नरेन्द्र मोदी

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नरेन्द्र मोदी
Official Photograph of Prime Minister of India Shri Narendra Modi, November 2020 (ISCS version).jpg
आधिकारिक फोटो, २०२०

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
भारांग: ज्येष्ठ 5, 1936
ग्रेगोरी कैलेण्डर: मई 26, 2014
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
राम नाथ कोविन्द
पूर्वा धिकारी मनमोहन सिंह

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
भारांग: वैशाख 26, 1936
ग्रेगोरी कैलेण्डर: मई 16, 2014
पूर्वा धिकारी मुरली मनोहर जोशी
चुनाव-क्षेत्र वाराणसी

पद बहाल
7 अक्टूबर 2001 – 22 मई 2014
राज्यपाल सुन्दर सिंह भण्डारी
कैलाशपति मिश्र
बलराम जाखड़
नवलकिशोर शर्मा
एस. सी. जमीर
कमला बेनीवाल
पूर्वा धिकारी केशूभाई पटेल
उत्तरा धिकारी आनन्दीबेन पटेल

जन्म साँचा:br separated entries
जन्म का नाम नरेन्द्र दामोदरदास मोदी
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
जीवन संगी जसोदाबेन चिमनलाल[१]
शैक्षिक सम्बद्धता दिल्ली विश्वविद्यालय
गुजरात विश्वविद्यालय
धर्म हिन्दू
हस्ताक्षर
जालस्थल आधिकारिक जालस्थल
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PM Modi 2015.jpg यह लेख इसका एक भाग है।
नरेन्द्र मोदी

गुजरात विधान सभा चुनाव
2002  • 2007  • 2012


जनमत सर्वेक्षण


भारत के प्रधान मंत्री
लोक सभा चुनाव, 2014  • शपथग्रहण  • भारतीय आम चुनाव, 2019  • दूसरा शपथ ग्रहण


वैश्विक योगदान


भारत

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Prime Minister of India साँचा:navbar

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी[a] (साँचा:audio, साँचा:lang-gu; जन्म: भारांग: भाद्रपद 26, 1872 / ग्रेगोरी कैलेण्डर: सितम्बर 17, 1950) 26 मई 2014 से अब तक लगातार दूसरी बार वे भारत के प्रधानमन्त्री बने हैं तथा वाराणसी से लोकसभा सांसद भी चुने गये हैं।[२][३] वे भारत के प्रधानमन्त्री पद पर आसीन होने वाले स्वतन्त्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। इससे पहले वे 7 अक्तूबर 2001 से 22 मई 2014 तक गुजरात राज्य के मुख्यमन्त्री रह चुके हैं। मोदी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य हैं।[४]

वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ वर्ष की आयु में वे आरएसएस से जुड़े, जिसके साथ एक लम्बे समय तक सम्बन्धित रहे।[५] स्नातक होने के बाद उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केन्द्रों का दौरा किया। 1969 या 1970 वे गुजरात लौटे और अहमदाबाद चले गए।[६] 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975 में देश भर में आपातकाल की स्थिति के समय उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे भाजपा में सचिव के पद पर पहुँचे।[७]  

गुजरात भूकम्प २००१, (भुज में भूकम्प) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और खराब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमन्त्री नियुक्त किया गया। मोदी शीघ्र ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, इस समय उनके संचालन की आलोचना भी हुई।[८] हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जाँच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही आरम्भ करने के लिए कोई प्रमाण नहीं मिला।[९] मुख्यमन्त्री के रूप में उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेय दिया गया।[१०]

वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं॥[११] टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है।[१२]

अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं।[१३][१४]

उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की।[१५] एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज की।[१६][१७] उनके राज में भारत का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एवं बुनियादी सुविधाओं पर खर्च तेजी से बढ़ा।[१८] उन्होंने अफसरशाही में कई सुधार किये तथा योजना आयोग को हटाकर नीति आयोग का गठन किया।[१९]

इसके बाद वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने उनके नेतृत्त्व में दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार पहले से भी ज्यादा बड़ी जीत हासिल हुई। पार्टी ने कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा के समर्थक दलों यानी राजग को कुल 352 सीटें प्राप्त हुईं।[२०] 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण कर नरेन्द्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमन्त्री बने।[२१]

2019 के आम चुनाव में उनकी पार्टी की जीत के बाद, उनके प्रशासन ने जम्मू और कश्मीर की विशेष राज्य का दर्जा को रद्द कर दिया। उनके प्रशासन ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, २०१९ भी पेश किया, जिसके परिणामस्वरूप देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। मोदी अपने हिन्दू राष्ट्रवादी विश्वासों और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उनकी कथित भूमिका पर घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का एक आँकड़ा बना हुआ है,[२२] जिसे एक बहिष्कारवादी सामाजिक एजेण्डे के प्रमाण के रूप में उद्धृत किया गया है। मोदी के कार्यकाल में, भारत ने लोकतान्त्रिक बैकस्लेडिंग का अनुभव किया है।[२३][२४]

निजी जीवन

नरेन्द्र मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में १७ सितम्बर १९५० को हुआ था।[२५] वह पैदा हुए छह बच्चों में तीसरे थे। मोदी का परिवार 'मोध-घांची-तेली' समुदाय से था,[२६][२७] जिसे भारत सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।[२८] वह पूर्णत: शाकाहारी हैं।[२९] भारत पाकिस्तान के बीच द्वितीय युद्ध के दौरान अपने तरुणकाल में उन्होंने स्वेच्छा से रेलवे स्टेशनों पर सफ़र कर रहे सैनिकों की सेवा की।[३०] युवावस्था में वह छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए | उन्होंने साथ ही साथ भ्रष्टाचार विरोधी नव निर्माण आन्दोलन में हिस्सा लिया। एक पूर्णकालिक आयोजक के रूप में कार्य करने के पश्चात् उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन का प्रतिनिधि मनोनीत किया गया।[३१] किशोरावस्था में अपने भाई के साथ एक चाय की दुकान चला चुके मोदी ने अपनी स्कूली शिक्षा वड़नगर में पूरी की।[२५] उन्होंने आरएसएस के प्रचारक रहते हुए 1980 में गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर परीक्षा दी और विज्ञान स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।[३२]

अपने माता-पिता की कुल छ: सन्तानों में तीसरे पुत्र नरेन्द्र ने बचपन में रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता का भी हाथ बँटाया।[३३][३४] बड़नगर के ही एक स्कूल मास्टर के अनुसार नरेन्द्र हालाँकि एक औसत दर्ज़े का छात्र था, लेकिन वाद-विवाद और नाटक प्रतियोगिताओं में उसकी बेहद रुचि थी।[३३] इसके अलावा उसकी रुचि राजनीतिक विषयों पर नयी-नयी परियोजनाएँ प्रारम्भ करने की भी थी।[३५]

13 वर्ष की आयु में नरेन्द्र की सगाई जसोदा बेन चमनलाल के साथ कर दी गयी और जब उनका विवाह हुआ,[३६] तब वह मात्र 17 वर्ष के थे। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार पति-पत्नी ने कुछ वर्ष साथ रहकर बिताये।[३७] परन्तु कुछ समय बाद वे दोनों एक दूसरे के लिये अजनबी हो गये क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने उनसे कुछ ऐसी ही इच्छा व्यक्त की थी।[३३] जबकि नरेन्द्र मोदी के जीवनी-लेखक ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है:[३८]

"उन दोनों की शादी जरूर हुई परन्तु वे दोनों एक साथ कभी नहीं रहे। शादी के कुछ बरसों बाद नरेन्द्र मोदी ने घर त्याग दिया और एक प्रकार से उनका वैवाहिक जीवन लगभग समाप्त-सा ही हो गया।"

पिछले चार विधान सभा चुनावों में अपनी वैवाहिक स्थिति पर खामोश रहने के बाद नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अविवाहित रहने की जानकारी देकर उन्होंने कोई पाप नहीं किया। नरेन्द्र मोदी के मुताबिक एक शादीशुदा के मुकाबले अविवाहित व्यक्ति भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जोरदार तरीके से लड़ सकता है क्योंकि उसे अपनी पत्नी, परिवार व बालबच्चों की कोई चिन्ता नहीं रहती।[३९] हालांकि नरेन्द्र मोदी ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर जसोदाबेन को अपनी पत्नी स्वीकार किया है।[४०]

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प्रारम्भिक सक्रियता और राजनीति

एक वयस्क के रूप में मोदी की पहली ज्ञात राजनीतिक गतिविधि 1971 में थी जब वे अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में दिल्ली में भारतीय जनसंघ के सत्याग्रह में शामिल हुए, ताकि युद्ध के मैदान में प्रवेश किया जा सके।[४१][४२][४३] लेकिन इंदिरा गांधी की अगुवाई में केन्द्र सरकार ने मुक्तिवाहिनी को खुला समर्थन नहीं दिया और मोदी को थोड़े समय के लिए तिहाड़ जेल में डाल दिया गया।[४४][४५][४६] नरेन्द्र जब विश्वविद्यालय के छात्र थे तभी से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में नियमित जाने लगे थे। इस प्रकार उनका जीवन संघ के एक निष्ठावान प्रचारक के रूप में प्रारम्भ हुआ|[४७][४८] उन्होंने शुरुआती जीवन से ही राजनीतिक सक्रियता दिखलायी और भारतीय जनता पार्टी का जनाधार मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभायी। गुजरात में शंकरसिंह वाघेला का जनाधार मजबूत बनाने में नरेन्द्र मोदी की ही रणनीति थी।[४९]

अप्रैल 1990 में जब केन्द्र में मिली जुली सरकारों का दौर शुरू हुआ, मोदी की मेहनत रंग लायी, जब गुजरात में 1995 के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने अपने बलबूते दो तिहाई बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली। इसी दौरान दो राष्ट्रीय घटनायें और इस देश में घटीं। पहली घटना थी सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक की रथयात्रा जिसमें आडवाणी के प्रमुख सारथी की मूमिका में नरेन्द्र का मुख्य सहयोग रहा।[५०] इसी प्रकार कन्याकुमारी से लेकर सुदूर उत्तर में स्थित काश्मीर तक की मुरली मनोहर जोशी की दूसरी रथ यात्रा भी नरेन्द्र मोदी की ही देखरेख में आयोजित हुई। इसके बाद शंकरसिंह वाघेला ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया, जिसके परिणामस्वरूप केशुभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमन्त्री बना दिया गया और नरेन्द्र मोदी को दिल्ली बुला कर भाजपा में संगठन की दृष्टि से केन्द्रीय मन्त्री का दायित्व सौंपा गया।[५१]

1995 में राष्ट्रीय मन्त्री के नाते उन्हें पाँच प्रमुख राज्यों में पार्टी संगठन का काम दिया गया, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।[५२] 1998 में उन्हें पदोन्नत करके राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) का उत्तरदायित्व दिया गया। इस पद पर वह अक्टूबर 2001 तक काम करते रहे। भारतीय जनता पार्टी ने अक्टूबर 2001 में केशुभाई पटेल को हटाकर गुजरात के मुख्यमन्त्री पद की कमान नरेन्द्र मोदी को सौंप दी।[५३]

गुजरात के मुख्यमन्त्री के रूप में

2012 में जामनगर की एक चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी का चित्र

2001 में केशुभाई पटेल (तत्कालीन मुख्यमंत्री) की सेहत बिगड़ने लगी थी और भाजपा चुनाव में कई सीट हार रही थी।[५४] इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को नए उम्मीदवार के रूप में रखते हैं। हालांकि भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी, मोदी के सरकार चलाने के अनुभव की कमी के कारण चिंतित थे। मोदी ने पटेल के उप मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव ठुकरा दिया और आडवाणी व अटल बिहारी वाजपेयी से बोले कि यदि गुजरात की जिम्मेदारी देनी है तो पूरी दें अन्यथा न दें। 3 अक्टूबर 2001 को यह केशुभाई पटेल के जगह गुजरात के मुख्यमंत्री बने। इसके साथ ही उन पर दिसम्बर 2002 में होने वाले चुनाव की पूरी जिम्मेदारी भी थी।[५५]

2001-02

नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री का अपना पहला कार्यकाल 7 अक्टूबर 2001 से शुरू किया। इसके बाद मोदी ने राजकोट विधानसभा चुनाव लड़ा। जिसमें काँग्रेस पार्टी के आश्विन मेहता को 14,728 मतों से हराया था।[५६]

नरेन्द्र मोदी अपनी विशिष्ट जीवन शैली के लिये समूचे राजनीतिक हलकों में जाने जाते हैं। उनके व्यक्तिगत स्टाफ में केवल तीन ही लोग रहते हैं, कोई भारी-भरकम अमला नहीं होता। लेकिन कर्मयोगी की तरह जीवन जीने वाले मोदी के स्वभाव से सभी परिचित हैं इस नाते उन्हें अपने कामकाज को अमली जामा पहनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आती। [५७] उन्होंने गुजरात में कई ऐसे हिन्दू मन्दिरों को भी ध्वस्त करवाने में कभी कोई कोताही नहीं बरती जो सरकारी कानून कायदों के मुताबिक नहीं बने थे। हालाँकि इसके लिये उन्हें विश्व हिन्दू परिषद जैसे संगठनों का कोपभाजन भी बनना पड़ा, परन्तु उन्होंने इसकी रत्ती भर भी परवाह नहीं की; जो उन्हें उचित लगा करते रहे।[५८] वे एक लोकप्रिय वक्ता हैं, जिन्हें सुनने के लिये बहुत भारी संख्या में श्रोता आज भी पहुँचते हैं। कुर्ता-पायजामा व सदरी के अतिरिक्त वे कभी-कभार सूट भी पहन लेते हैं। अपनी मातृभाषा गुजराती के अतिरिक्त वह हिन्दी में ही बोलते हैं।[५९]

मोदी के नेतृत्व में २०१२ में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया। भाजपा को इस बार ११५ सीटें मिलीं।

गुजरात के विकास की योजनाएँ

सरदार सरोवर बाँध (सन २००६ में)

मुख्यमन्त्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के विकास[६०] के लिये जो महत्वपूर्ण योजनाएँ प्रारम्भ कीं व उन्हें क्रियान्वित कराया, उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

  • पंचामृत योजना[६१] - राज्य के एकीकृत विकास की पंचायामी योजना,
  • सुजलाम् सुफलाम् - राज्य में जलस्रोतों का उचित व समेकित उपयोग, जिससे जल की बर्बादी को रोका जा सके,[६२]
  • कृषि महोत्सव – उपजाऊ भूमि के लिये शोध प्रयोगशालाएँ,[६२]
  • चिरंजीवी योजना – नवजात शिशु की मृत्युदर में कमी लाने हेतु,[६२]
  • मातृ-वन्दना – जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य की रक्षा हेतु,[६३]
  • बेटी बचाओ – भ्रूण-हत्या व लिंगानुपात पर अंकुश हेतु,[६२]
  • ज्योतिग्राम योजना – प्रत्येक गाँव में बिजली पहुँचाने हेतु,[६४][६५]
  • कर्मयोगी अभियान – सरकारी कर्मचारियों में अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा जगाने हेतु,[६२]
  • कन्या कलावाणी योजना – महिला साक्षरता व शिक्षा के प्रति जागरुकता,[६२]
  • बालभोग योजना – निर्धन छात्रों को विद्यालय में दोपहर का भोजन,[६६]

मोदी का वनबन्धु विकास कार्यक्रम

उपरोक्त विकास योजनाओं के अतिरिक्त मोदी ने आदिवासी व वनवासी क्षेत्र के विकास हेतु गुजरात राज्य में वनबन्धु विकास[६७] हेतु एक अन्य दस सूत्री कार्यक्रम भी चला रखा है जिसके सभी १० सूत्र निम्नवत हैं:

  • १-पाँच लाख परिवारों को रोजगार
  • २-उच्चतर शिक्षा की गुणवत्ता
  • ३-आर्थिक विकास
  • ४-स्वास्थ्य
  • ५-आवास
  • ६-साफ स्वच्छ पेय जल
  • ७-सिंचाई
  • ८-समग्र विद्युतीकरण
  • ९-प्रत्येक मौसम में सड़क मार्ग की उपलब्धता
  • १०-शहरी विकास।

श्यामजीकृष्ण वर्मा की अस्थियों का भारत में संरक्षण

नरेन्द्र मोदी ने प्रखर देशभक्त एवं आर्यसमाज के संस्थापक सवामी दयानंद सरस्वती के शिष्य श्यामजी कृष्ण वर्मा व उनकी पत्नी भानुमती की अस्थियों को भारत की स्वतन्त्रता के ५५ वर्ष बाद २२ अगस्त २००३ को स्विस सरकार से अनुरोध करके जिनेवा से स्वदेश वापस मँगाया[६८] और माण्डवी (श्यामजी के जन्म स्थान) में क्रान्ति-तीर्थ के नाम से एक पर्यटन स्थल बनाकर उसमें उनकी स्मृति को संरक्षण प्रदान किया।[६९] मोदी द्वारा १३ दिसम्बर २०१० को राष्ट्र को समर्पित इस क्रान्ति-तीर्थ को देखने दूर-दूर से पर्यटक गुजरात आते हैं।[७०] गुजरात सरकार का पर्यटन विभाग इसकी देखरेख करता है।[७१]

विचार

आतंकवाद

१८ जुलाई २००६ को मोदी ने एक भाषण में आतंकवाद निरोधक अधिनियम जैसे आतंकवाद-विरोधी विधान लाने के विरूद्ध उनकी अनिच्छा को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना की। मुंबई की उपनगरीय रेलों में हुए बम विस्फोटों के मद्देनज़र उन्होंने केन्द्र सरकार से राज्यों को सख्त कानून लागू करने के लिए सशक्त करने की माँग की।[७२] उनके शब्दों में - साँचा:quote

नरेंद्र मोदी ने कई अवसरों पर कहा था कि यदि भाजपा केन्द्र में सत्ता में आई, तो वह सन् २००४ में उच्चतम न्यायालय द्वारा अफज़ल गुरु को फाँसी दिए जाने के निर्णय का सम्मान करेगी। भारत के उच्चतम न्यायालय ने अफज़ल को २००१ में भारतीय संसद पर हुए हमले के लिए दोषी ठहराया था एवं ९ फ़रवरी २०१३ को तिहाड़ जेल में उसे फाँसी पर लटकाया गया।[७३]

मुसलमान

यद्यपि मुसलमानों के बीच एक लोकप्रिय चेहरा नहीं है, लेकिन नरेंद्र मोदी मुसलमानों के विकास में रुचि रखते हैं।[७४] कई मुस्लिम नेताओं और विद्वानों ने 2002 के गुजरात दंगों और उनकी चरम हिंदुत्ववादी सोच में उनकी कथित भूमिका के कारण नरेंद्र मोदी की आलोचना की है।[७५] हालाँकि जफर सरेशवाला जैसे कई मुस्लिम नेताओं ने उनकी और उनकी नीतियों का समर्थन किया।[७६] वह अक्सर मुसलमानों के समग्र अभिन्न विकास के बारे में बात करते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था[७७]: -

मुसलमानों के एक हाथ में कंप्यूटर और दूसरे हाथ में कुरान होना चाहिए।

विवाद एवं आलोचनाएँ

हिंदू राष्ट्रवाद

23 दिसम्बर 2007 की प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के सवालों का उत्तर देते हुए नरेन्द्र मोदी

27 फ़रवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात वापस लौट कर आ रहे कारसेवकों को गोधरा स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में मुसलमानों की हिंसक भीड़ द्वारा आग लगा कर जिन्दा जला दिया गया। इस हादसे में 59 कारसेवक मारे गये थे।[७८] रोंगटे खड़े कर देने वाली इस घटना की प्रतिक्रिया स्वरूप समूचे गुजरात में हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे। मरने वाले 1180 लोगों में अधिकांश संख्या अल्पसंख्यकों की थी। इसके लिये न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया।[५९] कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की माँग की।[७९][८०] मोदी ने गुजरात की दसवीं विधानसभा भंग करने की संस्तुति करते हुए राज्यपाल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। परिणामस्वरूप पूरे प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।[८१][८२] राज्य में दोबारा चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने मोदी के नेतृत्व में विधान सभा की कुल १८२ सीटों में से १२७ सीटों पर जीत हासिल की।

अप्रैल २००९ में भारत के उच्चतम न्यायालय ने विशेष जाँच दल भेजकर यह जानना चाहा कि कहीं गुजरात के दंगों में नरेन्द्र मोदी की साजिश तो नहीं।[५९] यह विशेष जाँच दल दंगों में मारे गये काँग्रेसी सांसद ऐहसान ज़ाफ़री की विधवा ज़ाकिया ज़ाफ़री की शिकायत पर भेजा गया था।[८३] दिसम्बर 2010 में उच्चतम न्यायालय ने एस॰ आई॰ टी॰ की रिपोर्ट पर यह फैसला सुनाया कि इन दंगों में नरेन्द्र मोदी के ख़िलाफ़़ कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।[८४]

उसके बाद फरवरी 2011 में टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह आरोप लगाया कि रिपोर्ट में कुछ तथ्य जानबूझ कर छिपाये गये हैं[८५] और सबूतों के अभाव में नरेन्द्र मोदी को अपराध से मुक्त नहीं किया जा सकता।[८६][८७] इंडियन एक्सप्रेस ने भी यह लिखा कि रिपोर्ट में मोदी के विरुद्ध साक्ष्य न मिलने की बात भले ही की हो किन्तु अपराध से मुक्त तो नहीं किया।[८८] द हिन्दू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार नरेन्द्र मोदी ने न सिर्फ़ इतनी भयंकर त्रासदी पर पानी फेरा अपितु प्रतिक्रिया स्वरूप उत्पन्न गुजरात के दंगों में मुस्लिम उग्रवादियों के मारे जाने को भी उचित ठहराया।[८९] भारतीय जनता पार्टी ने माँग की कि एस॰ आई॰ टी॰ की रिपोर्ट को लीक करके उसे प्रकाशित करवाने के पीछे सत्तारूढ़ काँग्रेस पार्टी का राजनीतिक स्वार्थ है इसकी भी उच्चतम न्यायालय द्वारा जाँच होनी चाहिये।[९०]

सुप्रीम कोर्ट ने बिना कोई फैसला दिये अहमदाबाद के ही एक मजिस्ट्रेट को इसकी निष्पक्ष जाँच करके अविलम्ब अपना निर्णय देने को कहा।[९१] अप्रैल 2012 में एक अन्य विशेष जाँच दल ने फिर ये बात दोहरायी कि यह बात तो सच है कि ये दंगे भीषण थे परन्तु नरेन्द्र मोदी का इन दंगों में कोई भी प्रत्यक्ष हाथ नहीं।[९२] 7 मई 2012 को उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जज राजू रामचन्द्रन ने यह रिपोर्ट पेश की कि गुजरात के दंगों के लिये नरेन्द्र मोदी पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153 ए (1) (क) व (ख), 153 बी (1), 166 तथा 505 (2) के अन्तर्गत विभिन्न समुदायों के बीच बैमनस्य की भावना फैलाने के अपराध में दण्डित किया जा सकता है।[९३] हालांकि रामचन्द्रन की इस रिपोर्ट पर विशेष जाँच दल (एस०आई०टी०) ने आलोचना करते हुए इसे दुर्भावना व पूर्वाग्रह से परिपूर्ण एक दस्तावेज़ बताया।[९४]

26 जुलाई 2012 को नई दुनिया के सम्पादक शाहिद सिद्दीकी को दिये गये एक इण्टरव्यू में नरेन्द्र मोदी ने साफ शब्दों में कहा - "2004 में मैं पहले भी कह चुका हूँ, 2002 के साम्प्रदायिक दंगों के लिये मैं क्यों माफ़ी माँगूँ? यदि मेरी सरकार ने ऐसा किया है तो उसके लिये मुझे सरे आम फाँसी दे देनी चाहिये।" मुख्यमन्त्री ने गुरुवार को नई दुनिया से फिर कहा- “अगर मोदी ने अपराध किया है तो उसे फाँसी पर लटका दो। लेकिन यदि मुझे राजनीतिक मजबूरी के चलते अपराधी कहा जाता है तो इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है।"

यह कोई पहली बार नहीं है जब मोदी ने अपने बचाव में ऐसा कहा हो। वे इसके पहले भी ये तर्क देते रहे हैं कि गुजरात में और कब तक गुजरे ज़माने को लिये बैठे रहोगे? यह क्यों नहीं देखते कि पिछले एक दशक में गुजरात ने कितनी तरक्की की? इससे मुस्लिम समुदाय को भी तो फायदा पहुँचा है।

लेकिन जब केन्द्रीय क़ानून मन्त्री सलमान खुर्शीद से इस बावत पूछा गया तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया - "पिछले बारह वर्षों में यदि एक बार भी गुजरात के मुख्यमन्त्री के ख़िलाफ़़ एफ॰ आई॰ आर॰ दर्ज़ नहीं हुई तो आप उन्हें कैसे अपराधी ठहरा सकते हैं? उन्हें कौन फाँसी देने जा रहा है?"[९५]

बाबरी मस्जिद के लिये पिछले 45 सालों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे 92 वर्षीय मोहम्मद हाशिम अंसारी के मुताबिक भाजपा में प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के प्रान्त गुजरात में सभी मुसलमान खुशहाल और समृद्ध हैं। जबकि इसके उलट कांग्रेस हमेशा मुस्लिमों में मोदी का भय पैदा करती रहती है।[९६]

सितंबर 2014 की भारत यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कहा कि नरेंद्र मोदी को 2002 के दंगों के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए क्योंकि वह उस समय मात्र एक 'पीठासीन अधिकारी' थे जो 'अनगिनत जाँचों' में पाक साफ साबित हो चुके हैं।[९७]

कमजोर अर्थव्यवस्था

नरेंद्र मोदी की सरकार अच्छी आर्थिक वृद्धि के लिए जानी जाती है, लेकिन 2018 से जीएसटी और 2017 के विमुद्रीकरण जैसे कदमों के कारण, मोदी सरकार के अधीन अर्थव्यवस्था कम रही है।[९८]

२०१४ लोकसभा चुनाव

प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार

गोआ में भाजपा कार्यसमिति द्वारा नरेन्द्र मोदी को 2014 के लोक सभा चुनाव अभियान की कमान सौंपी गयी थी।[९९] १३ सितम्बर २०१३ को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में आगामी लोकसभा चुनावों के लिये प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। इस अवसर पर पार्टी के शीर्षस्थ नेता लालकृष्ण आडवाणी मौजूद नहीं रहे और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसकी घोषणा की।[१००][१०१] मोदी ने प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित होने के बाद चुनाव अभियान की कमान राजनाथ सिंह को सौंप दी। प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद मोदी की पहली रैली हरियाणा प्रान्त के रिवाड़ी शहर में हुई।[१०२]

एक सांसद प्रत्याशी के रूप में उन्होंने देश की दो लोकसभा सीटों वाराणसी तथा वडोदरा से चुनाव लड़ा और दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से भारी मतों से विजयी हुए।[१६][१७][१०३]

लोक सभा चुनाव २०१४ में मोदी की स्थिति

न्यूज़ एजेंसीज व पत्रिकाओं द्वारा किये गये तीन प्रमुख सर्वेक्षणों ने नरेन्द्र मोदी को प्रधान मन्त्री पद के लिये जनता की पहली पसन्द बताया था।[१०४][१०५][१०६] एसी वोटर पोल सर्वे के अनुसार नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का प्रत्याशी घोषित करने से एनडीए के वोट प्रतिशत में पाँच प्रतिशत के इजाफ़े के साथ १७९ से २२० सीटें मिलने की सम्भावना व्यक्त की गयी।[१०६] सितम्बर २०१३ में नीलसन होल्डिंग और इकोनॉमिक टाइम्स ने जो परिणाम प्रकाशित किये थे उनमें शामिल शीर्षस्थ १०० भारतीय कार्पोरेट्स में से ७४ कारपोरेट्स ने नरेन्द्र मोदी तथा ७ ने राहुल गान्धी को बेहतर प्रधानमन्त्री बतलाया था।[१०७][१०८] नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन मोदी को बेहतर प्रधान मन्त्री नहीं मानते ऐसा उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था। उनके विचार से मुस्लिमों में उनकी स्वीकार्यता संदिग्ध हो सकती है जबकि जगदीश भगवती और अरविन्द पानगढ़िया को मोदी का अर्थशास्त्र बेहतर लगता है।[१०९] योग गुरु स्वामी रामदेव व मुरारी बापू जैसे कथावाचक ने नरेन्द्र मोदी का समर्थन किया।[११०]

पार्टी की ओर से पीएम प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद नरेन्द्र मोदी ने पूरे भारत का भ्रमण किया। इस दौरान तीन लाख किलोमीटर की यात्रा कर पूरे देश में ४३७ बड़ी चुनावी रैलियाँ, ३-डी सभाएँ व चाय पर चर्चा आदि को मिलाकर कुल ५८२७ कार्यक्रम किये। चुनाव अभियान की शुरुआत उन्होंने २६ मार्च २०१४ को मां वैष्णो देवी के आशीर्वाद के साथ जम्मू से की और समापन मंगल पांडे की जन्मभूमि बलिया में किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात भारत की जनता ने एक अद्भुत चुनाव प्रचार देखा।[१११] यही नहीं, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने २०१४ के चुनावों में अभूतपूर्व सफलता भी प्राप्त की।

परिणाम

चुनाव में जहाँ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ३३६ सीटें जीतकर सबसे बड़े संसदीय दल के रूप में उभरा वहीं अकेले भारतीय जनता पार्टी ने २८२ सीटों पर विजय प्राप्त की। काँग्रेस केवल ४४ सीटों पर सिमट कर रह गयी और उसके गठबंधन को केवल ५९ सीटों से ही सन्तोष करना पड़ा।[१५] नरेन्द्र मोदी स्वतन्त्र भारत में जन्म लेने वाले ऐसे व्यक्ति हैं जो सन २००१ से २०१४ तक लगभग १३ साल गुजरात के १४वें मुख्यमन्त्री रहे और भारत के १४वें प्रधानमन्त्री बने।

एक ऐतिहासिक तथ्य यह भी है कि नेता-प्रतिपक्ष के चुनाव हेतु विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा क्योंकि किसी भी एक दल ने कुल लोकसभा सीटों के १० प्रतिशत का आँकड़ा ही नहीं छुआ।

भाजपा संसदीय दल के नेता निर्वाचित

२० मई २०१४ को संसद भवन में भारतीय जनता पार्टी द्वारा आयोजित भाजपा संसदीय दल एवं सहयोगी दलों की एक संयुक्त बैठक में जब लोग प्रवेश कर रहे थे तो नरेन्द्र मोदी ने प्रवेश करने से पूर्व संसद भवन को ठीक वैसे ही जमीन पर झुककर प्रणाम किया जैसे किसी पवित्र मन्दिर में श्रद्धालु प्रणाम करते हैं। संसद भवन के इतिहास में उन्होंने ऐसा करके समस्त सांसदों के लिये उदाहरण पेश किया। बैठक में नरेन्द्र मोदी को सर्वसम्मति से न केवल भाजपा संसदीय दल अपितु एनडीए का भी नेता चुना गया। राष्ट्रपति ने नरेन्द्र मोदी को भारत का १५वाँ प्रधानमन्त्री नियुक्त करते हुए इस आशय का विधिवत पत्र सौंपा। नरेन्द्र मोदी ने सोमवार २६ मई २०१४ को प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली।[३]

वडोदरा सीट का त्याग

नरेन्द्र मोदी ने २०१४ के लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक अन्तर से जीती गुजरात की वडोदरा सीट से इस्तीफ़ा देकर संसद में उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट का प्रतिनिधित्व करने का फैसला किया और यह घोषणा की कि वह गंगा की सेवा के साथ इस प्राचीन नगरी का विकास करेंगे।[११२]

पहला प्रधानमन्त्री कार्यकाल

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२०१४ के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद मोदी अपनी माँ से मिलने गए।

प्रथम शपथ ग्रहण समारोह

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नरेन्द्र मोदी का 26 मई 2014 से भारत के 15वें प्रधानमन्त्री का कार्यकाल राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित शपथ ग्रहण के पश्चात प्रारम्भ हुआ।[११३] मोदी के साथ 45 अन्य मन्त्रियों ने भी समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ली।[११४] प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी सहित कुल 46 में से 36 मन्त्रियों ने हिन्दी में जबकि 10 ने अंग्रेजी में शपथ ग्रहण की।[११५] समारोह में विभिन्न राज्यों और राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों सहित दक्षेस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमन्त्रित किया गया।[११६][११७] इस घटना को भारतीय राजनीति की राजनयिक कूटनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।

दक्षेस देशों के जिन प्रमुखों ने समारोह में भाग लिया उनके नाम इस प्रकार हैं।[११८]

ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) और राजग का घटक दल मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एमडीएमके) नेताओं ने नरेन्द्र मोदी सरकार के श्रीलंकाई प्रधानमन्त्री को आमन्त्रित करने के फैसले की आलोचना की।[१२९][१३०] एमडीएमके प्रमुख वाइको ने मोदी से मुलाकात की और निमन्त्रण का निर्णय बदलवाने का प्रयास की जबकि कांग्रेस नेता भी एमडीएमके और अन्ना द्रमुक आमन्त्रण का विरोध कर रहे थे।[१३१] श्रीलंका और पाकिस्तान ने भारतीय मछुवारों को रिहा किया। मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में आमन्त्रित देशों के इस कदम का स्वागत किया।[१३२]

इस समारोह में भारत के सभी राज्यों के मुख्यमन्त्रियों को आमंत्रित किया गया था। इनमें से कर्नाटक के मुख्यमन्त्री, सिद्धारमैया (कांग्रेस) और केरल के मुख्यमन्त्री, उम्मन चांडी (कांग्रेस) ने भाग लेने से मना कर दिया।[१३३] भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे अधिक सीटों पर विजय प्राप्त करने वाली तमिलनाडु की मुख्यमन्त्री जयललिता ने समारोह में भाग न लेने का निर्णय लिया जबकि पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने अपनी जगह मुकुल रॉय और अमित मिश्रा को भेजने का निर्णय लिया।[१३४][१३५]

07 नवंबर, 2015 को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

वड़ोदरा के एक चाय विक्रेता किरण महिदा, जिन्होंने मोदी की उम्मीदवारी प्रस्तावित की थी, को भी समारोह में आमन्त्रित किया गया। अलवत्ता मोदी की माँ हीराबेन और अन्य तीन भाई समारोह में उपस्थित नहीं हुए, उन्होंने घर में ही टीवी पर लाइव कार्यक्रम देखा।[१३६]

मन्त्रिमण्डल

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प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने नृपेंद्र मिश्रा को अपने प्रधान सचिव और अजीत डोभाल को कार्यालय में अपने पहले सप्ताह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के रूप में नियुक्त किया। उन्होंने आईएएस अधिकारी ए.के. शर्मा और भारतीय वन सेवा अधिकारी भारत लाल प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ) में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं।[१३७]

दोनों अधिकारी मुख्यमन्त्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान गुजरात में मोदी की सरकार का हिस्सा थे।[१३८] 31 मई 2014 को, प्रधानमन्त्री मोदी ने सभी मौजूदा मन्त्रियों के समूह (GoMs) और मन्त्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (EGoMs) को समाप्त कर दिया। पीएमओ के एक बयान में बताया गया है, "यह निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएगा और प्रणाली में अधिक जवाबदेही की शुरूआत करेगा। मन्त्रालय और विभाग अब ईजीओएम और गोम्स के समक्ष लम्बित मुद्दों पर कार्रवाई करेंगे और मन्त्रालयों के स्तर पर उचित निर्णय लेंगे। विभागों को ही "। UPA-II सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान 68 GoM और 14 EGoM की स्थापना की थी, जिनमें से 9 EGoM और 21 GoM को नई सरकार द्वारा विरासत में मिली थी।[१३९] भारतीय मीडिया द्वारा इस कदम को "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" की मोदी की नीति के साथ संरेखण में बताया गया। इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि GoMs और EGoMs "पिछली यूपीए सरकार के दौरान एक प्रतीक और नीतिगत पक्षाघात का एक साधन" बन गए थे। टाइम्स ऑफ़ इण्डिया ने नई सरकार के फैसले को "निर्णय लेने में केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल के अधिकार को बहाल करने और मन्त्रिस्तरीय योग्यता सुनिश्चित करने के लिए एक कदम" के रूप में वर्णित किया। ग्रामीण विकास, पंचायती राज के प्रभारी और पेयजल और स्वच्छता विभागों के नए नियुक्त कैबिनेट मन्त्री गोपीनाथ मुंडे की 3 जून 2014 को दिल्ली में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई।[१४०] कैबिनेट मन्त्री नितिन गडकरी, जो सड़क परिवहन के प्रभारी हैं। 4 जून को मुण्डे के पोर्टफोलियो की देखभाल के लिए राजमार्गों और शिपिंग को सौंपा गया था।[१४१]

10 जून 2014 को, सरकार को नीचा दिखाने के लिए एक अन्य कदम में, मोदी ने मन्त्रिमण्डल की चार स्थायी समितियों को समाप्त कर दिया। उन्होंने पाँच महत्वपूर्ण कैबिनेट समितियों के पुनर्गठन का भी निर्णय लिया। इनमें कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) शामिल है जो सभी उच्च-स्तरीय रक्षा और सुरक्षा मामलों को संभालती है, कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) जो राष्ट्रपति को सभी वरिष्ठ नौकरशाही नियुक्तियों और पोस्टिंग की सिफारिश करती है, कैबिनेट कमिटी ऑन पोलिस अफेयर्स (CCPA) जो एक प्रकार की छोटी कैबिनेट और संसदीय मामलों की मन्त्रिमण्डलीय समिति है।[१४२]

प्रधानमन्त्री और मन्त्रिपरिषद ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद, 24 मई 2019 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंप दिया। राष्ट्रपति ने इस्तीफे स्वीकार कर लिए और मन्त्रिपरिषद से अनुरोध किया कि वे नई सरकार के पद सम्भालने तक जारी रहें।[१४३]

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उपाय

2017 में इज़राइल के प्रधानमंत्री, बेंजामिन नेतन्याहू और मोदी ने तेल अवीव, इज़राइल में प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का दौरा किया।

भारत के अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध

ब्रिक्स (BRICS) के अन्य नेताओं के साथ नरेन्द्र मोदी

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सूचना प्रौद्योगिकी

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। डिजिटल इंडिया 1 जुलाई 2015 को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकार की सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से ऑनलाइन बुनियादी ढाँचे में सुधार करके और इण्टरनेट कनेक्टिविटी बढ़ाने या देश को प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए नागरिकों को उपलब्ध कराया जाए।[१४४] इस पहल में ग्रामीण क्षेत्रों को हाई-स्पीड इण्टरनेट नेटवर्क से जोड़ने की योजना शामिल है।[१४५] डिजिटल इण्डिया में तीन मुख्य घटक होते हैं: सुरक्षित और स्थिर डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विकास, सरकारी सेवाओं को डिजिटल रूप से वितरित करना, और सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता।[१४६]

स्वास्थ्य एवं स्वच्छता

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। भारत के प्रधानमन्त्री बनने के बाद 2 अक्टूबर 2014 को नरेन्द्र मोदी ने देश में साफ-सफाई को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत अभियान का शुभारम्भ किया।[१४७] उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसी पहलें की जिनकी जनता के बीच खूब चर्चा रही।[१४८] स्वच्छता भारत अभियान भी ऐसी ही पहलों में से एक हैं। सरकार ने जागरुकता अभियान के तहत लोगों को सफाई के लिए प्रेरित करने की दिशा में कदम उठाए। देश को खुले में शौच मुक्त करने के लिए भी अभियान के तहत प्रचार किया। साथ ही देश भर में शौचालयों का निर्माण भी कराया गया। सरकार ने देश में साफ सफाई के खर्च को बढ़ाने के लिए स्वच्छ भारत चुंगी (सेस) की भी शुरुआत की।[१४९]

स्वच्छ भारत मिशन का प्रतीक गांधी जी का चश्मा रखा गया और साथ में एक 'एक कदम स्वच्छता की ओर' टैग लाइन भी रखी गई।[१५०][१५१]

स्वच्छ भारत अभियान के सफल कार्यान्वयन हेतु भारत के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील की। इस अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष में स्वच्छ भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है ताकि बापू की 150वीं जयन्ती को इस लक्ष्य की प्राप्ति के रूप में मनाया जा सके। स्वच्छ भारत अभियान सफाई करने की दिशा में प्रतिवर्ष 100 घंटे के श्रमदान के लिए लोगों को प्रेरित करता है।[१५२]

प्रधानमंत्री ने मृदुला सिन्‍हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, शशि थरूर, अनिल अम्‍बानी, कमल हसन, सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा और तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा की टीम जैसी नौ नामचीन हस्तियों को आमंत्रित किया कि वे भी स्‍वच्‍छ भारत अभियान में अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों से कहा गया कि वे सफाई अभियानों की तस्‍वीरें सोशल मीडिया पर साझा करें और अन्‍य नौ लोगों को भी अपने साथ जोड़ें ताकि यह एक शृंखला बन जाए। आम जनता को भी सोशल मीडिया पर हैश टैग #MyCleanIndia लिखकर अपने सहयोग को साझा करने के लिए कहा गया।[१५३]

एक कदम स्वच्छता की ओर : मोदी सरकार ने एक ऐसा रचनात्मक और सहयोगात्मक मंच प्रदान किया है जो राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की सफलता सुनिश्चित करता है। यह मंच प्रौद्योगिकी के माध्यम से नागरिकों और संगठनों के अभियान संबंधी प्रयासों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोई भी व्यक्ति, सरकारी संस्था या निजी संगठन अभियान में भाग ले सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को उनके दैनिक कार्यों में से कुछ घण्टे निकालकर भारत में स्वच्छता सम्बन्धी कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है।[१५४]

स्वच्छता ही सेवा : प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितम्बर 2018 को 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान आरम्भ किया और जन-मानस को इससे जुड़ने का आग्रह किया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 150 जयन्ती वर्ष के औपचारिक शुरुआत से पहले 15 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मोदी ने समाज के विभिन्न वर्गों के करीब 2,000 लोगों को पत्र लिख कर इस सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए आमन्त्रित किया, ताकि इस अभियान को सफल बनाया जा सके।[१५५]

मोदी के साथ इजराइल के १०वें प्रेसिडेन्ट तथा रक्षाबलों के प्रमुख

रक्षा नीति

भारतीय सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने एवं उनका विस्तार करने के लिये मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने रक्षा पर खर्च को बढ़ा दिया है। सन 2015 में रक्षा बजट 11% बढ़ा दिया गया। सितम्बर 2015 में उनकी सरकार ने समान रैंक समान पेंशन (वन रैंक वन पेन्शन) की बहुत लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार कर लिया।[१५६]

मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर भारत के नागा विद्रोहियों के साथ शान्ति समझौता किया जिससे 1950 के दशक से चला आ रहा नागा समस्या का समाधान निकल सके।[१५७]

घरेलू नीति

आमजन से जुड़ने की मोदी की पहल

१५ अगस्त २०१९ को स्कूली बच्चों से मिलते हुए
०१ दिसम्बर २०१४ को कोहिमा में एक उत्सव में सम्मिलित नरेन्द्र मोदी। नागालैण्ड के मुख्यमन्त्री टी आर जेलियाङ भी मंच पर दिख रहे हैं।

देश की आम जनता की बात जाने और उन तक अपनी बात पहुँचाने के लिए नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के माध्यम से मोदी ने लोगों के विचारों को जानने की कोशिश की और साथ ही साथ उन्होंने लोगों से स्वच्छता अभियान सहित विभिन्न योजनाओं से जुड़ने की अपील की।[१६१]

अन्य

  • 70 वर्ष से अधिक उम्र के सांसदों एवं विधायकों को मन्त्रिपद न देने का कड़ा निर्णय।[१६२]

२०१९ लोक सभा चुनाव

प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार

13 अक्टूबर 2018 को वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी ने प्रधान मंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया था |[१६३] पार्टी के मुख्य प्रचारक भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह थे। मोदी ने आम चुनाव से पहले मैं भी चौकीदार हूं अभियान की शुरुआत की।[१६४] वर्ष 2018 में, आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे के मामले को लेकर एनडीए से अलग पार्टी का दूसरा, तेलुगु देशम पार्टी का विभाजन हो गया।[१६५] नरेंद्र मोदी द्वारा अपने पहले प्रीमियर में किए गए विकास और शानदार काम को देखते हुए उन्हें 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री के लिए उम्मीदवार और मुख्य चेहरे के रूप में फिर से घोषित किया गया था।[१६६]

लोक सभा चुनाव २०१९ में मोदी की स्थिति

पूरे 2019 के चुनाव अभियान में, नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधान मंत्री के एकमात्र चेहरे के रूप में चित्रित किया।[१६७] इसके कारण, चुनाव को लोकतंत्र में टकराव के रूप में देखा गया और इसे एकदलीय प्रणाली का भोर कहा गया।[१६८][१६९] विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए कोई मजबूत चेहरा भी नहीं था।[१७०] कई हिंदू नेताओं और संतों ने अपने हिंदुत्व के आदर्शों के कारण अपने अनुयायियों से नरेंद्र मोदी को वोट देने का आग्रह किया।[१७१] कई बॉलीवुड अभिनेता और अभिनेताओं जैसे विवेक ओबेरॉय, कंगना रनौत, हंसराज हंस, अनुपम खेर, पायल रोहतगी और अन्य ने भी लोगों से आगामी चुनाव में नरेंद्र मोदी को वोट देने का आग्रह किया।[१७२][१७३] अनुराग कश्यप, नसीरुद्दीन शाह सहित बॉलीवुड के कई अभिनेताओं और अभिनेत्रियों और अन्य लोगों ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए जनता से नरेंद्र मोदी के खिलाफ वोट करने के लिए कहा।[१७४] देश में हिंदू राष्ट्रवाद के उदय के कारण मुसलमानों और ईसाइयों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की चिंता पर विपक्ष ने भी मोदी की आलोचना की।[१७५][१७६] मोदी ने रक्षा की बात की और राष्ट्र सुरक्षा को चुनाव प्रचार के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक के रूप में देखा गया, खासकर पुलवामा हमले के बाद और बालाकोट हवाई हमले के जवाबी हमले को मोदी प्रशासन की उपलब्धि के रूप में गिना गया।[१७७]

परिणाम

मोदी ने वाराणसी से उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव को हराकर सीट जीती, जिन्होंने सपा-बसपा गठबंधन को 479,505 मतों के अंतर से हराया।[१७८] गठबंधन के बाद दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद मोदी को दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन द्वारा सर्वसम्मति से प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया, अकेले भाजपा के साथ 303 सीटें जीतकर लोकसभा में 353 सीटें हासिल कीं।[१७९]

प्रधानमंत्री का दूसरा कार्यकाल

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दूसरा शपथ ग्रहण समारोह

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राष्ट्रपति, राम नाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति, एम। वेंकैया नायडू, प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के बाद,

भारतीय जनता पार्टी के संसदीय नेता नरेंद्र मोदी ने ३० मई २०१९ को भारत के १५ वें प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण के बाद अपना कार्यकाल शुरू किया। मोदी के साथ कई अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली। इस समारोह को मीडिया द्वारा सभी बिम्सटेक देशों के प्रमुखों द्वारा भाग लेने के लिए किसी भारतीय प्रधान मंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के लिए नोट किया गया था।[१८०]

पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आठ विदेशी नेता शामिल हुए।[b]

  • साँचा:flag/core - म्यांमार के राष्ट्रपति विन म्यिंट ने राज्य काउंसलर दाऊ आंग सान सू की की ओर से इस समारोह में भाग लिया, जो यूरोप की यात्रा पर थीं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने म्यांमार को भारत की अधिनियम पूर्व नीति का "स्तंभ" बताया।[१८४]
  • साँचा:flag/core - विशेष दूत ग्रिसदा बूनराच ने थाईलैंड से एक प्रतिनिधि और अतिथि के रूप में समारोह में भाग लिया।[१८६]
  • साँचा:flag/core - श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने इस समारोह में भाग लिया और जून में नरेंद्र मोदी को श्रीलंका की यात्रा के लिए आमंत्रित किया। यह यात्रा 7 से 9 जून के बीच निर्धारित की गई थी।[१८७]

सभी भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रितों के बीच सूचीबद्ध किया गया था। हालांकि, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी समारोह में शामिल नहीं हो पाए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया।[१८८] इसके अलावा, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित विभिन्न विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया गया था। कई भारतीय व्यापारियों, खिलाड़ियों और फिल्म कलाकारों ने भी आमंत्रित मेहमानों की सूची में जगह बनाई। पश्चिम बंगाल में टीएमसी द्वारा कथित हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवारों को भी समारोह में आमंत्रित किया गया था। सभी प्रमुख धर्मों से संबंधित कई धार्मिक नेताओं को भी आमंत्रित किया गया था।[१८९][१९०]

दूसरा कैबिनेट

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भारत गणराज्य का 22 वां मंत्रालय, नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद है जिसका गठन 2019 के आम चुनाव के बाद किया गया था जो 2019 में सात चरणों में हुआ था। चुनाव के परिणाम 23 मई 2019 को घोषित किए गए थे।[१९१] इसने 17 वीं लोकसभा का गठन किया।[१९२] रायसीना हिल में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में BIMSTEC देशों के प्रमुखों को सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।[b] उनकी दूसरी कैबिनेट में 54 मंत्री शामिल थे और वर्तमान में 51 मंत्री हैं।[१९३] इससे पहले अरविंद सावंत भी कैबिनेट में थे लेकिन गठबंधन से शिवसेना के टूटने के कारण इस्तीफा दे दिया।[१९४] केंद्रीय मंत्री, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने भी किसान बिल विरोध के कारण गठबंधन छोड़ दिया था।[१९५] 8 अक्टूबर 2020 को राम विलास पासवान का निधन हो गया और बाद में उनके बेटे, चिराग पासवान ने जद (यू) के साथ खराब संबंध के कारण गठबंधन छोड़ दिया।[१९६]

ग्रन्थ

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व्यक्तिगत जीवन और छवि

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सार्वजनिक छवि

घांची परंपरा के अनुसार, मोदी की शादी उनके माता-पिता ने तब की थी जब वह एक बच्चे थे। वह 13 साल की उम्र में जशोदाबेन मोदी से सगाई कर रहे थे, जब वह 18 साल की थीं, तब उन्होंने उनसे शादी की। उन्होंने दो साल का समय साथ-साथ बिताया और जब मोदी हिंदू आश्रमों की यात्रा सहित दो साल की यात्रा शुरू कर रहे थे।[१९७] कथित तौर पर, उनकी शादी कभी नहीं हुई थी, और उन्होंने इसे गुप्त रखा क्योंकि अन्यथा, वह शुद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में 'प्रचारक' (उपदेशक) नहीं बन सकते थे।[१९८] मोदी ने अपने करियर के अधिकांश समय के लिए अपनी शादी को गुप्त रखा। उन्होंने पहली बार अपनी पत्नी को स्वीकार किया जब उन्होंने 2014 के आम चुनावों के लिए अपना नामांकन दाखिल किया।[१९९] मोदी ने अपनी मां हीराबेन के साथ करीबी रिश्ता कायम रखा।[c]

एक शाकाहारी और टेटोटैलर, मोदी की एक मितव्ययी जीवन शैली है और एक कार्यशील और अंतर्मुखी है।[२०१][२०२] गूगल हैंगआउट पर मोदी के 31 अगस्त 2012 के पोस्ट ने उन्हें लाइव चैट पर नागरिकों के साथ बातचीत करने वाला पहला भारतीय राजनीतिज्ञ बना दिया।[२०३] मोदी को उनके हस्ताक्षर के लिए एक फैशन आइकन भी कहा जाता है, जिनके सिर पर कुरकुरा इस्त्री, आधी बांह का कुर्ता और साथ ही उनके नाम के साथ एक सूट होता है, जो पिनस्ट्रिप में बार-बार उभरा होता है, जिसे उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की राज्य यात्रा के दौरान पहना था, जो सार्वजनिक था और मीडिया का ध्यान और आलोचना।[२०४][२०५] मोदी के व्यक्तित्व को विद्वानों और जीवनीकारों ने ऊर्जावान, अभिमानी और करिश्माई के रूप में वर्णित किया है।[२०६]

अनुमोदन रेटिंग

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। एक प्रधानमंत्री के रूप में, मोदी को लगातार उच्च अनुमोदन रेटिंग मिली है। प्रधानमन्त्री के रूप में अपने प्रथम कार्यकाल के पहले वर्ष के अंत में, प्यू रिसर्च पोल में उन्होंने 87% की समग्र स्वीकृति रेटिंग प्राप्त की, जिसमें 68% लोगों ने उन्हें "बहुत अनुकूल" और 93% उनकी सरकार को मंजूरी दी।[२०७] इंस्टावाणी द्वारा किए गए एक राष्ट्रव्यापी मतदान के अनुसार, उनकी स्वीकृति रेटिंग कार्यालय में अपने दूसरे वर्ष के दौरान लगभग 74% पर बनी रही।[२०८] कार्यालय में अपने दूसरे वर्ष के अंत में, एक अद्यतन प्यू रिसर्च पोल से पता चला कि मोदी ने 81% की उच्च समग्र अनुमोदन रेटिंग प्राप्त करना जारी रखा, जिसमें से 57% लोगों ने उन्हें "बहुत अनुकूल" रेटिंग दी।[२०९] कार्यालय में अपने तीसरे वर्ष के अंत में, एक और प्यू रिसर्च पोल ने मोदी को 88% की समग्र स्वीकृति रेटिंग के साथ दिखाया, उनका उच्चतम अभी तक, 69% लोगों ने उन्हें "बहुत अनुकूल रूप से" रेटिंग दी। टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा मई 2017 में किए गए एक सर्वेक्षण में 77% उत्तरदाताओं ने मोदी को "बहुत अच्छा" और "अच्छा" के रूप में मूल्यांकन किया।[२१०] 2017 की शुरुआत में, प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण ने मोदी को भारतीय राजनीति में सबसे लोकप्रिय व्यक्ति के रूप में दिखाया।[२११] मॉर्निंग कन्सल्ट द्वारा ग्लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग ट्रैकर नामक साप्ताहिक विश्लेषण में, मोदी ने 13 देशों में सभी सरकारी नेताओं के 22 दिसंबर 2020 तक सबसे अधिक शुद्ध अनुमोदन रेटिंग प्राप्त की थी।[२१२] २ सितम्बर २०२१ को अमेरिकी आंकड़ा परामर्शदाता फर्म मॉर्निंग कन्सल्ट द्वारा पूरा किए गये ग्‍लोबल लीडर अप्रूवल रेटिंग नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा के कई नेताओं पीछे छोड़ दिया है। 70 फीसदी रेटिंग के साथ वह सर्वोच्च स्थान पर बने हुए हैं, जबकि अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सहित दुनिया के कई नेताओं की रेटिंग पीएम मोदी से काफी कम है।[२१३][२१४]

सम्मान

सम्मान देश तिथि टिप्पणी सन्दर्भ
Spange des König-Abdulaziz-Ordens.png
अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद का आदेश साँचा:flag/core 3 अप्रैल 2016 सऊदी अरब द्वारा गैर-मुसलमानों को सर्वोच्च सम्मान [२१५]
Ghazi Amanullah Khan Medal (Afghanistan) - ribbon bar.png
गाजी का राज्य आदेश अमीर अमानुल्लाह खान साँचा:flag/core 4 जून 2016 अफगानिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान [२१६]
Grand Collar of the Order of the State of Palestine ribbon.svg फिलिस्तीन राज्य का ग्रैंड कॉलर साँचा:flag/core 10 फरवरी 2018 फिलिस्तीन का सर्वोच्च नागरिक सम्मान [२१७]
Order Zayed rib.png जायद का आदेश साँचा:flag 4 अप्रैल 2019 संयुक्त अरब अमीरात सरकार द्वारा सम्मान का सर्वोच्च सम्मान [२१८]
OOSA.jpg सेंट एंड्रयू का सम्मान साँचा:flag 12 अप्रैल 2019 रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान [२१९]
Order of Izzuddin (Maldives) - ribbon bar v. 1996.png इज़्ज़ुद्दीन के शासन का सम्मान साँचा:flag 8 जून 2019 विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को मालदीव का सर्वोच्च नागरिक सम्मान [२२०]
The Khalifiyyeh Order of Bahrain, 1st class.png पुनर्जागरण के राजा हमद सम्मान साँचा:flag 24 अगस्त 2019 बहरीन का सर्वोच्च नागरिक सम्मान [२२१]
US Legion of Merit Chief Commander ribbon.png योग्यता की विरासत साँचा:flag 21 दिसंबर 2020 संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा दिए गए सम्मान की डिग्री [२२२]

उद्धरण

  1. नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को नरेंद्रभाई दामोदरदास मोदी के रूप में हुआ था। उन्होंने दामोदरदास का इस्तेमाल किया, उनके मध्य नाम गुजरातियों के रूप में पिता के नाम को उनके मध्य नाम के रूप में रखने की परंपरा है, लेकिन फिर भी, उन्हें व्यापक रूप से नरेंद्र मोदी के रूप में जाना जाता है।
  2. बिम्सटेक में मुख्य रूप से 9 देश हैं जैसे बांग्लादेश, भारत, थाईलैंड, भूटान, नेपाल, मॉरीशस, श्रीलंका, किर्गिस्तान और म्यांमार
  3. नरेंद्र मोदी के अपनी मां हीराबेन मोदी के साथ अच्छे संबंध हैं, और अक्सर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।[२००]

सन्दर्भ

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इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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  212. [ https://hindi.asianetnews.com/national-news/pm-narendra-modi-approval-rating-highest-among-world-top-leaders-as-per-morning-consult-political-survey-qyx21t दुनिया के टॉप लीडर्स को पीछे छोड़ पीएम मोदी बने दुनिया के नंबर 1 लोकप्रिय नेता]
  213. वैश्विक नेताओं में टॉप पर पीएम मोदी, 70% रेटिंग के साथ कई नेताओं को छोड़ा पीछे
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