बालेश्वर मन्दिर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(बालेश्वर मंदिर से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
बालेश्वर मंदिर
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
बालेश्वर महादेव मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धतासाँचा:br separated entries
देवताबालेश्वर (शिव)
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिसाँचा:if empty
राज्यउत्तराखण्ड
देशभारत
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 422 पर: No value was provided for longitude।
वास्तु विवरण
निर्मातासाँचा:if empty
निर्माण पूर्ण१०–१२ ईसवीं शताब्दी
ध्वंससाँचा:ifempty
साँचा:designation/divbox
साँचा:designation/divbox

साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main otherसाँचा:main other

उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत नगर में स्थित बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर समूह है, जिसका निर्माण १०-१२ ईसवीं शताब्दी में चन्द शासकों ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। मन्दिर समूह चम्पावत नगर के बस स्टेशन से लगभग १०० मीटर की दूरी पर स्थित है।

मुख्य मन्दिर बालेश्वर महादेव (शिव) को समर्पित है। लगभग २०० वर्ग मीटर फैले मन्दिर परिसर में मुख्य मन्दिर के अतिरिक्त २ मन्दिर और स्थित हैं, जो रत्नेश्वर तथा चम्पावती दुर्गा को समर्पित हैं। मन्दिरों के समीप ही एक नौले का भी निर्माण किया गया है।

बालेश्वर मंदिर परिसर उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों में से एक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मण्डल द्वारा इसकी देख-रेख के लिए कर्मचारी नियुक्त किये गये हैं। पुरातत्व विभाग की देख-रेख में बालेश्वर मंदिर परिसर की स्वच्छता एवं प्रसिद्ध बालेश्वर नौले के निर्मल जल को संरक्षित किया गया है।

निर्माण

उपलब्ध ताम्र पत्रों में अंकित विवरणों के अनुसार इसका निर्माण काल सन् १२७२ ईसवी माना जाता है। लोकमान्यता है कि महाभारत काल में बाली द्वारा यहां पर असुरों से सुख शान्ति के लिए शिव पूजन किया गया जिस कारण इसे बाली + ईश्वर - बालेश्वर नाम दिया गया। बालेश्वर मन्दिर का निर्माण चन्द शासन काल में माना जाता है। कालांतर में सन् १४२० में राजा ध्यानचन्द ने अपने पिता ज्ञान चन्द के पापों से प्रायश्चित के लिए बालेश्वर मंदिर का जीर्णाेद्वार कराया। मंदिर समूह के निर्माण में बलुवा तथा ग्रेनाइट की तरह के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। मूलतः शिखर शैली पर निर्मित बालेश्वर मंदिर ठोस चिनाई के जगत पर आधारित है। गर्भगृह तथा मंडप की छतों पर कालिया मर्दन अंकित हैं, और बाहरी दीवारों पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा अन्य देवी-देवताओं का अंकन किया गया है।

चम्पावती मन्दिर

बालेश्वर मंदिर परिसर में ही स्थित चम्पावती देवी मन्दिर भी नगर वासियों की अगाध आस्था का केन्द्र है। किंवदंति है कि चंपावती देवी कत्यूरों की अंतिम संतान थी। जिसका विवाह इलाहाबाद के निकट झूंसी के निवासी सोम चंद से हुआ था। चम्पावती के नाम से ही चम्पावत नगर बसा। अन्य लोकमत है कि सूर्यवंशी राजा अर्जुनदेव ने काली कुमाऊं का यह क्षेत्र अपनी कन्या चम्पावती को दान में दिया था। कहा जाता है कि चम्पावती देवी चरित्रवती, साहसी तथा अद्भुत वीरांगना थी। राजा की अनुपस्थिति में उसने कई क्षेत्र युद्ध लड़कर जीत लिए थे। उसकी मृत्यु के पश्चात चंद राजाओं ने उसकी स्मृति में एक सुंदर प्रस्तर मूर्ति बनाकर 'बालेश्वर' मंदिर के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थापित की। मूर्ति स्थापना का काल चैदहवीं, पंद्रहवी शताब्दी के मध्य बताया जाता है। चम्पावती देवी की प्रतिमा के हाथ में कटार तथा त्रिशूल है। उसके समीप ही एक सिंह बैठा हुआ है। चम्पावती को अपनी कुलदेवी मानते हुए, साह लागे उसकी पूजा करते थे। नेपाली श्रद्धालु भी इसके दर्शनों के लिए आते हैं। चम्पावती देवी की पूजा, दुर्गापूजा के समान ही की जाती है। जिसमें दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है। भेंट के रूप में घाघरा, पिछौड़ा तथा सुहाग की सामग्री भेंट की जाती है।

चित्र दीर्घा

Baleshwar temple, champawat.JPG

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:commonscat