इस्लाम की आलोचना

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>InternetArchiveBot द्वारा परिवर्तित ०८:३५, २५ दिसम्बर २०२१ का अवतरण (Rescuing 1 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.8.5)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

इस्लाम की आलोचना उसके उद्भव के शुरुआती चरणों से ही अस्तित्व में है। सबसे पहले सन् 1000 ई में भी पहले ईसाइयों के द्वारा इसकी आलोचना शुरू हुई। वो इस्लाम को इसाईयत का एक परिवर्तित रूप या नया सम्प्रदाय के रूप में मानते थे। बाद में इस्लामी दुनिया से भी आलोचना के स्वर निकलने लगे और साथ ही साथ यहूदी लेखक और चर्च से जुड़े इसाई इसकी आलोचना करते पाये गये।[१][२][३]

धर्मशास्त्र

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

क़ुरआन और हदीस जैसी इस्लामी धार्मिक किताबों की विश्वसनीयता और नैतिकता को लेकर भी सवाल खड़े किये जाते हैं क्योंकि क़ुरआन और हदीसों तक में बहुत ही अस्पष्टता और विरोधाभास है। ब्रिटिश राज के ज़माने से प्रख्यात मुसलमान दार्शनिक, यथार्थवादी और समाज सुधारक सैयद अहमद खान के अनुसार हदीस मुसलमानों पर क़ा़नूनी रूप से बाध्य नहीं हैं।[४]

इसके अलावा इस्लामी धर्मशास्त्र में प्रश्नात्मक रहने पर स्पष्टतया ईशनिंदा का आरोप लगा कर अपराधी, मुशरिक या काफ़िर घोषित करके सिर्फ मार दिये जाने का प्रावधान है यानि हर वो व्यक्ति जो इस्लाम पर सवाल उठाये या क़ुरआन हदीस की प्रमाणिकता तक पर सवालिया हो वो वाजिबुल कत्ल है।[५]

पैगम्बर मुहम्मद

यह भी देखे: रंगीला रसूल

इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद के जीवन के तथाकित अनैतिक पक्षों की भी बहुत आलोचना होती रहती है। यह तथाकित अनैतिकता उनके निजी व सार्वजनिक दोनों जीवन में देखने को मिलती है।[६]

व्यवहार और आधुनिक दुनिया में इस्लाम की भूमिकाएँ

यह भी देखे: इस्लामी आतंकवाद

काफ़िरों (अविश्वासी) यानी ग़ैर-मुसलमानों के प्रति दुर्व्यवहार और हर किस्म के शोषण, सजाओं की "अकाट्य धार्मिक व्यवस्था" है। इस के अतिरिक्त आधुनिक इस्लामी राष्ट्रों में मानवाधिकारों के हनन को लेकर भी आलोचना होती है और सांख्यिकीय आधार पर मुसलमान आबादियाँ ज़्यादातर आतंकवादी और हिंसक कार्यवाहियों में लिप्त पाये गये हैं।साँचा:category handler[स्पष्ट करें][७]

शरीयत अथवा इस्लामी क़ानून और दीगर इस्लामी रीति रिवाज़ में महिलाओं, समलैंगिक लोगों और धार्मिक और नस्ली अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति पर भी इस्लाम आलोचना का शिकार होता है।[८][९]

कहा गया है कि हाल में मुसलमान आबादियाँ पश्चिमी दुनिया, रूस तथा भारत के समाज में घुल-मिल पाने में अक्षम रहे हैं।[१०][११][१२][१३][१४][१५]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. De Haeresibus by John of Damascus. See Migne. Patrologia Graeca, vol. 94, 1864, cols 763–73. An English translation by the Reverend John W Voorhis appeared in The Moslem World for October 1954, pp. 392–98.
  2. साँचा:cite book
  3. Ibn Kammuna, Examination of the Three Faiths, trans. Moshe Perlmann (Berkeley and Los Angeles, 1971), pp. 148–49
  4. Latif, Abu Ruqayyah Farasat. The Quraniyun of the Twentieth Century स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, Masters Assertion, September 2006
  5. साँचा:cite news
  6. Ibn Warraq, The Quest for Historical Muhammad (Amherst, Mass.:Prometheus, 2000), 103.
  7. साँचा:cite book
  8. साँचा:cite web
  9. साँचा:cite news
  10. साँचा:cite book
  11. "Indian Nepalis: Issues and Perspectives", pp. 355–56, Tanka Bahadur Subba, Concept Publishing Company, 2009, 9788180694462
  12. साँचा:cite news
  13. साँचा:cite news
  14. साँचा:cite web
  15. साँचा:cite book by Roland Dannreuther, Luke March