भारतीय नौसेना पोत विक्रांत
कैरियर (भारत) | साँचा:navy साँचा:navy |
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नाम: | भारतीय नौसेना पोत विक्रांत |
स्वामित्व: | भारतीय नौसेना |
प्रचालक: | भारतीय नौसेना |
पुन: शुरु: | 1961 |
सेवा मुक्त: | 31 जनवरी 1997 |
सेवा से बाहर: | 2014 |
मरम्मत: | अगस्त, १९८६, जुलाई, १९९९ |
स्थिति: | सेवानिवृत |
सामान्य विशेषताएँ | |
वर्ग और प्रकार: | युद्धपोत |
प्रकार: | विमान वाहक |
विस्थापन: | 19 हजार टन |
लम्बाई: | साँचा:convert |
भारतीय नौसेना पोत विक्रांत भारतीय नौसेना का एक सेवा निवृत युद्ध पोत है। यह भारतीय नौसेना का प्रथम वायुयान वाहक पोत है। इस पोत को 1957 में ब्रिटेन से खरीदा गया था। तब तक इसे एचएमएस हर्क्युलिस के नाम से जाना जाता था। 1961 में इसे भारतीय नौसेना शामिल किया गया तथा 31 जनवरी 1997 को काम से हटा लिया गया।[१]
विशेषताएं व क्षमता
- यह भारत का पहला स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी - इन्डिजनस एयरक्राफ्ट कैरियर) पोत है।
- इस जहाज की लम्बाई लगभग 260 मीटर और इसकी अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है।[१]
पुनर्निर्माण/नवीकरण
अगस्त 2013 में भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इसका बड़े पैमाने पर नवीकरण किया जा रहा था। पुनर्निर्माण का प्रथम चरण पूरा होने के बाद 12 अगस्त 2013 को इसे नये अवतार में उतारा गया। विमान को उड़ान भरने में मदद के लिए इसमें 37,500 टन का रैम्प लगाया गया।
दूसरे चरण में जहाज के बाहरी हिस्से की फिटिंग, विभिन्न हथियारों और सेंसरों की फिटिंग, विशाल इंजन प्रणाली को जोड़ने और विमान को उसके साथ जोड़ने का काम पूरा किया गया, जिसे 10 जून 2015 को जलावतरित किया गया। व्यापक परीक्षणों के पश्चात् वर्ष 2017-18 के आसपास भारतीय नौसेना को सौंपने की योजना है।[१]
सेवानिवृत्ति
अप्रैल २०१४ में सरकार द्वारा इस पोत को कबाड़ में बेचने का निर्णय ले लिया गया। एक नीलामी के जरिए इस पोत को 60 करोड़ रुपये में एक प्राइवेट कंपनी आईबी कमर्शल प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया। इस निर्णय का काफी विरोध हुआ। पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस फैसले पर खेद व्यक्त करते हुए इस ऐतिहासिक युद्धपोत को युद्ध संग्रहालय में बदलने की वकालत की, ताकि आम भारतीय इसके जरिए भारत के गौरवशाली युद्ध इतिहास को जान सकें।[२]