कठ उपनिषद्

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
(कठोपनिषद् से अनुप्रेषित)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
कठ उपनिषद्
मूलतत्त्व और आधार
आधार
कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद

कठ उपनिषद् या कठोपनिषद, एक कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद है।

कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखा है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।

कठ उपनिषद्  
चित्र:उपनिषद.gif
लेखक वेदव्यास
चित्र रचनाकार अन्य पौराणिक ऋषि
देश भारत
भाषा संस्कृत
श्रृंखला कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद
विषय ज्ञान योग, द्वैत अद्वैत सिद्धान्त
प्रकार हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ

साँचा:italic titleसाँचा:main other

शान्ति मन्त्र

इस उपनिषद का शान्तिपाठ निम्न है:

ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

उपनिषद सार

यह उपनिषद आत्म-विषयक आख्यायिका से आरम्भ होती है । प्रमुख रूप से यम नचिकेता के प्रश्न प्रतिप्रश्न के रुप में है । वाजश्रवा लौकिक कीर्ति की इच्छा से विश्वजित याग का अनुष्ठान करते हैं । याजक अपनी समग्र सम्पत्ति का दान कर दे यह इस यज्ञ की प्रमुख विधि है । इस विधि का अनुसरण करते हुए उसने अपनी सारी सम्पत्ति दान कर दी । वह निर्धन था इसलिए उसके पास कुछ गायें पीतोदक (जो जल पी चुकी हैं ) जग्धतृण (जो घास खा चुकी हैं अर्थात जिनमें घास खाने की सामर्थ्य नहीं है ) दुग्धदोहा(जिनका दूध दुह लिया गया है) निरिन्द्रिय(जिनकी प्रजनन शक्ति समाप्त हो गयी है ) और दुर्बल थीं । पिता उन गायों को यदि दान करते हैं तो निश्चय ही पुण्य नहीं प्राप्त होगा , जिससे किया जा रहा यज्ञ विफल न हो वैसा मुझे करना चाहिए यह सोचकर उसका पुत्र नचिकेता अपने पिता से, ‘मुझे किसे दोगे’ ऐसा दो तीन बार पूँछता है । तब क्रोधित होकर पिता ने 'यम को दूंगा' ऐसा बोला ।

सन्दर्भ


इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

मूल ग्रन्थ

अनुवाद