गाजर का हलवा
गाजर का हलवा | |
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उद्भव | |
संबंधित देश | भारत |
देश का क्षेत्र | अवध, उत्तर प्रदेश |
व्यंजन का ब्यौरा | |
मुख्य साँचा:nowrap | गाजर, शक्कर, दूध |
गाजर का हलवा एक अवधी व्यंजन है। ये एक गाजर की मिठाई है। यह मिठाई एक विशिष्ट मात्रा में पानी, दूध, कसा हुआ गाजर और चीनी एक बर्तन में रखकर और फिर उसे नियमित रूप से हिलाते हुए पकाया जाता है। यह अक्सर बादाम और पिस्ता के टुकड़ोसे सजाकर परोसा जाता है। हलवेमे डाली जानेवाली काजु, बादाम, पिस्ता और अन्य चीजें पहले घी में तली जाती हैं। फिर वो सब तली हुई चीजें हलवेमें ऊपर से डालकर सजाई जाती है।
भारत में सभी त्योहारों के दौरान इस मिठाई को पारंपरिक रूप से खाया जाता है, मुख्यतः दीवाली, होली, ईद अल-फितर और रक्षा बंधन के अवसर पर गाजर का हलवा बनाया और खाया जाता है। यह मिठाई सर्दियों के दौरान गर्म गर्मही परोसी जाती है।
त्योहार के समय बहुत से लोग अपने थाली में शाकाहारी व्यंजन के साथ-साथ मिठाइयां भी पसंद करते हैं। गाजर का हलवा पूरे भारत में एक लोकप्रिय मिठाई है और प्रायः सभी त्योहारों में परोसी जाती है। ये पकवान वयस्कों के साथ-साथ बच्चों में भी लोकप्रिय है।
मूल गजर का हलवा पहली बार मुगल काल के दौरान पेश किया गया था। इसका नाम अरबी शब्द "हलवा" से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ "मीठा" होता है और इसे गाजर से बनाया जाता है, इसलिये इसे गाजर का हलवा कहा जाता है। यह पंजाब से दृढ़ता से जुड़ा हुआ है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह वहां उत्पन्न हुआ था या नहीं। यह अन्य प्रकार के पंजाबी हलवे के समान है। गाजर का हलवा मूल रूप से गाजर, दूध और घी से बनता है, लेकिन आजकल इसमें मावे जैसी कई अन्य सामग्रियां शामिल हैं।
सामग्री और बनाने की विधी
सामग्री: गाजर के हलवे की मुख्य सामग्री ताजा कसा हुआ गाजर, दूध, चीनी, खोआ और घी हैं। व्यक्तिगत स्वाद के अनुसार मात्रा और गुणवत्ता भिन्न हो सकती है। चीनी मुक्त संस्करण में, चीनी को नुस्ख़ेसे बाहर रखा गया है।
विधी: गाजर का हलवा पकाने के लिए, कुकर या कढाई आमतौर पर पसंद की जाती है। गाजर का हलवा धीमी गति से पकाया जाना चाहिए। गाजर को पहले कद्दूकस किया जाना चाहिए और फिर पकाने से पहले सुखाया जाना चाहिए। कसा हुआ गाजर फिर एक विशिष्ट मात्रा में दूध या खोआ और चीनी के साथ गरम कढ़ाई में डाल दिया जाता है। ४-५ मिनट तक हिलाते रहने के बाद, मोटे तौर पर कटे हुए काजू डाले जाते हैं और १०-१५ मिनट बाद एक विशिष्ट मात्रा में शुद्ध घी भी डाला जाता है। अंत में, इसे अक्सर बादाम और पिस्ता से सजाकर परोसा जाता है।