डोकलाम विवाद 2017

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2017 चीन-भारत सीमा गतिरोध
Chinese photograph of Indian troops at Doklam standoff.png
Photograph of Indian soldiers on Doklam Plateau taken by Chinese soldiers – Annotations by the Chinese Foreign Ministry showing Chinese claims
तिथि 16 June 2017 – 28 August 2017
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स्थान डोकलाम
परिणाम Status quo ante bellum
  • Both sides withdraw their troops from Doklam
  • China halts its road construction
योद्धा
साँचा:flag
(on behalf of साँचा:flag)
साँचा:flag
मृत्यु एवं हानि
Several injured[१] Several injured[१]
डोकलाम विवाद 2017

२०१७ का डोकलाम विवाद, डोकलाम (चीनी: 洞朗) में एक सड़क निर्माण को लेकर, भारतीय सशस्त्र बलों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच जारी सैन्य सीमा गतिरोध को संदर्भित करता है। 16 जून, 2017 को इस गतिरोध की शुरुआत हुई, जब करीब 300 से 270 भारतीय सैनिक दो बुलडोज़र्स के साथ भारत-चीन सीमा पार कर पीएलए को डोकलाम में सड़क बनाने से रोक दिया। 9 अगस्त, 2017 को, चीन ने दावा किया कि केवल 53 भारतीय सैनिक और एक बुलडोजर अभी भी डोकलाम में हैं। जबकि भारत ने इस दावे को नकारते हुये कहा है कि उसके अभी भी वहाँ करीब 300-350 सैनिक उपस्थित है।[२] सितम्बर माह में प्रस्तावित ब्रिक्स शिख्स्र सम्मेलन से थोडा ही पहले २८ अगस्त २०१७ को दोनों देशों ने अपनी सेनाएं पीछे हटाने का निर्णय लिया।[३] [४]

समस्या को सुलझाने के कुछ हफ्ते बाद, चीन ने 500 सैनिकों के साथ फिर से सड़क निर्माण शुरू कर दिया है।[५]

पृष्ठभूमि

भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र

डोकलाम विवाद का मुख्य कारण उसकी अवस्थिति है। यह एक ट्राई-जंक्शन है, जहाँ भारत, चीन और भूटान कि सीमा मिलती है। वैसे तो भारत का इस क्षेत्र पर कोई दावा नहीं है। दरअसल इस क्षेत्र को लेकर चीन भूटान के बीच में विवाद है। वर्तमान में यहाँ चीन का कब्जा है और भूटान उस पर दावा करता है।[६] भूटान और भारत के बीच 1949 से ही परस्पर विश्वास और स्थायी दोस्ती का करीबी संबंध है। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग का करार है। 2007 में भारत और भूटान द्वारा हस्ताक्षर किए गये मैत्री संधि के अनुच्छेद 2 में कहा गया है: "भूटान और भारत के बीच घनिष्ठ दोस्ती और सहयोग के संबंधों को ध्यान में रखते हुए, भूटान की साम्राज्य की सरकार और भारत गणराज्य की सरकार निकट सहयोग करेगी अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे के साथ है।"[७]

1988 के बाद से चीन भूटान के कुछ क्षेत्र पर अतिक्रमण करता आ रहा है।[८][९][१०] लेकिन डोकलाम में अभी तक पीएलए की कोई स्थायी उपस्थिति नहीं थी। पहली बार, चीन डोकोला से ज़ूमली में भूटान आर्मी शिविर की ओर एक सपाट सड़क का निर्माण कर रहा है। चुकि यह कार्य उसने पहले भी कर चुका है और भूटान विरोध करने में सक्षम नहीं दिखा। और यह स्पष्ट भी है कि भूटानी पीएलए के सैनिकों को निर्माण बंद कराने की स्थिति में नहीं हैं, भले ही उन्होंने चीनी पक्ष को जमीनी और राजनयिक चैनलों के माध्यम से कई बार विरोध जता चुका है, कि भूटानी क्षेत्र के अंदर सड़क का निर्माण पहले के समझौतों का उल्लंघन है।

इस क्षेत्र को लेकर भारत के पास दो प्रमुख मुद्दे हैं, जो भारत के लिये प्रत्यक्ष चिंता का कारण बना हुआ हैं। चीन एकतरफा ट्राई-जंक्शन बिंदु बदल रहा हैं।[११] भारत इसे 2012 के एक आपसी समझोतें का उल्लंघन मानता है।[१२][१३] जैसा कि विदेश मंत्रालय के वक्तव्य में उल्लेख किया गया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी सैन्य लाभ हासिल होगी। इससे पूर्वोत्तर राज्यों को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।[१४]

जहाँ चीन का मानना है कि इस क्षेत्र पर उनका अधिकार है, और यह रोड उसके तिब्बत-सिल्क रोड का एक हिस्सा है, भारत को तुरन्त पीछे हटना होगा। वही भारत और भूटान चाहते है कि जब तक इस विवादित क्षेत्र का कोई फैसला नहीं होता रोड निर्माण का कार्य रोकना चाहिये एवं भविष्य में वहाँ किसी भी प्रकार का निर्माण न किया जाये।

घटनाक्रम

  • २ अगस्त - चीनी विदेश मंत्रालय ने 22 मार्च 1959 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा चाउ एन लाइ को 1890 एंग्लो-चीनी सम्मेलन में हुये समझौते का समर्थन लिखे पत्र का हवाला देते हुये कहा है, कि डोकलाम पर न तो भूटान का न ही भारत का दावा बनता है।[१५]
  • ९ अगस्त - तिब्बती आध्‍यात्मिक गुरू दलाई लामा ने कहा कि भारत और चीन को आस पास ही रहना है, और दोनों देशों के बीच डोकलाम पर गतिरोध "ज्यादा गंभीर" मुद्दा नहीं है। दलाई लामा ने कहा कि कई बार दोनों देश "कड़े शब्दों" का इस्तेमाल करते हैं लेकिन आगे बढ़ने के लिए "हिन्दी चीनी भाई भाई" की भावना एकमात्र रास्ता है।[१६]
  • १० अगस्त - भूटान द्वारा डोकलाम को चीन का हिस्सा मानने वाले पेइचिंग के बयान का पुरजोर खंडन किया है। चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा दावा किया गया था कि सिक्किम सेक्टर में पड़ने वाले डोकलाम को भूटान ने चीन का हिस्सा मानने को तैयार हो गया है।[१७]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. रानाडे, जयदेव, "China's New Assertiveness: The Doka La Face-off" इन्द्रस्त्रा ग्लोबल, १७-०७-२०१७, http://www.indrastra.com/2017/07/China-s-New-Assertiveness-Doka-La-Face-off-003-07-2017-0025.html स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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  5. साँचा:cite web
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  7. साँचा:cite web
  8. A New Bhutan Calling स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (14 May 2008). OutlookIndia.com. Accessed 30 May 2008.
  9. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  10. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  11. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  12. साँचा:cite web
  13. http://www.firstpost.com/tag/2012-india-china-agreement
  14. साँचा:cite web
  15. http://timesofindia.indiatimes.com/india/chinas-statement-on-doklam-distorts-understanding-of-facts/articleshow/59886184.cms स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया
  16. https://khabar.ndtv.com/news/india/dalai-lama-on-doklam-issue-1735474 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। एनडीटीवी इन्डिया
  17. साँचा:cite web