प्रीति ज़िंटा

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प्रीति ज़िंटा
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प्रीति ज़िंटा २०११ में
जन्म 31 January 1975 (1975-01-31) (आयु 49)
शिमला, हिमाचल प्रदेश, भारत
व्यवसाय अभिनेत्री
कार्यकाल १९९७–अबतक
साथी नेस वाडिया (२००५-०९)

प्रीटी ज़िंटा (जन्म ३१ जनवरी १९७५) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री है। वे हिन्दी, तेलगू, पंजाबीअंग्रेज़ी फ़िल्मों में कार्य कर चुकी है। मनोविज्ञान में उपाधी ग्रहण करने के बाद ज़िंटा ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत दिल से.. में १९९८ से की और उसी वर्ष फ़िल्म सोल्जर में पुनः दिखी।[१] इन फ़िल्मों में अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ नई अदाकारा का पुरस्कार प्रदान किया गया और आगे चलकर उन्हें फ़िल्म क्या कहना में कुँवारी माँ के किरदार के लिए काफ़ी सराहा गया। उन्होंने आगे चलकर भिन्न-भिन्न प्रकार के किरदार अदा किए व उनके अभिनय व किरदारों ने हिन्दी फ़िल्म अभिनेत्रियों की एक नई कल्पना को जन्म दिया।

जिंटा को २००३ में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार कल हो ना हो फ़िल्म में उनके अभिनय के लिए प्रदान किया गया। उन्होंने सर्वाधिक कमाई वाली दो भारतीय फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमे काल्पनिक विज्ञान पर आधारित फ़िल्म कोई... मिल गया[२] (२००३) और रोमांस फ़िल्म वीर-ज़ारा (२००४) शमिल है जिसके लिए उन्हें समीक्षकों द्वारा बेहद सराहा गया। उन्होंने आधुनिक भारतीय नारी का किरदार फ़िल्म सलाम नमस्ते और कभी अलविदा ना कहना में निभाया जो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उच्च-कमाई वाली फ़िल्में रही।[३] इन उपलब्धियों ने उन्हें हिन्दी सिनेमा के मुख्य अभिनेत्रियों में से एक बना दिया।[४][५] उनका पहला अंतर्राष्ट्रीय किरदार कनेडियाई फ़िल्म हेवन ऑन अर्थ में था जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सिल्वर ह्यूगो पुरस्कार २००८ के शिकागो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में प्रदान किया गया।

फ़िल्मों में अभिनय के आलावा जिंटा ने बीबीसी न्यूज़ ऑनलाइन में कई लेख लिखे है, साथ ही वे एक सामाजिक कार्यकर्त्ता, टेलिविज़न मेज़बान और नियमित मंच प्रदर्शनकर्ता है। वे पीज़ेडएनज़ेड इण्डिया प्रोडक्शन कंपनी की संस्थापक भी है जिसकी स्थापना उन्होंने अपने पूर्व-साथी नेस वाडिया के साथ की है और दोनों साथ-ही-साथ इंडियन प्रीमियर लीग की क्रिकेट टीम किंग्स XI पंजाब के मालिक भी है।

शुरूआती जीवन व पृष्ठभूमि

ज़िंटा का जन्म शिमला, हिमाचल प्रदेश में राजपूत में हुआ था। उनके पिता दुर्गानंद जिंटा भारतीय थलसेना में अफसर थे।[६] जब वे १३ वर्ष की थी तब उनके पिता एक कार दुर्घटना में चल बसे और उनकी माँ, निलप्रभा, को गंभीर चोंटें आई जिसके चलते वे दो वर्षों तक बिस्तर पर ही रही। ज़िंटा ने इस दुखद हादसे को अपने जीवन का अहम मोड बताया जिसके चलते वे जल्द ही समझदार व गंभीर बन गई।[७] उनके दो भाई है, दीपांकर और मनीष, एक बड़ा और एक छोटा। दीपांकर भारतीय थलसेना में अफसर है व मनीष कैलिफोर्निया में रहते है।[८]

ज़िंटा बचपन में लड़कों जैसे रहती थी, उन्होंने अपने पिता की सैन्य पार्श्वभूमी को अपने परिवार के रहन सहन पर बेहद प्रभावी बताया। वे बच्चों को अनुशासन और समय की पाबन्दी का महत्व समझते थे।[९] उन्होंने शिमला के कॉन्वेंट ऑफ़ जीज़स एंड मेरी बोर्डिंग विद्यालय में पढ़ाई की. हालाँकि बोर्डिंग विद्यालय में उन्हें अकेलापन महसूस होता था परन्तु उन्होंने ये भी कहा की उन्हें वहाँ "..बेहद बढ़िया दोस्त भी मिले"।[६][१०] छात्रा के तौर पर उन्हें साहित्य से प्यार हो गया, खास कर विलियम शेक्सपियर और उनकी कविताओं से।[६] जिंटा के अनुसार उन्हें विद्यालय का कार्य बेहद पसंद था और उन्हें अछे अंक भी मिलते थे। अपने खाली समय में वे बास्केटबॉल जैसे खेल खेलती थी।[७]

१८ वर्ष की आयु में विद्यालय से शिक्षण पूरा करने के पश्च्यात उन्होंने सेंट बेडेज़ कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने अंग्रेज़ी ऑनर्स में उपाधी ग्रहण की और मनोविज्ञान में उपाधी के लिए दाखिला लिया।[११] अपराधी मनोविज्ञान में स्नाकोत्तर उपाधी ग्रहण करने के बाद उन्होंने मॉडलिंग की शुरुआत की।[६] ज़िंटा का पहला टेलिविज़न विज्ञापन पर्क चोकोलेट के लिए था जो उन्हें १९९६ अपने एक मित्र के जन्मदिन की पार्टी में एक निर्देशक से रूबरू होने के करण मिला था।[६] निर्देशक ने उन्हें ऑडिशन देने के लिए मना लिया और उनका चयन कर लिया गया। इसके बाद उन्होंने कई विज्ञापनों में कार्य किया जिनमे लिरिल साबुन का विज्ञापन उल्लेखनीय है।[७][११]

अभिनय करियर

शुरूआती कार्य (१९९७-९९)

१९९७ में ज़िंटा फ़िल्म-निर्माता शेखर कपूर से मिली जब वे अपने एक मित्र के साथ ऑडिशन पर गई थी और वहाँ उन्हें भी ऑडिशन देने का प्रस्ताव दिया गया। उनका ऑडिशन देखकर कपूर ने उन्हें अभिनेत्री बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्हें बतौर अभिनेत्री अपनी शुरुआत कपूर की फ़िल्म तारा रम पम पम से ऋतिक रोशन के साथ करनी थी परन्तु फ़िल्म रद्द कर दिया गया। कपूर ने बाद उनकी सिफ़ारिश निर्देशक मणी रत्नम की फ़िल्म दिल से... के लिए की।[११][१२] ज़िंटा को अब भी याद आता है की जब उन्होंने फ़िल्म उद्द्योग में पाँव रखा तब उनके दोस्त उन्हें चिढ़ाते थे की वे "सफ़ेद साड़ी पहन कर बारिश में नाचेंगी" जिसके चलते उन्हें भिन्न-भिन्न पात्र साकारने का प्रोत्साहन मिला।[६][१२]

ज़िंटा ने कुंदन शाह की क्या कहना का चित्रीकरण शुरू किया परन्तु इसकी रिलीज़ २००० तक टाल दी गई।[१३] एक अन्य फ़िल्म सोल्जर में देरी के कारण उनकी पहली रिलीज़ फ़िल्म दिल से... (१९९८) बन गई जो शाहरुख खान और मनीषा कोइराला के साथ थी।[१२] उन्हें फ़िल्म में प्रीती नायर, एक आम दिल्ली के परिवार की लड़की व खान की मंगेतर के रूप में प्रस्तुत किया गया। इस फ़िल्म को नए कलाकार को लॉन्च करने के हेतू से बेहद अपारंपरिक माना गया क्योंकि इसमें उनका पात्र केवल २० मिनट के लिए ही पर्दे पर था। इसके बावजूद उनका किरदार लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा. अपने इस पात्र के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री पुरस्कार का नामांकन प्राप्त हुआ। उन्होंने अपना पहला मुख्य किरदार एक्शन-ड्रामा फ़िल्म सोल्जर (१९९८) में निभाया जो उस वर्ष की हीट फ़िल्म रही. उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ नई अदाकारा का पुरस्कार दिल से... और सोल्जर फ़िल्मों में अभिनय के लिए प्रदान किया गया।

ज़िंटा ने दो तेलगू फ़िल्मों, प्रेमंते इदेरा (१९९८), वेंकटेश के साथ; और राजा कुमरुदु (१९९९) महेश बाबु के साथ, कार्य किया। उन्होंने संघर्ष में अक्षय कुमार के साथ मुख्य किरदार अदा किया। यह फ़िल्म द साइलेंस ऑफ़ द लैम्ब्स (१९९१) पर आधारित थी व इसका निर्देशन तनूजा चंद्रा द्वारा व लेखन महेश भट्ट द्वारा किया गया था। ज़िंटा ने इसमें सीबीआई अफसर रीत ओबेरॉय की भूमिका निभाई जो एक हत्यारे से प्यार कर बैठती है। यह फ़िल्म बॉक्स-ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रही परन्तु जिंटा के अभिनय को समीक्षकों ने काफ़ी सराहा.

निर्णायक (२०००-०२)

ज़िंटा की २००० में पहली भूमिका ड्रामा फ़िल्म क्या कहना में थी जो अचानक एक बॉक्स-ऑफिस सफलता बन गई। फ़िल्म में कुँवारी माँ व युवा गर्भधारण जैसी समस्याओं पर प्रकाश डाला गया था और इसके चलते ज़िंटा को जनता व समीक्षकों द्वारा बेहद सराहा गया। उनकी कुँवारी माँ प्रिया बक्षी का पात्र जो सामाजिक अवधारणाओं का मुकाबला करती है, ने उन्हें कई पुरस्कारों के नामांकन प्राप्त करवाए जिनमे उनका पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार नामांकन शामिल है।

उसी वर्ष ज़िंटा विधु विनोद चोपरा की फ़िल्म मिशन कश्मीर में संजय दत्तऋतिक रोशन के साथ नज़र आई। कश्मीर की वादियों में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान रची यह फ़िल्म आतंकवाद और जुर्म के विषय पर आधारित थी। ज़िंटा का किरदार सुफिया परवेज़, एक टेलिविज़न रिपोर्टर व रोशन के बचपन के प्यार का था। द हिन्दू ने उनके प्रदर्शन के बारे में कहा, "प्रीटी ज़िंटा हमेशा की तरह अपनी चुलबुले अभिनय से गंभीर कहानी में रंग भर देती है"। यह फ़िल्म एक व्यापारिक सफलता रही व उस वर्ष की भारत की तीसरी सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्म रही।

२००१ में ज़िंटा को फरहान अख्तर की राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता फ़िल्म दिल चाहता है में अपनी भूमिका के लिए बेहद सराहा गया। भारतीय युवाओं के जीवन पर आधारित यह फ़िल्म वर्तमान मुंबई में रची गई थी व इसका केन्द्र तिन दोस्तों (आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना) के जीवन में हुए एक बड़े बदलाव पर था। जिंटा का पात्र आमिर खान की प्रेयसी शालिनी का था। दिल चाहता है समीक्षकों के बिच लोकप्रिय रही और कुछ के अनुसार यह भारतीय युवाओं के वास्तविक चित्रण का बढ़िया नमूना है। यह फ़िल्म एक भारत में अधिक सफल नहीं रही। यह बड़े शहरों में अच्छा व्यवसाय कर सकी परन्तु छोटे शहरों में यह असफल रही क्योंकि इसका विषय शहरी जीवनशैली पर आधारित था। रेडिफ़.कॉम में ज़िंटा के बारे में लिखा की "... वह बेहद खूबसूरत व चुलबुली है और असमंजस और असली भावनाओं से जुंझ रही है।"

२००१ में ज़िंटा की तिन अन्य फ़िल्में रिलीज़ हुई जिनमे अब्बास-मस्तान की रोमांस ड्रामा चोरी चोरी चुपके चुपके, जिसे भरत शाह पर चल रहे मुकद्दमे के करण एक वर्ष देर से रिलीज़ किया गया, शामिल है। यह फ़िल्म बॉलीवुड की पहली फ़िल्मों में से एक थी जिसने विवादस्पद किराए प्रसव के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया। ज़िंटा ने मधुबाला की भूमिका अदा की जो एक अच्छे दिल की वैश्या है जिसे एक माँ बनने के लिए किराए पर रखा जाता है। शुरुआत में यह किरदार अदा करने के लिए तैयार न होने के बावजूद उन्होंने निर्देशक के मानाने पर इसे स्वीकार कर लिया और पात्र की तयारी के लिए मुंबई के कई बारों और नाइटक्लबों में गई व वेश्याओं के हाव भाव व भाषा को समझा। उन्हें अपनी भूमिका के लिए दूसरी बार फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री पुरस्कार का नामांकन प्राप्त हुआ।

२००२ में ज़िंटा ने एक बार फिर कुंदन शाह के साथ कार्य करते हुए पारिवारिक ड्रामा फ़िल्म दिल है तुम्हारा में रेखा, महिमा चौधरी और अर्जुन रामपाल के साथ नज़र आई। हालाँकि फ़िल्म बॉक्स-ऑफिस पर सफल नहीं रही परन्तु उनके द्वारा अभिनीत गोद लि गई बेटी शालू का पात्र बेहद सराहा गया।

सफलता (२००३-०७)

फिल्मी सफर

प्रीति जिंटा

प्रमुख फिल्में

वर्ष फ़िल्म चरित्र टिप्पणी
२०१४ Happy Ending दिव्या
२०१३ इश्क़ इन पेरिस इश्क़
२००९ मैं और मिसेज खन्ना हसीना जगमगिया कैमियो
२००८ रब ने बना दी जोड़ी गाने फिर मिलेंगे चलते चलते में विशेष प्रस्तुति
हीरोज (२००८ फिल्म)|हीरोज कुलजीत कौर
हेवन ऑन अर्थ चांद
२००७ द लास्ट लियर शबनम प्रथम अंग्रेजी फिल्म
झूम बराबर झूम
ओम शाँति ओम
२००६ जानेमन पिया गोयल/प्रीति ज़िंताकोवा
कभी अलविदा ना कहना रिया सरन
अलग अतिथि भूमिका (गीत)
२००५ सलाम नमस्ते
खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे
२००४ वीर-ज़ारा ज़ारा हयात ख़ान
दिल ने जिसे अपना कहा
लक्ष्य रोमिला 'रोमी' दत्ता
२००३ कोई मिल गया निशा
कल हो ना हो नैना कैथरीन कपूर
रेशमा रेशमा
अरमान सोनिया कपूर
२००२ दिल है तुम्हारा शालू
२००१ चोरी चोरी चुपके चुपके मधुबाला
फ़र्ज़
ये रास्ते हैं प्यार के
दिल चाहता है शालिनी
२००० क्या कहना
मिशन कश्मीर
हर दिल जो प्यार करेगा
१९९९ संघर्ष सी बी आई ऑफीसर रीत ओबेरॉय
राजा कुमारुदु रानी तेलुगु फ़िल्म
दिल्लगी
१९९८ दिल से प्रीति नायर
सोल्जर प्रीति सिंह

नामांकन और पुरस्कार

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ