भारत भवन
भारत भवन | |
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भारत भवन | |
सामान्य विवरण | |
प्रकार | सांस्कृतिक केंद्र |
स्थान | श्यामला हिल्स |
पता | जे स्वामिनाथन मार्ग, बडी झील के पास |
शहर | साँचा:ifempty |
राष्ट्र | भारत |
निर्देशांक | स्क्रिप्ट त्रुटि: "geobox coor" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
निर्माणकार्य शुरू | 1980 |
शुरुआत | साँचा:ifempty |
उद्घाटन | 13 फरवरी 1982 |
ध्वस्त किया गया | साँचा:ifempty |
योजना एवं निर्माण | |
वास्तुकार | चार्ल्स कोरिया (Charles Correa) |
वेबसाइट | |
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भारत भवन, भारत के प्रान्त भोपाल में स्थित एक विविध कला,सांस्कृतिक केंद्र एवं संग्रहालय है। इसमें कला दीर्घा (आर्ट्स गैलरी), ललित कला संग्रह, इनडोर/आउटडोर ओडिटोरियम, रिहर्सल रूम, भारतीय कविताओं का पुस्तकालय आदि कई चीजें शामिल हैं। यह भोपाल के बड़े तालाब के निकट स्थित है। इस भवन के सूत्रधार चार्ल्स कोरिया[१] का कहना है -
- "यह कला केन्द्र एक बहुत ही सुंदर स्थान पर स्थित है, पानी पर झुका हुआ एक पठार जहाँ से तालाब और ऐतिहासिक शहर दिखाई देता है।"
भोपाल स्थित यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों में एक है। 1982 में स्थापित इस भवन में अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। श्यामला पहाड़ियों पर स्थित इस भवन को प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरिया ने डिजाइन किया था। भारत के विभिन्न पारंपरिक शास्त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केन्द्र है। इस भवन में एक म्युजियम ऑफ आर्ट, एक आर्ट गैलरी, ललित कलाओं की कार्यशाला, भारतीय काव्य की पुस्तकालय आदि शामिल हैं। इन्हें अनेक नामों जैसे रूपांकर, रंगमंडल, वगर्थ और अनहद जैसे नामों से जाना जाता है। सोमवार के अतिरिक्त प्रतिदिन दिन में 2 बजे से रात 8 बजे तक यह भवन खुला रहता है।
श्यामला पहाड़ियों पर स्थित भारत भवन राजधानी भोपाल के लिए कला का केंद्र है। भारत भवन के पांच अंग हैं। इनमें से 'रूपंकर' ललित कला का संग्रहालय है, 'रंगमंडल' का सम्बन्ध रंगमंच से है,'वागर्थ' कविताओं का केन्द्र है, 'अनहद' शास्त्रीय और लोक संगीत का केन्द्र है जबकि 'छवि' सिनेमा से जुड़ी गतिविधियों के लिए है। अपनी स्थापना के समय से ही भारत भवन कला के केंद्र के रूप में पहचाना जाता रहा है। भारत भवन अपनी कला से जुड़ी गतिवधियों के साथ ही अपनी स्थापत्य कला और प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी मशहूर है। इसका वास्तुशिल्प (डिजाइन) चार्ल्स कोरिया ने बनाया था और यह किसी ऊंची उठी इमारत/बिल्डिंग के बजाए जमीन के समानांतर है। इसकी खासियत यह भी है कि इसे किसी एक स्थान से पूरा नहीं देखा जा सकता है। यहां तीन ऑडिटोरियम हैं जहां समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और रंगदर्शनियों में चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता रहता है। किसी भी तरह की कलाओं से जुड़ाव रखने वाले कला प्रेमियों के बीच यह जगह काफी प्रचलित है।
विभिन्न इकाइयाँ
- रूपंकर (ललित कला का संग्रहालय)
- रंगमंडल (प्रदर्शनों की सूची)
- वागर्थ (भारतीय कविताओं का केन्द्र)
- अनहद (शास्त्रीय और लोक संगीत का केन्द्र)
- छवि - सिनेमा के लिए
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
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