भानगढ़ दुर्ग

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भानगढ़ दुर्ग

भानगढ़ दुर्ग भारत के राजस्थान में स्थित १७वीं शताब्दी में निर्मित एक दुर्ग है।[१] इसे मान सिंह प्रथम ने अपने छोटे भाई माधो सिंह प्रथम के लिए बनवाया था। इस दुर्ग का नाम भान सिंह के नाम पर है जो माधो सिंह के पितामह थे।

इस दुर्ग की सीमा के बाहर एक नया गाँव बसा है जिसमें लगभग २०० घर और जनसंख्या १३०० है। यह दुर्ग और इसका अहाता अच्छी तरह संरक्षित है।[२][३]

इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा इस क्षेत्र में सूर्यास्‍त के बाद किसी भी व्‍यक्ति के रूकने की अनुमति नहीं है।

परिचय

भानगढ़ दुर्ग का बाहरी भाग

भानगढ़ किला सत्रहवीं शताब्‍दी में बनवाया गया था। इस किले का निर्माण मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने करावाया था। राजा माधो सिंह उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे। उस समय भानगड़ की जनसंख्‍या तकरीबन 10,000 थी। भानगढ़ अल्‍वार जिले में स्थित एक शानदार किला है जो कि बहुत ही विशाल आकार में तैयार किया गया है।

चारो तरफ से पहाड़ों से घिरे इस किले में बेहतरीन शिल्‍पकलाओ का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा इस किले में भगवान शिव, हनुमान आदी के बेहतरीन और अति प्राचिन मंदिर विध्‍यमान है। इस किले में कुल पांच द्वार हैं और साथ साथ एक मुख्‍य दीवार है। इस किले में दृण और मजबूत पत्‍थरों का प्रयोग किया गया है जो अति प्राचिन काल से अपने यथा स्थिती में पड़े हुये हैं।

फिलहाल इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा सूर्यास्‍त के बाद इस क्षेत्र में किसी भी व्‍यक्ति के रूकने की मनाही है।

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  2. Singh 2010, पृ॰ 188.
  3. साँचा:cite web

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ