प्रभाचन्द्र
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साँचा:sidebar with collapsible lists प्रभाचन्द्र (११वीं शताब्दी ई.)[1] एक दिगम्बर साधु तथा अनेक जैन दार्शनिक ग्रन्थों के प्रणेता हैं।[2][3]
जीवनी
प्रभाचन्द्र के अनुसार, अजमेर-विजय के पश्चात कुमारपाल ने जैन धर्म स्वीकार कर लिया और अजितनाथ का अराधक बन गया।
कृतियाँ
- प्रमेयकमलमार्तण्ड : माणिक्यनन्दी की कृति परीक्षामुख की टीका[3][2]
- तत्त्वार्थवृत्ति-पद-विवरण : पूज्यपाद की कृति सर्वार्थसिद्धि की टीका[4]
- शब्दाम्बुज-भास्कर-वृत्ति : पूज्यपाद की कृति जैनेन्द्र व्याकरण की टीका[4]
- प्रवचनसार-सरोज-भास्कर : कुन्दकुन्द स्वामी की कृति प्रवचनसार की टीका[4]
- प्रभावकचरित : जैन भिक्षुओं का जीवनचरित
सन्दर्भ
- Soni, Jayandra (2013), "Prabhācandra की स्थिति के इतिहास में जैन दर्शन" (पीडीएफ), इंटरनेशनल जर्नल के जैन अध्ययन, 9 (8): 1-13
- Dundas, पॉल (2002) [1992], जैन (एड.), रूटलेज, ISBN 0-415-26605-X
- दीक्षित, केके (2013) [1971], जैन आंटलजी, अहमदाबाद: L. D. विद्या संस्थान