लखनऊ

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Lucknow
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लखनऊ के कुछ दृश्य
लखनऊ के कुछ दृश्य
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देशसाँचा:flag/core
राज्यउत्तर प्रदेश
ज़िलालखनऊ ज़िला
ऊँचाईसाँचा:infobox settlement/lengthdisp
जनसंख्या (2011)
 • कुल२८,१७,१०५
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड2260xx /2270xx
दूरभाष कोड+91-522
वाहन पंजीकरणUP-32
लिंगानुपात915 /1000
एच डी आईसाँचा:decrease 0.665[१](साँचा:color)
वेबसाइटlucknow.nic.in

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लखनऊ (Lucknow) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी है। प्रशासनिक रूप से यह लखनऊ ज़िले के अंतर्गत आता है।[२][३]

विवरण

लखनऊ शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है।[४]

लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को "नवाबों के शहर" के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं।[५]

लखनऊ का इतिहास

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लखनऊ का बड़े इमामबाड़े से लिया गया एक विहंगम दृष्य, १८५८ ई०

लखनऊ प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। यह भगवान राम की विरासत थी जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था।[६][७] अत: इसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया, जो बाद में बदल कर लखनऊ हो गया। यहां से अयोध्या भी मात्र ८० मील दूरी पर स्थित है।[६] लखनऊ का नाम कैसे पड़ा इस पर मतभेद है। मुस्लिम इतिहासकारों के मतानुसार बिजनौर के शेख यहां आये और १५२६ ए डी मे‌ बसे और रहने‌ के लिए उस समय के वास्तुविद लखना पासी की देखरेख में एक किला बनवाया ‌‌‌‌जो लखना किला के‌ नाम से जाना‌ गया।समय‌ के‌ साथ धीरे-धीरे लखना किला लखनऊ में परिवर्तित हो गया।प्राचीन हिन्दू साहित्य के अनुसार यहां भगवान राम के सौतेले भाई लक्ष्मण का‌ जन्म हुआ‌ था जो‌ लाखनपुर से बदलते बदलते लखनऊ हो गया जो अधिक सत्य प्रतीत होता है क्यों कि‌ आज तक किसी‌ वास्तुविद के नाम पर किसी नगर का नाम नहीं रखा गया।[८][९]

लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफ़ुद्दौला ने १७७५ ई. में की थी। अवध के शासकों ने लखनऊ को अपनी राजधानी बनाकर इसे समृद्ध किया। लेकिन बाद के नवाब विलासी और निकम्मे सिद्ध हुए। इन नवाबों के काहिल स्वभाव के परिणामस्वरूप आगे चलकर लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध का बिना युद्ध ही अधिग्रहण कर ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया। १८५० में अवध के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली। लखनऊ के नवाबों का शासन इस प्रकार समाप्त हुआ।[६]

सन १९०२ में नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूनाइटेड प्रोविन्स या यूपी कहा गया। सन १९२० में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से बदल कर लखनऊ कर दिया गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ स्थापित की गयी। स्वतन्त्रता के बाद १२ जनवरी सन १९५० में इस क्षेत्र का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रख दिया गया और लखनऊ इसकी राजधानी बना। इस तरह यह अपने पूर्व लघुनाम यूपी से जुड़ा रहा। गोविंद वल्लभ पंत इस प्रदेश के प्रथम मुख्यमन्त्री बने। अक्टूबर १९६३ में सुचेता कृपलानी उत्तर-प्रदेश एवं भारत की प्रथम महिला मुख्यमन्त्री बनीं।

चित्रदीर्घा

भूगोल

लखनऊ जनसंख्या
जनगणना जनसंख्या
१९८११०,०७,६०४
१९९११६,६९,२०४65.7%
२००१२२,४५,५०९34.5%
अनुमान ३२,२६,०००43.7%
स्रोत: भारत की जनगणना[१२]

विशाल गांगेय मैदान के हृदय क्षेत्र में स्थित लखनऊ शहर बहुत से ग्रामीण कस्बों एवं गांवों से घिरा हुआ है, जैसे अमराइयों का शहर मलिहाबाद, ऐतिहासिक काकोरी, मोहनलालगंज, गोसांईगंज, चिन्हट और इटौंजा। इस शहर के पूर्वी ओर बाराबंकी जिला है, तो पश्चिमी ओर उन्नाव जिला एवं दक्षिणी ओर रायबरेली जिला है। इसके उत्तरी ओर सीतापुर एवं हरदोई जिले हैं। गोमती नदी, मुख्य भौगोलिक भाग, शहर के बीचों बीच से निकलती है और लखनऊ को ट्रांस-गोमती एवं सिस-गोमती क्षेत्रों में विभाजित करती है। लखनऊ शहर भूकम्प क्षेत्र तृतीय स्तर में आता है।[१३]

जनसांख्यिकी

लखनऊ की अधिकांश जनसंख्या पूर्वार्ध उत्तर प्रदेश से है। फिर भी यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के अलावा बंगाली, दक्षिण भारतीय एवं आंग्ल-भारतीय लोग भी बसे हुए हैं। यहां की कुल जनसंख्या का ७७% हिन्दू एवं २०% मुस्लिम लोग हैं। शेष भाग में सिख, जैन, ईसाई एवं बौद्ध लोग हैं। लखनऊ भारत के सबसे साक्षर शहरों में से एक है। यहां की साक्षरता दर ८२.५% है, स्त्रियों की ७८% एवं पुरुषों की साक्षरता ८९% हैं।

जलवायु

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लखनऊ में गर्म अर्ध-उष्णकटिबन्धीय जलवायु है। यहां ठंडे शुष्क शीतकाल दिसम्बर-फरवरी तक एवं शुष्क गर्म ग्रीष्मकाल अप्रैल-जून तक रहते हैं। मध्य जून से मध्य सितंबर तक वर्षा ऋतु रहती है, जिसमें औसत वर्षा १०१० मि.मी. (४० इंच) अधिकांशतः दक्षिण-पश्चिमी मानसून हवाओं से होती है।

लखनऊ में मानसून की उमड़ती घुमड़ती घटाएं

शीतकाल का अधिकतम तापमान २१°से. एवं न्यूनतम तापमान ३-४°से. रहता है। दिसम्बर के अंत से जनवरी अंत तक कोहरा भी रहता है। ग्रीष्म ऋतु गर्म रहती है, जिसमें तापमान ४०-४५°से. तक जाता है और औसत उच्च तापमान ३०°से. तक रहता है।

शहर और आस-पास

परिवर्तन चौक

पुराने लखनऊ में चौक का बाजार प्रमुख है। यह चिकन के कारीगरों और बाजारों के लिए प्रसिद्ध है। यह इलाका अपने चिकन के दुकानों व मिठाइयों की दुकाने की वजह से मशहूर है। चौक में नक्खास बाजार भी है। यहां का अमीनाबाद दिल्ली के चाँदनी चौक की तरह का बाज़ार है जो शहर के बीच स्थित है। यहां थोक का सामान, महिलाओं का सजावटी सामान, वस्त्राभूषण आदि का बड़ा एवं पुराना बाज़ार है। दिल्ली के ही कनॉट प्लेस की भांति यहां का हृदय हज़रतगंज है। यहां खूब चहल-पहल रहती है। प्रदेश का विधान सभा भवन भी यहीं स्थित है। इसके अलावा हज़रतगंज में जी पी ओ, कैथेड्रल चर्च, चिड़ियाघर, उत्तर रेलवे का मंडलीय रेलवे कार्यालय (डीआरएम ऑफिस), लाल बाग, पोस्टमास्टर जनरल कार्यालय (पीएमजी), परिवर्तन चौक, बेगम हज़रत महल पार्क भी काफी प्रमुख़ स्थल हैं। इनके अलावा निशातगंज, डालीगंज, सदर बाजार, बंगला बाजार, नरही, केसरबाग भी यहां के बड़े बाजारों में आते हैं। अमीनाबाद लखनऊ का एक ऐसा स्थान है जो पुस्तकों के लिए मशहूर है।

यहां के आवासीय इलाकों में सिस-गोमती क्षेत्र में राजाजीपुरम, कृष्णानगर, आलमबाग, दिलखुशा, आर.डी.एस.ओ.कालोनी, चारबाग, ऐशबाग, हुसैनगंज, लालबाग, राजेंद्रनगर, मालवीय नगर, सरोजिनीनगर, हैदरगंज, [[ठाकुरगंज एवं सआदतगंज आदि क्षेत्र हैं। ट्रांस-गोमती क्षेत्र में गोमतीनगर,इंदिरानगर, महानगर, अलीगंज, डालीगंज, नीलमत्था कैन्ट, विकासनगर, खुर्रमनगर, जानकीपुरम एवं साउथ-सिटी (रायबरेली रोड पर) आवासीय क्षेत्र हैं।

अर्थ व्यवस्था

साँचा:main लखनऊ उत्तरी भारत का एक प्रमुख बाजार एवं वाणिज्यिक नगर ही नहीं, बल्कि उत्पाद एवं सेवाओं का उभरता हुआ केन्द्र भी बनता जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी होने के कारण यहां सरकारी विभाग एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम बहुत हैं। यहां के अधिकांश मध्यम-वर्गीय वेतनभोगी इन्हीं विभागों एवं उपक्रमों में नियुक्त हैं। सरकार की उदारीकरण नीति के चलते यहां व्यवसाय एवं नौकरियों तथा स्व-रोजगारियों के लिए बहुत से अवसर खुल गये हैं। इस कारण यहां नौकरी पेशे वालों की संख्या निरंतर बढ़ती रहती है। लखनऊ निकटवर्ती नोएडा एवं गुड़गांव के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं बीपीओ कंपनियों के लिए श्रमशक्ति भी जुटाता है। यहां के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लोग बंगलुरु एवं हैदराबाद में भी बहुतायत में मिलते हैं।

शहर में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई) तथा प्रादेशिक औद्योगिक एवं इन्वेस्टमेंट निगम, उत्तर प्रदेश (पिकप) के मुख्यालय भी स्थित हैं। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम का क्षेत्रीय कार्यालय भी यहीं स्थित है। यहां अन्य व्यावसायिक विकास में उद्यत संस्थानों में कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) एवं एन्टरप्रेन्योर डवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (ईडीआईआई) हैं।

उत्पादन एवं संसाधन

चित्र:Hal.JPG
लखनऊ में स्थित हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड की इकाई के पास प्रधान प्रचालन सुविधाएं उपलब्ध हैं।

लखनऊ में बड़ी उत्पादन इकाइयों में हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड, टाटा मोटर्स, एवरेडी इंडस्ट्रीज़, स्कूटर इंडिया लिमिटेड आते हैं। संसाधित उत्पाद इकाइयों में दुग्ध उत्पादन, इस्पात रोलिंग इकाइयाँ एवं एल पी जी भरण इकाइयाँ आती हैं।

शहर की लघु एवं मध्यम-उद्योग इकाइयाँ चिन्हट, ऐशबाग, तालकटोरा एवं अमौसी के औद्योगिक एन्क्लेवों में स्थित हैं। चिन्हट अपने टेराकोटा एवं पोर्सिलेन उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है।

रियल एस्टेट

रियल एस्टेट अर्थव्यवस्था का एक सहसावृद्धि वाला क्षेत्र है। शहर में विभिन्न शॉपिंग मॉल्स, आवासीय परिसर एवं व्यावसायिक परिसर बढ़ते जा रहे हैं। पार्श्वनाथ, डीएलएफ़, ओमैक्स, सहारा, युनिटेक, अंसल एवं ए पी आई जैसे इस क्षेत्र के महाकाय निवेशक यहाँ उपस्थित हैं।

लखनऊ की प्रगति दिल्ली, मुंबई, सूरत एवं गाजियाबाद से कहीं कम नहीं है। यहां के उभरते क्षेत्रों में गोमती नगर, हज़रतगंज, एवं कपूरथला आदि प्रमुख हैं। यहां बड़े निजी अस्पतालों में से सहारा अस्पताल निर्माणाधीन है, जिसमें २५ तल हैं। इसके बाद मेट्रो, पार्श्वनाथ प्लानेट, ओमेक्स हाइट्स का नंबर आता है। शहर का संपत्ति विस्तार सूचकांक बहुत ऊंचा है। एक अनुमान के अनुसार शहर में २०१० तक २.५ बिलियन डालर की व्यवस्थित रियल एस्टेट होगी। ये उत्तर भारत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाद सबसे अधिक है।

परम्परागत व्यापार

दशहरी आम लखनऊ के निकटवर्ती क्षेत्रों में उगाया जाता है, व यहां की परंपरागत उपज में से एक है।

परंपरानुसार लखनवी आम (खासकर दशहरी आम), खरबूजा एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में उगाये जा रहे अनाज की मंडी रही है। यहां के मशहूर मलीहाबादी दशहरी आम को भौगोलिक संकेतक का विशेष कानूनी दर्जा प्राप्त हो चुका है। मलीहाबादी आम को यह विशेष दर्जा भारत सरकार के भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री कार्यालय, चेन्नई ने एक विशेष क़ानून के अंतर्गत्त दिया गया है।[१४] एक अलग स्वाद और सुगंध के कारण दशहरी आम की संसार भर में विशेष पहचान बनी हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मलीहाबादी दशहरी आम लगभग ६,२५३ हैक्टेयर में उगाए जाते हैं और ९५,६५८.३९ टन उत्पादन होता है।[१५]

गन्ने के खेत एवं चीनी मिलें भी निकट ही स्थित हैं। इनके कारण मोहन मेकिन्स ब्रीवरी जैसे उद्योगकर्ता यहां अपनी मिलें लगाने के लिए आकर्षित हुए हैं। मोहन मेकिन्स की इकाई १८५५ में स्थापित हुई थी। यह एशिया की प्रथम व्यापारिक ब्रीवरी थी।[१६]

लखनऊ का चिकन का व्यापार भी बहुत प्रसिद्ध है। यह एक लघु-उद्योग है, जो यहां के चौक क्षेत्र के घर घर में फ़ैला हुआ है। चिकन एवं लखनवी ज़रदोज़ी, दोनों ही देश के लिए भरपूर विदेशी मुद्रा कमाते हैं। चिकन ने बॉलीवुड एवं विदेशों के फैशन डिज़ाइनरों को सदा ही आकर्षित किया है। लखनवी चिकन एक विशिष्ट ब्रांड के रूप में जाना जाये और उसे बनाने वाले कारीगरों का आर्थिक नुकसान न हो, इसलिए केंद्र सरकार के वस्त्र मंत्रालय की टेक्सटाइल कमेटी ने चिकन को भौगोलिक संकेतक के तहत रजिस्ट्रार ऑफ जियोग्राफिकल इंडिकेटर के यहां पंजीकृत करा लिया है। इस प्रकार अब विश्व में चिकन की नकल कर बेचना संभव नहीं हो सकेगा।[१७]

नवाबों के काल में पतंग-उद्योग भी अपने चरमोत्कर्ष पर था।[१८] यह आज भी अच्छा लघु-उद्योग है। लखनऊ तम्बाकू का औद्योगिक उत्पादनकर्ता रहा है। इनमें किमाम आदि प्रसिद्ध हैं। इनके अलावा इत्र, कलाकृतियां जैसे चिन्हट की टेराकोटा, मृत्तिकाकला, चाँदी के बर्तन एवं सजावटी सामान, सुवर्ण एवं रजत वर्क तथा हड्डी-पर नक्काशी करके बनी कलाकृतियों के लघु-उद्योग बहुत चल रहे हैं।

अवसंरचना

यातायात

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सड़क यातायात

शहर में सार्वजनिक यातायात के उपलब्ध साधनों में सिटी बस सेवा, टैक्सी, साइकिल रिक्शा, ऑटोरिक्शा, टेम्पो एवं सीएनजी बसें हैं। सीएनजी को हाल ही में प्रदूषण पर नियंत्रण रखने हेतु आरंभ किया गया है। नगर बस सेवा को लखनऊ महानगर परिवहन सेवा संचालित करता है। यह उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की एक इकाई है।[१९] शहर के हज़रतगंज चौराहे से चार राजमार्ग निकलते हैं: राष्ट्रीय राजमार्ग २४दिल्ली को, राष्ट्रीय राजमार्ग २५झांसी और मध्य प्रदेश को, राष्ट्रीय राजमार्ग ५६वाराणसी को एवं राष्ट्रीय राजमार्ग २८ मोकामा, बिहार को। प्रमुख बस टर्मिनस में आलमबाग का डॉ॰भीमराव अम्बेडकर बस टर्मिनस आता है। इसके अलावा अन्य प्रमुख बस टर्मिनस केसरबाग, चारबाग आते थे, जिनमें से चारबाग का बस टर्मिनस, जो चारबाग रेलवे स्टेशन के ठीक सामने था, नगर बस डिपो बना कर स्थानांतरित कर दिया गया है। यह रेलवे स्टेशन के सामने की भीड़ एवं कंजेशन को नियंत्रित करने हेतु किया गया है।

रेल यातायात

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लखनऊ में कई रेलवे स्टेशन हैं। शहर में मुख्य रेलवे स्टेशन चारबाग रेलवे स्टेशन है। इसकी शानदार महल रूपी इमारत १९२३ में बनी थी। मुख्य टर्मिनल उत्तर रेलवे का है (स्टेशन कोड: LKO)। दूसरा टर्मिनल पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) मंडल का है। (स्टेशन कोड: LJN)। लखनऊ एक प्रधान जंक्शन स्टेशन है, जो भारत के लगभग सभी मुख्य शहरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां और १३ रेलवे स्टेशन हैं:

साँचा:main other

अब मीटर गेज लाइन ऐशबाग से आरंभ होकर लखनऊ सिटी, डालीगंज एवं मोहीबुल्लापुर को जोड़ती हैं। मोहीबुल्लापुर के अलावा अन्य स्टेशन ब्रॉड गेज से भी जुड़े हैं। अन्य सभी स्टेशन शहर की सीमा के भीतर ही हैं, एवं एक दूसरे से सड़क मार्ग द्वारा भी जुड़े हैं। अन्य उपनगरीय स्टेशनों में निम्न स्टेशन हैं:

मुख्य रेलवे स्टेशन पर वर्तमान में १५ प्लेटफ़ॉर्म हैं और इसके २००९ तक देश के व्यस्ततम स्टेशनों में से एक बनने की आशा है। इस स्टेशन के २००९ के अंत तक विश्वस्तरीय स्टेशन बनने की आशा है।

अमौसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शहर का मुख्य विमानक्षेत्र है और शहर से लगभग २० किलोमीटर दूरी पर स्थित है। लखनऊ वायु सेवा द्वारा नई दिल्ली, पटना, कोलकाता एवं मुंबई एवं भारत के कई मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। यह ओमान एयर, कॉस्मो एयर, फ़्लाई दुबई, साउदी एयरलाइंस एवं इंडिगो एयर तथा अन्य कई अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों से जुड़ा हुआ है। इन गंतव्यों में लंदन, दुबई, जेद्दाह, मस्कट, शारजाह, सिंगापुर एवं हांगकांग आते हैं। हज मुबारक के समय यहां से हज-विशेष उड़ानें सीधे जेद्दाह के लिए चलती हैं।

लखनऊ मेट्रो

साँचा:main लखनऊ के लिए उच्च क्षमता मास ट्रांज़िट प्रणाली यानि लखनऊ मेट्रो महानगर में यातयात का एक प्रमुख साधन है। इसके लिए दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने ही योजनाएं बनाई थी और यह काम श्रेई इंटरनेशनल को दिया था।[२०] मेट्रो रेल के संचालन को मूर्त रूप देने और उस पर आने वाले खर्च को पूरा करने की व्यवस्था के लिए राज्य सरकार ने कई अधीनस्थ विभागों के प्रमुख सचिवों और लखनऊ के मंडलायुक्तगणों की एक समिति बनाई

दिल्ली की भांति लखनऊ मेट्रो भी चलेगी

लखनऊ में मेट्रो रेल शुरु होने के बाद सड़कों पर यातायात काफी कम हो गया है! वर्तमान में लखनऊ एवं कानपुर में हर महीने लगभग १००० नए चौपहिया वाहनों का पंजीकरण कराया जाता रहा है। लखनऊ में सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर बाइपास बना दिए जाने के बावजूद सड़कों पर गाड़ियों का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। इस कारण से यहां मेट्रो का त्वरित निर्माण अत्यावश्यक हो गया था । लखनऊ शहर में आरंभ में चार गलियारे निश्चित किये गए हैं:

  1. अमौसी से कुर्सी मार्ग,[२१]
  2. बड़ा इमामबाड़ा से सुल्तानपुर मार्ग,[२१]
  3. पीजीआई से राजाजीपुरम एवं[२१]
  4. हज़रतगंज से फैज़ाबाद मार्ग[२१]

लखनऊ के अलावा कानपुर, मेरठ और गाजियाबाद शहरों में मेट्रो रेल चलाने की योजना है।[२२][२०] इस परिवहन व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर भारत के दूसरे राज्यों जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान[२३][२४] एवं कर्नाटक[२५], आंध्र प्रदेश[२५] एवं महाराष्ट्र[२५] और उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों[२०][२२], में भी इसे चलाने की योजनाएं बन रही हैं।

अनुसंधान एवं शिक्षा

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लखनऊ में देश के कई उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान भी हैं। इनमें से कुछ हैं: किंग जार्ज मेडिकल कालेज और बीरबल साहनी अनुसंधान संस्थान। यहां भारत के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की चार प्रमुख प्रयोगशालाएँ (केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, औद्योगिक विष विज्ञान अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान अनुसंधान संस्थान(एनबीआरआई) और केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान(सीमैप)) उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी हैं।

लखनऊ में छः विश्वविद्यालय हैं: लखनऊ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय(यूपीटीयू), राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय(लोहिया लॉ विवि), बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, एमिटी विश्वविद्यालय एवं इंटीग्रल विश्वविद्यालय। यहां कई उच्च चिकित्सा संस्थान भी हैं: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान(एसजीपीजीआई), छत्रपति शाहूजी महाराज आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (जिसे पहले किंग जॉर्ज मेडिकल कालिज कहते थे) के अलावा निर्माणाधीन सहारा अस्पताल, अपोलो अस्पताल, एराज़ लखनऊ मेडिकल कालिज भी हैं। प्रबंधन संस्थानों में भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ (आईआईएम)[२६], इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़(ल.वि.वि) आते हैं। यहां भारत के प्रमुखतम निजी विश्वविद्यालयों में से एक, एमिटी विश्वविद्यालय का भी परिसर है।

इसके अलावा यहां बहुत से उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के भी सरकारी एवं निजी विद्यालय हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं: सिटी मॉण्टेसरी स्कूल, ला मार्टिनियर महाविद्यालय, जयपुरिया स्कूल, कॉल्विन तालुकेदार्स कालेज, एम्मा थॉम्पसन स्कूल, सेंट फ्रांसिस स्कूल, महानगर बॉयज़ आदि।

संस्कृति

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पान की थाली में कत्था, चूना एवं सुपारी

लखनऊ अपनी विरासत में मिली संस्कृति को आधुनिक जीवनशैली के संग बड़ी सुंदरता के साथ संजोये हुए है। भारत के उत्कृष्टतम शहरों में गिने जाने वाले लखनऊ की संस्कृति में भावनाओं की गर्माहट के साथ उच्च श्रेणी का सौजन्य एवं प्रेम भी है। लखनऊ के समाज में नवाबों के समय से ही "पहले आप!" वाली शैली समायी हुई है।[७][२७] हालांकि स्वार्थी आधुनिक शैली की पदचाप सुनायी देती है, किंतु फिर भी शहर की जनसंख्या का एक भाग इस तहजीब को संभाले हुए है। यह तहजीब यहां दो विशाल धर्मों के लोगों को एक समान संस्कृति से बांधती है। ये संस्कृति यहां के नवाबों के समय से चली आ रही है।[२७] लखनवी पान यहां की संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसके बिना लखनऊ अधूरा लगता है।

भाषा एवं गद्य

लखनऊ में हिन्दी एवं उर्दू दोनों ही बोली जाती हैं किंतु उर्दू को यहां सदियों से खास महत्त्व प्राप्त रहा है। जब दिल्ली खतरे में पड़ी तब बहुत से शायरों ने लखनऊ का रुख किया। तब उर्दू शायरी के दो ठिकाने हो गये- देहली और लखनऊ। जहां देहली सूफ़ी शायरी का केन्द्र बनी, वहीं लखनऊ गज़ल विलासिता और इश्क-मुश्क का अभिप्राय बन गया।[२८][२८] जैसे नवाबों के काल में उर्दू खूब पनपी एवं भारत की तहजीब वाली भाषा के रूप में उभरी। यहां बहुत से हिन्दू कवि एवं मुस्लिम शायर हुए हैं,[२९] जैसे बृजनारायण चकबस्त[३०], ख्वाजा हैदर अली आतिश, विनय कुमार सरोज, आमिर मीनाई, मिर्ज़ा हादी रुसवा, नासिख, दयाशंकर कौल नसीम, मुसाहफ़ी, इनशा, सफ़ी लखनवी और मीर तकी "मीर"[३१] तो प्रसिद्ध ही हैं, जिन्होंने उर्दू शायरी तथा लखनवी भाषा को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।[३२] लखनऊ शिया संस्कृति के लिए विश्व के महान शहरों में से एक है। मीर अनीस और मिर्ज़ा दबीर उर्दू शिया गद्य में मर्सिया शैली के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। मर्सिया इमाम हुसैन की कर्बला के युद्ध में शहादत का बयान करता है, जिसे मुहर्रमके अवसर पर गाया जाता है। काकोरी कांड के अभियुक्त प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने काकोरी में फांसी पर लटका दिया था, उर्दू शायरी से खासे प्रभावित थे, एवं बिस्मिल उपनाम से लिखते थे। कई निकटवर्ती कस्बों जैसे काकोरी, दरयाबाद, बाराबंकी, रुदौली एवं मलिहाबाद ने कई उर्दू शायरों को जन्म दिया है। इनमें से कुछ हैं मोहसिन काकोरवी, मजाज़[३३], खुमार बाराबंकवी एवं जोश मलिहाबादी। हाल ही में २००८ में १८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की १५०वीं वर्षगांठ पर इस विषय पर एक उपन्यास का विमोचन किया गया था। इस विषय पर प्रथम अंग्रेज़ी उपन्यास रीकैल्सिट्रेशन, एक लखनऊ के निवासी ने ही लिखा था।

लखनऊ जनपद के स्वतंत्रता संग्रामी

लखनऊ जनपद के काकोरी कांड के अभियुक्त प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने काकोरी में फांसी पर लटका दिया था बिस्मिल उपनाम से लिखते थे। लखनऊ जनपद के कुम्हरावां गांव में भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन को 13 स्वतंत्रता संग्रामी दिये जिन्होंने अलग अलग समय पर भारतीय जेलों में रहकर भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष को आगे बढाया इनके नाम इस प्रकार हैं

  • स्व0 गुरू प्रसाद बाजपेयी ‘वैद्य जी’
  • स्व0 राम सागर मिश्र ये प्रखर समाजवादी चिंतक थे जो उत्तर प्रदेश की विधान सभा के सदस्य रहे 1976 के आपातकाल में बंदी अवस्था में ही इन्होंने अपना शरीर छोडा लखनऊ में इनके नाम पर रामसागर मिश्र नगर बनाया गया जिसका नाम आगे चलकर इन्दिरानगर कर दिया गया।
  • स्व0 रामदेव आजाद
  • स्व0 फूलकली स्व0 सत्यशील मिश्र
  • स्व0 बाबूलाल
  • स्व0 जगदेव दीक्षित
  • स्व0 श्याम सुन्दर दीक्षित ‘मुन्ने’
  • स्व0 विश्वनाथ मिश्र ‘डाक्टर साहब’
  • स्व0 पुत्तीलाल मिश्र
  • स्व0 बद्री विशाल मिश्र
  • श्री राम कुमार बाजपेयी
  • श्री बचान शुक्ल जी

नृत्य एवं संगीत

कथक नृत्य करते हुए कलाकार

प्रसिद्ध भारतीय नृत्य कथक ने अपना स्वरूप यहीं पाया था। अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह कथक के बहुत बड़े ज्ञाता एवं प्रेमी थे। लच्छू महाराज, अच्छन महाराज, शंभु महाराज एवं बिरजू महाराज ने इस परंपरा को जीवित रखा है।[२७]

कथक नृत्य

लखनऊ प्रसिद्ध गज़ल गायिका बेगम अख्तर का भी शहर रहा है। वे गज़ल गायिकी में अग्रणी थीं और इस शैली को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया। ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया – उनकी गायी बेहतरीन गज़लों में से एक है। लखनऊ के भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय का नाम यहां के महान संगीतकार पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के नाम पर रखा हुआ है। यह संगीत का पवित्र मंदिर है। श्रीलंका, नेपाल आदि बहुत से एशियाई देशों एवं विश्व भर से साधक यहां नृत्य-संगीत की साधना करने आते हैं। लखनऊ ने कई विख्यात गायक दिये हैं, जिनमें से नौशाद अली[३४], तलत महमूद, अनूप जलोटा और बाबा सेहगल कुछ हैं। संयोग से यह शहर ब्रिटिश पॉप गायक क्लिफ़ रिचर्ड का भी जन्म-स्थान है।

फिल्मों की प्रेरणा

लखनऊ हिन्दी चलचित्र उद्योग की आरंभ से ही प्रेरणा रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि लखनवी स्पर्श के बिना, बॉलीवुड कभी उस ऊंचाई पर नहीं आ पाता, जहां वह अब है। अवध से कई पटकथा लेखक एवं गीतकार हैं, जैसे मजरूह सुलतानपुरी, कैफ़े आज़मी, जावेद अख्तर, अली रज़ा, भगवती चरण वर्मा, डॉ॰कुमुद नागर, डॉ॰अचला नागर, वजाहत मिर्ज़ा (मदर इंडिया एवं गंगा जमुना के लेखक), अमृतलाल नागर, अली सरदार जाफरी एवं के पी सक्सेना जिन्होंने भारतीय चलचित्र को प्रतिभा से धनी बनाया। लखनऊ पर बहुत सी प्रसिद्ध फिल्में बनी हैं जैसे शशि कपूर की जुनून, मुज़फ्फर अली की उमराव जान एवं गमन, सत्यजीत राय की शतरंज के खिलाड़ी और इस्माइल मर्चेंट की शेक्स्पियर वाला की भी आंशिक शूटिंग यहीं हुई थी।

बहू बेगम, मेहबूब की मेहंदी, मेरे हुजूर, चौदहवीं का चांद, पाकीज़ा, मैं मेरी पत्नी और वो, सहर, अनवर और बहुत सी हिन्दी फिल्में या तो लखनऊ में बनी हैं, या उनकी पृष्ठभूमि लखनऊ की है। गदर फिल्म में भी पाकिस्तान के दृश्यों में लखनऊ की शूटिंग ही है। इसमें लाल पुल, लखनऊ एवं ला मार्टीनियर कालिज की शूटिंग हैं।

खानपान

साँचा:main अवध क्षेत्र की अपनी एक अलग खास नवाबी खानपान शैली है। इसमें विभिन्न तरह की बिरयानियां, कबाब, कोरमा, नाहरी कुल्चे, शीरमाल, ज़र्दा, रुमाली रोटी और वर्की परांठा[३५] और रोटियां आदि हैं, जिनमें काकोरी कबाब, गलावटी कबाब,[३६] पतीली कबाब, बोटी कबाब, घुटवां कबाब और शामी कबाब प्रमुख हैं।[३५][३६] शहर में बहुत सी जगह ये व्यंजन मिलेंगे। ये सभी तरह के एवं सभी बजट के होंगे। जहां एक ओर १८०५ में स्थापित राम आसरे हलवाई की मक्खन मलाई एवं मलाई-गिलौरी प्रसिद्ध है, वहीं अकबरी गेट पर मिलने वाले हाजी मुराद अली के टुण्डे के कबाब भी कम मशहूर नहीं हैं।[७][३६][३७] इसके अलावा अन्य नवाबी पकवानो जैसे 'दमपुख़्त', लच्छेदार प्याज और हरी चटनी के साथ परोसे गय सीख-कबाब और रूमाली रोटी का भी जवाब नहीं है।[७] लखनऊ की चाट देश की बेहतरीन चाट में से एक है। और खाने के अंत में विश्व-प्रसिद्ध लखनऊ के पान जिनका कोई सानी नहीं है।

लखनऊ के अवधी व्यंजन जगप्रसिद्ध हैं। यहां के खानपान बहुत प्रकार की रोटियां भी होती हैं। ऐसी ही रोटियां यहां के एक पुराने बाज़ार में आज भी मिलती हैं, बल्कि ये बाजार रोटियों का बाजार ही है। अकबरी गेट से नक्खास चौकी के पीछे तक यह बाजार है, जहां फुटकर व सैकड़े के हिसाब से शीरमाल, नान, खमीरी रोटी, रूमाली रोटी, कुल्चा जैसी कई अन्य तरह की रोटियां मिल जाएंगी। पुराने लखनऊ के इस रोटी बाजार में विभिन्न प्रकार की रोटियों की लगभग १५ दुकानें हैं, जहां सुबह नौ से रात नौ बजे तक गर्म रोटी खरीदी जा सकती है। कई पुराने नामी होटल भी इस गली के पास हैं, जहां अपनी मनपसंद रोटी के साथ मांसाहारी व्यंजन भी मिलते हैं। एक उक्ति के अनुसार लखनऊ के व्यंजन विशेषज्ञों ने ही परतदार पराठे की खोज की है, जिसको तंदूरी परांठा भी कहा जाता है। लखनऊवालों ने भी कुलचे में विशेष प्रयोग किये। कुलचा नाहरी के विशेषज्ञ कारीगर हाजी जुबैर अहमद के अनुसार कुलचा अवधी व्यंजनों में शामिल खास रोटी है, जिसका साथ नाहरी बिना अधूरा है। लखनऊ के गिलामी कुलचे यानी दो भाग वाले कुलचे उनके परदादा ने तैयार किये थे।।[३८] साँचा:seealso

साड़ी के पल्लू पर चिकन की कढाई

चिकन की कढाई

चिकन, यहाँ की कशीदाकारी का उत्कृष्ट नमूना है और लखनवी ज़रदोज़ी यहाँ का लघु उद्योग है जो कुर्ते और साड़ियों जैसे कपड़ों पर अपनी कलाकारी की छाप चढाते हैं। इस उद्योग का ज़्यादातर हिस्सा पुराने लखनऊ के चौक इलाके में फैला हुआ है। यहां के बाज़ार चिकन कशीदाकारी के दुकानों से भरे हुए हैं।[७][३९] मुर्रे, जाली, बखिया, टेप्ची, टप्पा आदि ३६ प्रकार के चिकन की शैलियां होती हैं। इसके माहिर एवं प्रसिद्ध कारीगरों में उस्ताद फ़याज़ खां और हसन मिर्ज़ा साहिब थे।[३९]

मीडिया

प्रेस

लखनऊ इतिहास में भी पत्रकारिता का एक प्रमुख केन्द्र रहा है। भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले आरंभ किया गया समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड लखनऊ से ही प्रकाशित होता था। इसके तत्कालीन संपादक मणिकोण्डा चलपति राउ थे।

शहर के प्रमुख अंग्रेज़ी समाचार-पत्रों में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, द पाइनियर एवं इंडियन एक्स्प्रेस हैं। इनके अलावा भी बहुत से समाचार दैनिक अंग्रेज़ी, हिन्दी एवं उर्दू भाषाओं में शहर से प्रकाशित होते हैं। हिन्दी समाचार पत्रों में स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, अमर उजाला, दैनिक हिन्दुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, जनसत्ता एवं आई नेक्स्ट हैं। प्रमुख उर्दू समाचार दैनिकों में जायज़ा दैनिक, राष्ट्रीय सहारा, सहाफ़त, क़ौमी खबरें एवं आग हैं।

प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया एवं यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया के कार्यालय शहर में हैं, एवं देश के सभी प्रमुख समाचार-पत्रों के पत्रकार लखनऊ में उपस्थित रहते हैं।

रेडियो

ऑल इंडिया रेडियो के आरंभिक कुछ स्टेशनों में से लखनऊ केन्द्र एक है। यहां मीडियम वेव पर प्रसारण करते हैं। इसके अलावा यहां एफ एम प्रसारण भी २००० से आरंभ हुआ था। शहर में निम्न रेडियो स्टेशन चल रहे हैं:.[४०] -

इंटरनेट

शहर में इंटरनेट के लिए ब्रॉडबैण्ड इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग सुविधा उपलब्ध हैं। प्रमुख सेवाकर्ता भारत संचार निगम लिमिटेड, भारती एयरटेल, रिलायंस कम्युनिकेशन्स, टाटा कम्युनिकेशन्स एवं एसटीपीआई का बृहत अवसंरचना ढांचा है। इनके द्वारा गृह प्रयोक्ताओं एवं निगमित प्रयोक्ताओं को अच्छी गति का ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध होता है। शहर में ढेरों इंटरनेट कैफ़े भी उपलब्ध हैं।

पर्यटन स्थल

साँचा:main शहर और आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। इनमें ऐतिहासिक स्थल, उद्यान, मनोरंजन स्थल एवं शॉपिंग मॉल आदि हैं। यहां कई इमामबाड़े हैं। इनमें बड़ा एवं छोटा प्रमुख है। प्रसिद्ध बड़े इमामबाड़े का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने १७८४ में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। यहां एक अनोखी भूल भुलैया है। इस इमामबाड़े में एक अस़फी मस्जिद भी है जहां गैर मुस्लिम लोगों के प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं। इसके अलावा छोटा इमामबाड़ा, जिसका असली नाम हुसैनाबाद इमामबाड़ा है मोहम्मद अली शाह की रचना है जिसका निर्माण १८३७ ई. में किया गया था। इसे छोटा इमामबाड़ा भी कहा जाता है।

सआदत अली का मकबरा बेगम हजरत महल पार्क के समीप है। इसके साथ ही खुर्शीद जैदी का मकबरा भी बना हुआ है। यह मकबरा अवध वास्तुकला का शानदार उदाहरण हैं। मकबरे की शानदार छत और गुम्बद इसकी खासियत हैं। ये दोनों मकबरे जुड़वां लगते हैं। बड़े इमामबाड़े के बाहर ही रूमी दरवाजा बना हुआ है। यहां की सड़क इसके बीच से निकलती है। इस द्वार का निर्माण भी अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत किया गया था। नवाब आसफउद्दौला ने यह दरवाजा १७८२ ई. में अकाल के दौरान बनवाया था ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। जामी मस्जिद हुसैनाबाद इमामबाड़े के पश्चिम दिशा स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण मोहम्मद शाह ने शुरू किया था लेकिन १८४० ई. में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने इसे पूरा करवाया। मोती महल गोमती नदी की सीमा पर बनी तीन इमारतों में से प्रमुख है। इसे सआदत अली खां ने बनवाया था।

लखनऊ रेज़ीडेंसी के अवशेष ब्रिटिश शासन की स्पष्ट तस्वीर दिखाते हैं। १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के समय यह रेजिडेन्सी ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेन्ट का भवन था। यह ऐतिहासिक इमारत हजरतगंज क्षेत्र में राज्यपाल निवास के निकट है। लखनऊ का घंटाघर भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है। हुसैनाबाद इमामबाड़े के घंटाघर के समीप १९वीं शताब्दी में बनी एक पिक्चर गैलरी है। यहां लखनऊ के लगभग सभी नवाबों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं।

कुकरैल फारेस्ट एक पिकनिक स्थल है। यहां घड़ियालों और कछुओं का एक अभयारण्य है। यह लखनऊ के इंदिरा नगर के निकट, रिंग मार्ग पर स्थित है। बनारसी बाग वास्तव में एक चिड़ियाघर है, जिसका मूल नाम प्रिंस ऑफ वेल्स वन्य-प्राणी उद्यान है। स्थानीय लोग इस चिड़ियाघर को बनारसी बाग कहते हैं। यहां के हरे भरे वातावरण में जानवरों की कुछ प्रजातियों को छोटे पिंजरों में रखा गया है। यह देश के अच्छे वन्य प्राणी उद्यानों में से एक है। इस उद्यान में एक संग्रहालय भी है।

इनके अलावा रूमी दरवाजा, छतर मंजिल, हाथी पार्क, बुद्ध पार्क, नीबू पार्क मैरीन ड्राइव और इंदिरा गाँधी तारामंडल भी दर्शनीय हैं। लखनऊ-हरदोइ राजमार्ग पर ही मलिहाबाद गांव है, जहां के दशहरी आम विश्व प्रसिद्ध हैं। लखनऊ का अमौसी हवाई अड्डा शहर से बीस किलोमीटर दूर अमौसी में स्थित है। शहर से ९० किलोमीटर की दूरी पर ही नैमिषारण्य तीर्थ है। इसका पुराणों में बहुत ऊंचा स्थान बताया गया है। यहीं पर ऋषि सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को पुराणों का आख्यान दिया था। लखनऊ के निकटवर्ती शहरों में कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, फैजाबाद, बाराबंकी, हरदोई हैं।

धार्मिक सौहार्द

मुहर्रम के दौरान ताजिये के साथ जुलूस

लखनऊ में वैसे तो सभी धर्मों के लोग सौहार्द एवं सद्भाव से रहते हैं, किंतु हिन्दुओं एवं मुस्लिमों का बाहुल्य है। यहां सभी धर्मों के अर्चनास्थल भी इस ही अनुपात में हैं। हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों में हनुमान सेतु मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, अलीगंज का हनुमान मंदिर, भूतनाथ मंदिर, इंदिरानगर, चंद्रिका देवी मंदिर, नैमिषारण्य तीर्थ और रामकृष्ण मठ, निरालानगर हैं।[४१] यहां कई बड़ी एवं पुरानी मस्जिदें भी हैं। इनमें लक्ष्मण टीला मस्जिद, इमामबाड़ा मस्जिद एवं ईदगाह प्रमुख हैं। प्रमुख गिरिजाघरों में कैथेड्रल चर्च, हज़रतगंज, इंदिरानगर (सी ब्लॉक) चर्च, सुभाष मार्ग पर सेंट पाउल्स चर्च एवं असेंबली ऑफ बिलीवर्स चर्च हैं।[४२] यहां हिन्दू त्यौहारों में होली,[४३] दीपावली, दुर्गा पूजा एवं दशहरा और ढेरों अन्य त्यौहार जहां हर्षोल्लास से मनाये जाते हैं, वहीं ईद और बारावफात तथा मुहर्रम के ताजिये भी फीके नहीं होते। साम्प्रदायिक सौहार्द यहां की विशेषता है। यहां दशहरे पर रावण के पुतले बनाने वाले अनेकों मुस्लिम एवं ताजिये बनाने वाले अनेकों हिन्दू कारीगर हैं।[४४][४५]

आवागमन

वायुमार्ग

लखनऊ का अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बैंगलोर, जयपुर, पुणे, भुवनेश्वर, गुवाहाटी और अहमदाबाद से प्रतिदिन सीधी फ्लाइट द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेलमार्ग

चारबाग रेलवे जंक्शन भारत के प्रमुख शहरों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से लखनऊ मेल और शताब्दी एक्सप्रेस, मुम्बई से पुष्पक एक्सप्रेस, कोलकाता से दून एक्स्प्रेस और हावड़ा एक्स्प्रेस 3050 के माध्यम से लखनऊ पहुंचा जा सकता है। चारबाग स्टेशन के अलावा लखनऊ जिले में कई अन्य स्टेशन भी हैं:-

इसके अतिरिक्त मल्हौर में १३ कि.मी, गोमती नगर में १५ कि.मी, काकोरी १५ कि.मी, मोहनलालगंज १९ कि.मी, हरौनी २५ कि.मी, मलिहाबाद २६ कि.मी, सफेदाबाद २६ कि.मी, निगोहाँ ३५ कि.मी, बाराबंकी जंक्शन ३५ कि.मी, अजगैन ४२ कि.मी, बछरावां ४८ कि.मी, संडीला ५३ कि.मी, उन्नाव जंक्शन ५९ कि.मी तथा बीघापुर ६४ कि.मी पर स्थित हैं। इस प्रकार रेल यातायात लखनऊ को अनेक छोटे छोटे गाँवों और कस्बों से जोड़ता है।

सड़क मार्ग

राष्ट्रीय राजमार्ग २४ से दिल्ली से सीधे लखनऊ पहुंचा जा सकता है। लखनऊ का राष्ट्रीय राजमार्ग २ दिल्ली को आगरा, इलाहाबाद, वाराणसी और कानपुर के रास्ते कोलकाता से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २५ झांसी को जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग २८ मुजफ्फरपुर से, राष्ट्रीय राजमार्ग ५६ वाराणसी से जोड़ते हैं।

भगिनी शहर

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
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  4. आइडेन्टिफिकेशन ऑफ माइनौरिटी कंसन्ट्रेशन डिस्ट्रिक्ट्स स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। पब्लिक इन्फॉर्मेशन ब्यूरो
  5. फास्टेस्ट ग्रोइंग सिटीज़ (१ टू १००) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। | सिटी मेयर्स स्टैटिस्टिक्स |
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  13. यूएनडीपी रिपोर्ट स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |अभिगमन तिथि २९ सितंबर, २००६
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  20. गाजियाबाद और लखनऊ में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को मंजूरीसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]| याहू जागरण|३ फरवरी, २००९)
  21. (लखनऊ गेट्स प्रोजक्ट वर्थ २४०० करोड़ टाइम्स ऑफ इंडिया, ६ फरवरी २००९, फ़ैज़ रहमान सिद्दीकी)
  22. मेरठ में मेट्रो की संभावना तलाशेगी डीएमआरसीसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]| ५ जून, २००९|याहू जागरण)
  23. अब जयपुर में भी मेट्रो ट्रेन ५ जून, २००९
  24. मेट्रो जयपुर सर्वे शुरुसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
  25. मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर में होगी मेट्रो स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। ७ अप्रैल, २००६ बीबीसी, हिन्दी
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  30. साँचा:cite web
  31. साँचा:cite web
  32. साँचा:cite web
  33. साँचा:cite web
  34. (संगीतकार ही नहीं एक अच्छे शायर थे नौशादसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]|रमेश चंद्र|४ मई,२००९|समय लाइव)
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  41. टेम्पल्स इन लखनऊ
  42. चर्चेज़ इन लखनऊ
  43. हिन्दूज़ मुस्लिम्स सेलिब्रेट लखनऊ’ज़ होली बारात स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।| ब्रेकिंग न्यूज़ २४/७| आइयान्स|११ मार्च २००९
  44. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  45. दूर तक मशहूर है बिसवां के बने ताजियासाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]| याहू जागरण | २८ दिसम्बर २००८