कैलाश संहिता

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

कैलाश संहिता (शिवपुराण)में ओंकार के महत्व का वर्णन है। इसके अलावा योग का विस्तार से उल्लेख है। [१]इसमें विधिपूर्वक शिवोपासना, नान्दी श्राद्ध और ब्रह्मयज्ञादि की विवेचना भी की गई है। गायत्री जप का महत्त्व तथा वेदों के बाईस महावाक्यों के अर्थ भी समझाए गए हैं।[२]

शिवजी

अध्ययन क्षेत्र

कैलाश संहिता में निम्न अध्याय उपलब्ध हैं-

  • ऋषियों का सूतजी से तथा वामदेवजी का स्कन्द से प्रश्न-प्रणवार्थ-निरूपण के लिये अनुरोध
  • प्रणव के वाच्यार्थ रूप सदाशिव के स्वरूप का ध्यान, वर्णाश्रम-धर्म के पालन का महत्त्व, ज्ञानमयी पूजा, संन्यास के पूर्वांगभूत नान्दीश्राद्ध एवं ब्रह्मयज्ञ आदि का वर्णन
  • संन्यासग्रहण की शास्त्रीय विधि -गणपति- पूजन, होम, तत्त्व- शुद्धि, सावित्री-प्रवेश, सर्वसंन्यास और दण्ड-धारण आदि का प्रकार
  • प्रणव के अर्थों का वर्णन
  • शैवदर्शन के अनुसार शिवत्त्व, जगत्-प्रपंच और जीवतत्त्व के विषय में विशद विवेचन तथा शिव से जीव और जगत्की अभिन्नता का प्रतिपादन
  • महावाक्यों के अर्थपर विचार तथा संन्यासियों के योगपट्ट का प्रकार
  • यति के लिये एकादःशाह-कृत्य का वर्णन
  • यति के द्वादशाह-कृत्य का वर्णन,स्कन्द और वामदेव का कैलास पर्वत पर जाना तथा सूतजी के द्वारा इस संहिता का उपसंहार[३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

साँचा:navbox साँचा:navbox साँचा:navbox साँचा:navbox