गिरीश कर्नाड

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(गिरिश कार्नाड से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
गिरीश कर्नाड
Girish Karnad Screening Cornell.JPG
गिरीश कार्नाड कॉर्नेल विश्वविद्यालय में, 2009
जन्मसाँचा:br separated entries
मृत्युसाँचा:br separated entries
मृत्यु स्थान/समाधिसाँचा:br separated entries
व्यवसायनाटककार, निर्देशक, अभिनेता, कवि
राष्ट्रीयताभारतीय
उच्च शिक्षाऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय
विधानाट्य साहित्य
साहित्यिक आन्दोलननव्या
उल्लेखनीय कार्यsतुग़लक 1964
तलेदंड (हिन्दी: रक्त कल्याण)

साँचा:template otherसाँचा:main other

गिरीश कार्नाड ( १९३८-१० जून २०१९,माथेरान, महाराष्ट्र) भारत के जाने माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक और नाटककार थे। कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा दोनों में इनकी लेखनी समानाधिकार से चलती थी। 1998 में ज्ञानपीठ सहित पद्मश्री व पद्मभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता कर्नाड द्वारा रचित तुगलक, हयवदन, तलेदंड (रक्तकल्याण), नागमंडल व ययाति जैसे नाटक अत्यंत लोकप्रिय हुए और भारत की अनेक भाषाओं में इनका अनुवाद व मंचन हुआ है। प्रमुख भारतीय निर्देशकों - इब्राहीम अलकाजी, प्रसन्ना, अरविन्द गौड़ और ब॰ व॰ कारन्त ने इनका अलग- अलग तरीके से प्रभावी व यादगार निर्देशन किया हैं।

आरंभिक जीवन

एक कोंकणी भाषी परिवार में जन्में कार्नाड ने १९५८ में धारवाड़ स्थित कर्नाटक विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि ली। इसके पश्चात वे एक रोड्स स्कॉलर के रूप में इंग्लैंड चले गए जहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड के लिंकॉन तथा मॅगडेलन महाविद्यालयों से दर्शनशास्त्र, राजनीतिशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वे शिकागो विश्वविद्यालय के फुलब्राइट महाविद्यालय में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर भी रहे।

कार्य

साहित्य

कार्नाड की प्रसिद्धि एक नाटककार के रूप में ज्यादा है। कन्नड़ भाषा में लिखे उनके नाटकों का अंग्रेजी समेत कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। एक खास बात ये है कि उन्होंने लिखने के लिए ना तो अंग्रेज़ी को चुना, जिस भाषा में उन्होंने एक समय विश्वप्रसिद्ध होने के अरमान संजोए थे और ना ही अपनी मातृभाषा कोंकणी को। जिस समय उन्होंने कन्नड़ में लिखना शुरू किया उस समय कन्नड़ लेखकों पर पश्चिमी साहित्यिक पुनर्जागरण का गहरा प्रभाव था। लेखकों के बीच किसी ऐसी चीज के बारे में लिखने की होड़ थी जो स्थानीय लोगों के लिए बिल्कुल नई थी। इसी समय कार्नाड ने ऐतिहासिक तथा पौराणिक पात्रों से तत्कालीन व्यवस्था को दर्शाने का तरीका अपनाया तथा काफी लोकप्रिय हुए। उनके नाटक ययाति (1961, प्रथम नाटक) तथा तुग़लक़ (1964) ऐसे ही नाटकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तुगलक से कार्नाड को बहुत प्रसिद्धि मिली और इसका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ। इसी प्रकार 'तलेदंड' भी काफी लोकप्रिय हुआ। रानावि के पूर्व निर्देशक रामगोपाल बजाज द्वारा इसका हिन्दी अनुवाद रक्त कल्याण नाम से किया गया और रानावि के लिए इब्राहीम अलकाजी और फिर अस्मिता नाटय संस्था द्वारा अरविन्द गौड़ के निर्देशन में १९९५ से २००९ तक १५० से ज्यादा मंचन हुए।[१]

सिनेमा

वंशवृक्ष नामक कन्नड़ फ़िल्म से इन्होंने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद इन्होंने कई कन्नड़ तथा हिन्दी फ़िल्मों का निर्देशन तथा अभिनय भी किया। ●हिंदी फिल्म उत्सव का निर्देशन इन्होंने किया|

प्रमुख फ़िल्में

प्रकाशित कृतियाँ

गिरीश कर्नाड के प्रमुख नाटकों की सूची हिन्दी अनुवाद एवं हिन्दी अनुवाद की प्रथम प्रस्तुति के विवरण[२] सहित इस प्रकार है:-

  1. ययाति (मूल कन्नड़ 1961), हिन्दी अनुवाद- बी आर नारायण, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से 1979 में प्रकाशित; प्रथम प्रस्तुति 1980, संगीत कला मंदिर, कोलकाता; निर्देशक- राजेंद्र कुमार शर्मा।
  2. तुगलक (मूल कन्नड़ 1964), हिन्दी अनुवाद- बी॰वी॰ कारंत, राधाकृष्ण प्रकाशन 1977; प्रकाशन-पूर्व प्रथम प्रस्तुति- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल, नई दिल्ली, 1966, निर्देशक- ओम शिवपुरी।
  3. हयवदन (मूल कन्नड़ 1971), हिन्दी अनुवाद- बी॰वी॰ कारंत, राधाकृष्ण प्रकाशन 1977; प्रकाशन-पूर्व प्रथम प्रस्तुति- 1972, देशांतर, नई दिल्ली, निर्देशक- बी॰वी॰ कारंत।
  4. अंजुमल्लिगे (मूल कन्नड़ 1977)
  5. बलि (मूल कन्नड़ हिन्ननहुंज, रचना- 1962; संशोधित रूप- 1980), प्रथम हिन्दी अनुवाद- बी॰वी॰ कारंत, 'आटे का कुक्कुट' नाम से; अप्रकाशित रूप का प्रथम मंचन- 1966, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, निर्देशक- बी॰वी॰ कारंत एवं प्रेमा कारंत; द्वितीय अनुवादक- सत्यदेव दुबे, 'बलि' नाम से, अप्रकाशित रूप का मंचन- 1985, निर्देशक- सत्यदेव दुबे; प्रकाशित रूप के अनुवादक- राम गोपाल बजाज, राधाकृष्ण प्रकाशन 2015.
  6. नागमंडल (मूल कन्नड़ 1988), हिन्दी अनुवाद- बी आर नारायण, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली 1991; प्रथम प्रस्तुति- 1991, अभियान, नई दिल्ली, निर्देशक- राजिन्दर नाथ।
  7. रक्त कल्याण (मूल कन्नड़ तलेदण्ड 1990), हिन्दी अनुवाद- रामगोपाल बजाज; प्रकाशन-पूर्व प्रथम प्रस्तुति- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल 1993, निर्देशक- इब्राहिम अल्काजी; पुनः संशोधित रूप राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से सन् 1994 में प्रकाशित।[३]
  8. अग्नि और बरखा (मूल कन्नड़ अग्नि मत्तु मले 1994), हिन्दी अनुवाद- रामगोपाल बजाज, राधाकृष्ण प्रकाशन 2001; प्रकाशन-पूर्व प्रथम प्रस्तुति- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल, नई दिल्ली 1996, निर्देशक- प्रसन्ना।
  9. टीपू सुल्तान के ख़्वाब (मूल कन्नड़ टीपू सुल्तान कंडा कनसु), हिन्दी अनुवाद- ज़फ़र मुहीउद्दीन, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली 2018; प्रकाशन-पूर्व प्रथम प्रस्तुति जुलाई 2017, 'कठपुतलियाँ थिएटर ग्रुप', बेंगलुरु, निर्देशक- ज़फर मोहिउद्दीन।[४]
  10. शादी का एल्बम (मूल कन्नड़ मदुवे एल्बम 2006), हिन्दी अनुवाद- पद्मावती राव, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली 2017।
  11. बिखरे बिम्ब (मूल कन्नड़ ओडकलु बिम्ब 2006), हिन्दी अनुवाद- पद्मावती राव, एक अन्य नाटक 'पुष्प' सहित बिखरे बिम्ब और पुष्प [दो एकल नाटक] नाम से राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से सन् 2017 में प्रकाशित।
  12. पुष्प (मूल कन्नड़ फ्लावर्स 2012), बिखरे बिम्ब और पुष्प [दो एकल नाटक] में संकलित। हिन्दी अनुवाद- पद्मावती राव।

पुरस्कार तथा उपाधियाँ

साहित्य के लिए

सिनेमा के क्षेत्र में

सन्दर्भ

साँचा:reflist

  1. साँचा:cite web
  2. भारतीय रंगकोश, संदर्भ : हिन्दी, खंड-2, (रंग व्यक्तित्व), संपादक- प्रतिभा अग्रवाल, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, बहावलपुर हाउस, नई दिल्ली, वितरक- राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2006, पृष्ठ-69-71.
  3. रक्त कल्याण, गिरीश कारनाड, अनुवाद- रामगोपाल बजाज, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, सातवाँ संस्करण-2015, पृष्ठ-10.
  4. गिरीश कारनाड, टीपू सुल्तान के ख़्वाब, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2018, पृष्ठ-5-6.