गोपाचल पर्वत

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गोपाचल पर्वत
Colossal Jain idols at Gopachal, partly defaced.jpg
नाम: गोपाचल पर्वत
स्थान: ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत
देवता: पार्श्वनाथ जी व २४ तीर्थंकर
वास्तुकला पाषाण कला
निर्देशांक: साँचा:coord[१]

साँचा:sidebar with collapsible lists गोपाचल ( = गोप + अचल = गोप पर्वत) ग्वालियर में स्थित है। ग्वालियर का प्रसिद्ध किला भी इसी पर्वत (पहाड़ी) पर स्थित है। इसके अतिरिक्त इस पर्वत पर हजारों जैन मूर्तियाँ स्थित हैं जो सं. 1398 से सं. 1536 के मध्य पर्वत को तराशकर बनाई गई हैं। इन विशाल मूर्तियों का निर्माण तोमरवंशी राजा वीरमदेव, डूँगरसिंह व कीर्तिसिंह के काल में हुआ। अपभ्रंश के महाकवि पं॰ रइघू के सान्निध्य में इनकी प्रतिष्ठा हुई।

कालांतर में

काल परिवर्तन के साथ जब मुगल सम्राट बाबर ने गोपाचल पर अधिकार किया, तब उसने इन विशाल मूर्तियों को देख कुपित होकर सं. 1557 में इन्हें नष्ट करने का आदेश दे दिया, परन्तु जैसे ही उन्होंने भगवान पार्श्वनाथजी की विशाल पद्मासन मूर्ति पर वार किया तो दैवी देवपुणीत चमत्कार हुआ एवं विध्वंसक भाग खड़े हुए और वह विशाल मूर्ति नष्ट होने से बच गई। आज भी यह विश्व की सबसे विशाल 42 फुट ऊँची पद्मासन पारसनाथ की मूर्ति अपने अतिशय से पूर्ण है एवं जैन समाज के परम श्रद्धा का केंद्र है।

भगवान पार्श्वनाथ की देशनास्थली, भगवान सुप्रतिष्ठित केवली की निर्वाणस्थली के साथ 26 जिनालय एवं त्रिकाल चौबीसी पर्वत पर और दो जिनालय तलहटी में हैं, ऐसे गोपाचल पर्वत के दर्शन अद्वितीय हैं।

यद्यपि ये प्रतिमाएँ विश्व भर में अनूठी हैं, फिर भी अब तक इस धरोहर पर न तो जैन समाज का ही विशेष ध्यान गया है और न ही सरकार ने इनके मूल्य को समझा है।

मूर्तिदीर्घा

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