फरा
फरा धान का कटोरा कहलाने वाले छत्तीसगढ़ प्रांत का चावल से बना एक और व्यंजन है। बनाने की विधि अत्यंत सरल है, केवल चावल के आटे को गूंथ कर हाथों से 3-3.5 इंच के छोटे-छोटे टुकड़े करने है, पहले गोल करें (लोई) फिर बीच से चपटा कर मछली सा आकार दे दें। अब बस भाप से पकाना है।
वैसे, इसे पकाने के दो तरीके हैं, यदि आप तीखा खाने के शौकिन हैं तो बनाई हुई लोई को पहले तेल में लाल मिर्च डालकर हल्के से सेंक ले फिर ऊपर से पानी डालकर भाप में पकने दें। या फिर बिना तले हुए प्रेशर कुकर या फिर इटली बनाने के बर्तन में भाप में पका लें। पकने के बाद इसे मिर्ची की चटनी से साथ परोसइए।
जैसा ऊपर बताया गया है चावल के आटे से फराह बनाया जाता है भाप के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बचे हुए उबले चावल अर्थात भात में चावल आटा मिक्स करके भी इसे बनाया जाता है नए चावल आटे से बनाया गया फराह ज्यादा स्वादिष्ट होता है फराक को कई बार दूध के साथ पकाकर भी खाया जाता है तब इसे दूध फराह कहते हैं