आमिर ख़ान

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आमिर ख़ान
Aamir Khan From The NDTV Greenathon at Yash Raj Studios (11).jpg
जन्म मुम्बई,महाराष्ट्र, भारत
व्यवसाय अभिनेता, फ़िल्म निर्माता & निर्देशक, लेखक
कार्यकाल 1973 - 1974, 1984, 1988 - 2001, 2005 - अब तक
धार्मिक मान्यता इस्लाम
जीवनसाथी किरण राव (2005 - 2021तलाक़ )
रीना दत्ता (1987 - 2002; तलाक़)
बच्चे 3
माता-पिता ताहिर हुसैन
जीनत हुसैन
संबंधी फैसल ख़ान (भाई)
निकहत ख़ान (बहन)
नासिर हुसैन (चाचा)
इमरान ख़ान (भतीजा)
पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
1997: राजा हिन्दुस्तानी
2002: लगान
Best Actor (Critics)
2007: रंग दे बसंती
Best Male Debut
1989: कयामत से कयामत तक
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक
2008: तारे ज़मीन पर
सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म
2002: लगान
2008: तारे ज़मीन पर

आमिर ख़ान (नस्तालीक़: عامر خان) (जन्म आमिर हुसैन ख़ान ; मार्च 14, 1965) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, पटकथा लिखनेवाले, कभी कभी गायक और आमिर ख़ान प्रोडक्सनस के संस्थापक-मालिक है।

अपने चाचा नासिर हुसैन की फ़िल्म यादों की बारात (1973) में एक बाल कलाकार की भूमिका में नज़र आए थे और ग्यारह साल बाद ख़ान का करियर फ़िल्म होली (1984) से आरम्भ हुआ उन्हें अपने चचेरे भाई मंसूर ख़ान के साथ फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक (1988) के लिए अपनी पहली व्यवसायिक सफलता मिली और उन्होंने फ़िल्म में एक्टिंग के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ मेल नवोदित पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ नवोदित पुरूष कलाकार के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार) जीता। पिछले आठ नामांकन के बाद 1980 और 1990 के दौरान, ख़ान को राजा हिन्दुस्तानी (1996), के लिए पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला जो अब तक की उनकी एक बड़ी व्यवसायिक सफलता थी।[१]

उन्हें बाद में फिल्मफेयर कार्यक्रम में दूसरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार और लगान में उनके अभिनय के लिए 2001 में कई अन्य पुरस्कार मिले और अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। अभिनय से चार साल का सन्यास लेने के बाद, केतन मेहता की फ़िल्म द रायजिंग (2005) से ख़ान ने वापसी की। २००७ में, वे निर्देशक के रूप में फ़िल्म तारे ज़मीन पर का निर्देशन किया, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार दिया गया। कई कमर्शियल सफल फ़िल्मों का अंग होने के कारण और बहुत ही अच्छा अभिनय करने के कारण, वे हिन्दी सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता बन गए हैं।[२][३]

पारिवारिक पृष्ठभूमि

आमिर ख़ान बांद्रा के होली फेमिली अस्पताल, मुंबई, भारत में एक ऐसे मुस्लिम परिवार में जन्म लिए जो भारतीय मोशन पिक्चर में दशकों से सक्रिय थे। उनके पिता, ताहिर हुसैन एक फ़िल्म निर्माता थे जबकि उनके दिवंगत चाचा, नासिर हुसैन, एक फ़िल्म निर्माता के साथ-साथ एक निर्देशक भी थे। मौलाना अबुल कलाम आजाद के वंशज होने के कारण, उनकी जड़ें अफगानिस्तान के हेरात शहर में देखे जा सकते हैं। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, डॉ॰जाकिर हुसैन के भी वंशज हैं और भारत की अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, डॉ॰नजमा हेपतुल्ला के दूसरे भतीजे भी हैं।[४]

फ़िल्म करियर

ख़ान ने अपना फ़िल्मी करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में नासिर हुसैन द्बारा गृह निर्मित, निर्माण व निर्देशित फ़िल्म यादों की बारात (1973) और मदहोश (1974) से की। ग्यारह साल बाद, उन्हें एडल्ट अभिनय डेब्यू का मौका मिला जिस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, वह थी केतन मेहता की होली (1984).

ख़ान का पहला मुख्य किरदार 1988 के दौरान फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक में नज़र आया, जिसे उनके भतीजे और नासिर हुसैन के बेटे मंसूर ख़ान ने निर्देशित किया था। क़यामत से क़यामत तक बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल रही और इसने ख़ान के करियर को एक लीडिंग अभिनेता के तौर पर आगे बढाया.एक टिपिकल 'चॉकलेट अभिनेता' के रूप में उन्हें किशोरों का आदर्श माना जाने लगा। उसके बाद वे '80 और '90 की शुरुआत में कई फ़िल्मों में दिखे: दिल (1990), जो साल का सबसे बड़ा व्यवसायिक हिट रही,[५] दिल है की मानता नहीं (1991), जो जीता वही सिकंदर (1992), हम हैं राही प्यार के (1993) (जिसके लिए उन्होंने पटकथा भी लिखा) और रंगीला (1995).इनमे से अधिकतर फ़िल्में आलोचनात्मक व व्यवसायिक दृष्टि से सफल रहीं। [६][७][८] दूसरी सफल फ़िल्में अंदाज अपना अपना, जिसमें सह-अभिनेता सलमान ख़ान थे। इसके रिलीज के समय फ़िल्म असफल रही परन्तु बाद में इसने अच्छी स्थिति बना ली। [९]

ख़ान साल में एक या दो फ़िल्में ही करते हैं, जो मेनस्ट्रीम हिन्दी सिनेमा अभिनेता के लिए कुछ अलग बात है। उनकी 1996 में एकमात्र रिलीज थी धर्मेश दर्शन द्वारा निर्देशित व्यवसायिक ब्लॉकबस्टर राजा हिन्दुस्तानी जिसमे उनके विपरीत करिश्मा कपूर थी। इस फ़िल्म से उन्हें पिछले 8 नामांकनों के बाद पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला जो 1990 साल का बहुत बड़ी हिट थी और तीसरा सर्वाधिक कमाई करने वाला भारतीय फ़िल्म रही। [१०] ख़ान के कैरियर ने इस समय तक ठहराव पा लिया था और उनकी ज्यादातर फ़िल्में आने वाले समय में कम सफल रही। 1997 में उन्होंने अजय देवगन और जूही चावला के विपरीत फ़िल्म इश्क में काम किया, जो आलोचकों के लिए ख़राब परन्तु बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। १९९८ में, ख़ान मध्यम सफल फ़िल्म ग़ुलाम में नज़र आए, जिसमें उन्होंने पार्श्व गायन भी किया।[११] जॉन मेथ्यु मथान की सरफ़रोश (1999) ख़ान की 1999 के दौरान पहला रिलीज था थोडी सफल और बॉक्स ऑफिस पर औसत रही, जबकि फ़िल्म को आलोचकों ने सराहा. एक समर्पित, इमानदार और भ्रष्टता से दूर पुलिस के रूप में ख़ान का अभिनय सीमा पार आतंक को रोकना था, जिसकी तारीफ हुई। उन्होंने दीपा मेहता की कलात्मक फ़िल्म अर्थ में काम किया। 1999 के दौरान पहली रिलीज थी जो थोड़ी सफल और बॉक्स ऑफिस पर औसत रही, जबकि फ़िल्म को आलोचकों ने सराहा. नए शताब्दी में उनकी पहली रिलीज,मेला थी जिसमे उन्होंने वास्तविक जीवन के भाई फैसल ख़ान, के साथ काम किया, यह एक बॉक्स-ऑफिस और आलोचकों की नज़र में हिटबोम्ब (bomb) साबित हुई। [१२]

ख़ान ने अपना निर्माण कंपनी, आमिर ख़ान प्रोडक्शन बनाकर अपने पुराने दोस्त आशुतोष गोवारिकर की स्वप्निल फ़िल्म लगान को वित्तीय सहायता किया। यह फ़िल्म 2001 में रिलीज हुई, जिसमें आमिर ख़ान मुख्य अभिनेता थे। यह फ़िल्म आलोचकों और कॉमर्शियल की नज़र से सफल रही[१३] और इसे सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म के लिए 74 वें एकेडमी पुरस्कार में भारत के आधिकारिक सूची (India's official entry) में चुन लिया गया। फलतः यह चुन लिया गया और अन्य चार विदेशी फ़िल्मों के साथ उसी वर्ग में नामांकन हुआ, लेकिन नो मेंस लैंड से हार गया। इसके अलावा फ़िल्म को कई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल्स में सराहा गया, साथ ही बॉलीवुड के कई पुरस्कार मिले जिनमें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी शामिल है। ख़ान अपना दूसरा फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता जबकि ऑस्कर में लगान को निराशा मिला। परन्तु चीज़ें हमारा उत्साह बनाये रखती है, कि सारा देश हमारे साथ है।"

लगान की सफलता के बाद उसी साल आगे दिल चाहता है जिसमें ख़ान के साथ थे अक्षय खन्ना और सैफ अली ख़ान, प्रीटी जिंटा. इस फ़िल्म का लेखन और निर्देशन नए नए आए फरहान अख्तर ने किया। आलोचकों के अनुसार, इस फ़िल्म में युवा वर्ग का सही चित्रांकन किया गया जो वे आज हैं। इसके चरित्र नए, मनभावन और सार्वभौमिक थे। यह फ़िल्म मध्यम सफल रही और शहरों में ज़्यादा चली.[१३]

ख़ान ने अपने निजी कारणों के कारण 4 साल का संन्यास लिया और 2005 में केतन मेहता की मंगल पांडे - द राइज़िंग फ़िल्म में एक सिपाही और एक शहीद के वास्तविक जीवन पर आधारित जो १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम या “भारतीय आज़ादी की पहली लड़ाई” को बढाया था, में अभिनय किया।

राकेश ओमप्रकाश मेहरा की पुरस्कार विजेता फ़िल्म, रंग दे बसंती, 2006 में ख़ान का पहला रिलीज था। उन्हें आलोचकों की तारीफ मिली,[१४] सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फिल्मफेयर आलोचना और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार जीता। यह फ़िल्म साल की सबसे कमाई करने वाली फ़िल्म रही,[१५] और इसे ऑस्कर में भारत के आधिकारिक प्रवेश सूचि में चुना गया.जबकि फ़िल्म को नामिति के तौर पर नहीं चुना गया, इसे इंग्लैंड में BAFTA पुरस्कार के दौरान सर्वश्रेष्ठ विदेशी फ़िल्म का नामांकन मिला। ख़ान की अगली फ़िल्म, फना (2006) की भी तारीफ की गई,[१६] और 2006 की सर्वाधिक कमाई करने वाला भारतीय फ़िल्म रही। [१५]

उनकी 2007 की फ़िल्म, तारे ज़मीन पर (एक शिक्षक के बारे में जो डाइस्लेक्सिक से ग्रस्त बच्चे से दोस्ती व सहायता करता है), जिसे ख़ान ने निर्माण किया और अभिनय भी किया, उनका निर्देशन के क्षेत्र में पहला कदम था। यह फ़िल्म आमिर ख़ान प्रोडक्शन्स की दूसरी फ़िल्म थी, जिसे सराहना और दर्शकों दोनों से अच्छा रेस्पॉन्स मिला। उन्हें फ़िल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार मिला, एक अच्छे निर्देशक और कहानी लेखक के रूप में जगह बने।

२००८ में, ख़ान ने अपने भतीजे इमरान ख़ान को फ़िल्म जाने तू या जाने ना में लॉन्च किया। यह फ़िल्म आलोचनात्मक व व्यवसायिक दृष्टि से काफी सफल रही। [१७]

निजी जीवन

क़यामत से क़यामत तक, के वर्षों में, ख़ान ने रीना दत्ता के साथ विवाह किया। उनके अभिभावक ने इस विवाह को मंजूर नहीं किया क्योंकि वह मुस्लिम नहीं थी। इस कारण से, ख़ान की शादी अभिभावक और प्रेस-मीडिया दोनों से छिपी रही। एक लोकप्रिय गाना पापा कहतें हैं क़यामत से क़यामत तक में दत्ता ने छोटी सी भूमिका निभाया था। ख़ान की शादी की ख़बर ने भी सामने आने पर मीडिया में हंगामा मचा दिया। रीना दत्ता ने शोर नहीं किया और ट्रेवल एजेंसी में काम जारी रखा। उनके दो बच्चे जुनैद और बेटी, इरा और वे दुनिया की नज़र से दूर ही रहे। रीना ने ख़ान के कैरियर में लगान के लिए निर्माता के रूप में काम किया। दिसम्बर २००२ में, आमिर ने तलाक के लिए अर्ज़ी दी, रीना से अपने १५ वर्ष की विवाहित जिंदगी को समाप्त करते हुए, दोनों बच्चों को अपने अधिकार में लेते हुए 28 दिसम्बर 2005 को आमिर ने किरण राव से शादी की जो आशुतोष गोवारिकर की फ़िल्म लगान के दौरान उनकी सह निर्देशक थी।[१८]

हाल ही में भाई फैसल ने उन्हें मीडिया में बदनाम यह कहते हुए किया कि वह उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं और उन्हें दवा लेने को मजबूर किया। फैसल को मानसिक बिमारी से त्रस्त बताया गया। 31 अक्टूबर 2007 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने फैसल की अस्थाई अभिरक्षा उनके पिता, ताहिर हुसैन को दी। ख़ान के परिवार ने सार्वजनिक बयान देकर इस मामले में समर्थन किया। कथन पर उसकी पूर्व पत्नी, रीना दत्ता द्वारा भी हस्ताक्षर किया गया।[१९]

जबकि उन्हें कई भारतीय पुरस्कार मिले हैं, ख़ान शायद ही किसी भारतीय पुरस्कार समारोह में जाते हैं और कहते है कि उन्हें इस तरह चुनाव जीतने के तरीके पर भरोसा नहीं है।..वे लगान के ऑस्कर में नामांकन के लिए सबसे पहले पहुंचे। 2007 में, ख़ान को लन्दन में मैडम तुसाद का मोम का पुतला बनने के लिये बुलाया गया था।[२०] ख़ान ने यह कह कर मना कर दिया कि मेरे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है, यदि लोग मुझे देखना चाहते है तो मेरी फ़िल्म देखें। साथ ही मैं इतनी सारी चीजें नहीं कर सकता. मेरे पास इतनी ही ताकत है। "[२१]

पुरस्कार और नामांकन

फ़िल्म

अभिनेता

वर्ष फ़िल्म भूमिका अन्य नोट्स
1973 यादों की बारात यंग रतन
1974 मदहोश बाल कलाकार
1984 होली मदन शर्मा
1988 क़यामत से क़यामत तक राज विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ मेल डिबत पुरस्कार
नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1989 राख आमिर हुसैन नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
लव लव लव अमित
1990 अव्वल नम्बर सन्नी
तुम मेरे हो शिवा
दिल राजा नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
दीवाना मुझ सा नहीं अजय शर्मा
जवानी जिंदाबाद शशि
1991 अफ़साना प्यार का राज
दिल है की मानता नहीं रघु जेटली नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
इसी का नाम जिंदगी छोटू
दौलत की जंग राजेश चौधरी
1992 जो जीता वही सिकंदर संजयलाल शर्मा नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1993 परंपरा रणबीर पृथ्वी राज चौहान
हम हैं राही प्यार के राहुल मल्होत्रा नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1994 अंदाज अपना अपना अमर नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1995 बाज़ी इंसपेक्टर अमर दमजी
आतंक ही आतंक रोहन
रंगीला मुन्ना
अकेले हम अकेले तुम रोहित नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1996 राजा हिन्दुस्तानी राजा हिन्दुस्तानी विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
1997 इश्क राजा
1998 ग़ुलाम सिद्धार्त मराठे नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
नामांकित, फिल्मफेयर बेस्ट मेल पार्श्व पुरस्कार (Filmfare Best Male Playback Award)
1999 सरफ़रोश अजय सिंह राठोड़ नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
मन कारन देव सिंह
अर्थ (1947) दिल नवाज ओस्कर में भारत की आधिकारिक प्रवेश (India's official entry to the Oscars)
2000 मेला किशन प्यारे
2001 लगान भुवन विजेता, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
नामांकित, सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म के लिए अकेडमी पुरस्कार (Academy Award for Best Foreign Language Film)
दिल चाहता है आकाश मल्होत्रा नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट अभिनेता पुरस्कार
2005 मंगल पांडे: द राइज़िंग मंगल पांडे नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट अभिनेता पुरस्कार
2006 रंग दे बसंती दलजीत Singh (DJ) विजेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए फिल्मफेयर सराहना पुरस्कार (Filmfare Critics Award for Best Performance)
में नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार
सर्वश्रेष्ठ गैर अंग्रेजी फ़िल्म के लिए BAFTA पुरस्कार (BAFTA Award for Best Film Not in the English Language) और
ओस्कर में भारत का आधिकारिक प्रवेश (India's official entry to the Oscars)
फना रेहान कादरी
2007 तारे ज़मीन पर राम शंकर निकुम्ब नामांकित, फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ट सहायक अभिनेता
2008 गजनी सन्जय सिघानिया 28 नवम्बर, 2008
2009 थ्री इडियट्स रणछोड़दास चांचड़(फुन्सुक वांगड़ू)
2011 धोबीघाट अरुण
2012 तलाश : द आंसर लाइज वीथिन इंस्पेक्टर सुरजन सिंह सेखावत
2013 धूम 3 शाहिर/ समर
2014 पीके पीके
2015 दिल धड़कने दो प्लूटो मेहरा
2016 दंगल महावीर सिंह फोगाट
2018 ठग्स ऑफ हिंदोस्तान फिरंगी मल्लाह पहले दिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म

पार्श्व गायन

साल फ़िल्म गीत
1998 ग़ुलाम आती क्या खंडाला
2000 मेला देखो 2000 ज़माना आ गया
2005 द रायसिंग (The Rising) होली रे
2006 फना चंदा चमके और मेरे हाथ में
2007 तारे ज़मीन पर बम बम बोले

निर्माता

साल फ़िल्म निर्देशक
2001 लगान आशुतोष गोवारीकर (Ashutosh Gowariker)
विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
2007 तारे ज़मीन पर आमिर ख़ान
विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
2008 जाने तू या जाने ना अब्बास टायरवाला

लेखक / निदेशक

साल फ़िल्म नोट्स
1988 क़यामत से क़यामत तक कहानी लेखक
1993 हम हैं राही प्यार के पटकथा लेखक (Screenwriter)
2007 तारे ज़मीन पर निर्देशक
विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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