मृणालिनी साराभाई

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मृणालिनी साराभाई

मृणालिनी साराभाई (साँचा:lang-en), (जन्म- 11 मई 1918,मृत्यु- 21 जनवरी 2016), अहमदाबाद,गुजरात की एक भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और प्रशिक्षक थीं। इन्हें भारत सरकार के द्वारा १९९२ में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

जीवनी

वह अहमदाबाद शहर में नृत्य, नाटक, संगीत और कठपुतली का प्रशिक्षण देने वाली एक संस्थान परफॉर्मिंग एकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की संस्थापक और निदेशक थीं। उन्हें अम्मा के तौर पर जाना जाता था। मृणालिनी साराभाई का जन्म भारतीय राज्य केरल में 11 मई, 1918 को हुआ था। [१] उनके पिता डॉ. स्वामीनाथन मद्रास हाईकोर्ट में बैरिस्टर थे। उनकी माँ अम्मू स्वामीनाथन स्वतंत्रता सेनानी थीं, जो बाद में देश की पहली संसद की सदस्य भी रहीं थी। बहन लक्ष्मी सहगल सुभाषचंद्र बोस के साथ थीं। मृणालिनी ने बचपन का अधिकांश समय स्विट्जरलैंड में हीं बिताया। [२] यहां 'डेलक्रूज स्‍कूल' से उन्‍होंने पश्चिमी तकनीक से नृत्‍य कलाएं सीखीं। फिर उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की देख-रेख में शांति निकेतन में शिक्षा ग्रहण की और वहीं से नृत्य उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया। उनके पति विक्रम साराभाई देश के सुप्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे। उनकी बेटी मल्लिका साराभाई भी प्रसिद्ध नृत्यांगना और समाजसेवी हैं। मृणालिनी की बड़ी बहन लक्ष्मी सहगल स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानी जाती हैं। वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फ़ौज की महिला सेना झांसी रेजीमेंट की कमांडर इन चीफ़ थीं। मृणालिनी साराभाई ने नृत्य की अलग-अलग शैलियों की बारीकियां सीखीं। उन्होंने अमूबी सिंह से मणिपुरी नृत्य सीखा। कुंजु कुरूप से कथकली सीखा। मीनाक्षी सुदंरम पिल्लै और मुथुकुमार पिल्लै से भरतनाट्यम सीखा। [३]उनके हर एक गुरू का अपनी अपनी कला में जबरदस्त योगदान था। इसी दौरान उन्होंने विश्वविख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर के भाई पंडित उदय शंकर के साथ भी काम किया। पंडित उदय शंकर का भारतीय कला को पूरी दुनिया में अलग पहचान दिलाने का श्रेय जाता है। उन्होंने आधुनिक नृत्य को लोकप्रियता और कामयाबी के अलग मुकाम पर पहुंचाया। इस बीच मृणालिनी साराभाई कुछ दिनों के लिए अमेरिका भी गईं और वहां जाकर ड्रामाटिक आर्ट्स की बारीकियां सीखीं। इसके बाद मृणालिनी साराभाई ने देश दुनिया में भारतीय नृत्य परंपरा का विकास किया। मृणालिनी साराभाई ने भारत लौटकर जानी-मानी नृत्‍यांगना मीनाक्षी सुंदरम पिल्लई से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण लिया और फिर दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य और पौराणिक गुरु थाकाज़ी कुंचू कुरुप से कथकली के शास्त्रीय नृत्य-नाटक में प्रशिक्षण लिया।

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. साँचा:cite news
  3. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।