लक्ष्मण
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लक्ष्मण | |
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लक्ष्मण (दांये) राम और सीता के साथ | |
अन्य नाम | लखन , रामानुज , दशरथसुत , सुमित्रानंदन आदि |
देवनागरी | लक्ष्मण |
संस्कृत लिप्यंतरण | लक्ष्मण |
संबंध |
शेषनाग का अवतार, वैष्णव सम्प्रदाय |
जीवनसाथी | साँचा:if empty |
माता-पिता | साँचा:unbulleted list |
भाई-बहन | राम, शत्रुघ्न, भरत और शांता |
संतान | साँचा:if empty |
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लक्ष्मण रामायण के एक आदर्श पात्र हैं। इनको शेषनाग का अवतार माना जाता है। रामायण के अनुसार, राजा दशरथ के तीसरे पुत्र थे, उनकी माता सुमित्रा थी। वे राम के छोटे भाई थे, इन दोनों भाईयों में अपार प्रेम था। उन्होंने राम-सीता के साथ १४ वर्षों का वनवास भोगा था | कौशल्या और कैकीय इनकी सौतेली माता थीं | इन सभी चारों भाइयों की एक बड़ी बहन थी जो कौशल्या की पुत्री थीं उनका नाम शांता था | दशरथ और कौश्यला ने उन्हें अंग महाजनपद के राजा और कौशल्या की बहन को गोद दे दिया था | का वनवास प्राप्त किया। मंदिरों में श्री राम तथा सीता जी के साथ सदेव उनकी भी पूजा होती है। उनके अन्य भाई भरत और शत्रुघ्न थे। लक्ष्मण हर कला में निपुण थे, चाहे वो मल्लयुद्ध हो या धनुर्विद्या।[१][२]
आदर्श भाई
लक्ष्मण एक आदर्श अनुज हैं। राम को पिता ने वनवास दिया किंतु लक्ष्मण राम के साथ स्वेच्छा से वन गमन करते हैं - ज्येष्ठानुवृति, स्नेह तथा धर्मभाव के कारण। राम के साथ उनकी पत्नी सीता के होने से उन्हें आमोद-प्रमोद के साधन प्राप्त है किन्तु लक्ष्मण ने समस्त आमोदों का त्याग कर केवल सेवाभाव को ही अपनाया। वास्तव में लक्ष्मण का वनवास राम के वनवास से भी अधिक महान है।
भाई के लिये बलिदान की भावना का आदर्श
वाल्मीकि रामायण के अनुसार दानव कबंध से युद्ध के अवसर पर लक्ष्मण राम से कहते हैं, "हे राम! इस कबंध दानव का वध करने के लिये आप मेरी बलि दे दीजिये। मेरी बलि के फलस्वरूप आप सीता तथा अयोध्या के राज्य को प्राप्त करने के पश्चात् आप मुझे स्मरण करने की कृपा बनाये रखना।"
सदाचार का आदर्श
सीता की खोज करते समय जब मार्ग में सीता के आभूषण मिलते हैं तो राम लक्ष्मण से पूछते हैं "हे लक्ष्मण! क्या तुम इन आभूषणों को पहचानते हो?" लक्ष्मण ने उत्तर में कहा "मैं न तो बाहों में बंधने वाले केयूर को पहचानता हूँ और न ही कानों के कुण्डल को।मैं तो प्रतिदिन माता सीता के चरण स्पर्श करता था। अतः उनके पैरों के नूपुर को अवश्य ही पहचानता हूँ।" सीता के पैरों के सिवा किसी अन्य अंग पर दृष्टि न डालने सदाचार का आदर्श है। [३]
वैराग्य की मूर्ति
बड़े भाई के लिये चौदह वर्षों तक पत्नी से अलग रहना वैराग्य का आदर्श उदाहरण है।
लक्ष्मण के वंशज
लक्ष्मण के अंगद तथा चन्द्रकेतुमल्ल नामक दो पुत्र हुये जिन्होंने क्रमशः अंगदीया पुरी तथा कुशीनगर की स्थापना की। प्रतिहार गुर्जर वंश की उत्पत्ति पर चर्चा करने वाला 837 CE का जोधपुर शिलालेख है, यह भी वंश का नाम बताता है, जैसा कि प्रतिहार लक्ष्मण से पूर्वजों का दावा करते हैं, जिन्होंने अपने भाई रामचंद्र के लिए द्वारपाल के रूप में काम किया था। इसका चौथा श्लोक कहता है,
रामभद्र के भाई ने द्वारपाल की तरह कर्तव्य निभाया, इस शानदार वंश को प्रतिहार के नाम से जाना जाने लगा।
[४] [५] मनुस्मृति में, प्रतिहार शब्द, एक प्रकार से क्षत्रिय शब्द का पर्यायवाची है. लक्ष्मण के वंशज प्रतिहार कहलाते थे। वे सूर्यवंशी वंश के राजपूत क्षत्रिय हैं। लक्ष्मण के पुत्र अंगद, जो करपथ (राजस्थान और पंजाब) के शासक थे, इस राजवंश की 126 वीं पीढ़ी में राजा हरिचंद्र प्रतिहार का उल्लेख है (590 AD).
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ K.M. Munshi Diamond Volume, II, p. 11
- ↑ Epigraphia Indica, XVIII, pp. 87