झांसी जंक्शन रेलवे स्टेशन
वीरांगना लक्ष्मीबाई जंक्शन भारतीय रेलवे, जंक्शन स्टेशन | |
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स्टेशन आंकड़े | |
पता | साँचा:br separated entries |
निर्देशांक | स्क्रिप्ट त्रुटि: "geobox coor" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। |
ऊँचाई | साँचा:convert |
लाइनें |
{नई दिल्ली-मुंबई सी.एस.टी.} {आगरा-भोपाल खंड} {दिल्ली-चेन्नई लाइन} {झांसी-कानपुर खंड} {झांसी-मानिकपुर-इलाहाबाद खंड} {झांसी-ग्वालियर-इटावा सेक्शन} {झांसी-सवाई माधोपुर खंड (प्रस्तावित)} |
संरचना प्रकार | मानक |
प्लेटफार्म | 8 |
पटरियां | 13 |
वाहन-स्थल | उपलब्ध |
साइकिल सुविधायें | उपलब्ध |
अन्य जानकारियां | |
आरंभ | 1880 |
विद्युतीकृत | 1986-87 |
स्टेशन कूट | VGLB |
ज़ोन | उत्तर मध्य रेलवे (भारत) |
मण्डल | झांसी रेलवे मंडल |
स्वामित्व | भारतीय रेलवे |
संचालक | उत्तर मध्य रेलवे |
स्टेशन स्तर | संचालित |
स्थान | |
वीरांगना लक्ष्मीबाई जंक्शन, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी शहर में स्थित एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है। यह भारत के सबसे व्यस्ततम और सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह भारत में कई सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए एक प्रमुख अन्तरनगरीय हब और तकनीकी ठहराव है। भारतीय रेलवे के उत्तर मध्य रेलवे जोन में झांसी का अपना एक मंडल है। यह दिल्ली-चेन्नई और दिल्ली-मुंबई लाइन पर स्थित है। इस स्टेशन का कोड VGLB है। हाल ही में झांसी जंक्शन रेलवे स्टेशन की वैगन मरम्मत कार्यशाला में कुल 1.5 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की योजना पर काम चल रहा है। जहाँ कॉम्प्लेक्स के प्रोडक्शन शेड और सर्विस बिल्डिंग की छत पर सोलर पैनल लगाये जाएगें।उत्तर प्रदेश सरकार ने रेलवे बोर्ड को एक प्रताव भेजा था जिसमें लिखा था कि झांसी रेलवे स्टेशन का नाम महारानी लक्ष्मी बाई के नाम पर रखा जाए । इस प्रकार से इस रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई जंक्शन हो गया है। [१][२]
इतिहास
रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने 1880 के दशक के अंत में किया था। तीन स्थानों के लंबे सर्वेक्षण के बाद वर्तमान स्थल को स्टेशन के लिए चुना गया था। स्टेशन में एक विशाल किले जैसी इमारत है जिसे मरून और श्वेत रंग में रोंगन किया गया है।
स्टेशन में शुरुआत में तीन प्लेटफार्म थे। (प्लेटफ़ॉर्म एक, स्क्रिप्ट त्रुटि: "convert" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। लंबा था जो कि भारत में पांचवां सबसे लंबा है। यह एक समय में दो ट्रेनों को आसानी से संभाल सकता है (यही प्लेटफॉर्म दो और तीन में भी हैं)। )
झांसी जंक्शन इंडियन मिडलैंड रेलवे कंपनी का केंद्र बिंदु था जिसने झांसी जंक्शन से सभी दिशाओं में रेडियल लाइन बिछाई और झांसी में बड़ी कार्यशाला का प्रबंधन किया।[३]
भारत की पहली शताब्दी एक्सप्रेस नई दिल्ली और झांसी के बीच शुरू हुई।
झांसी, पहले मुंबई में मुख्यालय वाले मध्य रेलवे ज़ोन का एक हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब यह उत्तर मध्य रेलवे ज़ोन के अन्तर्गत आता है जिसका मुख्यालय इलाहाबाद में है।
संयोजन
झांसी जंक्शन भारत के कई औद्योगिक और महत्वपूर्ण शहरों जैसे: नई दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, भोपाल, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, मुंबई, कोलकाता, जम्मू, आगरा, भुवनेश्वर, अहमदाबाद, बांदा, नागपुर आदि से सीधी ट्रेनों से जुड़ा हुआ है।
झाँसी जंक्शन में 4 ब्रॉड गेज मार्ग है:
- दिल्ली से - मुंबई तक
- दिल्ली से - चेन्नई तक
- झांसी से - कानपुर सेंट्रल तक
- बीना से - भोपाल तक
- खजुराहो से - मानिकपुर तक
मध्य प्रदेश में झांसी जंक्शन और शिवपुरी के बीच एक नई लाइन के लिए सर्वेक्षण चल रहा है जो आगे सवाई माधोपुर और जयपुर से जुड़ा होगा।
भारतीय रेलवे की कई प्रतिष्ठित रेलगाड़ियाँ झांसी से होकर गुजरती हैं, जिसमें गतिमान एक्सप्रेस (वर्तमान में भारत में सबसे तेज़ ट्रेन) शामिल है। )
- गतिमान एक्सप्रेस (झांसी से प्रारंभ)
- शताब्दी एक्सप्रेस
- राजधानी एक्सप्रेस
- ताज एक्सप्रेस (झाँसी से प्रारंभ)
- कर्नाटक एक्सप्रेस
- तमिलनाडु एक्सप्रेस
- केरला एक्सप्रेस
- तेलंगाना एक्सप्रेस
- भोपाल एक्सप्रेस
- दक्षिण एक्सप्रेस
- पुष्पक एक्सप्रेस
- बुंदेलखंड एक्सप्रेस
- गोवा एक्सप्रेस
- दुरन्त एक्सप्रेस
खजुराहो, एक यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और ओरछा जाने के इच्छुक पर्यटकों के लिए झाँसी एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।