रानी मुखर्जी
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रानी मुखर्जी | |
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हिचकी का प्रचार करती रानी मुखर्जी २०१८ में | |
जन्म |
21 March 1978 मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
शिक्षा प्राप्त की | एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय |
व्यवसाय | अभिनेत्री |
कार्यकाल | 1997–अब तक |
ऊंचाई | साँचा:height |
जीवनसाथी | साँचा:marriage |
रानी मुखर्जी हिन्दी फिल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। 2005 में वे बॉलीवुड के शीर्ष 10 शक्तिशाली लोगों में सिर्फ एक महिला थी। रानी ही एक ऐसी अभिनेत्री है जिसे फिल्मफेयर ने 3 साल लगातार (2004-2006) बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्री घोषित किया।
रानी समाज सेवा के कामों में बहुत सक्रिय रहती हैं और उन्होंने बहुत सारी संस्थाओं के लिये चंदा इकठ्ठा किया है।
उन्होंने 2 विश्व टूर में हिस्सा लिया है जहाँ बॉलीवुड के और सितारों के साथ उन्होंने स्टेज शो में दर्शकों के सामने प्रदर्शन किया। अपने पहले टूर में वे आमिर खान, ऐश्वर्या राय बच्चन, अक्षय खन्ना और ट्विंकल खन्ना के साथ थीं और दूसरे में शाहरुख़ खान, सैफ अली ख़ान, प्रीती ज़िंटा, अर्जुन रामपाल और प्रियंका चोपड़ा के साथ दिखीं|
2005 में उन्हें बॉलीवुड की तरफ से पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के साथ खाने पर न्योता दिया गया। 2006 में उन्हें बाकी बॉलीवुड अभिनेत्रियों के साथ ऑस्ट्रेलिया के कोम्मनवेल्थ खेलों में भारतीय परंपरा का प्रदर्शन किया।
व्यक्तिगत जीवन
रानी मुखर्जी का जन्म २१ मार्च १९७६ को कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ। इनके पिता राम मुखर्जी निर्देशक रह चुके हैं और उनकी माँ एक गायक है। उनका भाई राजा भी फिल्म निर्देशक हैं। अभिनेत्री काजोल उनकी रिश्तेदार हैं।
कैरियर
रानी मुखर्जी ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत "राजा की आएगी बारात" से की पर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही। इससे पहले उन्हें अपने पिता की बंगाली फिल्म "बियेर फूल (1992)" में एक छोटा किरदार करने को मिला था। उनके पारिवारिक मित्र सलीम अख्तर ने "आ गले लग जा" (1994) में उन्हें रोल दिया था जिसे रानी के पिता ने ठुकरा दिया था, जिसके बाद वह किरदार उर्मिला मातोंडकर को मिला।
उनको पहली सफलता फिल्म गुलाम से मिली जिसने उन्हें "खंडाला गर्ल" नाम से चर्चित कर दिया। हालाँकि फिल्म कुछ ख़ास सफल नहीं रही पर "आती क्या खंडाला" गाने ने उन्हें दर्शकों का चहेता बना दिया। उनकी पहली बड़ी सफल फिल्म रही शाहरुख़ खान के साथ "कुछ कुछ होता है"। हालाँकि उनका किरदार इस फिल्म में सीमित था पर फिल्म की सफलता से वे निर्देशकों की नज़रों में आ गयीं। इसके बाद उन्हें कई फिल्मों में काम मिला पर वे ज्यादा सफल नहीं रहीं।
उनकी अगली फिल्में "बादल","चोरी चोरी चुपके चुपके" और "मुझसे दोस्ती करोगे!" कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पायी| पर साथ ही उन्हें यशराज बैनर के टैली फिल्म करने का मौका जरुर मिला। उनकी अगली सफल फिल्म रही विवेक ओबेरोई के साथ "साथिया"(2002), जिसके लिये उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।
उन्हें अपनी अगली सफलता के लिये लंबा इंतज़ार करना पड़ा जो उन्हें मिली मणिरत्नम की फिल्म "युवा" से। उन्हें अपने किरदार के लिये दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। उनकी अगली फिल्में "हम तुम", वीर-ज़ारा ", "बंटी और बबली " और "ब्लैक" बड़ी सफल रही और उन्हें बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों में जगह मिली। 2004 -2006 का दौर उनके लिय सुनहरा दौर रहा। फिल्म "ब्लैक" से उन्होंने अपने अभिनय का एक शक्तिशाली परिमाण दिया जहाँ उन्हें एक अंधी-बहरी लड़की का किरदार करने को मिला।