शामी कबाब

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शामी कबाब एक मुगलाई पकवान है। यह भारत एवं पाकिस्तान मे बहुत प्रचलित है।

शामी कबाब भारतीय उपमहाद्वीप मे खाया जाने वाले कबाब का एक खास प्रकार है. यह भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी ख़ान-पान शैली का एक प्रमुख अंग हैं. [१] यह आम तौर पर मसले हुए माँस (कीमा) के छोटे से लोथे से बनाया जाता है. इसे टूटने से बचाने के लिए इसमे चने का बेसन अथवा अंडा भी मिलाया जाता है. [२] वैसे तो यह गोमांस (बीफ), बकरे के माँस (मटन) अथवा मेमने के माँस (लैम मीट) की कीमे से बनाया जाता है पर भारत मे इसके शाकाहारी प्रकार (आलू या सोयाबीन के भुर्ते से बना) भी पाए जाते हैं.

इसे अक्सर नाश्ते अथवा क्षुधावर्धक व्यंजन (ऐपिटाइज़र) के रूप मे खाया जाता है. शामी कबाब को हैदराबाद, भारतीय और पाकिस्तानी पंजाब, कश्मीर, उत्तर प्रदेश और पाकिस्तान के सिंध प्रांत मे मेहमाननवाज़ी का बेहतरीन तरीका माना जाता है.

भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश मे शामी कबाब को एक अच्छा नाश्ता माना जाता है। इसे नींबू के रस से सजाया जाता है और इसके साथ धनिए अथवा पुदीने की चटनी परोसी जाती है। बारीक कटे हुए प्याज का सालाद शामी कबाब के साथ अक्सर पेश किया जाता है. [३] रमजान के महीने मे शाम को रोज़ा खोलते वक्त शामी कबाब खाना काफ़ी प्रचलित है. ईद के मुबारक मौके पर शामी कबाब की शीर खुरमा के साथ खाए जाने का भी चलन है.

पकाने का तरीका

आम तौर पर शामी कबाब उबला अथवा भूना हुआ माँस (चिकन अथवा मटन) होता है जिसे चने के बेसन के साथ खरे गरम मसाले (गरम मसाला, काली मिर्च, छोटी इलायची, लौंग, तेजपत्ता आदि) के मिश्रण मे लपेट कर आद्रक,लहसुन और नमक के साथ तब तक पकाया जाता है जब तक वह नरम ना हो जाए. कबाब को पकने के दौरान प्याज, हल्दी, पिसी मिर्च, अंडा, बारीक कटा हरा धनिया, बारीक कटी हरी मिर्च और धनिए के पत्ते भी मिलाए जाते हैं. कभी-कभी खरे मसालों के स्थान पर गरम मसाला पाउडर भी प्रयोग किया जाता है।

इसके बाद पके हुए माँस इस तरह मसला जाता है कि वह रेसेदार बना रहे। अब इस तैयार मिश्रण से छोटे-छोटे हीरे के आकर के अथवा गोल पकोडे बनाए जाते हैं और उन्हे छिछले पैन में डीप फ्राई किया जाता है.

प्रस्तुति

शामी कबाब और रोटी अथवा नान को आम तौर पर कैचप, हॉट सॉस, चिल्ली गार्लिक सॉस, रायता ओर चट्नी के साथ परोसा जाता है, कबाब को परोसने से पहले उसे फेनटे हुए अंडे घोल मे डूबा कर दुबारा फ्राइ करने का भी प्रचलन है. हैदराबाद मे शामी कबाब पके हुए चावल, बिरयानी और रुमाली रोटी के साथ भी खाई जाती है.

शब्द-व्युपत्ति/नामकरण

पाकिस्तान मे शामी कबाब के नामकरण का संबंध बिलाड अल-शाम (आधुनिक सीरिया) से जोड़ा जाता है जहाँ के बावर्ची आम तौर पर मध्य कालीन भारत के धनी मुगल बादशाहों के बावर्चीखाना मे काम करते थे [४]भारत मे इसके नामकरण के पीछे यह मान्यता है कि यह हिन्दी और उर्दू के शब्द "शाम" से प्रेरित है क्यूंकी यह अक्सर शाम के नाश्ते मे खाया जाने वाला व्यंजन है. [५]

सन्दर्भ

इन्हेंभी देखें

बाहरी कड़ियाँ