दिल तो पागल है

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

amrutam अमृतम पत्रिका, ग्वालियर

लोग प्यार में क्यों पागल हो रहे हैं?

क्या प्यार में शादी करना जरूरी है?

सच्चे इश्क की पहचान कैसे करें?

मोहब्बत के फायदे नुकसान क्या हैं?

मोहब्बत में क्या होता है?

प्रेम कैसे शुरू होता है?..

इश्क में पहल कैसे करें?..

प्यार में बेवफाई क्यों होती है?.. 75 यानि पोना बातें प्यार की। प्यार, इश्क, मोहब्बत, प्रेम ये सब अधूरे शब्द हैं। जिन्हें पूर्ण करने में प्रेमी पागल और पोना हो जाता है। कलियुग में प्यार एक ऐसा नैन मटक्का है, जो मटका फुलाने तक सीमित है। गुटका खाकर, खुटका पालने दगाबाजों ने इश्क और इंसानियत की नष्ट कर दी। उसकी एक मुस्कान से हम होश गवां बैठे।

होश में जैसे ही आये, वो फिर मुस्करा बैठी।

इश्क-मोहब्बत कितनी सच्चाई है यह… जिक्र से नहीं फिक्र से पता लगती है। पुराने समय का प्यार बिन जाने, अनजाने में इतना गहरा अटूट होता था कि- जन दे देते थे, लेकिन जाने नहीं देते थे। जवान प्रेमियों में जनानो के लक्षण आ गए हैं। इनकी बात में दम नहीं रही। विश्वास से पहले विश्वास घात की सोचते है। गुलाब देकर आरम्भ हुआ प्यार 15 दिन में सेक्स की किताब खुलने तक पहुंच जाता है। जैसे ही महबूबा का जुलाब यानि मासिक धर्म बन्द हुआ या गर्भवती हुई, ये लड़के कबाब से हड्डी की तरह निकाल फेंकते हैं। प्यार, प्रेम, इश्क और मोहब्ब्त ये चारों शब्द अधूरे हैं। ये खुद से भी हो सकते हैं और किसी लड़की या स्त्री से भी। स्वयं से प्रेम करने वाले आत्मप्रेमी कहलाते हैं। प्रेम की खाशियत है कि अगर यह सच्चा होगा, तो कभी सफल नही रहेगा। आत्मा से प्रेम करने वाले अधिकतर प्रेमियों की फ्रेम टँगी मिलती है। प्रेम के रिश्ते दिमाग के होंगे, तो कभी भी उनमें आग लग सकती है अर्थात उनके टूटने के आसार अधिक होते हैं।अगर प्रेम दिल से है, तो इनका टूटना असम्भव होता है। आत्मा का प्रेम काबिल-ए-मरम्मत होता है। मेरे ह्रदय में वास करो और कोई किराया मत दो।…. सच्चे प्यार में ऐसा त्याग होगा, तभी सफल रहेगा। प्यार केवल हथियार (लिंग) के उपयोग के लिए किया जाता है। हथियार का इस्तेमाल होते ही इकरार खत्म हो जाता है। लोग रंग बदलते हैं और बदनाम इश्क हो रहा है। मोहब्ब्त दिल से है या दिमाग से। प्यार के नाम पर जिंदगी भर बन्दगी करने करने वाले कुछ लोग गन्दगी फैला जाते हैं। इश्क में कसक रहती है। यह एक तरफा तड़फा देने वाला भी हो सकता है। मोहब्बत..मोह के कारण होती है। किसी का खूबसूरत चेहरा देखा और मोहब्ब्त हो गई। मोहब्ब्त ही बाद में प्रेम का रूप लेती है। छोड़ दिया है मोहब्ब्त करना, क्योंकि हमसे होती नहीं है। अब आँखे नम होती तो हैं, लेकिन कभी रोती नहीं हैं।। प्यार, इश्क, मोहब्ब्त की ये रोचक 35 बातें आपके मन-मस्तिष्क को मस्त कर देंगी। आत्महत्या की जगह आत्मचिंतन एवं आत्मप्रेम करने पर विचार करें…….. यह जानकारी प्यार में पागल प्रेमियों के लिए है, जो आत्महत्या की सोच रहे हैं! यह जबाब प्यार में डूबे इश्कबाजों को अवश्य पढ़ना चाहिए। इसका अहसास करें। यह जानकारी गूगल पर नहीं मिलेगी। प्रकृति हो….प्रेमिका या पत्नी इनकी प्रसन्नता ही सब सम्पन्नता प्रदान कर सकती है । पत्नी या प्रेमिका इन्हें पाने औऱ न पाने दोनो का दुःख सदैव बना रहता है । क्योंकि ये बांधकर रखना चाहती हैं, जो आदमी की फितरत से परे है । दर-दर भटकना, कहीं भी अटकना आदमी की आदत है। लेकिन संसार का आनंद इन दोनों की बाहों में है । आदमी की आकांक्षा आकाश छूने की रहती है। व्यक्ति फैलना चाहता है, विस्तार चाहता है । स्त्री की सोच अपना “चप्पा” (पति) अपना “नमकीन” (बच्चे) औऱ थोड़ी सी “बर्फ” (कुछ रिश्तेदार) इन्हीं में रिस-रिस कर, रस-रस कर, रच-रच कर पूरा जीवन व्यतीत हो जाता है मर्दों को आसमान छूने का प्रयास करना चाहिए। हमारे सपने ही हैं, जो आसमां से भी बड़े होते हैं। इतना भी स्मरण रखें कि केवल सपने ही अपने होते हैं। कुछ लड़के…फुकने (निरोध) लगाकर, रस टपकने को ही जीवन का सत्य मानते हैं, उनकी राम-राम सत्य है,….होने में ज्यादा वक्त नहीं लगता। सेक्स की लत में रत होकर बाद में सरकने योग्य भी नहीं बचते। हमें हर हाल में सफल होना है…. यही मन्त्र हमारे दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने में सहायता करता है। लड़कियों के चक्कर में 100 जगह भागकर भाग्य को खराब करना अनुचित है। सफलता के लिए कर्म करो, तो दिन-रात की मेहनत से नटराज भी एक दिन नतमस्तक हो जाता है। यही विश्वास विश्व में प्रसिद्ध कर, हमें बाबा विश्वनाथ, भोलेनाथ से मिलवा देगॉ। ये प्यार-मनुहार को त्यागकर अपने मनोबल को सदा बढ़ाये रखो। इसी बल के बुते हम दरिद्रता रूपी दल-दल से बाहर निकल पाएंगे । प्रेम ईश्वर से हो या अन्य किसी से उसकी याद, स्मरण हमें हर रण में लड़ने की शक्ति देता है। उस “प्रेम की प्रतिमा” का भोलापन, सरलता, सहजता आपको हमेशा प्रेरित करेगी। आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। प्रेम ऐसा हो कि-मरने के बाद भी घर-घर आपकी “फ्रेम” फ़ोटो लग जाए। जैसे राधा-कृष्ण की। प्रेम देने-ध्याने का नाम है। प्रेम में काम को विश्राम देकर, बस हमें समर्पण करना आना चाहिए। खुद के अलावा किसी की जिंदगी बदलना ही सच्चा प्रेम है। एक बार किसी का “सारथी” बनकर, तो देखो। लेकिन हम स्वार्थी बनकर उसके विश्वास की अर्थी निकल देते हैं। प्रेमी हो या प्रेमिका….तन और मन के अलावा क्या है किसी के पास देने को! लेकिन क्या करे, इस टेक्नोलॉजी के युग में सब विचित्र तरीके से बदल रहा है। लोगों की निगाहें ब्रा पर ज्यादा हैं वृक्ष पर नहीं। अपने को बदलने का प्रयास करो, निःस्वार्थ प्यार नहीं कर सकते हो, तो पेड़ लगाओ, प्रेमिका के नाम से किसी का जीवन नष्ट-भृष्ट न करके, उसकी रक्षा करो। केवल एक बार प्रकृति हो या अन्य उससे सच्ची लग्न लगाकर देखो। यदि दिल दर्द, से बचकर “मर्द” बनना चाहते हो, तो ये करें- दिल लगाने से अच्छा है, पौधे लगाओ, ये घाव नहीं, छांव देंगे। जब बहुत परेशान हो जाओ, कोई रास्ता न सूझे, तो प्रकृति को ही अपना गुरु बनाकर सही मार्गदर्शन लेवें- महाकाल से प्रार्थना करें कि-हमें अंधकार से प्रकाश की औऱ ले चलने में मदद करे- “कोई हुनर , कोई राज , कोई राह , कोई तो तरीका बताओ….दिल टूटे भी न, साथ छूटे भी न…. कोई रूठे भी न ,सिर फूटे भी न, कुछ लुटे भी न, और ज़िन्दगी गुजर जाए।” अब कायदे की बात भी समझने की कोशिश करें… ‎मेरा मानना है कि- प्रेम मत करो, आत्महत्या के कई औऱ भी नायाब तरीके हैं। प्रेम सफल, तो आदमी तबाह और अगर प्रेम असफल, तो जीवन तबाह हो जाता है। प्रेम विवाह के दुष्प्रभाव…. प्रेम सफल का मतलब होता है-प्रेम विवाह । एक बार कर लिया, तो पूरा जीवन प्रेमिका रूपी पत्नी की मांग औऱ पूर्ति में उलझ कर पूरा जीवन तबाह हो जाता है । माँग, तो वह खुद भर लेती है, किन्तु प्रेमिका एक ऐसी मूर्ति है, जिसकी हर चीज की पूर्ति करते-करते प्रेमी हो या पति के प्राण निकल जाते हैं। आदमी न अर्थशास्त्री बन पाता है और उसे चारो तरफ अनर्थ ही अनर्थ दिखाई पड़ता है। सारे शास्त्र आँसुओं की सहस्त्रधारा में बह जाते हैं। असफल प्रेम के नुकसान… औऱ प्रेम असफल, तो जीवन तबाह का अर्थ है कि- बेवफा प्रेमिका के ध्यान में पूरा जीवन व्यर्थ-व्यतीत होकर केवल अतीत बचता है। उसकी याद ही याद में दिल व दिमाग में मवाद पड़ जाता है । उसकी याद का बेहिसाब खाता सब वाद-विवाद से दूर रखता है। न खाने का मन, न पखाने का। न रोने का, न गाने का। जमाने का डर पहले ही निकल चुका होता है । वो किस समय, क्या कर रही होगी, इसी ऊहापोह में समय कट जाता है- सावन का महीना आया की वह विचार करता है कि- घिर के आएंगी, घटाएँ फिर से सावन की

तुम, तो बाहों में रहोगे, अपने साजन की।

वैसे लड़कियां प्रेमी को अपनी जुल्फों में बांधकर रखती हैं। उनके लंबे बाल का रहस्य है-अमृतम कुन्तल केयर स्पा हेम्पयुक्त

दिल तो पागल है
चित्र:दिल तो पागल है.jpg
दिल तो पागल है का पोस्टर
निर्देशक यश चोपड़ा
निर्माता यश चोपड़ा
आदित्य चोपड़ा
उदय चोपड़ा
पमेला चोपड़ा
लेखक आदित्य चोपड़ा (संवाद)
पटकथा तनुजा चन्द्रा
यश चोपड़ा
पमेला चोपड़ा
अभिनेता शाहरुख़ ख़ान,
माधुरी दीक्षित,
करिश्मा कपूर,
अक्षय कुमार
संगीतकार उत्तम सिंह
छायाकार मनमोहन सिंह
संपादक वी. कार्निक
वितरक यश राज फ़िल्म्स
प्रदर्शन साँचा:nowrap 31 अक्तूबर, 1997
देश भारत
भाषा हिन्दी

साँचा:italic title

दिल तो पागल है 1997 में बनी भारतीय संगीतमय रूमानी हिन्दी फिल्म है। इसका निर्देशन यश चोपड़ा ने किया है। इसमें मुख्य किरदार में शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित, तथा करिश्मा कपूर हैं। शाहरुख खान और यश चोपड़ा की यह एक साथ तीसरी फिल्म है। इससे पहले वह डर (1993) और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995) में एक साथ काम कर चुके थे। जारी होने पर दिल तो पागल है को प्रमुख वाणिज्यिक सफलता थी और यह दुनिया भर में साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बनी थी। फिल्म ने अपनी कहानी और संगीत के लिए प्रशंसा प्राप्त की। इसके अतिरिक्त, फिल्म ने तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और आठ फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे।

पटकथा

राहुल (शाहरुख खान) और निशा (करिश्मा कपूर) एक नाचने वाले मंडल के सदस्य हैं। वो दोनों अच्छे दोस्त हैं। निशा मन ही मन राहुल से प्यार करती है। एक प्रतियोगिता के लिए अभ्यास करते समय निशा को चोट लग जाती है और वह अस्पताल में भर्ती हो जाती है। राहुल ने माया नामक एक नाटक का निर्देशित करने की अपनी इच्छा की घोषणा की। निशा समेत मंडल के सदस्यों को शीर्षक चरित्र "माया" के बारे में संदेह है, जो राहुल के अनुसार ऐसी लड़की है जो सच्चे प्यार में विश्वास करती है और अपने सपने के राजकुमार के लिए इंतज़ार कर रही है। इस बीच, पूजा (माधुरी दीक्षित) दिखाई जाती है, जो बहुत अच्छी नर्तक और शास्त्रीय नृत्य में प्रशिक्षित है। एक छोटी उम्र में अनाथ होने के कारण, उसे अपने माता-पिता के करीबी दोस्तों द्वारा पाला गया है।

पूजा और राहुल एक-दूसरे से कई बार टकराते हैं। नाटक के रिहर्सल के दौरान, निशा का पैर घायल हो गया और डॉक्टर ने कहा कि वह कुछ महीनों तक नृत्य नहीं कर सकती। नाटक में मुख्य भूमिका निभाने के लिए राहुल को एक नई महिला की जरूरत है। वह एक दिन पूजा को नृत्य करते देखता है और मानता है कि वह भूमिका के लिए बिल्कुल सही है। वह उसे अपने रिहर्सल में आने के लिए विनती करता है और वह मान जाती है। राहुल और पूजा करीबी दोस्त बन जाते हैं। अपने पालक परिवार द्वारा दवाब डालने पर पूजा जल्द ही अपने अभिभावक के बेटे अजय (अक्षय कुमार) द्वारा जर्मनी में ले जाई जाती है। वह उसके बचपन का सबसे अच्छा दोस्त है जो लंदन में महीनों से रह रहा है। जैसे ही अजय इंग्लैंड जाने वाला होता है, वह पूजा से प्यार का इजहार करता है। इस दुविधा में, वह इसे स्वीकार करती है।

निशा जल्द ही अस्पताल से लौट आती है और परेशान है कि उसे नाटक के पात्र से निकाल दिया गया है। यह पता लगने पर कि राहुल पूजा से प्यार करता है, वह बहुत ईर्ष्यापूर्ण हो जाती है। यह जानकर कि राहुल उसके प्यार को नहीं समझता, वह लंदन जाने का फैसला करती है। पूरे अभ्यास में, राहुल और पूजा खुद को एक दूसरे के प्यार में पाते हैं। अगले दिन, दोनों पूजा के पुराने नृत्य शिक्षक से मिलने जाते हैं, जिसे पूजा ताई (अरुणा ईरानी) के रूप में संबोधित करती है। वह जान जाती हैं कि दोनों प्यार में स्पष्ट रूप से हैं। नृत्य मंडल के दो सदस्यों की शादी में, राहुल और पूजा एक अंतरंग क्षण साझा करते हैं लेकिन यह सुनिश्चित नहीं कर पाते कि अपने प्यार को पूरी तरह व्यक्त कैसे किया जाए।

नाटक के होने से कुछ दिन पहले, अजय पूजा को आश्चर्यचकित करने के लिए रिहर्सल हॉल में पहुँचा, हर किसी को यह बताते हुए कि वह उसका मंगेतर है। राहुल का दिल टूट जाता है लेकिन वह इसे छिपाने की कोशिश करता है। निशा, जो लौट आई है, उसका ध्यान राहुल के दिल टूटने पर जाता है और बताती है कि जब वह उससे बदले में प्यार नहीं करता था तो वह भी तबाह हो गई थी। हमेशा की तरह खुशहाल अंत देने की अपनी सामान्य शैली के विपरीत राहुल अपने दिल की अवस्था को प्रतिबिंबित करने के लिए नाटक के अंत को संपादित करता है। नाटक की रात को, जैसे ही राहुल और पूजा के पात्र मंच पर अलग हो जाते हैं, अजय एक रिकार्ड टेप बजाता है जिसमें उसके इजहार से पहले पूजा बताती है कि वह राहुल के बारे में कैसा महसूस करती थी। अजय अप्रत्यक्ष रूप से पूजा बता रहे हैं कि वह और राहुल एक साथ रहने के लिए हैं। पूजा अब महसूस करती है कि वह वास्तव में राहुल से प्यार करती है और दोनों मंच पर अपने प्यार को कबूल करते हैं जबकि दर्शक उनकी प्रशंसा करते हैं, जिससे नाटक का एक बार फिर खुशहाल अंत हो जाता है। इसके अलावा, बैकस्टेज में, अजय निशा से पूछता है कि क्या वह पहले से ही विवाहित है या नहीं (उसे उसमें रूचि है ऐसा दर्शाना)।

मुख्य कलाकार

संगीत

दिल तो पागल है में कुल 9 गीत हैं, एक वाद्य रचना मिलाकर 10 गीत एल्बम में हैं। संगीतकार उत्तम सिंह उस वक्त तक कई वर्षों से सक्रिय थे लेकिन सफलता उन्हें इस फिल्म से मिली। उन्होंने लगभग 100 धुनें तैयार की थी जिसमें से 9 धुनों को चुना गया। बोल आनंद बख्शी के द्वारा लिखें गए हैं। जारी होने पर गीत बहुत लोकप्रिय हुए और यह एल्बम साल 1997 की सर्वाधिक बिकने वाली रही।[१] फिल्म की सफलता के लिये इसके संगीत को प्रचुर श्रेय दिया जाता है। उत्तम सिंह की धुनें और आनंद बख्शी के साधारण भाषा में रचे गए बोल का युवाओं से जुड़ना इसकी सफलता के मुख्य कारण रहे।[२]

दिल तो पागल है
उत्तम सिंह द्वारा
जारी 1997
संगीत शैली फिल्म साउंडट्रैक
लेबल वाईआरएफ संगीत
निर्माता यश चोपड़ा
उत्तम सिंह कालक्रम

जज़बात
(1994)
दिल तो पागल है
(1997)
दुश्मन
(1998)

साँचा:italic titleसाँचा:main other सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत उत्तम सिंह द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."दिल तो पागल है, दिल दीवाना है"लता मंगेशकर, उदित नारायण5:36
2."भोली सी सूरत आँखों में मस्ती"उदित नारायण, लता मंगेशकर4:17
3."अरे रे अरे ये क्या हुआ"उदित नारायण, लता मंगेशकर5:34
4."प्यार कर ओ हो हो प्यार कर"लता मंगेशकर, उदित नारायण6:44
5."कब तक चुप बैठे" (ढोलना)उदित नारायण, लता मंगेशकर5:18
6."ले गई ले गई"आशा भोंसले5:44
7."एक दूजे के वास्ते"लता मंगेश्कर, हरिहरन3:26
8."चक दुम दुम" (कोई लड़की है)लता मंगेशकर, उदित नारायण5:29
9."अरे रे अरे क्या हुआ" (भाग-2)उदित नारायण, लता मंगेशकर2:03
10."द डांस ऑफ़ एन्वी"वाद्य संगीत3:18

परिणाम

दिल तो पागल है को बहुत अधिक सफलता मिली। इसके कारण यह भारतीय फिल्मों में उस वर्ष का सबसे अधिक कमाने वाला फिल्म बन गई थी। इसने भारत में कुल ₹59.82 करोड़ रुपये का कारोबार किया। वहीं देश के बाहर ₹12.04 करोड़ रुपये का लाभ लेने में भी सफल हुआ। इस फिल्म को बनाने में मात्र ₹9 करोड़ रुपये लगे थे। उसके हिसाब से कमाई बहुत अधिक हुई।[३] इसने पूरी दुनिया में पहले हफ्ते के अंत में ₹4.71 करोड़ का कारोबार किया था। वहीं पहले सप्ताह इसने ₹8.97 करोड़ का कारोबार किया।[४]

नामांकन और पुरस्कार

जीते

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ