कोटिरुद्र संहिता

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कोटिरुद्र संहिता (शिवपुराण) में शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों का वर्णन है। [१]ये ज्योतिर्लिंगों क्रमश: सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल में मल्लिकार्जुन, उज्जयिनी में महाकालेश्वर, ओंकार में अम्लेश्वर, हिमालय में केदारनाथ, डाकिनी में भीमेश्वर, काशी में विश्वनाथ, गोमती तट पर त्र्यम्बकेश्वर, चिताभूमि में वैद्यनाथ, सेतुबंध में रामेश्वर, दारूक वन में नागेश्वर और शिवालय में घुश्मेश्वर हैं।[२]

शिवजी

इसी संहिता में विष्णु द्वारा शिव के सहस्त्र नामों का वर्णन भी है। साथ ही शिवरात्रि व्रत के माहात्म्य के संदर्भ में व्याघ्र और सत्यवादी मृग परिवार की कथा भी है।[३] भगवान ‘केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग’ के दर्शन के बाद बद्रीनाथ में भगवान नर-नारायण का दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन-मुक्ति भी प्राप्त हो जाती है।[४]

अध्यन सामग्री

  • काशी आदिके विभिन्न लिंगोंका वर्णन तथा अत्रीश्वरकी उत्पत्तिके प्रसंगमें गंगा और शिवके अत्रि के तपोवनमें नित्य निवास करनेकी कथा
  • ऋषिकापर भगवान् शिवकी कृपा, एक असुरसे उसके धर्मकी रक्षा करके उसके आश्रममें ‘नन्दिकेश’ नामसे निवास करना और वर्षमें एक दिन गंगाका भी वहाँ आना[५]
  • प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथके प्रादुर्भावकी कथा और उसकी महिमा[६]
  • मल्लिकार्जुन और महाकाल नामक ज्योतिर्लिंगोंके आविर्भावकी कथा तथा उनकी महिमा[७]
  • महाकालके माहात्म्यके प्रसंगमें शिवभक्त राजा चन्द्रसेन तथा गोप-बालक श्रीकरकी कथा
  • विन्ध्यकी तपस्या, ओंकारमें परमेश्वरलिंगके प्रादुर्भाव और उसकी महिमाका वर्णन[८]
  • केदारेश्वर तथा भीमशंकर नामक ज्योतिर्लिंगोंके आविर्भावकी कथा तथा उनके माहात्म्यका वर्णन[९]
  • विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग और उनकी महिमाके प्रसंगमें पंचक्रोशी की महत्ताका प्रतिपादन
  • वाराणसी तथा विश्वेश्वरका माहात्म्य[१०]
  • पत्नीसहित गौतमकी आराधनासे संतुष्ट हो भगवान् शिवका उन्हें दर्शन देना
  • वैद्यनाथेश्वर ज्योतिर्लिंगके प्राकट्यकी कथा तथा महिमा[११]
  • नागेश्वर नामक ज्योतिर्लिंगका प्रादुर्भाव और उसकी महिमा
  • रामेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग का आविर्भाव व उसके महात्म्य उसका वर्णन[१२]
  • घुश्माकी शिवभक्तिसे उसके मरे हुए पुत्रका जीवित होना, घुश्मेश्वर शिवका प्रादुर्भाव तथा उनकी महिमाका वर्णन
  • शंकरजीकी आराधनासे भगवान् विष्णु को सुदर्शन चक्र की प्राप्ति तथा उसके द्वारा दैत्योंका संहार[१३]

अध्यन सामग्री २

  • भगवान् विष्णुद्वारा पठित शिवसहस्त्रनाम स्तोत्र
  • भगवान् शिवको संतुष्ट करनेवाले व्रतोंका वर्णन, शिवरात्रि -व्रतकी विधि एवं महिमाका कथन[१४]
  • शिवरात्रि-व्रतके उद्यापनकी विधि
  • अनजानमें शिवरात्रि-व्रत करनेसे एक भीलपर भगवान् शंकर की अद्भुत कृपा
  • मुक्ति और भक्तिके स्वरूपका विवेचन[१५]
  • शिव, विष्णु, रुद्र और ब्रह्माके स्वरूपका विवेचन
  • शिवसम्बन्धी तत्त्वज्ञान का वर्णन तथा उसकी महिमा, कोटिरुद्रसंहिता का माहात्म्य एवं उपसंहार[१६]


इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ