सर्वार्थसिद्धि
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सर्वार्थसिद्धि एक प्रख्यात जैन ग्रन्थ हैं। यह आचार्य पूज्यपाद द्वारा प्राचीन जैन ग्रन्थ तत्त्वार्थसूत्र पर लिखी गयी टीका हैं।[१][२] इसमें तत्त्वार्थसूत्र के प्रत्येक श्लोक को क्रम-क्रम से समझाया गया है।
लेखक
ग्रन्थ के लेखक आचार्य पूज्यपाद, एक दिगम्बर साधु थे। पूज्यपाद एक कवी, दार्शनिक और आयुर्वेद के गहन ज्ञाता थे।[३]
विषय
सर्वप्रथम ग्रन्थ में तत्त्वार्थसूत्र के मंगलाचरण का अर्थ समझाया गया है। सर्वार्थसिद्धि के दस अध्याय हैं :साँचा:sfn
- दर्शन और ज्ञान
- जीव के भेद
- उर्ध लोक और मध्य लोक
- देव
- अजीव के भेद
- आस्रव
- पाँच व्रत
- कर्म बन्ध
- निर्जरा
- मोक्ष
अंग्रेजी अनुवाद
सर्वार्थसिद्धि का सर्वप्रथम अंग्रेजी अनुवाद प्रोफ़ेसर स.अ. जैन ने किया था।
References
Sources
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