता

इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि इस छोटी-सी सूरा के तीन विषय हैं: एकेश्वरवाद, नबी (सल्ल.) को निर्देश और परलोक। पहली ही आयत में एकेश्वरवाद की शिक्षा को इस एक वाक्य में समेट दिया गया है कि अल्लाह के नम की तस्बीह की जाए , अर्थात् उसको किसी ऐसे नाम से याद न किया जाए जो अपने में किसी प्रकार की कमी, दोष दुर्बलता या सृष्ट प्राणियों के समरूप होने का कोई पहलू रखता हो , क्योंकि दुनिया में जितनी भी विकृत धारणाएँ पैदा हुई हैं, उन सबके मूल में अल्लाह के सम्बन्ध में कोई - न - कोई ग़लत धारणा मौजूद है, जिसने पवित्र सत्ता के लिए किसी ग़लत नाम का रूप धारण किया है। अतः धारणा के विशुद्धीकरण के लिए सबसे पहली चीज़ यह है कि प्रतापवान अल्लाह को केवल उन अच्छे नामों ही से याद किया जाए जो उसके लिए अनुकूल और उचित है। इसके बाद तीन आयतों में बताया गया है कि तुम्हारा रब , जिसके नाम की तस्बीह का हुक्म दिया जा रहा है वह है जिसने जगत् की हर चीज़ को पैदा किया; उसका सन्तुलन स्थिर किया ; उसकी तक़दीर बनाई; उसे वह कार्य पूरा करने की राह बताई जिसके लिए वह पैदा की गई है। फिर दो आयतों में अल्लाह के रसूल (सल्ल.) को आदेश दिया गया है कि आप इस चिन्ता में न पड़े कि यह कुरआन शब्दशः आपको याद कैसे रहेगा । इसको आपकी स्मृति में सुरक्षित कर देना हमारा काम है और इसका सुरक्षित रहना आपके किसी व्यक्तिगत कौशल का परिणाम नहीं , बल्कि हमारी उदार कृपा का परिणाम है, अन्यथा हम चाहें तो इसे भूलवा दें । तदन्तर अल्लाह के रसूल (सल्ल.) से कहा गया है कि आपको हर व्यक्ति को सीधे मार्ग पर लाने का काम नहीं सौंपा गया है , बल्कि आपका काम बस सत्य को पहुँचा देना है और पहुँचाने का सीधा - सादा तरीक़ा यह है कि तुममें से जो उपदेश को सुनने और स्वीकार करने के लिए तैयार हो उसे उपदेश दिया जाए और जो इसके लिए तैयार न हो उसके पीछे न पड़ा जाए। अन्त में वार्ता इस बात पर समाप्त की गई है कि सफलता केवल उन लोगों के लिए है जो धारणा, नैतिकता और कर्मों की पवित्रता ग्रहण करे और अपने प्रभु का नाम याद करके नमाज़ पढ़े। लेकिन लोगों का हाल यह है कि उनहें सारी चिन्ता बस इस दुनिया की है, हालाँकि वास्तविक चिन्ता आख़िरत (परलोक) की होनी चाहिए।

सुरह "अल-आला का अनुवाद

बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है। स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:

क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [३]"मुहम्मद अहमद" ने किया।

बाहरी कडियाँ

इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें


पिछला सूरा:
अत-तारिक़
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-ग़ाशिया
सूरा 87 - अल-आला

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सन्दर्भ

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