भाग मिल्खा भाग
भाग मिल्खा भाग | |
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चित्र:भाग मिल्खा भाग पोस्टर.jpg | |
निर्देशक | राकेश ओमप्रकाश मेहरा[१][२] |
निर्माता |
वायाकॉम 18 राकेश ओमप्रकाश मेहरा |
लेखक | प्रसून जोशी[३] |
अभिनेता |
फरहान अख्तर सोनम कपूर हिकारु इतो मीशा शफी |
संगीतकार | शंकर-एहसान-लॉय |
स्टूडियो | वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स |
वितरक | रिलायंस इंटरटेनमेंट |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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समय सीमा | 186 मिनट[४] |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹३० करोड़ (US$३.९४ मिलियन)[५] |
भाग मिल्खा भाग धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी फ़िल्म 2013 की बॉलीवुड हिन्दी फ़िल्म है। इसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा[१] ने किया है।
अप्रैल 2014 में 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में इस फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म का पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ कॉरियॉग्राफी के लिए भी पुरस्कृत किया गया।[६]
पटकथा
मिल्खा सिंह (फ़रहान अख़्तर) का बचपन दर्द और वेदना से भरा रहा। वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान मिल्खा सिंह के माता-पिता की हत्या हो जाती है। मिल्खा अपनी विवाहित बहन (दिव्या दत्ता) के साथ रहने लगते हैं। लेकिन छोटे से मिल्खा से ये नहीं देखा जाता कि कैसे उसकी बहन का पति उसे प्रताड़ित करता है। एक दिन ऐसा आता है जब मिल्खा को उसका जीजा घर से बाहर निकाल देता है। मिल्खा बड़े होने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हो जाते है। जल्द ही वो सेना में एक धावक के रूप में मशहूर भी हो जाते है। लक्ष्य को पाने के लिए मिल्खा रात दिन एक कर देता है और इस प्रकार फ़िल्म मिल्खा सिंह को आधार मानते हुए आगे बढ़ती है।
पात्र
- फरहान अख्तर - मिल्खा सिंह
- सोनम कपूर - निर्मल कौर (बिरो)
- मास्टर जपतेज सिंह - बालक मिल्खा
- मीशा शफी - पेरिज़ाद
- योगराज सिंह - भारतीय प्रशिक्षक रणवीर सिंह
- नवाब शाह - पाकिस्तानी प्रशिक्षक जावेद
- आर्त मलिक - मिल्खा सिंह के पिता
- दिव्या दत्ता - इस्री कौर, मिल्खा सिंह की बड़ी बहन
- प्रकाश राज
- पवन मल्होत्रा - मिल्खा सिंह के प्रशिक्षक गुरुदेव सिंह
- रेबेका ब्रीड्स - स्टेला
- दलीप ताहिल - जवाहरलाल नेहरू
संगीत
सभी गीत प्रसून जोशी द्वारा लिखित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "गुरबाणी" | दलेर मेंहदी | 1:40 |
2. | "ज़िंदा हैं तो प्याला" | सिद्धार्थ महादेवन | 3:31 |
3. | "मेरा यार" | जावेद बशीर | 5:51 |
4. | "मस्तों का झुण्ड" | दिव्य कुमार | 4:34 |
5. | "भाग मिल्खा भाग" | आरिफ लोहार | 4:29 |
6. | "स्लो मिशन अंग्रेजा" | सुखविंदर सिंह, शंकर महादेवन, लॉय मेंडोंसा | 4:20 |
7. | "ओ रंगरेज" | श्रेया घोषाल, जावेद बशीर | 6:25 |
8. | "भाग मिल्खा भाग (रॉक संस्करण)" | सिद्धार्थ महादेवन | 4:39 |
कुल अवधि: | 35:29 |
समीक्षा
फ़िल्म भाग मिल्खा भाग ने फ़िल्म समीक्षकों से अच्छे परिणाम प्राप्त किये हैं। बीबीसी हिन्दी पर फ़िल्म समीक्षक कोमल नाहटा ने फ़िल्म को 5 में से 4 सितारे देते हुए लिखा है, "फ़िल्म की कहानी के लिए लेखक प्रसून जोशी ने बहुत अच्छा शोध किया है। फ़िल्म तीन घंटे में मिल्खा सिंह के पूरे जीवन को बख़ूबी बड़े पर्दे पर उकेरती है। फ़िल्म की कहानी लिखने के साथ-साथ पटकथा भी प्रसून ने ही लिखी है। फ़िल्म में दर्द, ड्रामा, हास्य, ख़ुशी, गम, हार, जीत और प्यार सभी तरह के भाव हैं। लेकिन फ़िल्म में कई बार दर्शकों को ये महसूस हो सकता है कि मिल्खा का दर्द ज़रूरत से ज़्यादा दिखाया जा रहा है।"[७] एनडीटीवी पर प्रशांत सिसोदिया ने फ़िल्म को 3.5 स्टार की रेटिंग देते हुए लिखा है, "हां, कहीं-कहीं यह ज़रूर लगा कि कुछ सीन खत्म क्यों नहीं हो रहे, लेकिन वैसे, ऐसे सीन्स भी आपको बहुत ज़्यादा परेशान नहीं करेंगे... और सबसे अच्छी बात यह है कि 'भाग मिल्खा भाग' प्रेरणा से भरी कहानी है, जिससे जुड़े कुछ पहलू शायद दर्शकों को पता न हों और इस फिल्म के जरिये दर्शक मिल्खा सिंह को और करीब से जान पाएंगे।"[८] आज तक पर सौरभ द्विवेदी ने यह कहते हुए, "मिल्खा भागता है, तन भागता है, मन भागता है और एक दर्शक के भाग्य जग जाते हैं", फ़िल्म को पांच में से चार स्टार से सुसज्जित किया है।[९] नवभारत टाइम्स पर चन्द्र मोहन शर्मा ने फ़िल्म को पाँच में से चार सितारे देते हुए लिखा है, "इंग सिख मिल्खा सिंह को और नजदीक से जानना है, तो मिस न करें। किरदार के प्रति फरहान अख्तर का समर्पण, जबर्दस्त मेहनत इस फिल्म का प्लस पॉइंट है। सिर्फ एंटरटेनमेंट, मारधाड़, मसाला, हॉट फिल्मों के शौकीनों की कसौटी पर फिल्म शायद खरी न उतरे। इस वीकेंड पर फैमिली के साथ बेहिचक मिल्खा से मिलने जाएं, अपसेट नहीं होंगे। देश की एक महान हस्ती पर बनी इस फिल्म से एंटरटेनमेंट टैक्स वसूलना समझ से परे है।"[१०] प्रभात खबर पर समीक्षक अनुप्रिया अनंत ने फ़िल्म को 5 में से 4.5 स्टार देते हुए उल्लिखित किया है, "मिल्खा सिंह एक निर्देशक द्वारा मुद्दतों बाद शिद्दत से बनी फिल्म है। इसे आप किसी फैन की फिल्म नहीं कह सकते। यह निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा द्वारा भारतीय सिनेमा को दी गयी एक ट्रीब्यूट फिल्म है।[११] हिन्दुस्तान लाइव पर विशाल ठाकुर फ़िल्म पर मिलीजुली प्रतिक्रिया देते हुए लिखते हैं, "एक जुझारु इनसान की जीवनगाथा को रोचक अंदाज में पेश करने के लिए राकेश मेहरा और फरहान अख्तर ने अपनी टीम संग बहुत मेहनत की है। ये जानना रोचक है कि आखिर मिल्खा सिंह रोम ओलंपिक में क्यों हारे! पाकिस्तान में उनकी जीत के क्या मायने थे। वो कौन-से नियम कायदे थे, जिससे उन्होंने जीत हासिल की।"[१२] दैनिक भास्कर पर मयंक शेखर फ़िल्म को 5 में से 3 सितारे देते हैं।[१३]