त्रिपुरतापिनी उपनिषद्
imported>अनुनाद सिंह द्वारा परिवर्तित ०६:०४, २७ नवम्बर २०२१ का अवतरण
त्रिपुरतापिनी उपनिषद् | |
---|---|
साँचा:main other | |
लेखक | वेदव्यास |
चित्र रचनाकार | अन्य पौराणिक ऋषि |
देश | भारत |
भाषा | संस्कृत |
श्रृंखला | अथर्ववेदीय उपनिषद |
विषय | ज्ञान योग, द्वैत अद्वैत सिद्धान्त |
प्रकार | हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ |
साँचा:italic titleसाँचा:main other
त्रिपुरतापिनी उपनिषद् [१]अथर्ववेदीय शाखा के अन्तर्गत एक गौण उपनिषद है। यह ८ शाक्त उपनिषदों में से एक है। यह तन्त्र से सम्बन्धित है। इसके अनुसार ब्रह्माण्ड की रचना शिव और शक्ति के संयोग से हुई है तथा स्त्री और पुरुष दोनों के बिना कोई भी सृष्टि सम्भव नहीं है।
इस उपनिषद के अन्तिम अध्याय में अद्वैत शैली में शक्ति (देवी) की चर्चा हुई है। उन्हें 'परम ब्रह्म' कहा गया है और यह भी कहा है कि आत्मा और ब्रह्म में भेद नहीं है, दोनों एक ही हैं। यह दर्शन शाक्ताद्वैत (शाक्त + अद्वैत) कहलाता है।