मिथिलेश्वर
मिथिलेश्वर (जन्म : 31 दिसंबर 1950) हिंदी साहित्य में मुख्यतः साठोत्तरी पीढ़ी से सम्बद्ध प्रमुख कथाकार हैं। मुख्यतः ग्रामीण जीवन से सम्बद्ध कथानकों के प्रति समर्पित कथाकार मिथिलेश्वर सीधी-सादी शैली में विशिष्ट रचनात्मक प्रभाव उत्पन्न करने में सिद्धहस्त माने जाते हैं।
जीवन-परिचय
मिथिलेश्वर का जन्म 31 दिसम्बर 1950 को बिहार के भोजपुर जिले के बैसाडीह नामक गाँव में हुआ।[१] इनके पिता स्व० प्रो० वंशरोपन लाल थे।[२]
इन्होने हिंदी में एम०ए० और पी-एच०डी० करने के उपरांत व्यवसाय के रूप में अध्यापन कार्य को चुना। दिसंबर 1981 से जून 1984 तक राँची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रहे और फिर यूजीसी के टीचर फेलोशिप अवार्ड के तहत एच०डी० जैन कॉलेज, आरा आ गये।[३] बाद में वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय आरा (बिहार) के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में वरिष्ठ उपाचार्य (रीडर) रहे।
मिथिलेश्वर के पिता (प्रो० वंशरोपन लाल) भी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे; परन्तु उनकी असाध्य बीमारी ने मिथिलेश्वर के जीवन में आरंभ से ही कठिन संघर्ष के बीज बो दिये थे। भाइयों की शिक्षा-दीक्षा में होने वाले खर्च के अतिरिक्त अनेक बहनों की शादी में होने वाले खर्च ने मिथिलेश्वर को काफी परेशान किया। परिस्थितिवश स्वयं के वयस्क होते ही शादी की विवशता और फिर कई पुत्रियों का पिता हो जाना उनके संघर्षमय जीवन को और अधिक कठिन बनाने में योगदान ही देता रहा। इसके अतिरिक्त माँ की बीमारी और आरा शहर में नया घर बनाने की आवश्यकता ने मिथिलेश्वर को परेशान तो बहुत किया परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। मिथिलेश्वर के व्यक्तित्व निर्धारण में उनकी अनवरत संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा की अहम भूमिका है।[४]
मिथिलेश्वर की माँ अपने जमाने की पढ़ी-लिखी महिला थी। कम ही शिक्षा में उन्होंने अच्छा ज्ञान अर्जित कर लिया था। फिर प्रोफेसर पति के संग-साथ ने उनकी समझ और सामाजिकता में काफी इजाफा किया था।[५] मिथिलेश्वर अपने लेखक होने का काफी श्रेय अपनी माँ को देते हैं। माँ के निधन से वे बिल्कुल टूटे हुए से महसूस करने लगे थे।[६] सारे संघर्षों के बीच पारिवारिक सद्भाव उन्हें संबल देते रहा है। चार बेटियों की माँ होने के बावजूद उनकी पत्नी रेणु स्वस्थ-सुरूप रही[७] और हमेशा मिथिलेश्वर जी की हार्दिक सहयोगिनी; जिस कारण से मिथिलेश्वर ने कभी संघर्षों से हार नहीं मानी।
रचनात्मक परिचय
मिथिलेश्वर मुख्यतः कथाकार हैं। कहानी के साथ-साथ उपन्यास विधा को भी उन्होंने गंभीरता से अपनाया है तथा इन दोनों विधाओं में अनेक कृतियाँ दी हैं। मिथिलेश्वर का विषय-क्षेत्र मुख्यत: ग्रामीण जीवन है। प्रेमचंद और रेणु के बाद गाँव से सम्बद्ध कथा-लेखन में मिथिलेश्वर का नाम सबसे पहला है। वे सादगी के शिल्प में कहानी रचने वाले कथाकार हैं।[८] शैली में आत्यंतिक सादगी उनकी पहचान बन चुकी है।
मिथिलेश्वर मूलतः उस जनता के लेखक हैं, जो गाँव में रहती है और आज भी अपनी बेहतरी के लिए सामंती पूंजीवादी मिजाज के खिलाफ निजी और सामूहिक स्तर पर विरोध कर रही है।[९]
मिथिलेश्वर ने बाल-साहित्य तथा नवसाक्षरोपयोगी अनेक कृतियों के साथ-साथ निबंध विधा में भी रचना की है तथा संपादन के क्षेत्र में भी हाथ डाला है। उनकी आत्मकथात्मक रचना के तीन खण्ड भी प्रकाशित हो चुके हैं।
प्रकाशित कृतियाँ
कहानी संग्रह
- बाबूजी -1976
- बंद रास्तों के बीच -1978
- दूसरा महाभारत -1979
- मेघना का निर्णय -1980
- गाँव के लोग -1981
- विग्रह बाबू -1982
- तिरिया जनम -1982
- जिन्दगी का एक दिन -1983
- हरिहर काका -1983 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- छह महिलाएँ -1984
- माटी की महक, धरती गाँव की -1986
- एक में अनेक -1987 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- एक थे प्रो० बी० लाल -1993
- भोर होने से पहले -1994 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
- चल खुसरो घर आपने -2000 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
- जमुनी -2001 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- एक और मृत्युंजय -2014 (लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद से)
संचयन एवं समग्र
- मिथिलेश्वर की श्रेष्ठ कहानियाँ -1980 (विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी से)
- प्रतिनिधि कहानियाँ -1989 (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- चर्चित कहानियाँ -1994 (सामयिक प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- 10 प्रतिनिधि कहानियाँ (किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- मिथिलेश्वर की चुनी हुई कहानियाँ (अनन्य प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली से)
- मिथिलेश्वर : संकलित कहानियाँ -2010 (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से)
- मिथिलेश्वर की 19 प्रतिनिधि कहानियाँ (सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली से)
- मिथिलेश्वर की सम्पूर्ण कहानियाँ (तीन खण्डों में) [इन्द्रप्रस्थ प्रकाशन, कृष्णानगर, दिल्ली-51 से)
उपन्यास
- झुनिया -1980 (पहले सरस्वती विहार प्रकाशन से, पुनः आलेख प्रकाशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली से)
- युद्धस्थल -1981 (पहले सरस्वती विहार प्रकाशन से,[१०] राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से पेपरबैक्स में-1994)
- प्रेम न बाड़ी उपजै -1995 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
- यह अंत नहीं -2000 (किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
- सुरंग में सुबह -2003 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
- माटी कहे कुम्हार से -2006 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
- पानी बीच मीन पियासी - 2009
लोक एवं विचार साहित्य
- भोजपुरी लोक कथाएँ -2008
- सृजन की जमीन
- साहित्य की सामयिकता -2005
बाल एवं नवसाक्षरोपयोगी साहित्य
- उस रात की बात -1993
- गाँव के लोग -2005
- एक था पंकज -2006 (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से)
आत्मकथात्मक
- पानी बिच मीन पियासी -2010 (भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली से)
- कहाँ तक कहें युगों की बात -2011 (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से)
- जाग चेत कुछ करौ उपाई -2015 (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से)
संपादन
मेरी पहली रचना -2006 (विभिन्न विधाओं की पहली रचनाओं का अनूठा संकलन)
मित्र (वर्ष 2003 से अनियतकालीन साहित्यिक पत्रिका का संपादन)
- विशेष-
सम्बोधन (साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका) सं०-क़मर मेवाड़ी, का जनवरी-मार्च 2014 अंक मिथिलेश्वर पर केंद्रित। इस अंक का अतिथि संपादक- कृष्ण कुमार)
पुरस्कार
- 'अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार'-1976 ('बाबूजी' पुस्तक के लिए म०प्र० साहित्य परिषद द्वारा)
- 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार'-1979 ('बंद रास्तों के बीच' पुस्तक के लिए सोवियत रूस द्वारा)
- 'यशपाल पुरस्कार'-वर्ष 1981-82 के ('मेघना का निर्णय' पुस्तक के लिए उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा)
- 'अमृत पुरस्कार'-1983 (निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन द्वारा राज्य के सर्वोत्कृष्ट हिंदी लेखक के रूप में)
- 'अखिल भारतीय पुरस्कार' ('सुरंग में सुबह' उपन्यास के लिए म०प्र० साहित्य अकादमी द्वारा)
- साहित्य-मार्तण्ड सम्मान (नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी द्वारा)
- श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान -2014[११] (11 लाख रुपये के तीन सर्वोच्च भारतीय साहित्यिक पुरस्करों में एक)
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ मिथिलेश्वर : संकलित कहानियाँ, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, संस्करण-2013 के अंतिम आवरण पृष्ठ पर उल्लिखित।
- ↑ प्रतिनिधि कहानियाँ मिथिलेश्वर, राजकमल प्रकाशन प्रा० लि०, नयी दिल्ली, पेपरबैक संस्करण-1998, पृष्ठ-5 (समर्पण)।
- ↑ कहां तक कहें युगों की बात, मिथिलेश्वर, नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया, नयी दिल्ली, द्वितीय संस्करण-2013, पृष्ठ-54.
- ↑ सम्बोधन (साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका), जनवरी-मार्च 2014, अतिथि सम्पादक-कृष्ण कुमार, सं०- कमर मेवाड़ी, पृष्ठ-23-24.
- ↑ कहां तक कहें युगों की बात, मिथिलेश्वर, नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया, नयी दिल्ली, द्वितीय संस्करण-2013, पृष्ठ-32.
- ↑ कहां तक कहें युगों की बात, पूर्ववत्, पृष्ठ-380.
- ↑ कहां तक कहें युगों की बात, पूर्ववत्, पृष्ठ-164.
- ↑ रामविनय शर्मा, मिथिलेश्वर : संकलित कहानियाँ, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, संस्करण-2013, पृ०-बारह (भूमिका)।
- ↑ बलराज पांडेय, सम्बोधन (साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका), जनवरी-मार्च 2014, अतिथि सम्पादक-कृष्ण कुमार, सं०- कमर मेवाड़ी, पृष्ठ-47.
- ↑ कहां तक कहें युगों की बात, पूर्ववत्, पृष्ठ-19.
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