चन्द राजवंश
चन्द राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल का एक मध्यकालीन रघुवंशी राजवंश था, जिन्होंने इस क्षेत्र पर ११वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश के ह्रास के बाद से और १८वीं शताब्दी में अंगेज़ो के आगमन तक शासन किया।साँचा:ifsubst जैसे गढ़वाल में परमार वंश (पंवार वंश ) दौरान कला और संस्कृति के क्षेत्र में विकास हुआ। उसी तरह से चंद वंश के शासन काल के दौरान कुमाऊं में सांस्कृतिक और कला के क्षेत्र में बहुत बदलाव देखने को मिले ।
एटकिन्सन के अनुसार चंद वंश का संस्थापक सोमचंद था। वहीं “कुमाऊँ का इतिहास” पुस्तक के लेखक बद्रीदत्त पाण्डे ने भी सोमचंद को चंद वंश का शासक माना है। इनका शासन काल [[१]] ई० में बताया जाता है। सोमचन्द के वक्त चंद वंश के राजा नेपाल के डोटी नरेश को कर दिया करते थे। इसी वंश के भारती चंद ने डोटी के खिलाफ छेड़ा और कुमाऊं में एक स्वतंत्र शासन की नींव राखी।
चन्द राजाओं की सूची
बद्री दत्त पाण्डेय ने अपनी पुस्तक कुमाऊँ का इतिहास में निम्न राजाओं के नाम बताये हैं:[१]
राजा | शासन | टिप्पणियां |
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सोम चन्द | ७००-७२१ | |
आत्म चन्द | 721-740 | |
पूरण चन्द | ७४०-७५८ | |
इंद्र चन्द | ७५८-७७८ | राज्य भर में रेशम के कारखाने स्थापित किये। |
संसार चन्द | ७७८-८१३ | |
सुधा चन्द | ८१३-८३३ | |
हमीर चन्द | ८३३-८५६ | |
वीणा चन्द | ८५६-८६९ | खस राजाओं द्वारा पराजित हुए। |
वीर चन्द | १०६५-१०८० | खस राजाओं को हराकर पुनः राज्य प्राप्त किया। |
रूप चन्द | १०८०-१०९३ | |
लक्ष्मी चन्द | १०९३-१११३ | |
धरम चन्द | १११३-११२१ | |
करम चन्द | ११२१-११४० | |
बल्लाल चन्द | ११४०-११४९ | |
नामी चन्द | ११४९-११७० | |
नर चन्द | ११७०-११७७ | |
नानकी चन्द | ११७७-११९५ | |
राम चन्द | ११९५-१२०५ | |
भीषम चन्द | १२०५-१२२६ | |
मेघ चन्द | १२२६-१२३३ | |
ध्यान चन्द | १२३३-१२५१ | |
पर्वत चन्द | १२५१-१२६१ | |
थोहर चन्द | १२६१-१२७५ | |
कल्याण चन्द द्वितीय | १२७५-१२९६ | |
त्रिलोक चन्द | १२९६-१३०३ | छखाता पर कब्ज़ा किया। भीमताल में किले का निर्माण किया। |
डमरू चन्द | १३०३-१३२१ | |
धर्म चन्द | १३२१-१३४४ | |
अभय चन्द | १३४४-१३७४ | |
गरुड़ ज्ञान चन्द | १३७४-१४१९ | भाभर तथा तराई पर अधिकार स्थापित किया; हालांकि बाद में उन्हें संभल के नवाब को हार गए। |
हरिहर चन्द | १४१९-१४२० | |
उद्यान चन्द | १४२०-१४२१ | राजधानी चम्पावत में बालेश्वर मन्दिर की नींव रखी। चौगरखा पर कब्ज़ा किया। |
आत्मा चन्द द्वितीय | १४२१-१४२२ | |
हरी चन्द द्वितीय | १४२२-१४२३ | |
विक्रम चन्द | १४२३-१४३७ | बालेश्वर मन्दिर का निर्माण पूर्ण किया। |
भारती चन्द | १४३७-१४५० | डोटी के राजाओं को पराजित किया। |
रत्न चन्द | १४५०-१४८८ | बाम राजाओं को हराकर सोर पर कब्ज़ा किया। डोटी के राजाओं को पुनः पराजित किया। |
कीर्ति चन्द | १४८८-१५०३ | बारहमण्डल, पाली तथा फल्दाकोट पर कब्ज़ा किया। पौराणिक बृद्धकेदार का निर्माण सम्पन्न किया तथा सोमनाथेश्वर महादेव का पुनर्निर्माण किया। |
प्रताप चन्द | १५०३-१५१७ | |
तारा चन्द | १५१७-१५३३ | |
माणिक चन्द | १५३३-१५४२ | |
कल्याण चन्द तृतीय | १५४२-१५५१ | |
पूर्ण चन्द | १५५१-१५५५ | |
भीष्म चन्द | १५५५-१५६० | चम्पावत से राजधानी खगमरा किले में स्थानांतरित की। आलमनगर की नींव रखी। बारहमण्डल खस सरदार गजुआथिँगा को हारे। |
बालो कल्याण चन्द | १५६०-१५६८ | बारहमण्डल पर पुनः कब्ज़ा किया। राजधानी खगमरा किले से आलमनगर स्थानांतरित कर नगर का नाम अल्मोड़ा रखा। गंगोली तथा दानपुर पर कब्ज़ा किया। |
रुद्र चन्द | १५६८-१५९७ | काठ एवं गोला के नवाब से तराई का बचाव किया। रुद्रपुर नगर की स्थापना की। अस्कोट को पराजित किया, और सिरा पर कब्ज़ा किया। |
लक्ष्मी चन्द | १५९७-१६२१ | अल्मोड़ा तथा बागेश्वर नगरों में क्रमशः लक्ष्मेश्वर तथा बागनाथ मंदिर की स्थापना की। गढ़वाल पर ७ असफल आक्रमण किये। |
दिलीप चन्द | १६२१-१६२४ | |
विजय चन्द | १६२४-१६२५ | |
त्रिमल चन्द | १६२५-१६३८ | |
बाज़ बहादुर चन्द | १६३८-१६७८ | बाजपुर नगर की स्थापना करी। |
उद्योत चन्द | १६७८-१६९८ | |
ज्ञान चन्द | १६९८-१७०८ | |
जगत चन्द | १७०८-१७२० | |
देवी चन्द | १७२०-१७२६ | |
अजीत चन्द | १७२६-१७२९ | |
कल्याण चन्द पंचम | १७२९-१७४७ | रोहिल्लाओं द्वारा पराजित। |
दीप चन्द | १७४७-१७७७ | |
मोहन चन्द | १७७७-१७७९ | गढ़वाल के राजा ललित शाह द्वारा पराजित। |
प्रद्युम्न (शाह) चन्द | १७७९-१७८६ | गढ़वाल के राजा ललित शाह के पुत्र। |
मोहन चन्द | १७८६-१७८८ | प्रद्युम्न शाह को हराकर राज्य पुनः प्राप्त किया। |
शिव चन्द | १७८८ | |
महेन्द्र चन्द | १७८८-१७९० | गोरखाओं द्वारा पराजित। |
इन्हें भी देखें
- ↑ Pandey(1993) pg197-332