रैपिड मेट्रो गुरुग्राम
चित्र:Rmrg logo.png | |||
अवलोकन | |||
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स्वामी | रैपिड मेट्रो गुड़गांव लिमिटेड (आरएमजीएल) | ||
स्थान | गुरुग्राम, हरियाणा, भारत | ||
प्रकार | मेट्रो | ||
लाइनों की संख्या | १ | ||
स्टेशनों की संख्या | ११ | ||
दैनिक सवारियां | ३५,००० (२०१६)[१] | ||
मुख्यालय | एम्बिएंस कॉर्पोरेट टावर्स, एम्बिएंस आइलैंड, राष्ट्रीय राजमार्ग ८, गुड़गांव | ||
जालस्थल | साँचा:url | ||
संचालन | |||
संचालन प्रारम्भ | November 14, 2013 | ||
चरित्र | एलिवेटेड तथा ग्रेड-सेपेरेटेड | ||
वाहनों की संख्या | १२ | ||
ट्रेन की लम्बाई | ३ कोच | ||
हेडवे | ४ मिनट | ||
तकनीकी | |||
प्रणाली की लम्बाई | साँचा:convert | ||
पटरियों की संख्या | २ (७.८ किमी) १ (३.७ किमी)[२] | ||
गेज | 1,435 मि.मी. (4 फीट 8½ इंच) (standard gauge)[२] | ||
विद्युतीकरण | 750 V, DC via third rail[३] | ||
औसत गति | साँचा:convert | ||
अधिकतम गति | साँचा:convert | ||
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रैपिड मेट्रो हरियाणा राज्य के गुरुग्राम शहर में संचालित एक मेट्रो प्रणाली है।[४] यह प्रणाली सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन पर दिल्ली मेट्रो की येलो लाइन के साथ इंटरचेंज प्रदान करती है। रैपिड मेट्रो की कुल लंबाई ११.७ किलोमीटर है, और इसमें कुल ११ स्टेशन हैं।[५] पूरी मेट्रो प्रणाली स्टैण्डर्ड गेज ट्रैक का उपयोग करती है, और पूरी तरह से एलिवेटेड है। रैपिड मेट्रो गुड़गांव के वाणिज्यिक क्षेत्रों को जोड़ता है, और दिल्ली मेट्रो के लिए फीडर लिंक के रूप में कार्य करता है।
रैपिड मेट्रो गुड़गांव लिमिटेड (आरएमजीएल) द्वारा निर्मित और संचालित यह मेट्रो प्रणाली दुनिया की पहली ऐसी प्रणाली है, जो पूरी तरह से निजी स्त्रोतों द्वारा वित्तपोषित है, अर्थात इस उद्यम में केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार या किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से कोई निवेश नहीं है। मेट्रो सेवाएं प्रतिदिन ०६:०५ से ००:३६ के मध्य चलती हैं, और दो ट्रेनों के मध्य अमूमन ४ मिनट का समय अंतराल रहता है। सभी ट्रेनों में तीन कोच हैं, और इनके सञ्चालन के लिए तीसरी रेल के माध्यम से ७५० वोल्ट प्रत्यक्ष प्रवाह द्वारा विद्युत् आपूर्ति की जाती है। अपने स्टेशनों के नामकरण अधिकारों की नीलामी करने वाला यह पहला भारतीय मेट्रो सिस्टम है।[६]
इस मेट्रो प्रणाली का आरम्भ २०१२ में किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन समय पर निर्माण कार्य पूरे न हो पाने के कारण इसका प्रथम चरण १४ नवम्बर २०१३ को जनता के लिए खोला गया। परियोजना के द्वितीय चरण का वाणिज्यिक संचालन ३१ मार्च २०१७ से शुरू किया गया।[७]
इतिहास
सितम्बर २००७ में सर्वप्रथम सिकंदरपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग ८ तक मेट्रो लाइन का प्रस्ताव रखा गया था। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) ने २००८ में ९९ साल के पट्टे के साथ बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर आधार पर मेट्रो लाइन बनाने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किये।[८] हालांकि, रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ अपने साइबर सिटी तक मेट्रो कनेक्टिविटी चाहता था।[९][१०] जुलाई २००८ में एक नई निविदा जारी की गई,[११] जिसमें डीएलएफ-आईएलएफएस कंसोर्टियम एकमात्र बोलीदाता के रूप में उपस्थित थे।[१२] इस परियोजना को शुरुआत में डीएलएफ और इंफ्रास्ट्रक्चर लीज़िग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज़ (आईएलएफएस) के बीच एक सहयोगी उद्यम के रूप में माना गया था, लेकिन कुछ वित्तीय समस्याओं के कारण डीएलएफ ने इस परियोजना से अपने हाथ खींच लिए, और आईएलएफएस इस मेट्रो प्रणाली का एकमात्र स्वामी बन गया। इस प्रकार इस उद्यम में केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार या किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा कोई निवेश नहीं है। रैपिड मेट्रो को वह २० एकड़ जमीन भी रियायती दर पर नहीं मिली, जो इसे राज्य सरकार द्वारा पहले चरण के निर्माण के लिए दी जानी थी।[१३]
रैपिड मेट्रो दुनिया की पहली पूरी तरह से निजी रूप से वित्त पोषित मेट्रो प्रणाली है।[१३][१४] इस परियोजना को सार्वजनिक-निजी साझेदारी के रूप में लागू किया गया था।[१५] परियोजना की पूरी लागत निजी पार्टी द्वारा ली गई थी और हरियाणा सरकार ने केवल लीज होल्ड के आधार पर भूमि प्रदान की थी।[१६] इसी निजी संस्था को मेट्रो के रखरखाव और संचालन का काम भी अपनी लागत पर सौंपा गया था।[१७] प्रारंभ में हुडा ने किसी निजी कंपनी द्वारा सार्वजनिक परिवहन से मुनाफा कमाने का विरोध किया, और अंततः ३५ वर्षों तक "कनेक्टिविटी शुल्क" के रूप में ७.६५ अरब रुपयों का भुगतान करने, और साथ-साथ ५-१०% विज्ञापन और संपत्ति विकास का राजस्व हुडा को देने के कंसोर्टियम प्रस्ताव के आधार पर समझौता किया गया।[२]
जुलाई २००९ में परियोजना के लिए ९ अरब रपये का अनुबंध ३० महीने के समय में पूरा होने की शर्त पर दिया गया था।[२] इस परियोजना की नींव ११ अगस्त २००९ को रखी गई।[१८] अक्टूबर २०१२ तक इस परियोजना की अनुमानित लागत १०.८८ अरब रुपये थी।[१९] मूल रूप से इसे २०१२ में खोलने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इसे १४ नवंबर २०१२ को जनता के लिए खोला गया।[२०] लाइन का निर्माण रैपिड मेट्रो गुड़गांव लिमिटेड (आरएमजीएल) ने किया, और इसका संचालन भी उसी के पास है।
द्वितीय चरण
अक्टूबर २०१२ में जिस दिन प्रथम चरण के फेज २ और फेज ३ स्टेशनों के बीच परीक्षण रन आयोजित किए गए थे, उसी दिन हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने परियोजना के चरण २ की आधारशिला रखी थी।[२१] ११ जून २०१३ को, आईएलएफएस इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि परियोजना के द्वितीय चरण के लिए एलिवेटेड वायाडक्ट्स बनाने के लिए उसे २६६.५ करोड़ रुपये का अनुबंध दिया गया था। कंपनी ने यह भी कहा कि परियोजना २४ महीने के भीतर पूरी की जाएगी।[२२] कंपनी को बाद में द्वितीय चरण में सभी ५ एलिवेटेड स्टेशनों के निर्माण के लिए ८४.३ करोड़ रुपये का अनुबंध भी दे दिया गया, जिसकी समापन अवधि २४ महीने के रूप में ही निर्दिष्ट की गई थी।[२३][२४] लगभग ६.६ किमी लंबा डबल ट्रैक विस्तार प्रस्तावित था, जिसके तहत मेट्रो को गुरुग्राम में सिकंदरपुर से दक्षिण दिशा की ओर सेक्टर ५५ और ५६ तक बढ़ाया जाना था।[२५] इसकी अनुमानित लागत २४२३ करोड़ रुपये आंकी गई थी।[२६] इस विस्तार में छह स्टेशन बनाए गए हैं, और पूरे मार्ग की यात्रा करने में लगभग २० मिनट लगते हैं। परियोजना के लिए भूमि और रास्ते का अधिकार हुडा द्वारा प्रदान किया गया।[२७]
द्वितीय चरण के अंतर्गत निर्माण कार्य अप्रैल २०१३ में शुरू हुआ था, और इसकी प्रारंभिक समयसीमा जुलाई २०१५ दी गई थी। हालांकि, समय सीमा को बाद में मध्य २०१६, सितम्बर २०१६, और फिर २०१६ की अंतिम तिमाही तक बढ़ा दी गई थी।[२८] जून २०१६ तक द्वितीय चरण पर ७५ प्रतिशत काम पूरा हो गया था।[२९] दिसम्बर २०१६ में ६.३ किलोमीटर लम्बे द्वितीय चरण के मार्ग पर परीक्षण रन आयोजित किए गए थे।[२८] मार्च २०१७ में मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त द्वारा द्वितीय चरण के निरीक्षण के लिए रैपिड मेट्रो प्राधिकरणों ने आवेदन किया।[३०] ३१ मार्च २०१७ को प्रणाली का द्वितीय चरण जनता के लिए खोला गया था।[३१]
तृतीय चरण
द्वितीय चरण के उद्घाटन के बाद, आईएलएफएस रेल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ राजीव बंगा ने कहा कि मेट्रो के तृतीय चरण की योजना उस समय "ड्राइंग बोर्ड-स्तर" पर थी। बंगा ने कहा कि अधिकारी एक १७ किलोमीटर लंबी लाइन पर विचार कर रहे थे, जो साइबर सिटी से शुरू होकर पुराने शहर में बस स्टैंड, सदर बाजार, पुरानी दिल्ली रोड और रेलवे रोड के साथ साथ उद्योग विहार से होते हुए गुड़गांव रेलवे स्टेशन तक जायेगी।[३२]
मार्ग
प्रथम चरण
रैपिड मेट्रो का निर्माण कई चरणों में हुआ था। परियोजना के पहले चरण की लम्बाई ५.१ किमी है। सिकंदरपुर और फेज २ स्टेशन के बीच का खंड डबल ट्रैक किया गया है, जबकि शेष स्टेशनों को एकल ट्रैक लूप द्वारा जोड़ा गया है।[२] सभी प्लेटफार्म ७५ मीटर लंबे हैं।[३३]
सिकंदरपुर स्टेशन से ९० मीटर x ९ मीटर का एक पैदल पथ दिल्ली मेट्रो के साथ इंटरचेंज प्रदान करता है।[३४] मेट्रो का एक डिपो माइक्रोमैक्स मोलसरी एवेन्यू और फेज ३ स्टेशनों के बीच स्थित है।
Stations | |||
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# | स्टेशन का नाम | उद्घाटन | कनेक्शन |
१ | सिकंदरपुर | १४ नवम्बर २०१३ | साँचा:color box दिल्ली मेट्रो येलो लाइन |
२ | फेज २ | १४ नवम्बर २०१३ | कोई नहीं |
३ | वोडाफोन बेल्वडेयर टावर्स | १४ नवम्बर २०१३ | कोई नहीं |
४ | इंडसइंड बैंक साइबर सिटी | ७ मई २०१४ | कोई नहीं |
५ | माइक्रोमैक्स मोलसरी एवेन्यू | १४ नवम्बर २०१३ | कोई नहीं |
६ | फेज ३ | १४ नवम्बर २०१३ | कोई नहीं |
द्वितीय चरण
६.६ किलोमीटर लंबा द्वितीय चरण सिकंदरपुर से दक्षिण दिशा में गुड़गांव सेक्टर ५५ और ५६ तक जाता है, और ज्यादातर गोल्फ कोर्स रोड के ऊपर चलता है।[७] ३१ मार्च २०१७ को आंशिक रूप से सेक्टर ५३-५४ तक का खंड खोला गया था। इसके बाद २५ अप्रैल २०१७ को सेक्टर ५५-५६ तक शेष २ स्टेशन भी खोल दिए गए।[७]
Stations | |||
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# | स्टेशन का नाम | उद्घाटन | कनेक्शन |
१ | फेज १ | ३१ मार्च २०१७ | कोई नहीं |
२ | सेक्टर ४२-४३ | २५ अप्रैल २०१७ | कोई नहीं |
३ | सेक्टर ५३-५४ | २५ अप्रैल २०१७ | कोई नहीं |
४ | सेक्टर ५४ चौक | ३१ मार्च २०१७ | कोई नहीं |
५ | सेक्टर ५५-५६ | ३१ मार्च २०१७ | कोई नहीं |
आधारिक संरचना
मेट्रो प्रणाली पूरी तरह से एलिवेटेड है, और स्वचालित रूप से संचालित होती है।[३५] इसकी इन्हीं विशेषताओं के कारण रेलवे पत्रिकाओं में प्रकाशित कई लेखों में इसे "लाइट मेट्रो" के रूप में परिभाषित किया गया है।[३६][३७][३८]
रोलिंग स्टॉक
२१ अप्रैल २०१० को सीमेंस ने घोषणा की कि उसे पांच ३-कोच की मेट्रो ट्रेनों सहित एक मेट्रो लाइन बनाने का टर्नकी अनुबंध दिया गया है।[३९] सीमेंस ने फिर ५ एल्यूमीनियम के शरीर वाली वातानुकूलित ट्रेनों का निर्माण करने के लिए सीएसआर झूज़ौ इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव वर्क्स के साथ अनुबंध किया।[३] चीन में निर्मित पहला तीन कोच ट्रेन सेट ११ सितंबर २०१२ को गुड़गांव पहुंचा।[४०] आरएमजीएल ने मेट्रो के दूसरे चरण के विस्तार के लिए एक अतिरिक्त सात ३-कोच मेट्रो ट्रेन सेट मंगाए। ५ फरवरी २०१६ को गुड़गांव में इन ७ रेकों में से अंतिम ४ पहुंचे।[४१]
३ कोच वाली प्रत्येक ट्रेन की कीमत ३०० मिलियन रुपये है, और यह चांदी और नीले रंग की बनी हैं।[४२] ट्रेन की कुल लंबाई ५९.९४ मीटर है, कोच २.८ मीटर चौड़े हैं, एयर कंडीशनिंग ट्रेन की छत पर लगी हुई है, और प्रत्येक कोच के प्रत्येक किनारे पर ४ दरवाजे हैं। प्रत्येक ट्रेन एक बार में लगभग ८०० यात्रियों को ले जाने में सक्षम है।[४३] मेट्रो को प्रति घंटे ३०,००० यात्रियों को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।[४४]
संचालन
संचालक
यह लाइन रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ और आईएलएफएस के बीच संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित रैपिड मेट्रो गुड़गांव लिमिटेड (आरएमजीएल) द्वारा संचालित है। डीएलएफ के पास स्टेशनों से लगती कई संपत्तियां हैं, जबकि आईएलएफएस इस संयुक्त उद्यम में बहुमत वाला हिस्सेदार है।[९] कुछ समय बाद डीएलएफ ने अपनी हिस्सेदारी आईएलएफएस को बेच दी, और संयुक्त उद्यम से बाहर हो गया। लेनदेन के बाद, आईएलएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क लिमिटेड (आईटीएनएल) ने आरएमजीएल में ८२.८% हिस्सेदारी रखी, और आईटीएनएल की सहायक आईएलएफएस रेल लिमिटेड (आईआरएल) की इसमें १७.२% की हिस्सेदारी थी। ११ फरवरी २०१६ को आईटीएनएल ने घोषणा की कि ऋण को कम करने के प्रयास में उसने अपनी मूल कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएलएफएस) को आरएमजीएल में ४९% हिस्सेदारी ₹५०९.९ करोड़ रुपये के लिए बेच दी है।[४५]
टिकट
रैपिड मेट्रो की पूरी लाइन के लिए किराया २० रुपये है।[४६] रैपिड मेट्रो पर दिल्ली मेट्रो के टोकन और स्मार्ट कार्ड भी स्वीकार किए जाते हैं।[४७] स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली की आपूर्ति थेल्स समूह द्वारा की गई है।[४८]
आवृत्ति
ट्रेनें ०६:०५ से ००:३६ तक चलती हैं।[४९] तीन कोच वाली ये ट्रेनें ४ मिनट के अंतराल पर उपलब्ध होती हैं।[९] गाड़ियों की अधिकतम गति ८० किमी प्रति घंटा है, और ये ४० किमी प्रति घंटा की औसत गति से संचालित होती है।[९]
सुरक्षा
यात्रियों की सुरक्षा के लिए, हर प्लेटफॉर्म पर आपातकालीन स्टॉप प्लंगर्स हैं, जबकि ब्लू लाइट स्टेशन सुविधा यात्रियों को नियंत्रण कक्ष से संपर्क करने में सक्षम बनाती है। कोच के अंदर एक प्रेस टू टॉक बटन यात्रियों को सीधे किसी भी समस्या की स्थिति में ड्राइवर से बात करने की अनुमति देता है।[५०]
रैपिड मेट्रो में सुरक्षा व्यवस्था को एक निजी सुरक्षा एजेंसी पेरेग्राइन द्वारा संभाला जा रहा है। सिकंदरपुर स्टेशन पर इस प्रणाली का एक मेट्रो पुलिस स्टेशन है। महिला सहायता डेस्क सभी पांच स्टेशनों पर स्थित हैं, जबकि सभी यात्रियों के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन (+ ९१-१२४-२८०००२८) २४ घंटों तक परिचालित है। ट्रेनों और स्टेशनों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे का उपयोग किया जाता है।
इन्हें भी देखे
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ अ आ इ ई उ साँचा:cite news
- ↑ अ आ साँचा:cite journal
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ अ आ इ साँचा:cite web
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- ↑ DLF-led consortium sole bidder for Gurgaon metro project स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Business Standard, 11 December 2008.
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
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- ↑ साँचा:cite press release
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