बान्द्रा-वर्ली समुद्रसेतु

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बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु
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बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु
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विरासत स्थितिलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
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प्रतिप्रवाह सेतुलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
अनुप्रवाह सेतुलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
लक्षण
डिज़ाइनरज्जु कर्षण
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कुल लम्बाईलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
चौड़ाईलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
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व्यासलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
रेल
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इतिहास
वास्तुशास्त्रीलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
डिज़ाइनरलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
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निर्माण लागतलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
खुलालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
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बंद हुआलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
ध्वस्त हुआलुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
जिसे हटाकर बनालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
जो इसके स्थान पर बनालुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found।
सांख्यिकी
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बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु (आधिकारिक राजीव गांधी सागर सेतु) ८-लेन का, तार-समर्थित कांक्रीट से निर्मित पुल है। यह बांद्रा को मुम्बई के पश्चिमी और दक्षिणी (वर्ली) उपनगरों से जोड़ता है और यह पश्चिमी-द्वीप महामार्ग प्रणाली का प्रथम चरण है। १६ अरब रुपये (४० करोड़ $) की महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम की इस परियोजना के इस चरण को हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पूरा किया गया है। इस पुल का उद्घाटन ३० जून, २००९ को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन प्रमुख श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा किया गया लेकिन जन साधारण के लिए इसे १ जुलाई, २००९ को मध्य-रात्रि से खोला गया। साढ़े पांच किलोमीटर लंबे इस पुल के बनने से बांद्रा और वर्ली के बीच यात्रा में लगने वाला समय ४५ मिनट से घटकर मात्र ६-८ मिनट रह गया है।[२] [३] इस पुल की योजना १९८० के दशक में बनायी गई थी, किंतु यह यथार्थ रूप में अब जाकर पूर्ण हुआ है।[३][४]

यह सेतु मुंबई और भारत में अपने प्रकार का प्रथम पुल है। इस सेतु-परियोजना की कुल लागत १६.५० अरब रु है।[२][३] इस पुल की केवल प्रकाश-व्यवस्था करने के लिए ही ९ करोड़ रु का व्यय किया गया है। इसके कुल निर्माण में ३८,००० कि.मी इस्पात रस्सियां, ५,७५,००० टन कांक्रीट और ६,००० श्रमिक लगे हैं। इस सेतु में लगने वाले इस्पात के खास तारों को चीन से मंगाया गया था। जंग से बचाने के लिए इन तारों पर खास तरह का पेंट लगाने के साथ प्लास्टिक के आवरण भी चढ़ाए गए हैं।[२] अब तैयार होने पर इस पुल से गुजरने पर यात्रियों को चुंगी (टोल) कर देना तय हुआ है। यह चुंगी किराया प्रति वाहन ४०-५० रु तक होगा। इस पुल की कुल ७ कि.मी (ढान सहित) के यात्रा-समय में लगभग १ घंटे की बचत और कई सौ करोड़ वाहन संचालन व्यय एवं ईंधन की भी कटौती होगी। इस बचत को देखते हुए इसकी चुंगी नगण्य है। प्रतिदिन लगभग सवा लाख वाहन इस पुल पर से गुजरेंगे।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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चित्र

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