धरसेन
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धरसेन | |
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उपसंप्रदाय | साँचा:br separated entries |
जन्म | साँचा:br separated entries |
निधन | साँचा:br separated entries |
शांतचित्त स्थान | साँचा:br separated entries |
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बच्चे | लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found। |
पिता | लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found। |
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साँचा:sidebar with collapsible lists आचार्य धरसेन प्रथम शताब्दी के दिगम्बर साधु थे।
जीवनी
आचार्य धरसेन में, पहली सदी में दो आचार्य, आचार्य पुष्पदंत और आचार्य भूतबलि को आगम ग्रन्थ षट्खण्डागम लिपिबद्ध करने हेतु निर्देशित किया। इस आगम के तीर्थंकर महावीर कर्ता है।[१] दो आचार्य लिखा था, ताड़ के पत्तों पर, षट्खण्डागम के बीच - सबसे पुराना ज्ञात दिगम्बर जैन ग्रंथों.[2] यह था के बारे में 683 वर्ष के बाद निर्वाण के महावीर है। [3]
नोट
- ↑ जैन, विजय K. (2012).