सवाई माधोपुर
साँचा:if empty Sawai Madhopur | |
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पुराने शहर के इर्दगिर्द की पहाड़ियाँ और मन्दिर | |
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निर्देशांक: साँचा:coord | |
देश | साँचा:flag/core |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | सवाई माधोपुर ज़िला |
संस्थापक | सवाई माधो सिंह प्रथम |
नाम स्रोत | सवाई माधो सिंह प्रथम |
शासन | |
• प्रणाली | नगर परिषद |
• सभा | सवाई माधोपुर नगर परिषद |
क्षेत्र | साँचा:infobox settlement/areadisp |
ऊँचाई | साँचा:infobox settlement/lengthdisp |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | १,२१,१०६ |
• घनत्व | साँचा:infobox settlement/densdisp |
भाषा | |
• प्रचलित | राजस्थानी, हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 322001 |
दूरभाष कोड | 07462 |
वाहन पंजीकरण | RJ-25 |
लिंगानुपात | 922 प्रति 1000 ♂/♀ |
वेबसाइट | sawaimadhopur.rajasthan.gov.in |
सवाई माधोपुर (Sawai Madhopur) भारत के राजस्थान राज्य में स्थित एक नगर है। यह सवाई माधोपुर ज़िले का मुख्यालय और एक लोकसभा निर्वाचनक्षेत्र भी है। यह प्रसिद्ध रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 7 किमी दूर है।[१][२]
विवरण
जिला महान चौहान शासक राणा हम्मीर देेव चौहान और रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता है, जो बाघों के लिए प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर जिले में निम्न तहसीलें हैं- गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर, चौथ का बरवाड़ा, बौंली, मलारना डूंगर, वजीरपुर, बामनवास और खण्डार. गंगापुर सिटी जिले का सबसे बड़ा शहर और उपकेन्द्र है। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रसिद्ध सवाई माधोपुर राजस्थान का प्रमुख शहर है। इस शहर की स्थापना सवाई माधो सिंह प्रथम ने की थी जो जयपुर के महाराजा थे। 18वीं शताब्दी (1763) में महाराजा सवाई माधो सिंह द्वारा इस शहर की स्थापना करने के बाद उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम सवाई माधोपुर पड़ा। यह स्थान केवल राष्ट्रीय उद्यान के लिए ही नहीं बल्कि अपने मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। सवाई माधोपुर में हर मंदिर के साथ कोई-न-कोई कहानी जुड़ी हुई है। यंहा सुप्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश मंदिर हैं जिसका मेला भाद्रपद शुक्ल चुतुर्थी को लगता हैं वास्तुशिल्प से सजे ये मंदिर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचते हैं।
पर्यटन स्थल
सवाई माधोपुर का इतिहास रणथंभौर दुर्ग के आस-पास घूमता है। विंध्य और अरावली से घिर रणथंभौर क़िले के बारे में अभी तक सही-सही पता नहीं चल पाया है कि इसका निर्माण कब हुआ था। इस क़िले की ताकत और दुर्गम रास्ता इसे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता था, विशेष रूप से दिल्ली और आगरा के शासक यहाँ पहुंचने में असमर्थ लगते थे। क़िले के प्रमुख शासक राव हम्मीर चौहान थे जिन्होंने 1296 के आसपास यहाँ शासन किया। क़िले का सुंदर वास्तुशिल्प, तालाब और झील इसके निर्माण के कला प्रेम और ज्ञान को दर्शाते हैं। क़िले का प्रत्येक हिस्सा भारतीय संस्कृति और दर्शन का प्रतीक है। क़िले के अंदर ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान हैं जैसे :- गणेश मंदिर, जैन मंदिर, बादल महल, जँवरा-भँवरा अन्नागार, दिल्ली दरवाजा, हम्मीर महल, हम्मीर कचहरी, तोरण द्वार, महादेव छत्री, सामतों की हवेली, 32 खंबों वाली छतरी, मस्जिद आदि। सवाई माधोपुर जिले का रणथंभोर दुर्ग भारत के महत्वपूर्ण दुर्गों में से एक है। यह दुर्ग सघन जंगलों और सात पहाड़ियों के बीच चंबल नदी एवं बनास नदी से घिरा हुआ अभेद्य दुर्ग है। अरावली पर्वत श़ृंखला एवं विन्ध्याचल पर्वत श़ृंखला के मिलान बिंदु पर बना हुआ रणथम्भौर दुर्ग विश्व विरासत शामिल है। कंबोडिया के नामपेन्ह शहर में यूनेस्को की विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36 वीं बैठक में दिनांक 21 जून 2013 शुक्रवार को भारत का पहाड़ी दुर्ग रणथम्भौर का चयन किया गया वही इस दुर्ग के विश्व विरासत में शामिल होने के घटनाक्रम को विश्व में लाइव देखा गया और सराहा गया।
राष्ट्रीय उद्यान
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान सवाई माधोपुर का प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह उद्यान देश के बेहतरीन बाघ आरक्षित क्षेत्रों में से एक है। 1981 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। 392 वर्ग किलोमीटर में फैला यह उद्यान अरावली और विंध्य की पहाड़ियों में फैला है। यहाँ स्थित तीन झीलों के पास इन बाघों के दिखाई देने की अधिक संभावना रहती है। बाघ के अलावा यहाँ चीते भी रहते हैं। यह चीते उद्यान के बाहरी हिस्से में अधिक पाए जाते हैं। इन्हें देखने के लिए कचीदा घाटी सबसे उपयुक्त जगह है। बाघ और चीतों के अलावा सांभर, चीतल, जंगली सूअर, चिंकारा, हिरन, सियार, तेंदुए, जंगली बिल्ली और लोमड़ी भी पाई जाती है। जानवरों के अलावा पक्षियों की लगभग 264 प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं। सर्दियों में अनेक प्रवासी पक्षी यहाँ आते हैं। यहाँ जीप सफारी का भी आनंद उठाया जा सकता है।
त्रिनेत्र गणेश मंदिर
गणेश मंदिर सवाई माधोपुर का प्रमुख आकर्षण है। देश के हर हिस्से से हज़ारों लोग सुख समृद्धि के इस देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। यह मंदिर सवाई माधोपुर से 12 किलोमीटर दूर विश्व विख्यात रणथंभोर दुर्ग के अंदर बना हुआ है। 5वीं शदी में बना हुआ यह भारत के सबसे प्राचीन गणेश मंदिरों में से एक है। त्रिनेत्र गणेश के नाम से प्रसिद्ध भगवान गणेश जन जन की आस्था के केंद्र है।
श्री चौथ माता जी का मंदिर
चौथ माता जी का मंदिर सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर की दूरी पर चौथ का बरवाड़ा कस्बे में स्थित है। राजस्थान के सुप्रसिद्ध ग्यारह मंदिरों में शामिल श्री चौथ भवानी माता का मंदिर राजपूताना शैली में सफेद संगमरमर से निर्मित है। इस मंदिर की स्थापना महाराज भीमसिंह चौहान ने संवत 1451 में बरवाड़ा गाँव में अरावली पर्वत श़ृंखला के शक्तिगिरि पर्वत पर 1100 फुट ऊँचाई पर की थी। यह मंदिर राजस्थान के सर्वाधिक लोकप्रिय व सुप्रसिद्ध ग्यारह मंदिरों में से एक है। नवरात्रि के समय व वर्षभर की चार बड़ी चतुर्थीयों ( करवा चौथ, वैशाखी चौथ, भाद्रपद चतुर्थी एवं माघ चतुर्थी ) पर माता जी के विशाल मेले भरते हैं, जिनमें लाखों की तादाद में देश भर से दर्शनार्थी माता जी दर्शन हेतु पधारते है। चौथ माता के लिए उपयुक्त कथन प्रसिद्ध है:
- चौरू छोड़ पचालो छोड्यो, बरवाड़ा धरी मलाण
- भीमसिंह चौहान कू, मां दी परच्या परमाण
अमरेश्वर महादेव मंदिर
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के रास्ते में ख़ूबसूरत पहाड़ियों के बीच पवित्र अमरेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह स्थान सवाई माधोपुर का प्रमुख पिकनिक स्पॉट भी है। अमरेशवर महादेव का मंदिर पहाड़ के ऊपर स्थित है। पास में सीता राम जी मंदिर बना हुआ है।
खंडार क़िला
मध्यकाल में बना तारागढ़ का खंडार क़िला सवाई माधोपुर से 47 किलोमीटर दूर है। इस क़िले के निर्माण को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना तय है कि 12वीं शताब्दी में यह क़िला अपनी उन्नति के चरम पर था। इस क़िले का निर्माण प्राचीन भारतीय वास्तुशैली में किया गया है। इसकी भौगोलिक स्थित कुछ ऐसी है कि दुश्मन के लिए इस पर आक्रमण करना कठिन होता था। इसलिए इस क़िले को अजेय क़िला भी कहा जाता था।[1] इस दुर्ग के नीचे एक अत्यंत प्राचीन भवगवान शिव का मंदिर है जो कि इस किले के निर्माण के समय का ही है इसका आकार अर्ध चंद्र कार है इस किले के ऊपर एक प्राचीन मां जयंती का मंदिर है। इस किले के ऊपर कई कुंड है एवं कई मंदिर है।
अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर सप्त कुंडो के लिए प्रसिद्ध है! पिकनिक आदि करने के लिए यह जिले के प्रमुख स्थलों में एक है! यह स्थान हर चतुर्दशी पर शिव भक्तों को आकर्षित तो करता ही साथ ही साथ बड़े कुंड में अविरल गिरती हुई गौ के मुख से जलधारा हर कोई को सोचने पर मजबूर कर देती हैं! कही बार नाग देवता शिव लिंग से लिपटे चतुर्दशी को यहां पर हर कोई को आकर्षित करता है! महाशिव रात्रि पर यहां पर हर साल मेला लगता हैं जिसमें भव्य कवि सम्मेलन व भगवान शिव के भजनों पर भक्तगण मंत्रमुग्ध होते हुए नजर आते हैं!
यातायात और परिवहन
रेल मार्ग
सवाई माधोपुर में रेलवे स्टेशन है जो राजस्थान के प्रमुख शहरों जयपुर एवं कोटा से जुड़ा हुआ है। सवाई माधोपुर जंक्शन दिल्ली-कोटा-मुम्बई रेलवे मार्ग पर प्रमुख जंक्शन प्वाइंट है। यहाँ से जयपुर के लिए रेलवे लाइन जाती है। भारत के प्रमुख शहरों से सवाई माधोपुर जुड़ा हुआ है। यहाँ पर सभी एक्सप्रेस गाड़ियों का ठहराव होता है। सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत प्रमुख रेलवे स्टेशनों में :-
सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 11 और 12 के रास्ते सवाई माधोपुर पहुंचा जा सकता है।
सवाई माधोपुर आसपास
- चौथ माता का मंदिर, चौथ का बरवाड़ा
- सवाई माधोपुर त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथम्भौर, भारत
- घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग शिवालय, शिवाड़
- खण्डार का अजय दुर्ग, खण्डार
- रामेश्वर त्रिवेणी संगम, खण्डार
- रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, रणथम्भौर
- रणथंभोर दुर्ग, रणथम्भौर
- सवाई मानसिंह अभयारण्य, खण्डार
- अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड, भगवतगढ़
- काला-गौरा भैरव मंदिर, सवाई माधोपुर
- मीन भगवान का भव्य मंदिर, चौथ का बरवाड़ा
- श्री चमत्कार जी का जैन मंदिर, सवाई माधोपुर
- चंबल वन्य जीव अभयारण्य,
- कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य
- कँवालजी आखेट निषिद्द क्षेत्र, बूंदी
- ईच्छापूर्ण हनुमान जी का मंदिर, इटावा
- लहकोड़ माता जी का मंदिर, पिलोदा
- भगवान देवनारायण का मंदिर, बरवाड़ा
- (हनूमान मंदिर) कुस्तला
- जयबजरंगबली मंदिर भूखा बनास नदी
पावंडी
पावंडी सवाई माधोपुर से 33km व खंडार तहसील से दक्षिण की ओर 8km सवाईमाधोपुर रोड़ से कुछ दूरी पर स्थित है, इस गांव में राजपूत व बैरवा समाज के लोग मिलजुल कर रहते हैं,आपस में सहयोग करते हैं, यहां ज्यादातर सब किसान है। यह गांव सुव्यवस्थित रूप से बसाया हुआ है, गांव के बाहर खेड़ापति हनुमान जी का मंदिर है, पावंडी से कुछ दूरी पर जंगल में पहाड़ी में प्राचीन काल से एक हनुमान मंदिर है। जिसके आस पास के स्थान को कांसेरा कहा जाता है, यहां पहले पावंडी के राजपूत व बैरवा समाज के चन्द्रावत परिवार के लोग इस्ट मानते थे, वहां आस पास देवी का मंदिर है,जो इनकी कुल देवी थी। मान्यता है,कि इस मंदिर की हनुमान मूर्ति की स्थापना पाडवों ने अज्ञातवास के दौरान लगवाई थी। यहां आसपास पहले गांव बसता था, यहां झाला राजपूत, बैरवा समाज ,गुर्जर समाज के लोग रहते थे, यह मानना है,अब परिस्थितियों के कारण पानी,या कुछ और पलायन कर गए।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990