कादर ख़ान
क़ादर ख़ान | |
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2012 में खान | |
जन्म |
22 October 1937[१] काबुल, अफगानिस्तान[१] |
मृत्यु |
31 December 2018साँचा:age) टोरंटो, कनाडा | (उम्र
जातीयता | पश्तून |
नागरिकता | कैनेडियन |
शिक्षा प्राप्त की | इस्माइल युसूफ कॉलेज |
व्यवसाय | अभिनेता |
कार्यकाल | 1970-वर्तमान |
धार्मिक मान्यता | इस्लाम[२] |
जीवनसाथी | अज़रा खान |
बच्चे | सरफ़राज़ खान |
क़ादर ख़ान (22 अक्तूबर 1937- 31 दिसम्बर 2018) एक हिन्दी फ़िल्म हास्य अभिनेता होने के साथ साथ एक फ़िल्म निर्देशक भी थे।[१] उन्होंने अबतक 300 से अधिक फ़िल्मो में काम किया है। उनकी पहली फ़िल्म दाग (1973) थी जिसमे उन्होंने अभियोगपक्ष के वकील की भूमिका निभाई थी।[३] उन्होंने स्नातक की पढ़ाई इस्माइल यूसुफ कॉलेज से पूरी की। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में भी कार्य किया। कादर खान की मृत्यु कनाडा में 31 दिसम्बर 2018 को शाम करीब 6 बजे हुई। इन्हें कनाडा के मिसीसॉगा शहर के कब्रिस्तान मेें ही दफनाया गया।
फिल्मी सफर
कादर खान के फ़िल्मी जीवन की शुरुआत तब हुई एक बार वे अपने कॉलेज में किसी भूमिका को निभाया तो वहां उपस्थित लोगो ने उनकी काफ़ी प्रशंसा की। जब अभिनेता दिलीप कुमार को ये पता चला तो उन्होंने खान को बुलाया और उन्हें रोल देखने कि इच्छा ज़ाहिर की तो खान ने अच्छे से तैयार कर उनके लिए प्रदर्शित किया। दिलीप कुमार उनके प्रदर्शन से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने खान को सगीना महतो और बैराग फ़िल्मो में काम दे दिया।
पुरस्कार व नामांकन
अपने कला और आवाज से प्रभावित कर देने वाले खान ने कई पुरस्कार भी प्राप्त किए है।
- 2013 - साहित्य शिरोमणि पुरस्कार (हिन्दी फ़िल्म जगत और सिनेमा में योगदान के लिए)
श्रेणी | फ़िल्म | वर्ष | स्थिति |
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सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन | मेरी आवाज़ सुनो | 1982 | Won |
सर्वश्रेष्ठ हस्य अभिनेता | बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी | 1991 | Won |
सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन | अंगार | 1993 | Won |
सर्वश्रेष्ठ हस्य अभिनेता | हिम्मतवाला | 1984 | साँचा:nom |
आज का दौर | 1986 | साँचा:nom | |
सिक्का | 1990 | साँचा:nom | |
हम | 1992 | साँचा:nom | |
आँखें | 1994 | साँचा:nom | |
मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी | 1995 | साँचा:nom | |
कुली नं॰ 1 | 1996 | साँचा:nom | |
साजन चले ससुराल | 1997 | साँचा:nom | |
दूल्हे राजा | 1997 | साँचा:nom |
प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र | टिप्पणी |
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1973 | |||
1977 | मुक्ति | हुसैन | संवाद भी |
1997 | मिस्टर एंड मिसेज़ खिलाड़ी |
मृत्यु
कादर ख़ान जीवन के अंतिम दिनों में सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी नामक बीमारी से जूझ रहे थे, जो कि एक लाइलाज बीमारी है।[४][५] साँस लेने में तकलीफ़ के कारण उन्हें 28 दिसंबर 2018 को कनाडा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ वे अपने बेटे-बहू के पास इलाज कराने के लिये लिये आये थे।[५] 31 दिसंबर 2018 (पूर्वी समय मंडल के अनुसार) उनके पुत्र सरफराज खान ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की।[६][७][८] उनका अंतिम संस्कार कनाडा के मिसिसागुआ स्थित मेअडोवले कब्रिस्तान में हुआ।[९]