कोलाबा दुर्ग

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साँचा:infobox कोलाबा दुर्ग(Kolaba Fort, Colaba Fort), जिसे अलीबाग दुर्ग (Alibaug Fort) भी कहा जाता है, महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ ज़िले में सागरतट पर स्थित एक दुर्ग है। यह राज्य के कोंकण क्षेत्र में अलीबाग से 1–2 किमी और मुम्बई से 35 किमी दक्षिण में है।[१]

इतिहास

दक्षिण कोंकण को स्वतंत्र करवाने के पश्चात छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस स्थान पर दुर बनाने का निर्णय लिया। 19 मार्च 1680 को इसका निर्माण आरम्भ हुआ। 1662 में उन्होंने कोलाबा दुर्ग को अधिक मज़बूत करा और इसे अपना एक प्रमुख नौसैनिक अड्डा बनाया। दुर्ग की स्वामित्व दरया सारंग और मैणक भण्डारी को दिया गया और यह मराठाओं के लिए ब्रिटिश जहाज़ों पर आक्रमण करने का केन्द्र बन गया। जून 1681 में शिवाजी के देहांत के बाद, इसका निर्माण छत्रपती सम्भाजी राजे के काल में पूर्ण हुआ।[२]

सन् 1713 में पेशवा बालाजी विश्वनाथ के साथ करी गई एक संधि के तहत दुर्ग को सरखेल कान्होजी आन्ग्रे के हवाले कर दिया गया। 17 नवम्बर 1721 को, कान्होजी की गतिविधियों से तंग आकर ब्रिटिश ने पुर्तगालियों के साथ मिलकर दुर्ग पर हमला करने का प्रयास करा। कोमोडोर मैथ्यू के नेतृत्व में तीन ब्रिटिश जहाज़ों ने 6000 पुर्तगाली सैनिकों के साथ मिलकर आक्रमण करा, जो असफल रहा। ब्रिटिश ने इसका दोष "पुर्तगालियों की कायरता" पर लगाते हुए पूरी तरह उनके सर मढ़ दिया। 4 जुलाई 1729 को कान्होजी का निधन कोलाबा दुर्ग में हुए। 1729 में पिंजरा भाग में एक बड़ी आग में कई स्थापत्य नष्ट हो गए। 1787 में एक अन्य आग में आन्ग्रे वाड़ा नष्ट हो गया। 1842 में ब्रिटिश राज की सरकार ने दुर्ग में लगी लकड़ी को नीलाम कर दिया और पत्थरों का प्रयोग अलीबाग जलघर में करा।[३]

चित्रदीर्घा

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
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