समलैंगिकता
समलैंगिकता का अर्थ किसी व्यक्ति का समान लिंग के लोगों के प्रति यौन और रोमांसपूर्वक रूप से आकर्षित होना है। वे पुरुष, जो अन्य पुरुषों के प्रति आकर्षित होते है उन्हें "पुरुष समलिंगी" या गे और जो महिला किसी अन्य महिला के प्रति आकर्षित होती है उसे भी गे कहा जा सकता है लेकिन उसे आमतौर पर "महिला समलिंगी" या लेस्बियन कहा जाता है। जो लोग महिला और पुरुष दोनो के प्रति आकर्षित होते हैं उन्हें "उभयलिंगी" कहा जाता है। कुल मिलाकर समलैंगिक, उभयलैंगिक और लिंगपरिवर्तित लोगो को मिलाकर एल जी बी टी (साँचा:lang-en) समुदाय बनता है। यह कहना कठिन है कि कितने लोग समलैंगिक हैं। समलैंगिकता का अस्तित्व सभी संस्कृतियों और देशों में पाया गया है, यद्यपि कुछ देशों की सरकारें इस बात का खण्डन करती है।
समलैंगिकता के लिए अन्य शीर्षक
परिभाषा
यद्यपि यह कहा जा सकता है कि समलैंगिकता शब्द उन लोगो के लिए प्रयुक्त होता है जो रोमांस रूप से समान लिंग के लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं, लेकिन इसकी अन्य परिभाषाएँ भी हैं। यदि कोई समलैंगिकता को इस अर्थ में लेता है कि यह शब्द केवल उन लोगो के लिए प्रयुक्त होता है जो समान लिंग के लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं, तब इस परिभाषा के अनुसार कहीं अधिक लोग समलैंगिक होंगे बजाय कि यदि कोई समलैंगिकता का अर्थ केवल यह समझता हो जिसमें दो समानलिंगी लोगों के आपसी यौन-संबंध है। आमतौर पर, यह शब्द उन सभी लोगों के लिए प्रयुक्त होता है, जो समान लिंग के प्रति आकर्षित होते है, उनके लिए भी जिनका अभी तक समलैंगिक यौन-संबंध नहीं हैं (अभी तक)। बहरहाल, समलैंगिकता का सबसे दिखाई देने वाला रूप वास्तविक संबंध है। प्राचीन संस्कृतियों में समलैंगिकता के संबंध में सर्वाधिक प्रमाण उन चित्रकारियों से प्राप्त होते है, जिसमें दो पुरुषों को अंतरंग संबंध या यौन-क्रिया में दिखाया गया है।
कुछ लोग होमोफ़ाइल (युनानी शब्द όμος ("होमोस"; अर्थात समान) और φιλεῖν ("फ़िलीन"; अर्थात प्यार करना)) शब्द का भी उपयोग करते हैं। यह शब्द आमतौर पर एक "विनम्र" शब्द है। यह आमतौर पर उन लोगों के लिए प्रयुक्त होता है जो केवल अपने लिंग के लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं, पर जिनके समलैंगिक संबंध नहीं है या वो समर्थ नहीं हैं।
अन्य नाम
समलैंगिकों के लिए बहुत से शब्द प्रयुक्त होते हैं। इनमें से कुछ का उपयोग समलैंगिकों को अपमानित करने के लिए किया जाता है। हालांकि एल॰जी॰बी॰टी समुदाय कभी-कभी स्वयं को वर्णित करने के लिए इन शब्दों का उपयोग करता है। यह इन शब्दों को कम कष्टकारी बनाने के लिए किया जाता है। समलैंगिक पुरुषों के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्द हैं गे और क्वीर। समलैंगिक महिलाओं के लिए प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्द हैं लैस्बियन और डाइक। लैस्बियन शब्द का अधिकांशतः उपयोग किया जाता है। डाइक कम उपयोग में आने वाला शब्द है, जो कभी-कभी उन लैस्बियनों के लिए प्रयुक्त होता है, जो अधिक पुरुषों जैसी होती हैं (पुरुषों के समान कपड़े पहनना या व्यवहार करना)।
समलैंगिक "गौरव"
जब समलैंगिक लोग अपनी लैंगिक प्रार्थमिकता को गुप्त रखते हैं, तो उन्हें "कोठरी के भीतर" कहा जाता है। "खुला" या "कोठरी से बाहर" एक कठबोली शब्द है, जिसका अर्थ है कि कोई समलैंगिक व्यक्ति अपनी लैंगिक प्रार्थमिकता को लेकर खुला हुआ है। इसका अर्थ है कि वह व्यक्ति अपनी समलैंगिकता के तथ्य को छिपाता नहीं है। कुछ समलैंगिक लोग इसलिए अपनी लैंगिकता को छिपाते है कि वे सोचते हैं कि पता लगने पर न जाने क्या होगा या वे ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जो समलैंगिकों के लिए सुरक्षित नहीं है।
कभी कभार वे लोग जो "खुले" हैं, यह भी कहते हैं कि उन्हें 'गर्व' है। "खुला" यानी कि वे अपनी लैंगिक प्रार्थमिकता को नहीं छिपा रहे हैं। "गर्व" अर्थात वे इससे लज्जित नहीं हैं। "गर्व होना" या "गर्व करना", का एल॰जी॰बी॰टी समुदाय में विशेष अर्थ है। इसका अर्थ है कि वे प्रसन्न हैं और अपनी समलैंगिकता का उत्सव मना रहे हैं। इसका अर्थ "गर्व होना" होना नहीं है, जैसे उन्होनें कोई ऐसा काम किया हो, लेकिन इसका अर्थ लज्जित होने के विपरित है। बहुत से नगरों में "गौरव परेड" होती हैं। पहले ये विरोध प्रदर्शन हुआ करते थे, लेकिन आज, इन्हें आमतौर पर उत्सव मनाने के लिए आयोजित किया जाता है और ये अधिकांशतः जून के महीने में १९६९ के न्यूयॉर्क शहर में भड़के 'स्टोनवॉल दंगों' की स्मृति में आयोजित होती हैं। ये दंगे पुलिस द्वारा लोगों के समलैंगिक होने पर उन्हें प्रताड़ित करने के परिणामस्वरूप हुए थे। 'स्टोनवॉल' या 'स्टोनवॉल दंगे' कभी-कभी एल॰जी॰बी॰टी अधिकार आंदोलन का प्रारंभ भी माने जाते हैं।
कारण
समलैंगिक और उभयलैंगिक होने के कारणों पर विवाद है (लोग उन कारणों से सहमत नहीं हैं)। बहुत से धर्मों में समलैंगिकता या उभयलैंगिकता को पाप माना जाता है। कुछ धर्मों में समलैंगिकता या उभयलैंगिकता को विकल्पों के रूप में देखा जाता है जो किसी व्यक्ति की अपनी पसंद पर निर्भर करता है।
परंतु, बहुत से आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा दर्शाया गया है कि समलैंगिकता विकल्प नहीं है। समलैंगिकता के कारक अभी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन आनुवंशिकी और जन्म से पूर्व का हार्मोन के प्रभाव (जब शिशु गर्भ में पल रहा होता है) और वातावरण कभी कभार इसके कारक माने जाते हैं। वैज्ञानिकों ने यह भी दर्शाया है कि समलैंगिकता केवल मनुष्यों में ही नहीं बल्कि बहुत सी पशु प्रजातियों में भी पाई जाती है। बहुत से पशुओं जैसे पेंग्विन, चिंपाॅज़ी और डॉल्फिनों में भी समलैंगिकता पाई गई है, कुछ में तो मनुष्यों के समान ही जीवन भर के लिए भी।[१]
बहुत से वैज्ञानिक और चिकित्सक इस बात पर सहमत हैं कि समलैंगिक व्यवहार को बदला नहीं जा सकता है। चिकित्सकों द्वारा समलैंगिकों का उपचार यह मानकर किया जाता था कि यह कोई मानसिक रोग है। यद्यपि, अब बहुत से देशों में समलैंगिकता को चिकित्सकों द्वारा मानसिक रोग की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। कुछ धार्मिक समुदाय अवश्य हैं, जो समलैंगिकता के उपचार के प्रयासों में हैं। इसे 'रिपैरेटिव चिकित्सा' कहा जाता है। इस प्रकार की चिकित्सा में बहुत से समलैंगिकों ने अपने आप को विषमलैंगिक बनाने का प्रयास किया है और वो ये दावा भी करते हैं कि उनमें बदलाव आया भी है, लेकिन बहुत से लोग इन बातो पर विश्वास नहीं करते कि ऐसा भी संभव है।
रिपैरेटिव चिकित्सा की बहुत से चिकित्सा और मनोरोग विज्ञान समूहों द्वारा निंदा की गई है, जैसे अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ, अमेरिकी मनोरोग संघ, रॉयल मनोचिकित्सक महाविद्यालय, राष्ट्रीय सामाजिक कार्यकर्ता संघ, रॉयल नर्सिंग महाविद्यालय और अमेरिकी बाल चिकित्सा अकादमी। ये वैज्ञानिक और शिक्षित समूह इस बात पर सहमत है कि यौन उन्मुखीकरण या लैंगिक प्रार्थमिकता बदली नहीं जा सकती है। यह इस बात पर भी सहमत हैं कि रिपैरेटिव चिकित्सा का समलैंगिकों पर आहतकारी प्रभाव हो सकता है।
बहुत से लोग इस बात को दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं कि विषलैंगिकता के कारकों पर चर्चा किए बिना, समलैंगिकता और उभयलैंगिकता के कारकों पर चर्चा की जा रही है। यद्यपि यह समझना सरल है कि विषमलैंगिकता के अस्तित्व का क्या कारण है (क्योंकि विषमलैंगिक सहवास से संतान उत्पन्न होती है), लेकिन यह इस बात पर प्रकाश नहीं डालता कि समलैंगिक लोगों के मस्तिष्क का विकास किस प्रकार होता है। विषमलैंगिकता, समलैंगिकता और उभयलैंगिकता सभी के कुछ कारण हैं और कुछ लोग यह मानते हैं कि केवल समलैंगिकता और उभयलैंगिकता पर चर्चा करना यह सुझाता है कि इन प्रकार की लैंगिक प्रार्थमिकताओं वाले लोगों में कुछ गड़बड़ है।
संबंध और विवाह
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अन्य लोगो के समान ही समलैंगिकों को भी प्यार हो सकता है और उनके भी जीवन-पर्यन्त संबंध हो सकते हैं। बहुत से देशों में समलैंगिक अपने जोड़ीदार से वैधानिक रूप से विवाह नहीं कर सकते। हालाँकि उनके भी वैसे ही संबंध हो सकते है, जैसे विषमलैंगिकों के। समलैंगिक प्रायः एक दूसरे को 'जोड़ीदार' या 'जीवन-साथी' कहते है, बजाए कि 'पति' या 'पत्नी' कहने के। वैवाहिक समारोह की बजाए उनका 'प्रतिबद्धता समारोह' हो सकता है।
कुछ समलैंगिकों का विवाह समारोह होता है, यद्यपि सरकार द्वारा इसे मान्यता नहीं दी जाती या स्वीकार नहीं किया जाता। वे अपने जोड़ीदार को पति या पत्नी कहते हैं, कानून की चिंता किए बिना।
पर उनके लिए विवाह केवल नाम के लिए नहीं है। विवाहित लोगों को बहुत से लाभ होते हैं। किसी देशानुसार ये लाभ बहुत प्रकार के हो सकते हैं, जैसे - कम कर भुगतान, अपने पति/पत्नी का बीमा पाना, संपत्ति का उत्तराधिकारी होना, सामाजिक सुरक्षा लाभ, बच्चे पैदा करना या गोद लेना, अपने पति/पत्नी के देश प्रवासगमन, अपने बीमार पति/पत्नी के लिए किसी विकल्प का चुनाव करना, या अपने बीमार पति/पत्नी को अस्पताल मिलने जाना।
देश जहाँ समान यौन गतिविधि का अनुमति है
अभी २५ देश ऐसे हैं जहाँ समलैंगिको को विवाह करने की अनुमति है या जहाँ किन्हीं राज्यों/हिस्सों में समलैंगिको को विवाह करने की अनुमति है। ये हैं- नीदरलैंड, नॉर्वे, बेल्जियम, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, ताइवान, ब्राज़ील, अर्जेंटीना, कोलोंबिया, फ़्राँस, आयरलैंड, आइस्लैंड, पुर्तगाल, डेनमार्क, अमेरिका, जर्मनी, माल्टा, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, मेक्सिको, स्वीडेन, लक्समबर्ग, उरूग्वे, फ़िनलैंड और कनाडा। नीदरलैंड सर्वप्रथम देश था, जहाँ २००१ में इसे मान्यता मिली। सबसे अंतिम है जर्मनी और माल्टा जहाँ २०१७ में इसे मान्यता मिली। कभी-कभी इन्हें 'समलैंगिक विवाह' या 'गे मैरेज' कहा जाता है।
भारत के कई हिस्सों में भी समलैंगिक रिश्ते और विवाह की खबरें आती रहती हैं। छत्तीसगढ़ में संभवतः पहला समलैंगिक ब्याह सरगुजा में ज़िला अस्पताल की नर्स तनूजा चौहान और जया वर्मा ने रचाया था। इसे देश में समारोहपूर्वक समलैंगिक विवाह का पहला मामला बताया जाता है। 27 मार्च 2001 को दोनों ने वैदिक रीति से विवाह किया था। छत्तीसगढ़ के ही दुर्ग ज़िले में तो डॉक्टर नीरा रजक और नर्स अंजनी निषाद ने समलैंगिक विवाह के लिए जिला प्रशासन को आवेदन भी दिया लेकिन ज़िला प्रशासन ने इस आवेदन को ठुकरा कर अपना पल्ला झाड़ लिया। हालांकि दोनों के जीवन पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। इसी राज्य में रायगढ़ से 40 किलोमीटर दूर एक गाँव में रहने वाली 20 साल की रासमति और 13 साल की रुक्मणी ने भी ब्याह रचाया लेकिन गाँव में इस पर खूब हंगामा मचा और आखिर में दोनों को अलग-अलग रहने के लिए बाध्य कर दिया गया। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने सितम्बर २०१८ में इस धारा का प्रयोग उन कार्यों के लिए असंवैधानिक घोषित कर दिया जिनमें दो वयस्क परस्पर सहमति से समलैंगिक आचरण करते हैं।[२] अर्थात भारत में परस्पर सहमति से दो वयस्कों के बीच समलैंगिक समबन्ध अब अपराध नहीं रहा। यह निर्णय भारत के संविधान के अनुच्छेद 141 और दिल्ली समझौते 1952 के तहत जम्मू और कश्मीर राज्य पर भी लागू होता है, क्योंकि आईपीसी की धारा 377 और रणबीर दंड संहिता पार मटेरिया है और न्यायिक उच्चारण जम्मू और कश्मीर तक बढ़ा दी गई है।[३][४]
विवाह के बजाए कुछ देशों या राज्यों में समलैंगिकों के लिए 'नागरिक संयोजन' या 'घरेलू भागीदारी' का प्रावधान है। इन प्रावधानों के अंतर्गत विवाह से संबंधित कुछ सुरक्षा और लाभ मिलते हैं, लेकिन सभी नहीं। नागरिक संयोजन या घरेलू भागीदारी जैसे प्रावधानों को एल॰जी॰बी॰टी समुदाय द्वारा 'दूसरे दर्जे' के रूप में देखा जाता है। इसमें समलैंगिक जोड़ो को कुछ लाभ तो मिलते हैं, लेकिन ये यह लक्षित करते हैं कि इस प्रकार के दंपत्ति उतने महत्वपूर्ण या वैध नहीं हैं जितने कि विषमलैंगिक दंपत्ति। कुछ लोग तो इनकी तुलना "अलग लेकिन समान" नियमों से भी करते हैं जिनका उपयोग अमेरिका में लोगों को नस्लीय रूप से पृथक करने के लिए किया जाता है। उनका मानना है कि अलग नियम कभी भी समान नहीं हो सकते और समलैंगिकों को दूसरे दर्जे का नागरिक होना अस्वीकार कर देना चाहिए।
यौन-क्रिया
समलैंगिक यौनक्रिया या गे सैक्स उसे कहते हैं जब समान लिंग के लोगों के बीच यौन संबंध हों, चाहे वे दो या दो से अधिक पुरुष हों या महिलाएँ।
बहुत से धर्म समलैंगिक यौनक्रिया को पाप मानते हैं, जिसमें इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म भी हैं। यद्यपि इन धर्मों के कुछ सांप्रदायों में, मुख्यतः ईसाइयत और यहूदियत में अब समलैंगिकता को स्वीकार किया जाता है।
समलैंगिकों को होने वाली परेशानियाँ
आधुनिक समय में समलैंगिकता को "पश्चिमी" देशों में स्वीकृत किया जाता है। अधिकांश पश्चिमी देशों में समलैंगिको को हिंसा और भेदभाव से बचाने के लिए कानून बने हुए हैं।
यद्यपि बहुत से देशों में समलैंगिक भेदभाव से सुरक्षित नहीं हैं। एक समलैंगिक व्यक्ति को केवल इसलिए नौकरी से निकाला जा सकता है क्योंकि वह समलैंगिक है, भले ही वह कितना अच्छा कर्मचारी क्यों ना हो। समलैंगिकों को मकान किराए पर लेने या अपनी लैंगिक प्रार्थमिकता के कारण किसी रेस्टोरेंट में खाने से भी वंचित किया जा सकता है। इन देशों में (अधिकतर इस्लामी देश) समलैंगिक हिंसा और भेदभाव का अनुभव कर सकते हैं। जैसे कि, इस्लामी विधि[५] का उपयोग कुछ स्थानों पर समलैंगिकों को कारागार में डालने और मृत्यु दंड देने तक के लिए किया जाता है। कुछ समूहों का मानना है कि १९७९ के बाद से ईरान में लगभग ४,००० समलैंगिकों को उनकी लैंगिक प्रार्थमिकता के आधार पर फाँसी दी जा चुकी है।[६] २००५ में, चौदह महीनों की कैद और प्रताड़ना के बाद किशोरायु के दो लड़कों को फाँसी दे दी गई।[७]
यूनाइटेड किंगडम में समलैंगिकता अपराध हुआ करता था। ऑस्कर वाइल्ड नाम के प्रसिद्ध आयरिश लेखक को इसके कारण बंदी बनाया गया और परिणामस्वरूप, इस कारण एक हास्य लेखक और नाटककार के रूप में उनकी प्रतिष्ठा और वृत्ति को बहुत बड़ा झटका लगा। एलेन ट्यूरिंग नाम के व्यक्ति को, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनों द्वारा प्रयुक्त किए गए एनिग्मा कोड को तोड़ कर मित्र राष्ट्रों की सहायता की थी, पर इस अपराध का दोषी ठहराया गया और अंततः उसकी समलैंगिकता के उपचार के प्रभाव के कारण उसने आत्महत्या कर ली।
आज यूनाइटेड किंगडम में समलैंगिक सुरक्षित हैं। वयस्कों के बीच यौन संबंध अपराध नहीं है। समलैंगिक पुरूष और महिलाएँ विवाह तो नहीं कर सकते, लेकिन उनके बीच "नागरिक भागीदरी" हो सकती है जिसके अंतर्गत विवाह संबंधित कुछ अधिकार और लाभ मिलते हैं। समलैंगिक पुरूष सेना में भर्ती हो सकते हैं। इसलिए यद्यपि यूनाइटेड किंगडम में बहुत सी बातों को बदला है, लेकिन समलैंगिकों को अभी भी पूरे और समान अधिकार नहीं हैं।
अधिकांश दुनिया में, समलैंगिकों को अभी भी उतने अधिकार और स्वतंत्रता नहीं है, जितने कि विषमलैंगिकों को। 6/9/2018 से भारत भी समलैंगिक लोगों के लिए सुरक्षित हो गया है।यहां पहले इसे 158 सालो से गैर कानूनी रूप में माना जाता था।लेकिन 5 जजो की संविधान पीठ ने नये चार फ़ैसले सुनाये जिस से पूरे देश भर में समलैंगिक लोगो मे उत्साह छा गया है। समलैंगिकता से जनसंख्या का नियंत्रण हो जाएगा। ऐसा होने पर देश को ही लाभ है।
समलैंगिक पर म्युज़िक विडियो
मई 2016 में, मोक्ष म्युज़िक कंपनी द्वारा समलैंगिक मुददे पर की कहानी पर विडियो भी बनाया गया जोकि बहुत चर्चित हुआ। इस विडियो में दो लड़कियों की समलैंगिक प्रेम-कहानी को दिखाया गया है। इस विडियो के कांसेप्ट पर राज महाजन ने काम किया और निर्माण किया। इस विडियो के चरित्रों को मेघा वर्मा और अजिता वर्मा ने निभाया था। [८][९][१०][११]
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।