शृंगारशतकम्

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

शृंगारशतकम् भर्तृहरि के तीन प्रसिद्ध शतकों (शतकत्रय) में से एक है। इसमें शृंगार सम्बन्धी सौ श्लोक हैं।

विषयवस्तु

इस रचना में कवि ने रमणियों के सौन्दर्य का तथा उनके पुरुषों को आकृष्ट करने वाले शृंगारमय हाव-भावों का चित्रण किया है। इस शतक में कवि ने स्त्रियों के हाव-भाव, प्रकार, उनका आकृषण व उनके शारीरिक सौष्ठव के बारे में विस्तार से चर्चा की है। कवि का कहना है कि इन्द्र आदि देवताओं को भी अपने कटाक्षों से विचलित करने वाली रमणियों को अबला मानना उचित नहीं है। नारी अपने आकर्षक हाव-भावों से मानव मन को आकृष्ट करके बाँध लेती है - "समस्तभावैः खलु बन्धनं स्त्रियः"। इसके अतिरिक्त भर्तृहरि ने अपने शतक में वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्तशिशिर ऋतु में स्त्री व स्त्री प्रसंग का अत्यधिक शृंगारिक (कामुक) वर्णन किया है। वास्तव में इस शतक में सांसारिक भोग और वैराग्य इन दो विकल्पों के मध्य अनिश्चय की मनोवृत्ति का चित्रण हुआ है जो वैराग्यशतक में पहुँचकर निश्चयात्मक बन जाती है।

शतक के मंगलाचरण में ही कामदेव को नमस्कार करते हुये भर्तृहरि कहते है-

जिसने विष्णु और शिव को मृग के समान नयनों वाली कामिनियों के गृहकार्य करने के लिये सतत् दास बना रखा है, जिसका वर्णन करने में वाणी असमर्थ है ऐसे चरित्रों से विचित्र प्रतीत होने वाले उस भगवान पुष्पायुध (कामदेव) को नमस्कार है। ।।१।।

भर्तृहरि बताते हैं कि स्त्री किस प्रकार मनुष्य के संसार बन्धन का कारण है-

मन्द मुस्कराहट से, अन्तकरण के विकाररूप भाव से, लज्जा से, आकस्मिक भय से, तिरछी दृष्टि द्वारा देखने से, बातचीत से, ईर्ष्या के कारण कलह से, लीला विलास से-इस प्रकार सम्पूर्ण भावों से स्त्रियां पुरूषों के संसार-बंधन (?) का कारण हैं। २॥

इसके उपरान्त स्त्रियों के अनेक आयुध (हथियार) गिनाए हैं-

भौंहों के उतार-चढ़ाव आदि की चतुराई, अर्द्ध-उन्मीलित नेत्रों द्वारा कटाक्ष, अत्यधिक स्निग्ध एवं मधुर वाणी, लज्जापूर्ण सुकोमल हास, विलास द्वारा मन्द-मन्द गमन और स्थित होना-ये भाव स्त्रियों के आभूषण भी हैं और आयुध (हथियार) भी हैं। ।।३।।

और देखिए भर्तृहरि शृंगारशतक में सबसे उत्तम किसे गिनाते हैं-

इस संसार में नव-यौवनावस्था के समय रसिकों को दर्शनीय वस्तुओं में उत्तम क्या है? मृगनयनी का प्रेम से प्रसन्न मुख। सूंघने योग्य वस्तुओं में क्या उत्तम है? उसके मुख का सुगन्धित पवन। श्रवण योग्य वस्तुओं में उत्तम क्या है? स्त्रियों के मधुर वचन। स्वादिष्ट वस्तुओं में उत्तम क्या है? स्त्रियों के पल्लव के समान अधर का मधुर रस। स्पर्श योग्य वस्तुओं में उत्तम क्या है? उसका कुसुम-सुकुमार कोमल शरीर। ध्यान करने योग्य उत्तम वस्तु क्या है? सदा विलासिनियों का यौवन विलास। ।।७।।

विभिन्न ग्रहों से स्त्रियों की तुलना कितनी आकर्षक है-

स्तन भार के कारण देवगुरू बृहस्पति के समान, कान्तिमान होने के कारण सूर्य के समान, चन्द्रमुखी होने के कारण चन्द्रमा के समान, और मन्द-मन्द चलने वाली अथवा शनैश्चर-स्वरूप चरणों से शोभित होने के कारण सुन्दरियां ग्रह स्वरूप ही हुआ करती है। ।।१६।।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ