राधा

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श्री राधा
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Member of पंच प्रकृति और देवी लक्ष्मी के अवतार
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राधा-कृष्ण
अन्य नाम कृष्णप्रिया , वृषभानुलली , राधिका , किशोरी , माधवी, केशवी, श्रीजी, राधारानी
संबंध देवी महालक्ष्मी की अवतार, श्री कृष्ण की ह्लादिनी शक्ति
निवासस्थान गौलोक, वृन्दावन, बरसाना, वैकुंठ
मंत्र ॐ वृषभानुज्यै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात॥
अस्त्र कमल
जीवनसाथी साँचा:if empty
माता-पिता वृषभानु (पिता), कीर्ति देवी (माँ)
संतान साँचा:if empty
सवारी कमल और सिंहासन
शास्त्र हिंदू धर्म के सभी पवित्र धार्मिक ग्रंथों में उनकी दिव्यता का उल्लेख है
त्यौहार राधाष्टमी, जन्माष्टमी, होली, गोपाष्टमी, कार्तिक पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, फुलेरा दूज (राधा कृष्ण विवाह दिवस), लट्ठमार होली

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राधा अथवा राधिका हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी हैं। [१][२] वह कृष्ण की प्रेमिका और संगिनी के रूप में चित्रित की जाती हैं। इस प्रकार उन्हें राधा कृष्ण के रूप में पूजा जाता हैं। पद्म पुराण के अनुसार, वह बरसाना के प्रतिष्ठित यादव राजा वृषभानु गोप की पुत्री थी एवं लक्ष्मी अवतार थीं।[३][४] उनके ऊपर कई काव्य रचना की गई है और रास लीला उन्हीं की शक्ति और रूप का वर्णन करती है । वैष्णव सम्प्रदाय में राधा को भगवान कृष्ण की शक्ति स्वरूपा भी माना जाता है , जो स्त्री रूप मे प्रभु के लीलाओं मे प्रकट होती हैं | "गोपाल सहस्रनाम" के 19वें श्लोक मे वर्णित है कि महादेव जी द्वारा जगत देवी पार्वती जी को बताया गया है कि एक ही शक्ति के दो रूप है राधा और माधव (श्रीकृष्ण) तथा ये रहस्य स्वयं श्री कृष्ण द्वारा राधा रानी को बताया गया है। अर्थात राधा ही कृष्ण हैं और कृष्ण ही राधा हैं। [५][६]

अधिकतर लोग जो कृष्ण की राधा के बारे मे बाते करते है, राधा कृष्ण के प्रेम की चर्चा किया करते है राधा कृष्ण को मन धन से प्रेमी रूप मे पूजन करती थी और श्री कृष्ण भी अपनी बासुरी को और राधा को अधिकाधिक प्रेम करते थे जिनके प्रेम जोडी आज के नवयुगलों को उत्साहित करते है और राधा और कृष्ण के प्रेम गाथा से प्रेम मे समर्पित होने की प्रेरणा प्रदान करते है।[७][८]

मान्यता

पेंटिंग में चित्रित कृष्ण एवं राधा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के गोकुल-महावन कस्बे के निकट रावल गांव में मुखिया वृषभानु गोप एवं कीर्ति की पुत्री के रूप में राधा रानी का प्राकट्य जन्म हुआ। राधा रानी के जन्म के बारे में यह कहा जाता है कि राधा जी माता के पेट से पैदा नहीं हुई थी उनकी माता ने अपने गर्भ को धारण कर रखा था उन्होंने योग माया कि प्रेरणा से वायु को ही जन्म दिया। परन्तु वहां स्वेच्छा से श्री राधा प्रकट हो गई। श्री राधा रानी जी निकुंज प्रदेश के एक सुन्दर मंदिर में अवतीर्ण हुई उस समय भाद्र पद का महीना था, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि, अनुराधा नक्षत्र, मध्यान्ह काल 12 बजे और सोमवार का दिन था। इनके जन्म के साथ ही इस दिन को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा।

राधा रानी जी श्रीकृष्ण जी से ग्यारह माह बड़ी थीं। लेकिन श्री वृषभानु जी और कीर्ति देवी को ये बात जल्द ही पता चल गई कि श्री किशोरी जी ने अपने प्राकट्य से ही अपनी आंखे नहीं खोली है। इस बात से उनके माता-पिता बहुत दुःखी रहते थे। कुछ समय पश्चात जब नन्द महाराज कि पत्नी यशोदा जी गोकुल से अपने लाडले के साथ वृषभानु जी के घर आती है तब वृषभानु जी और कीर्ति जी उनका स्वागत करती है यशोदा जी कान्हा को गोद में लिए राधा जी के पास आती है। जैसे ही श्री कृष्ण और राधा आमने-सामने आते है। तब राधा जी पहली बार अपनी आंखे खोलती है। अपने प्राण प्रिय श्री कृष्ण को देखने के लिए, वे एक टक कृष्ण जी को देखती है, अपनी प्राण प्रिय को अपने सामने एक सुन्दर-सी बालिका के रूप में देखकर कृष्ण जी स्वयं बहुत आनंदित होते है। जिनके दर्शन बड़े बड़े देवताओं के लिए भी दुर्लभ है तत्वज्ञ मनुष्य सैकड़ो जन्मों तक तप करने पर भी जिनकी झांकी नहीं पाते, वे ही श्री राधिका जी जब वृषभानु के यहां साकार रूप से प्रकट हुई।

राधाकृष्ण का विवाह

राधाकृष्ण का विवाह भांडीरवन मे

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माजी ने वृन्दावन में श्री कृष्ण के साथ साक्षात श्री राधा का विधिपूर्वक विवाह भांडीरवन मे संपन्न कराया था। [९] इस विवाह का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण और गर्ग संहिता में भी मिलता है। बृज में आज भी माना जाता है कि राधा के बिना कृष्ण अधूरे हैं और कृष्ण बिना श्री राधा। धार्मिक पुराणों के अनुसार राधा और कृष्ण की ही पूजा का विधान है।

सम्प्रदायों में पूजनीय

स्वामीनारायण मंदिर में राधा कृष्ण की मूर्तियां

भारत के धार्मिक सम्प्रदाय - निम्बार्क संप्रदाय, गौड़ीय वैष्णववाद, पुष्टिमार्ग, राधावल्लभ संप्रदाय, स्वामीनारायण संप्रदाय, प्रणामी संप्रदाय और वैष्णव सहिज्य संप्रदाय में राधा को कृष्ण के साथ पूजा जाता है। [१०]

प्रमुख स्तुतियां

सन्दर्भ

साँचा:reflist श्रीमद्भागवत महापुराण एवम श्री ब्रह्मवैवर्त पुराण।

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:commonscat


साँचा:asbox स्रोत : श्रीमद्भागवत महापुराण, श्री ब्रह्मवैवर्त पुराण,महर्षि गर्ग मुनि रचित ग्रंथ

  1. साँचा:cite book
  2. Monier Monier-Williams, Rādhā, Sanskrit-English Dictionary with Etymology, Oxford University Press, page 876
  3. साँचा:cite book
  4. साँचा:cite book
  5. साँचा:cite book
  6. साँचा:cite book
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  8. साँचा:cite book
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  10. साँचा:cite book